Thursday, February 28, 2013

मदरसे और मस्जिद के लिए चंदा के नाम पर फैल रहा है कमीशनख़ोरी और ठगी का धंधा


हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मस्जिद बिल्कुल सादा थी। शुरू में उसमें सिर पर छत और पांव के नीचे चटाई भी न थी। वह मस्जिद बिल्कुल क़ुदरती माहौल में थी। नमाज़ पढ़ने वालों पर सूरज की रौशनी हर तरफ़ से पड़ती थी, उन्हें ताज़ा हवा मिलती थी। उनके पांव ज़मीन से टच होते थे और उनके सिर पर खुला आसमान होता था। क़ुदरती माहौल सुकून देता है और बहुत सी बीमारियों से बचाता है। नए तर्ज़ की मस्जिदें बनाने की होड़ में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मस्जिद की तर्ज़ को भुला दिया गया है।
मस्जिदों को सादा रखा जाता तो उनके नाम पर धंधा और ठगी करने वाले पनपते ही नहीं। ऐसे भी मदरसे हैं। जिनकी तरफ़ से चंदा वसूल करने वाला कोई जाता ही नहीं है। जिसे भी देना होता है। वह ख़ुद ही मनी ऑर्डर कर देता है या किसी के हाथ भेज देता है। कुछ मदरसों ने ऐसे लोगों की तनख्वाह मुक़र्रर कर रखी है। यह ठीक है। उनके घर का ख़र्च भी चलना चाहिए।
कमीशनख़ोरी और ठगी इससे बिल्कुल अलग चीज़ है। चंदा वुसूल करने वाले ये लोग भी दाढ़ी, टोपी और शरई लिबास में होते हैं। इनके वेश-भूषा को देखकर धोखा न खाएं और अपनी रक़म चंदे में देने से पहले यह ज़रूर देख लें कि आप अपनी रक़म किसी ठग या कमीशनख़ोर को तो नहीं दे रहे हैं ?

देखें -

सावधान ! मदरसे और मस्जिद के लिए चंदे इकठ्ठा करने के नाम पर फैल रहा है कमीशनख़ोरी और ठगी का धंधा


Wednesday, February 27, 2013

सच्चा गुरू कौन है और उसे कैसे पहचानें ? भाग 2


ज्ञान से त्याग उत्पन्न होता है लेकिन किस चीज़ का और कितना त्याग ?
हरेक गुरू ने अलग अलग चीज़ों का त्याग करना बताया और उनका स्तर भी अलग अलग ही बताया।
इनमें से किसने ठीक बताया है ?,
देखिये - 

सच्चा गुरू कौन है और उसे कैसे पहचानें ? भाग 2

Daah Sanskar अंतिम संस्कार के रीति रिवाज की जानकारी दे रही हैं Shagun Gupta

शगुन गुप्ता
शगुन गुप्ता कहती हैं कि 
हाल ही में मेरे पड़ोस में रहने वाली आंटी जी की मौत हुई भगवान की दया से मौत देखने और उससे जुड़े रीति रिवाज़ों को समझने का ये मेरा पहला मौका था। अब तक बस ये पता था की दिल की धड़कन रुक जाती है और जान निकल जाती है, अब पता चला कि जान निकलते वक्त बहुत तड़पाती है। आंटी जी के दोनों बच्चे मेरे हमउम्र हैं और हम तीनों को नहीं पता था कि प्राण पलंग पर नहीं ज़मीन पर निकलने चाहियें नहीं तो मुक्ति नहीं मिलेगी हाँ गंगाजल पिला दिया था और हाथ पाँव भी सीधे कर दिये थे (क्योंकि खून का दौरा रुक जाने से शरीर अकड़ जाता है और अंगों को सीधा करने के लिये उन्हें तोड़ना पड़ता है) 
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नोट: लिंक ऊपर शीर्षक में पेवस्त है.

Sunday, February 24, 2013

आतंकवाद के ख़ात्मे का एकमात्र उपाय Atankvad Free India


(हैदराबाद बम धमाके के बाद वही बातें की जा रही हैं जो पहले बम धमाकों के मौक़ों पर हो चुकी हैं. इसलिये हम भी वही बात कहेंगे जो हम पहले कह चुके हैं.)
आतंकवाद जीवन के सही बोध के अभाव से जन्म लेता है। जब तक मानव जाति को वह बोध उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, मानव जाति को आतंकवाद से मुक्ति मिलने वाली नहीं है। हमें गर्व और अफ़सोस से आज तक कुछ हासिल नहीं हुआ है। हमें अब वह काम करना होगा जिससे कि कुछ हासिल हो। हमें मानव जाति को उसके जीवन के सही उद्देश्य का बोध कराना होगा, उसे सही ग़लत की तमीज़ देनी होगी और ऐसे लोगों का बहुमत बनाना होगा। जब ऐसे लोगों का बहुमत हो जाएगा, दुष्ट लोग ख़ुद ही क्षीण हो जाएंगे और तब भी वे कुछ करेंगे तो उन्हें राजनैतिक संरक्षण देने वाला कोई न होगा। उनका विनाश निश्चित होगा, यह तय है।

Saturday, February 23, 2013

सेक्स शिक्षा धर्मनिरपेक्ष तो सूर्यनमस्कार क्या ?-Brij Kishor Singh


सूर्य नमस्कार के विषय में आदरणीय ब्रजकिशोर जी हमारा संवाद हुआ। उसे यहां पेश किया जा रहा हैं उनकी पोस्ट का लिंक यह है-

सूर्य नमस्कार हिन्दू धर्म के किस ग्रंथ में पाया जाता है और इसका प्रचलन हिन्दू समाज में कब हुआ ?

आज अगर भारतीय समाज में यौन-हिंसा की बेमौसमी आँधी उठ रही है तो उसका ईलाज ऐलोपैथिक पश्चिमी सेक्स-शिक्षा नहीं हो सकती और न ही सबको एक-एक कंडोम बाँट देने से यह आँधी थम जाएगी। उसका ईलाज दुनिया में सिर्फ भारत के पास ही है और इसके लिए हमें हिन्दू-मुसलमान सहित सबको गीता-रामायण-उपनिषद के साथ यम और नियम का पाठ पढ़ाना पड़ेगा। इंटरनेट पर उपलब्ध शराब के सेना को छोड़कर अन्यत्र क्रय-विक्रय को,अश्लील फिल्मों,गीतों,वेबसाइटों और अश्लील सीडी के व्यापार को पूरी तरह से प्रतिबंधित और दंडनीय करना पड़ेगा। सेक्स शिक्षा देना तो वही बात हो जाएगी कि जो रोगी को भाये वही वैद्य फरमाये फिर चाहे रोगी मरे या जिए अपनी बला से। 

Wednesday, February 20, 2013

श्रवण कुमार या माधवी: पितृभक्ति में महान कौन ? Madhavi & Shrawan Kumar


'बुनियाद' ब्लॉग पर ताज़ा पोस्ट

डा. अनवर जमाल लेखकडा. अनवर जमाल ख़ानFeb 20, 2013 12:59 PMसभी पोस्ट देखें

श्रवण कुमार या माधवी: पितृभक्ति में महान कौन ?

पितृभक्ति में श्रवण कुमार माधवी से छोटा होकर भी अधिक याद क्यों किया जाता है ? माता पिता की सेवा का जब भी नाम आता है तो हमेशा श्रवण कुमार का नाम लिया जाता है। क्या इसके पीछे भी पुरूषवादी मानसिकता ही कारण बनती है ? ... आगे पढ़ें...

Tuesday, February 19, 2013

महाभारत की ग़लती को दोहराने से कैसे बचें ?


महाभारत की ग़लती को दोहराने से कैसे बचें ?

शाँति में विश्वास किसका है ?
यह कहना भी मुश्किल है।
नेताओं का या जनता का ?
हमारे नेताओं को तो दुनिया जानती ही है।
जनता में सब तरह के लोग हैं। संगठित गिरोह सुपारी लेकर क़त्ल करने से लेकर अपहरण तक कर रहे हैं। जो घरेलू लोग हैं, वे अपने बेटे की शादी कर लेते हैं और बहू को बंधक बनाकर सगाई, विवाह और गोद भराई के मौक़ों पर उसके माँ-बाप से रक़म वसूल करते रहते हैं। इनमें से कोई आत्महत्या कर लेती है और कोई मार दी जाती है। ज़िन्दा बच भी जाए तो अपनी कोख में कन्या भ्रूण हत्या करती रहती है। लड़की को कोख में न भी मारा तो किसी खेत, पार्क या बस में उसकी लाश मिल जाती है।
किसका विश्वास है शाँति में ?, कहना मुश्किल है लेकिन फिर भी माना जाता है कि कुछ लोग इस देश में ऐसे ज़रूर होंगे जो कि शाँति में विश्वास रखते होंगे और रखना भी चाहिए। ऐसा हमारे संविधान में लिखा है।
संविधान में लिखा है, इसलिए भारत को शाँति का पुजारी मान लिया जाता है।
इसलाम का नाम ही उस शब्द से बना है जिसकी धातु का अर्थ ‘शाँति‘ है।
इसलाम को आतंकवाद से जोड़  ��दिया जाता है.
इसलाम में भी शाँति की शिक्षा है। इस बात को भी नज़रअन्दाज़ कर दिया जाता है।
इसलाम को आतंकवाद से जोड़कर बदनाम करना है तो बस बदनाम करना ही है।
यह अन्याय है।
अन्याय करेंगे तो जंग कैसे रूक पाएगी ?
पहले अन्याय किया गया तो आज अन्याय न किया जाए।
पहले ग़लती हुई तो आज उसे न दोहराया जाए। 

Sunday, February 17, 2013

माधवी-Bhishm Sahni

भीष्म साहनी के उपन्यास माधवी का चर्चा देखिए एक ताज़ा ब्लॉग पोस्ट पर
वैदिक काल में माधवी का विवाह संस्कार vivah sanskar

fact n figure: फणीश्वर नाथ रेणु की एक दुर्लभ रचना

(phanishwarnathrenu.com से साभार )

जै गंगा.....!
जै गंगा......
इस दिन आधी रात को ' मनहरना ' दियारा के बिखरे गांवों और दूर दूर के टोलों में अचानक एक सम्मिलित करूण पुकार मची , नींद में माती हुई हवा कांप उठी - ' जै गंगा मैया की जै...!!
अंधेरी रात में गंगा मैया क्रुद्ध लहरें हहराती, घहराती पछाड़ खाती और फुफकारती हुई तेजी से बढ़ रही थीं।
लहरें उग्र होती र्गइं , कोलाहल बढ़ता गया - ' जै गंगा मैया ... मैया रे ... दुहाई गंगा मैया... भगवान..... ।'
...... गाय बैलों का बंधन काटो ... औरतों को चुप करो भाई , कुछ सुनने भी नहीं देती है , बच्चों को देखो , उॅचला बॉध पर औरतों को भेजो , अरे बाप रे , पानी बढ़ रहा है , रे बाप ! .... ! ... दुहाई ...
पानी उपर की ओर बढ़ रहा था , मानो उपर की ओर उठती हुई क्रंदन-ध्वनि को पकड़ना चाहता हो । ...
- ' दुहाई गंगे ....
' कलकल कलकल छहर छहर - एक फूट । '
- बचाओ बाबा बटेश्वरनाथ ...
' ओसारे पर पानी ' ।
- बाप रे , दुहाई गंगा.......
लहरें असंख्य फण फैला कर गांव में घुसीं । घर के कोने कोने में छिपे हुए पापों को खोजती हुई पतितपावनी माता अट्ठहास कर उठी । शस्य श्यामला धरती रो पड़ी । गूंगे प्रणियों की आखिरी आवाज घिघियाती हुई पुकार , गंगाजल के कलकल छलछल में डुब गई । .... दुहाई ..... !!
शाम को ही मनहरना घाट से रेलवे स्टीमर को हटा कर ' कैसलयाबॅंड ' के पास लाया गया था। स्टीमर के सभी कर्मचारी , रेलवे नावों के मल्लाह , बंड ओवरसियर , बंड कर्मचारीगण, कूलियों का एक विशाल जत्था , बंड पर मेला लगा हुआ है। पानी खलासी रह रह कर जरा नाटकीय ढ़ंग से चिल्ला कर रिपोर्ट देता - ' दो फीट ..... ।'
' अरे धु�ा ' साला ...... कान फाड़ डाला ।'- सब हॅंस पड़ते । ' गंगा चिढ़ जाती है इस हॅंसी को सुन कर । पानी बढ़ता , लकड़ी के सुफेद खम्भे के काले काले दाग धीरे धीरे पानी के नीचे डुबने लगे । सब हॅसते रहे । स्टीमर रह-रह कर हिल उठता । बंड पर कोई कमर मटका मटका कर गाता - ' छोटी सी मोरी दिल की तलैया , अरे हॉं डगमग डोले , अरे हॉं डगमग डोले .....'
' चुप हरामी का बच्चा ' - स्टीमर पर से बूढ़ा फैजू चिल्ला उठता । फैजू के दिमाग में तुफान चल रहा था । स्टीमर के छत पर वह अकेला ही टहल रहा था । डेढ़ सौ से ज्यादा सरकारी कूली दो स्टीमर और पच्चीस नावें । सब बेकार पड़े हैं । हुक्म है स्टीमरों और नावों को सुरक्षित रखो । कूलियों को तैयार रखो । जब तक कि हुक्म न मिले , कुछ मत करो । डी0 टी0 एस0 साहब कंठहापुर जंक्शन के आरामदेह बंगले में मजे से रेडियो प्रोग्राम सुन रहे होंगे। जिला मजिस्ट्रेट को शायद खबर भी न मिली हो कि दर्जनों गांव के सैकड़ों प्राणी किसी भी क्षण के मुह में समां जा सकते हैं। आज पांच दिनों से दरिया की हालात खराब है । ओवरसियर से बार-बार कहा कि इस बार पूरब दियारा के गांवों पर आफत है। दरिया के रूझान को भला मैं नहीं समझॅंूगा । ओवरसियर हॅंसता था । उसने पढ लिखकर पास जरूर किया है , लेकिन मेरा जन्म ही नाव पर ही हुआ है।.....
' घहर घहर .... छहर छररर ...' गंगा गरजती ।
फैजू के कानों में पूरब दियारा की , खून को सर्द कर देने वाली , क्रन्दनध्वनि रह रह कर पड़ती थी। उसकी बेबसी ! वह कुछ नहीं कर सकता। वह चाहे तो उन गांवों के बच्चे को बचा सकता है , कानून ? .... उसकी ऑंखों के कितने ही डूबते हुए प्राणियों की तस्वीरे नाच जाती । वह बचपन से ही जलचर है। मिट्टी से उसे बहुत कम नाता रहा है। बहुत बार डूबते हुए यात्रियों की करूण पुकार को सुन कर उसने अनसुनी कर दी है। नावो को डुबते छोड़कर भागा है। स्टीमर में खतरे का भोंपा बजाने के पहले ' लाइफ बेल्ट ' उसने संभाला है। लेकिन , उस दिन आधी रात को उसका दिमाग गर्म हो रहा था । .... हुक्म है , दुनियां डूबती रहे , तुम पानी मापते रहो । रिपोर्ट दो । अजीब कानून है। ......
' ट्रान..... ट्रान, ..... ट्रान । '
बिरौली के स्टेशन के मास्टर साहब की जान आफत में है । एक ओर घाट स्टेशन बाबू हैं , दूसरी ओर चकमका के । एक जनाब घबराये हुए मिनट मिनट पर रिपोर्ट देते हैं और दूसरे साहब बेवजह की बहुत सी बातें पूछने की आदत से लाचार हैं।.... ' ओह , एई घाटवाला और बॉंचने नहीं देगा ।.....
' हल्लो ... चकमका । हॉं , मनहरना घाट का इस्टार्न साइड का गांव सब में पानी चला गया । स्टेशन मास्टर का क्वाटर में पानी चला आया। कंठहारपुर बोलिये । ..... क्या ? गोडाउन ? आरे हमारा गोडाउन में कहां जगह जगह है । तामाक से भर्ती है । सो काहे ? ..... गोडाउन का बात काहे वास्ते पूछा ? ...! अच्छा । हॉं ।'
रात भर के जगे मास्टर बाबू कुर्सी पर ही सो गये हैं। प्लेटफार्म पर कोलाहल हो रहा है । घाट स्टेशन के स्टेशन मास्टर साहब बाल बच्चों और स्टॉफ को लेकर ट्राली से भाग आये हैं । उनकी आसन्न प्रसूता स्त्री डर से नीली पड़ गई है । बच्चे रो रहे हैं । स्टेशन मास्टर साहब शरणार्थियों की सी मुद्रा बनाये हुए टहल रहे हैं ।
हॉंफता हुआ आता है बंड का चौकीदार - ' मास्टर बाबू कहां हैं , मास्टर बाबू ? ओवरसियर भेजिन हैं । फैजू बिला हुकुम के पैंतीसो नाव और दोनो स्टीमर ले के चला गया है। कूली और मल्लाह लोग तैयार नहीं होता था । कसम धरा के ले गया है हिन्दु को गाय कसम , मुसलमान को क्या जाने कौन कसम , ...... सब महात्मा जी की जै बोल के स्टीमर खोल दिया । बोला ' जो राकेगा उसको बस गंगा मइया को ..... , टेलीफून कर दीजिये बाबू डी0 टी0 एस0 साहब को .....'
' लेकिन उधर तो मुसलमानों की एक बस्ती भी नहीं है ? ' - बिरौली स्कूल के हेड पंडित जी के समझ में फैजू की यह हरकत एकदम नहीं आती ।
भननन् ..... गड़रर ..... गरगर ....
टूटे हुए झोपड़ों के छप्परों और पेड़ों पर बैठे हुए अर्धमृतकों की निगाहें उपर की ओर उठती है । हवाई जहाज ..... हां हवाई जहाज ही है । उनके जीने की इच्छा प्रबल हो उठती है। वे चाहते हैं , चिड़ियों की तरह .....हवाई जहाज से उड़ कर हरे भरे मैदानों वाली दुनियां में जाना ।
फड़रर ..... गरगरर .....
हवाई जहाज बहुत नीचे उतरकर आसमान में चक्कर काटने लगा । लोगो की निगाहें अचानक चमक उठी । मुॅह से अचानक ही एक साथ निकल पड़ा -' दुहाई गंगा मैया । ' लेकिन हवाई जहाज दो तीन बार चक्कर काटकर एक ओर चला गया । सबके चेहरे मुरझा गये । उन्हें कौन समझाये कि हवाई जहाज पर जनाब जिला मजिस्ट्रेट साहब की स्थायी बाढ़ कमेटी के मंत्री के साथ बाढ़ पीड़ित इलाकों का दौरा कर रहे थे ।
धू .... धू .... धू .... भू ....
जहाज ! जहाज !! छप्परवालों ने पेड़ वालों से कहा - ' देखो देखो , जहाज ही है क्या ? कदम्ब के पेड़ पर से एक ही साथ दर्जनों गले की आवाज आई - ' हॉं ' जोड़ा जहाज ! बहुत सी नावें भी है .... जहाज आ रहा है , इधर ही ....
आ रहा है ? अरे नहीं , कजरोटिया जा रहा होगा । क्या कहा बहुत धीरे - धीरे चलता है ? अरे भाई , सब एक ही साथ क्यों हल्ला करते हो । कुछ सुनने भी नहीं देते ।
कुछ देर के बाद छप्पर पर के लोगो ने भी देखा कि गंगा की तरंगों पर खेलती हुई , तीर की तरह तेजी से बहुत सी नावें उनकी ओर आ रही है । खलबली मच गई ।
छर्रर छपाक .........
एक झोपड़ा पानी में फिर गिरा । फिर कोलाहल । .... माधो का सारा परिवार डूब रहा है रे बाप । .... हाय रे .... यह देखो फुलमतिया को , बेचारी उब डूब कर रही है। .... हे भगवान ....
किसी तरह माधो ने अपनी जान बचाई । बुढ़िया भी बची । लेकिन माधो की एकलौती प्यारी बच्ची फुलमतिया डूब गई ।
नावें करीब आती गईं । लोगों ने अगली नाव पर देखा कप्तान साहब हैं । फैजू कप्तान .... । सुनो , कप्तान जी कुछ कह रहे हैं ...
'भाइयों' जहाज यहां नहीं आ पाएगा नावों पर एक-एक कर चढ़ते जाओ ...
बाढ़ कचहरी ।
चकमका मिडल स्कूल में अफसरों की भीड़ लगी हुई है । एक सीनियर डिपुटी मैजिस्ट्रेट साहब बाढ़ इन्चार्ज होकर आये हैं , ओवरसियर , डाक्टर , डि0 बो0 के चेयरमैन , कम्पाउन्डर । सब साहबों के अलग-अलग दफतर हैं , स्टेनों हैं , अर्दली और चपरासी हैं । स्कूल के सभी कमरों को सरकारी कर्मचारियों दखल कर लिया है । होस्टल में जिला , सबडिविजनल और थाना कांग्रेस कमिटियों के दफतर हैं । सभी दफतरों के सभापति , मंत्री , आफिसमंत्री और पिउन हैं । होस्टल के सभी कमरे अर्ध सरकारी साहबों के कब्जे में है । कॉमन रूम का संयुक्त बाढ़ रिलीफ कमेटी की मिटिंग के लिए सुरक्षित रखा गया है। स्वयंसेवकों के लिए सामने मैदान में कुछ तम्बू दिये गये हैं । सब मिला जुला कर एक भयावह वातावरण की सृष्टि हो गई है । जनता इस ओर भय और सम्मान की निगाह से देखती है । ... बाढ़ कचहरी ।
सभी दफतर मशीन की तरह चल रहे हैं -' देखिये ' सभी दखास्ते प्रापर चैनल से आनी चाहिए । सबसे पहले उस पर थाना कांग्रेस कमिटी के दफतर का मुहर होना चाहिए , फिर स0 डि0 कांग्रेस और जिला कांग्रेस वालों का नोट । समझते हैं तो ? हां , नहीं तो पीछे मुश्किल हो जायगा । सीधे कोई दरखास्त मत लीजिए । जरा सी कुछ हो जाने से ही मामला प्राईम मिनिस्टर तक । हां , समझते हैं तो । ... और हां , सुनिये । जिला कांग्रेस कमेटी के मंत्री ... और हां , धर्मदेव बाबू , उनके नोट को ठिकाने से पढ़ियेगा ।
चपरासी आकर सलाम करता है -' हजोर ' दो कांगरेसी बाबू आये हैं । ' साहब कुर्सी छोड़कर उठे - ' नमस्ते ' आइये ।
'हमलोग सोशलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता हैं । बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने आये हैं । कल कलक्टर साहब से बातें हुई । उन्होंने आपसे मिलने को कहा । हमलोग के साथ तीस विद्यार्थी हैं । '
' ओ , सोशलिस्ट पार्टी के वर्कर हैं आपलोग ' - साहब को गुस्सा आ रहा था अपने चपरासी पर । बदतमीज ने सोशलिस्टों को भी कांग्रेसियों में शुमार कर दिया । नहीं तो मुझे कुर्सी छोड़कर उठने की क्या जरूरत था । - बोले - ' ठीक है कहिये ।'
- ' हमलोग स्टेशन प्लेटफार्म पर पड़े हैं । हमारे रहने के लिए जगह का इन्तजाम कर दीजिये और स्वयंसेवको के भोजन का ।...
देखिये , जगह का तो बड़ा दिक्कत है । वहां तो देख ही रहे हैं ... धर्मदेव बाबू के लिए अभी तक अलग रसोई घर का बंदोबस्त नहीं हो सका है। वे मखमली परदे से दूर रहते हैं न ...........
स्टेशन के प्लेटफार्म पर तो ... अच्छा देखा जायेगा ।
और एक बात पूछनी है बिरौली स्टेशन के पास रिलीफ कम्प नहीं रखकर चकमका रखने से कोई खास सुविधा है क्या ?
जी ?.... हां , यहां के स्टेशन का माल गोदाम अभी एक दम खाली है। रिलीफ कमिटी का गोदाम ठहरा । ....
' नमस्ते ' । अरे हां , सुनिये । कांग्रेस से अलग हो गई है न आपकी पार्टी ?....... हां, सो तो ठीक है । लेकिन फिर भी .... । आपकी पार्टी के जन्मदाता तो मालवीय जी थे न ? नहीं ? अरे हां साहब आपको पता नहीं । आखिर हमलोग भी तो कुछ पढ़ते- लिखते हैं । .... नेशनलिस्ट पार्टी ? हां मालवीय जी नेशनलिस्ट पार्टी के थे । ठीक ठीक । अरे साहब रोज बरोज इतनी पार्टी हो रही है कि याद रखना मुश्किल है । .... ओ , मार्क्स साहब ..... कोई पारसी थे क्या ? .... ओ ठीक ठीक । नमस्ते ।
' हजोर सेठ कुंदनमल आये हैं । '
' आइये सेठ जी । कहिये क्या खबर लाये हैं ? '
' हजुर उदर तो ठीक है । कड़क्टर साब तो पहले कांगरेसी सुबापति (सभापति) पर बात फेंक दीहिन । मैने कहा हुजुर तीन तीन सुबापति की बात है । फिर बाढ़ कुमेटी के शिकरेटरी साब हैं । भोत हंगामा है । और कड़कटर साब तो राजी हो गये । अब परस्तुती (परिस्थिति) है कि सिपड़ाई ऑफिसर (सप्लाई ऑफिसर) को राजी करना है । हुजुर से ...
हुजुर कोई बात नहीं । सब ठीक हो जायगा । हम आज ही कड़कता गिद्दी (गड्डी) में खबर देते हैं । डालिमचंद कड़क�ो हैं । ... उसके लिए आप बेफिक्र रहिये कंट्रोल के समय में डालिमचंद ने इतना रेडियो खरीदा है कि एकदम उस्ताद हो गया है।..... जी ? जानीवाकर ? आज ही भेज देता हूॅ ।...... जी उसके लिए आप बेफिक्र रहिये । म्हारा नौकर शिवदास एकदम उस्ताद है । पांच बरस में एक-दम उस्ताद हो गया है ।
' आइये धर्मदेव बाबू । '
हुजुर , वे सोशलिस्ट पार्टी वाले कहॉं से आये थे ?....... लेकिन सवाल है कि सहायता वे रिलीफ कमिटी की करने आये हैं या बाढ़ पीड़ितों की ? ..... तो गांवों में जायें .... ये लोग खामख्वाह हर जगह अड़ंगा डालने पहुंच जाते हैं ।
' स्टेनों बाबू को सलाम दो ।'
' हां देखिये । लाखिये टू द मैनेजर ... न ,. सेक्रेटरी सोशलिस्ट पार्टी । योर सर्विस ...
' अरे आप यह कह रहे हैं ? ' - धर्मदेव बाबू रोकते हैं । ' लिखा- पढ़ी की क्या जरूरत है ? चपरासी से खबर दे दीजिये ... । '
मोहनपुर कैम्प ।
मोहनपुर हाट जरा उॅंचा जगह पर है । यहां कैम्प है । हजारो की तायदाद में पड़े हैं , कुछ झोपड़े पड़े हैं , कुछ बन रहे हैं । रिलीफ कमेटी वाले यहीं आकर चीजें बांटते हैं । हर काम में अड़ंगा डालने वाले सोशलिस्टों ने भी यहीं कैम्प बनाया है। बॅंटवारे के समय , रोज जो हल्ला हो रहा है सो इन्हीं लोगों के चलते । अकेला जग्गू भोलंटियर । बेचारा करे तो क्या ? लोगों का वह बराबर समझाता था कि सुराजी सरकार के दो दुश्मन । मुस्लिंग और सुशलिंग । मुस्लिम तो हार गया , अब सुशलिंग है । लोग न सुनें , उपर भगवान त है । सब ने देख लिया न ! सुशलिंग वाले जिन लोगों की सिफारिश करते हैं उनकी दर्खास्तें नामंजूर हो जातीं है । ...
रात में नारायणपुर वालों और कुरसा कांटा वालों में लड़ाई होते होते बच गई । नारायणपुर वाले कह रहे थे कि कुरसा कांटा वालों को सुराजी सदावर्त लेने का कोई हक नहीं । ' डिस्टीवोट ' चुनाव में कांगरेस को भोट नहीं दिया था। कुरसा कांटा वालों का कहना है कि बंटवारा मुॅह देखकर होकर होता है , जाति पूछकर होता है। कुरसाकांटा में भूमिहार नहीं है न । नारायणपुर वालों कल पांच टीन किरासन तेल मिला और कुरसा कांटा वालों के समय मोमब�ाी भी घट गई । राजधाम के सभी मुसहर बगैर कपड़े के हैं और चैनपुर वालों को जोड़ा धोती मिली है। बहुत बात बढ़ गई ।
...... और खमख्वाह अड़ंगा डालने वाले सुश्लिंग लोग क्या करेंगे ? खुद उनके भोलटियरों को खाना नहीं मिलता । सुकुमार लड़के क्या खाकर भोलटियरी करेंगे । ज्यादातर बीमार है। वैसे ही यह डाक्टर लोग । प्रांत से आये हैं । चेयरमैन साहब के हुक्म के खिलाफ काम करते हैं । कहते हैं कि वे चेयरमेन के नौकर नहीं । अपने मन से सब दवा बॉंटते हैं । पार्टी वालों से बड़ा हेलमेल है । जग्गू भोलेंटियर का इस रिपोर्ट का जि0 कांग्रेस कमेटी के ऑफिस मंत्री जी बहुत ध्यान से सुनते ।
सोशलिस्ट पार्टी के इन्चार्ज साहब खाट पर लेते लेटे खत लिखवा रहे हैं - ध्रुव जी ! अब मै भी पड़ गया । एक दर्जन से ज्यादा लोग बीमार हैं । पैसा नहीं है ।
भोलानाथ भाई की खबर दीजिये । वैसे स्वयंसेवक ......... खुद आवें । मामला कुछ अजीब हो रहा है । सिलारी के जमींदार साहब बाढ़ कमेटी में लिये गये हैं। उनके आठ, दस ल�धर सिपाही आज मोहनपुर आये हैं । यहां अंधाधुंध चल रहा है। लूट मची हुई है । सेठ कुंदनमल और जमींदार साहब का गुटबंदी हुई है । कपड़े , अनाज और किरासन का ठेका सेठ जी को मिला है और बांस फूस का जमींदार साहब को ।
' जै गंगा मैया की जै !! '
पानी घट गया । जमीन धीरे-धीरे सूख रही है । गंगा की काली मिटी खेतिहरों को बुला रही है -' आओ बोओ और पंचगुना उपजाओ ।' आज आखिरी बंटवारा था । बांस , फूस , रस्सी , अनाज , बीज और पैसे । लोग अपने-अपने गांवों को जा रहे हैं । बीमार , बेघरवार , सर्वहारा , की टोली बचे- खुचे मवेशियों के झुण्ड के साथ जा रही है । जिन्हें सहायता मिली है वे खुश है । जिन्हें नहीं मिली , उनके मन में गुस्सा है । जम्मू भोलंटियर सबसे कहता है फिरता है - ' किस्सा खत्म और पैसा हजम ।�
पार्टी वालों का भी कैम्प टूट रहा है । एक दर्जन से ज्यादा बीमार स्वयंसेवकों को एक ही बैलगाड़ी पर लादकर चकमका भेजा जा रहा है ।
मनहरना घाट के बाबू अपने परिवार के साथ स्टेशन को लौट गये। बिरौली स्टेशन के मास्टर बाबू का बेटा टायफाड से मर गया। बेचारे का दिमाग खराब हो रहा है , शोक से । लेकिन छुट्टी नहीं मिली ।
बूढ़ा फैजू अपने पैंतीस मल्लाहों और बीस कूलियों के साथ बर्खास्त कर दिया गया है। गंगा शान्त है । जहाज धू धू कर कजरोटिया की ओर जा रहा है और फैजू पैदल गॉंव की ओर जा रहा है ।
डाक्टरों से ज्वाब-तलब किया गया है । क्यों नहीं उनलोंगो ने दवाईयों का स्टॉक सरकारी मालगोदाम में रहने दिया । चेयरमैन साहब से अभद्र व्यवहार कयों किया और डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट के अनुरोध करने पर भी रिलीफ कमेटी के साथ काम क्यों किया । नौजवान डॉक्टरों की टोली स्वस्थ हॅंसी हॅंसती है ! ठहाका मारकर ।
केसलयाबंड के ओवरसियर साहब की तरक्की हो गई । चकमका का माल गोदाम आज फिर खाली हुआ । चकमका स्टेशन मास्टर ने डेढ़ महीने की छुुट्टी ली है । उन्हें बहुत काम करना है । लड़की की शादी , जमीन खरीद से लेकर और भी बहुत छोटे बड़े काम ।
बाढ़ कचहरी बर्खास्त हुई जाघन कबाड़ी ने बैरा से बहुत सी चीजें सस्ते दर में खरीदी हैं - पोल्सन मक्खन के साथ राशन के अन्य सामान । किस्म किस्म के कपड़े । ...... टोकड़ी में फेंकी हुई है दर्खास्तें -चार बंडल यानि एक मन ।
खराब जलवायु के सेवन से धर्मदेव बाबू का स्वास्थ काफी गिर गया है। वे किसी पहाड़ पर जा रहे हैं ।

जै गंगा .....
सेठ कुंदनमल ने कठहारपुर में अपने मिल के अंदर अखण्ड गंगा कीर्त्तन की व्यवस्था की है। इस अवसर पर एक भारी प्रीतिभोज का आयोजन किया गया है । जिले भर के छोटे-बड़े हाकिमों को दावत दी गई है । इसी अवसर पर जिला कांग्रेस कमेटी वालों ने कठहारपुर में बैठक का प्रबंध किया है। सेठजी के बंगले के सामने सैकड़ों कुर्सियां लगी हुई हैं । एक ओर विभिन्न कीर्त्तन समाजवाले चिल्ला चिल्ला कर गा रहे हैं और नाच रहे हैं । एक बंगाली मंडली बड़े सुरीले स्वर में गा रही है -' बंदो माता सुरधुनी , पतित पावनी , पुरातनी , गंगे गंगे .....
मेहमान आ रहे हैं । कांगरेसी मेहमान को देखकर एक मंडली ने ' राम-धुन शुरू किया - ' रघुपति राघव राजा राम ।'
सेठजी हॅंस-हॅंस कर आगन्तुको का स्वागत कर रहे हैं । आज वे हाथ जोड़कर नया अभिवादन करते हैं - ' जै गंगा ' ! " जै गंगा....."
7 नवंबर 1948 को "जनता " में प्रकाशित

phanishwarnath renu.com : a web portal on legendry writer Phanishwar Nath Renu:

'via Blog this'fact n figure: फणीश्वर नाथ रेणु की एक दुर्लभ रचना:

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Saturday, February 16, 2013

युवक ने रचाया आठवां विवाह 8 patniyan


छब्बीस साल के युवक ने रचाया आठवां विवाह

Tuesday, February 12, 2013

ग़ज़लगंगा.dg: वरक़ जिंदगी का पलटकर रहेंगे

जुनूं की बिसातें उलटकर रहेंगे.
हम अहले-खिरद से निपटकर रहेंगे.

पता है कि खुद में सिमटकर रहेंगे.
हम अपनी जड़ों से भी कटकर रहेंगे.

ये पंजे बड़े तेज़ हैं इनसे बचना
ये दुनिया की हर शै झपटकर रहेंगे.

भले आग लग जाये सारे नगर में
हम अपने घरों में सिमटकर रहेंगे.

लिखेंगे कहानी नयी मंजिलों की
वरक़ जिंदगी का पलटकर रहेंगे.

कभी तो हमारी ज़रूरत पड़ेगी
वो कितने दिनों हमसे कटकर रहेंगे.

भुला देंगे यादें गये मौसमों की
हवाओं से कितना लिपटकर रहेंगे.

वतन पर बढ़ेंगे अभी और खतरे
अगर हम कबीलों में बंटकर रहेंगे.

ख़ुशी के बहाने तलाशेंगे गौतम
गमे -जिंदगी से सलटकर रहेंगे.

---देवेंद्र गौतम


ग़ज़लगंगा.dg: वरक़ जिंदगी का पलटकर रहेंगे:

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Kumbh Accident 2013 पर हमारी हमदर्दी और दुआएं

'बुनियाद' ब्लॉग पर
डा. अनवर जमाल लेखकडा. अनवर जमाल ख़ानFeb 11, 2013 07:15 PMसभी पोस्ट देखें

हमें पता होना चाहिए कि मरने के बाद मनुष्य के साथ वास्तव में क्या होता है ?

हर तरफ़ मौत है। हर पल मौत किसी न किसी को उचक रही है। कुम्भ मेले में नहाने के लिए इलाहाबाद पहुंचे लोगों में से कल भगदड़ में 39 आदमी मारे गए। उनके घर वालों ने उन्हें हंसी ख़ुशी विदा किया था लेकिन अब वे सभी रो रहे हैं। हम नहीं जानते कि जिस काम के शुरू में हम ख़ुश... 

आगे पढ़ें...12 कॉमेंटहमारी पिछली पोस्ट्स भी देखें :

Thursday, February 7, 2013

फ़तवा का अर्थ -अजित वडनेरकर Fatwa ka arth

फ़तवा  का अर्थ बताया जा रहा है 
'शब्दों का सफ़र' ब्लॉग पर 

फ़तवा fatwa और मुफ्ती mufti में गहरी रिश्तेदारी है।
मुफ्ती शब्द बना है अरबी के अफ्ता afta से जिसमें वर्णन करना या जानकारी देना जैसे भाव हैं। इसका मतलब सामान्य कानूनी (शरई) सलाह भी है। इसके मूल में है सेमिटिक धातु प-त-व जिसका अरबी रूप होता है फ-त-व यानी सलाह, मश्वरा, राय देना। फतवा शब्द के मूल में भी यही धातु है। फतवा का मतलब है धार्मिक सलाह, व्यवस्था अथवा निराकरण। फतवा के बहुवचन रूप फतावी या फतावा हैं। मुफ्ती के पास किसी मामले में राय मांगने और फ़तवा जारी करने की पहल इस्तफ्ता कहलाती है। आमतौर पर लोग फतवा का मतलब निर्णय से लगाते हैं मगर ऐसा नहीं है। फतवा महज सलाह या राय है जिस पर अमल करना ज़रूरी नहीं है। मुफ्ती से अभिप्राय एक ऐसे प्रमुख धार्मिक व्यक्ति से है जो शरीयत के दायरे में विभिन्न मुद्दों पर लोगों को धर्मसम्मत सलाह देता है।

http://shabdavali.blogspot.in/2009/03/11.html

Wednesday, February 6, 2013

'औरत की हक़ीक़त' ब्लॉग पर एक नई कहानी "औरत का क़ानूनी जलवा"


औरत का क़ानूनी जलवा

नए क़ानून के असर की एक सत्यकथा जो भविष्य में घटित होगी।

चपरासी के अलावा ऑफ़िस के सभी लोग जा चुके थे। सीईओ अपने रूम में जुटे हुए थे। हालाँकि उनकी उम्र काफ़ी हो चुकी थी फिर भी बस एक जोश था, जो उन्हें अब भी नौजवानों की तरह जुटे रहने के लिए मजबूर करता था लेकिन जवानी बीत जाए तो सिर्फ़ जोश से ही काम नहीं चलता। सीईओ साहब जल्दी ही निपट गए। 
उनकी सेक्रेटरी को भी जो कुछ ठीक करना था, हमेशा की तरह ठीक कर लिया। सीईओ साहब ने अपनी सेक्रेटरी के चेहरे पर नज़र डाली। वहां कोई शिकायत न थी। वह मुतमईन हो गए और अपना ब्रीफ़ेकेस उठाकर चलने ही वाले थे कि सेक्रेटरी ने आज का न्यूज़ पेपर उनके सामने रख दिया, जिसमें यौन हमले और शोषण का अध्यादेश लागू होने की ख़बर थी।
सेक्रेटरी मुस्कुराते हए बोली -‘आप क्या चुनना पसंद करेंगे, 20 साल की क़ैद या ...?‘
‘क...क...क्या मतलब ?‘- सीईओ साहब हकला भी गए और बौखला भी गए।
---------
पूरी कहानी के लिए लिंक पर जाएँ -

Monday, February 4, 2013

Aryawart के प्राचीन गौरव की वापसी का एक्शन प्लान ?

‘ब्लॉग की ख़बरें‘

1- क्या है ब्लॉगर्स मीट वीकली ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_3391.html

2- किसने की हैं कौन करेगा उनसे मोहब्बत हम से ज़्यादा ?
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

3- क्या है प्यार का आवश्यक उपकरण ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

4- एक दूसरे के अपराध क्षमा करो
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

5- इंसान का परिचय Introduction
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/introduction.html

6- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- बेवफा छोड़ के जाता है चला जा
http://kunwarkusumesh.blogspot.com/2011/07/blog-post_11.html#comments

9- इस्लाम और पर्यावरण: एक झलक
http://www.hamarianjuman.com/2011/07/blog-post.html

10- दुआ की ताक़त The spiritual power
http://ruhani-amaliyat.blogspot.com/2011/01/spiritual-power.html

11- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

12- शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड-4
http://shakuntalapress.blogspot.com/

13- वाह री, भारत सरकार, क्या खूब कहा
http://bhadas.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

14- वैश्विक हुआ फिरंगी संस्कृति का रोग ! (HIV Test ...)
http://sb.samwaad.com/2011/07/blog-post_16.html

15- अमीर मंदिर गरीब देश
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

16- मोबाइल : प्यार का आवश्यक उपकरण Mobile
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/mobile.html

17- आपकी तस्वीर कहीं पॉर्न वेबसाइट पे तो नहीं है?
http://bezaban.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

18- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम अब तक लागू नहीं
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

19- दुनिया में सबसे ज्यादा शादियाँ करने वाला कौन है?
इसका श्रेय भारत के ज़ियोना चाना को जाता है। मिजोरम के निवासी 64 वर्षीय जियोना चाना का परिवार 180 सदस्यों का है। उन्होंने 39 शादियाँ की हैं। इनके 94 बच्चे हैं, 14 पुत्रवधुएं और 33 नाती हैं। जियोना के पिता ने 50 शादियाँ की थीं। उसके घर में 100 से ज्यादा कमरे है और हर रोज भोजन में 30 मुर्गियाँ खर्च होती हैं।
http://gyaankosh.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.html

20 - ब्लॉगर्स मीट अब ब्लॉग पर आयोजित हुआ करेगी और वह भी वीकली Bloggers' Meet Weekly
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/bloggers-meet-weekly.html

21- इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
http://www.sahityapremisangh.com/2011/07/blog-post_3678.html

22- इसलाम में आर्थिक व्यवस्था के मार्गदर्शक सिद्धांत
http://islamdharma.blogspot.com/2012/07/islamic-economics.html

23- मेरी बिटिया सदफ स्कूल क्लास प्रतिनिधि का चुनाव जीती
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_2208.html

24- कुरआन का चमत्कार

25- ब्रह्मा अब्राहम इब्राहीम एक हैं?

26- कमबख़्तो ! सीता माता को इल्ज़ाम न दो Greatness of Sita Mata

27- राम को इल्ज़ाम न दो Part 1

28- लक्ष्मण को इल्ज़ाम न दो

29- हरेक समस्या का अंत, तुरंत

30-
अपने पड़ोसी को तकलीफ़ न दो
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साहित्य की ताज़ा जानकारी

1- युद्ध -लुईगी पिरांदेलो (मां-बेटे और बाप के ज़बर्दस्त तूफ़ानी जज़्बात का अनोखा बयान)
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

2- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

3- आतंकवादी कौन और इल्ज़ाम किस पर ? Taliban
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/taliban.html

4- तनाव दूर करने की बजाय बढ़ाती है शराब
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

5- जानिए श्री कृष्ण जी के धर्म को अपने बुद्धि-विवेक से Krishna consciousness
http://vedquran.blogspot.com/2011/07/krishna-consciousness.html

6- समलैंगिकता और बलात्कार की घटनाएं क्यों अंजाम देते हैं जवान ? Rape
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/rape.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- ख़ून बहाना जायज़ ही नहीं है किसी मुसलमान के लिए No Voilence
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/no-voilence.html

9- धर्म को उसके लक्षणों से पहचान कर अपनाइये कल्याण के लिए
http://charchashalimanch.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

10- बाइबिल के रहस्य- क्षमा कीजिए शांति पाइए
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

11- विश्व शांति और मानव एकता के लिए हज़रत अली की ज़िंदगी सचमुच एक आदर्श है
http://dharmiksahity.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

12- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

13- ‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है Terrorism or Peace, What is Islam
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/07/terrorism-or-peace-what-is-islam.html

14- The real mission of Christ ईसा मसीह का मिशन क्या था ? और उसे किसने आकर पूरा किया ? - Anwer Jamal
http://kuranved.blogspot.com/2010/10/real-mission-of-christ-anwer-jamal.html

15- अल्लाह के विशेष गुण जो किसी सृष्टि में नहीं है.
http://quranse.blogspot.com/2011/06/blog-post_12.html

16- लघु नज्में ... ड़ा श्याम गुप्त...
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

17- आपको कौन लिंक कर रहा है ?, जानने के तरीके यह हैं
http://techaggregator.blogspot.com/

18- आदम-मनु हैं एक, बाप अपना भी कह ले -रविकर फैजाबादी

19-मां बाप हैं अल्लाह की बख्शी हुई नेमत

20- मौत कहते हैं जिसे वो ज़िन्दगी का होश है Death is life

21- कल रात उसने सारे ख़तों को जला दिया -ग़ज़ल Gazal

22- मोम का सा मिज़ाज है मेरा / मुझ पे इल्ज़ाम है कि पत्थर हूँ -'Anwer'

23- दिल तो है लँगूर का

24- लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी - Allama Iqbal

25- विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story)

26- शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया (ग़ज़ल)

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