tag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post3680627850285549549..comments2023-11-05T13:41:33.460+05:30Comments on Blog News: क्या महिलाएं अपने से कम पढ़े -लिखे और कम हैसियत-दार से शादी के लिए तैयार हैं ?DR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-73781809211521197242011-08-08T10:55:23.227+05:302011-08-08T10:55:23.227+05:30....सोच पर निर्भर है....सोच पर निर्भर हैसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-41962424176084695242011-07-26T15:16:46.699+05:302011-07-26T15:16:46.699+05:30कोई नियम नहीं बन् सकता इस सार्वकालिक चिंतनीय व विव...कोई नियम नहीं बन् सकता इस सार्वकालिक चिंतनीय व विविध रूपेण व्याख्यायित विषय पर.....वास्तव में तो यह सदाचरण व सत्याचरण का विषय है जो दोनों ओर से प्रभावी होना चाहिए ....किसी को भी सशक्त बनाने की आवश्यकता नहीं है नारी सदा से ही सशक्त है ....आवश्यकता है दोनों ओर से शुचि, सम्यग,यथानुसार व्यवहार की, विशवास व मर्यादा की रक्षा की....डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-41271807703080461292011-07-25T21:25:28.356+05:302011-07-25T21:25:28.356+05:30आपके नए ब्लॉग का स्वागत है
आपने बहुत अच्छा मुददा च...<b>आपके नए ब्लॉग का स्वागत है</b><br />आपने बहुत अच्छा मुददा चुना है और उस पर अपनी राय रखकर और भी अच्छा किया है और इससे भी ज़्यादा अच्छा किया है आपने एक नया ब्लॉग बनाकर । ‘भारतीय नारी‘ के ज़रिये अब आप सही बात खुलकर कह सकती हैं। आर्थिक रूप से भारतीय नारी को सशक्त बनाने के साथ साथ उसे नैतिक रूप से सशक्त बनाने की भी ज़रूरत है जिसे कि नारी की आज़ादी के नाम पर शोर मचाने वाली अंग्रेज़ियतज़दा औरतें प्रायः नज़रअंदाज़ कर देती हैं और कहने लगती हैं कि आप मर्द हैं लिहाज़ा आप औरत को यह मत बताइये कि वह क्या करे और क्या नहीं ?<br />यह कोई लॉजिक नहीं है।<br />सही बात कोई भी किसी को बता सकता है। औरत भी सही बात मर्दों को बता सकती है और इसी तरह मर्द भी सही बात औरतों को बता सकता है। शराब पीकर देर रात तक गुलछर्रे उड़ाऊ पार्टियों में अपने ही जैसे मर्दों के साथ सिगरेट के छल्ले छोड़ने वाली औरतों को इस उसूल के मानने से ही घुटन सी होने लगती है। <br />ठीक है, अगर वे नहीं मानना चाहती हैं किसी सही बात को तो न मानें लेकिन फिर सारी औरतों की ठेकेदार बनकर मर्दों से पंगेबाज़ी करना तो छोड़ दें।<br /><br />आपके नए ब्लॉग का स्वागत है और हर तरह से हम उसके समर्थन में हैं।<br />इसी के साथ हम आपको बता दें कि हमारे सारे ही मंच उसके सभी सदस्यों के लिए खुले हुए हैं, उन्हें वे अपने विवेक के अनुसार बेहतर तरीक़े से जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने ब्लॉगर सदस्यों की सुविधा के लिए ब्लॉग्स के नियम बदले भी जा सकते हैं। असली बात यह है कि हमारे ब्लॉगर सदस्यों को ज़्यादा से ज़्यादा आज़ादी हो और नियम की पाबंदी के नाम पर अपनी ज़ाती पसंद नापसंद न थोपी जाए।<br />जो लोग ब्लॉगिंग की प्रकृति तक से वाक़िफ़ नहीं हैं वे गुरू बनकर अपनी हांक रहे हैं। इससे सत्य को सामने लाने का मिशन बाधित हो रहा है। संकीर्णता छोड़ना ब्लॉगिंग की बुनियादी शर्त है। आगे की तरक्क़ी उसके बाद ही संभव है।<br /><br />धन्यवाद !DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-27906228269891027032011-07-25T20:43:32.227+05:302011-07-25T20:43:32.227+05:30सोचने को बाध्य करती हुई पोस्ट!सोचने को बाध्य करती हुई पोस्ट!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-21934296682498079632011-07-25T17:33:10.119+05:302011-07-25T17:33:10.119+05:30क्या महिलाएं अपने से कम पढ़े -लिखे और कम हैसियत दार...क्या महिलाएं अपने से कम पढ़े -लिखे और कम हैसियत दार से शादी के लिए तैयार हैं ?<br /><br />Please correct -- कमरविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-1969596731425812862011-07-25T17:25:52.778+05:302011-07-25T17:25:52.778+05:30यह व्यक्ति -व्यक्ति पर निर्भर है .उसे कैसे संस्कार...यह व्यक्ति -व्यक्ति पर निर्भर है .उसे कैसे संस्कार मिले हैं ?यह भी इस मामले में महत्व रखता है .जिसके लिए पैसा ही सब कुछ है वो प्रेम के भाव को नहीं जान पाता इसलिए वो तो पैसे को महत्व देगा किन्तु भावना प्रधान के लिए प्रेम ज्यादा महत्व रखता है .सोच पर निर्भर है सब .Shikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-10527487081754149712011-07-25T16:54:39.127+05:302011-07-25T16:54:39.127+05:30क्या महिलाएं अपने से कम पढ़े -लिखे और कम हैसियत दार...क्या महिलाएं अपने से कम पढ़े -लिखे और कम हैसियत दार से शादी के लिए तैयार हैं ?<br /><br />बराबरी के इस दौर में प्राय: महिलायें शादी अपनी बराबरी या अपने से अधिक पढ़े-लिखे और रसूखदार पुरुषों से ही करने की सोचती हैं ||<br />इसमें उनके अभिभावक भी शामिल हैं ||<br /><br />हाँ कुछ अपवाद हैं ||<br /><br />जैसे प्रगाढ़ प्रेम-विवाह ||<br />यहाँ बेमेल शादियाँ भी देखने को मिली हैं ||<br /><br />हाँ एक बात और ---<br />एक चर्चित मंच की नारी वादी महिला को अगर पति चुनना होगा तो----- <br />तो अंदाजा लगाना मुश्किल है की वो क्या करेंगी ||<br /><br />अच्छी चर्चा का आगाज ||<br /><br />शुरूआती टिप्पणी कर प्रसन्न हूँ ||<br /><br />आभार ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com