tag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post4803110629113655846..comments2023-11-05T13:41:33.460+05:30Comments on Blog News: मां बाप का आदर करना सीखिए Manu means AdamDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-8840855801717060372012-04-14T19:56:32.738+05:302012-04-14T19:56:32.738+05:30आपने एक जरूरी विषय को उठाया हैं और ये एक जानकारीपर...आपने एक जरूरी विषय को उठाया हैं और ये एक जानकारीपरक पोस्ट बन गई है.हमें किसीकी भी आस्था का मजाक उडाने का कोई हक नहीं हैं.<br />लेकिन एक बात जरूर कहना चाहूँगा जैसा कि आपने कहा कि हिंदुओं में देवी देवताओं ऋषि मुनियों आदि पर चुटकुले बनाने की परंपरा रही है,तो तकनीकी तौर पर आपका कथन सही हो सकता हैं लेकिन हिंदु धर्म में भी इसे सही नहीं माना गया है और करने वाले इसका भी विरोध करते हैं.यदि धर्मग्रंथों में इसका विरोध नहीं किया गया हैं तो इसकी छूट भी तो नहीं दी गई है.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-24007524480626411772012-04-12T10:08:56.099+05:302012-04-12T10:08:56.099+05:30हर बार की तरह यह भी एक शोधपूर्ण तथ्यपरक आलेख है।
आ...हर बार की तरह यह भी एक शोधपूर्ण तथ्यपरक आलेख है।<br />आलेख में उठाया गया विषय बहुत ही चिंता की बात है। हमें सबका सम्मान करना चाहिए।<br />If we honestly study the "Dharam" and history of human civilisation,then a lot of misconceptions will be removed from our hearts and we will reach the ultimate and only truth.Zafarhttps://www.blogger.com/profile/05394875639616710004noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-55020718068904349622012-04-05T23:15:08.592+05:302012-04-05T23:15:08.592+05:30@ मनु जी ! आप शैतान से पंगा लें, अच्छी बात है लेक...@ मनु जी ! आप शैतान से पंगा लें, अच्छी बात है लेकिन नारी जैसी सुंदर हस्ती की रचना करने वाले ईश्वर से पंगा लेने का कोई जायज़ कारण नहीं है।<br />अम्मा हव्वा ने वर्जित फल आदम को खिलाया था। इस तरह की बातें क़ुरआन से पूर्व की किताबों में क्षेपक के तौर पर हैं। इनकी बुनियाद पर नारी को नर्क का द्वार वग़ैरह बता दिया गया जो कि ग़लत है।<br />ईश्वर ने हमारे माता पिता को स्वर्ग में रचा और फिर प्रशिक्षण और परीक्षण के लिए धरती पर भेज दिया। उन्हें ईश्वर से कोई शिकायत न थी तो हमें क्यों हो ?<br />आस पास के उजाड़ ग्रहों को देखो तो यह हरी भरी धरती भी आपको स्वर्ग ही लगेगी और जब आप अपने जीवन साथी के साथ मुस्कुराएंगे तो स्वर्गिक आनंद का द्वार मानों आप सामने ही पाएंगे।<br />वरदानों को गिनेंगे तो ख़ुदा के शुक्र के लिए उम्र थोड़ी पड़ जाएगी, भाई ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-39390397240965238772012-04-05T23:13:01.207+05:302012-04-05T23:13:01.207+05:30आस पास के उजाड़ ग्रहों को देखो तो यह हरी भरी धरती ...आस पास के उजाड़ ग्रहों को देखो तो यह हरी भरी धरती भी आपको स्वर्ग ही लगेगी <br /><br />hum bhi to yahi kah rahe hain apne dhang se....manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-63299076140431763612012-04-05T23:09:57.269+05:302012-04-05T23:09:57.269+05:30तशरीफ़ लाने का शुक्रिया डॉक्टर साहिब ...आपके आने स...तशरीफ़ लाने का शुक्रिया डॉक्टर साहिब ...आपके आने से कम-स-कम ये तो याद आया कि अपना कोई ब्लॉग भी है..मनु-उवाच करके..<br /><br />जानकर अच्छा लगा कि किसी धर्म में हव्वा को ऊँचा दर्ज़ा दिया गया है...वरना हमने ना तो सब किताबें ही पढ़ीं हैं और ना ही हर इन्सां से मिल कर बातें कहीं-सुनी हैं....हमारी इस आधी-अधूरी सी पोस्ट में हमने कहीं भी हव्वा को गलत नहीं ठहराया है..शे,र बेहद साफ़ बात कहता है...<br /><br />ईश्वर ने औरत को बेहद चाव से बनाया..संसार की सबसे खूबसूरत चीज...अब हल्ला तो 'चीज' कहने पर भी मच जाएगा...पर ये हमें सच लगता है कि औरत दुनिया की सबसे जरूरी शै है.. सुना था कि शैतान ने हव्वा को फुसला कर एक वर्जित फल खिलाया ...जिस के कारण आदम और हव्वा ने 'कथित' गुनाह या पाप किया...और ईश्वर ने इस पर क्रोधित हो कर उन दोनों को स्वर्ग से नीचे पटक दिया...<br /><br />और..अजल से खेल बस औरत की जां थी...<br /><br /><br />सो हमारा पंगा ईश्वर से और शैतान से है..न कि बेचारी हव्वा से ...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-1908572914791031302012-04-05T23:09:34.181+05:302012-04-05T23:09:34.181+05:30pahle waalaa comment mit gayaa thaa shaayad...
:)...pahle waalaa comment mit gayaa thaa shaayad...<br /><br />:)<br />:)manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-12250595727616046712012-04-05T23:08:54.300+05:302012-04-05T23:08:54.300+05:30तशरीफ़ लाने का शुक्रिया डॉक्टर साहिब ...आपके आने स...तशरीफ़ लाने का शुक्रिया डॉक्टर साहिब ...आपके आने से कम-स-कम ये तो याद आया कि अपना कोई ब्लॉग भी है..मनु-उवाच करके..<br /><br />जानकर अच्छा लगा कि किसी धर्म में हव्वा को ऊँचा दर्ज़ा दिया गया है...वरना हमने ना तो सब किताबें ही पढ़ीं हैं और ना ही हर इन्सां से मिल कर बातें कहीं-सुनी हैं....हमारी इस आधी-अधूरी सी पोस्ट में हमने कहीं भी हव्वा को गलत नहीं ठहराया है..शे,र बेहद साफ़ बात कहता है...<br /><br />ईश्वर ने औरत को बेहद चाव से बनाया..संसार की सबसे खूबसूरत चीज...अब हल्ला तो 'चीज' कहने पर भी मच जाएगा...पर ये हमें सच लगता है कि औरत दुनिया की सबसे जरूरी शै है.. सुना था कि शैतान ने हव्वा को फुसला कर एक वर्जित फल खिलाया ...जिस के कारण आदम और हव्वा ने 'कथित' गुनाह या पाप किया...और ईश्वर ने इस पर क्रोधित हो कर उन दोनों को स्वर्ग से नीचे पटक दिया...<br /><br />और..अजल से खेल बस औरत की जां थी...<br /><br /><br />सो हमारा पंगा ईश्वर से और शैतान से है..न कि बेचारी हव्वा से ...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-76975594856274827822012-04-05T22:54:30.821+05:302012-04-05T22:54:30.821+05:30@ श्यामल सुमन जी ! समाज के सरोकार के प्रति आपकी चि...@ श्यामल सुमन जी ! समाज के सरोकार के प्रति आपकी चिंता देखकर अच्छा लगा।<br />समाज में बहुत से विकार हैं।<br />ये विकार क्यों हैं ?<br />और इन्हें कैसे दूर किया जा सकता है ?<br />अव्वल रोज़ से ही यह हमारी ब्लॉगिंग का केन्द्रीय विषय है।<br /><br />आज का इंसान नकारात्मकता में जी रहा है। वह भूल गया है हम सब एक ही मां बाप की औलाद है और वह यह भी भूल गया है कि हम जो कुछ कर रहे हैं, उसे ईश्वर देख रहा है।<br />ये दो तत्व हम जान लें कि हम सब एक मां बाप की औलाद हैं तो हमारे अंदर आपस में प्यार पैदा होगा और जब हम यह जानेंगे कि हम अपने पैदा करने वाले के प्रति अपने कर्मों के लिए जवाबदेह हैं तो हम सत्कर्मी बनेंगे।<br />हमसे पूर्व जो सत्कर्मी हुए हैं। वे यह दोनों बातें जानते थे।<br />यह जानकारी आम होनी चाहिए। वेद क़ुरआन और बाइबिल, हरेक धर्मग्रंथ की शिक्षा यही है।<br />जब तक हम समान सूत्र पर सहमत होकर अपनी सोच को सकारात्मक नहीं बनाएंगे तब तक न तो हमारे चरित्र का विकास होगा और न ही हम अपने साहित्य से समाज को कोई मार्ग और दिशा ही दे पाएंगे।<br />अपने शोध से हमने यह जाना है।<br />अपनी ग़लती छोड़ने के लिए हम सदैव ही तत्पर हैं। परिष्कार का मार्ग यही है।<br />आपकी विस्तृत टिप्पणी के लिए हम आपके शुक्रगुज़ार हैं।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-78738239857195625912012-04-05T22:37:50.255+05:302012-04-05T22:37:50.255+05:30तशरीफ़ लाने का शुक्रिया डॉक्टर साहिब ...आपके आने स...तशरीफ़ लाने का शुक्रिया डॉक्टर साहिब ...आपके आने से कम-स-कम ये तो याद आया कि अपना कोई ब्लॉग भी है..मनु-उवाच करके..<br /><br />जानकर अच्छा लगा कि किसी धर्म में हव्वा को ऊँचा दर्ज़ा दिया गया है...वरना हमने ना तो सब किताबें ही पढ़ीं हैं और ना ही हर इन्सां से मिल कर बातें कहीं-सुनी हैं....हमारी इस आधी-अधूरी सी पोस्ट में हमने कहीं भी हव्वा को गलत नहीं ठहराया है..शे,र बेहद साफ़ बात कहता है...<br /><br />ईश्वर ने औरत को बेहद चाव से बनाया..संसार की सबसे खूबसूरत चीज...अब हल्ला तो 'चीज' कहने पर भी मच जाएगा...पर ये हमें सच लगता है कि औरत दुनिया की सबसे जरूरी शै है.. सुना था कि शैतान ने हव्वा को फुसला कर एक वर्जित फल खिलाया ...जिस के कारण आदम और हव्वा ने 'कथित' गुनाह या पाप किया...और ईश्वर ने इस पर क्रोधित हो कर उन दोनों को स्वर्ग से नीचे पटक दिया...<br /><br />और..अजल से खेल बस औरत की जां थी...<br /><br /><br />सो हमारा पंगा ईश्वर से और शैतान से है..न कि बेचारी हव्वा से ...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-11564894865489757152012-04-05T19:33:08.505+05:302012-04-05T19:33:08.505+05:30अनवर भाई - नमस्कार - सबसे पहले तो आपको बधाई दूँ कि...अनवर भाई - नमस्कार - सबसे पहले तो आपको बधाई दूँ कि आपने इतना विस्तार से, वो भी संस्कृत में अर्थ सहित जो आलेख प्रस्तुत किया है, सचमुच हृदय से आपके मेहनत और साधना की प्रशंसा करता हूँ। आप मेरी इस बात को अपने हृदय में स्थान देंगे, ऐसी आशा है। वैसे भी आदतन मैं औपचारिकताओं से प्रयः दूर ही रहता हूँ।<br /><br />आपने जिस तथ्य को प्रकाश में लाया है, वस्तुतः पूरी तरह से अवगत नहीं हूँ। लेकिन जो भी जान पाया उसके अनुसार यह कहना चाहूँगा कि -<br /><br />१ - एक सच्चे रचनाकार के लेखन से अगर किसी का अपमान हो तो वह रचनाकार सच्चा हो नहीं सकता, चाहे वो कोई भी हो। अगर भूलवश या भावातिरेक में ऐसा हो भी जाय और कोई ध्यान दिला दे तो एक सच्चा रचनाकार अपनी गलती मानते हुए अपेक्षित सुधार भी कर लेते हैं।<br /><br />२ - मेरी दृष्टि में साहित्य-सृजन का एकमात्र उद्येश्य है कि हमेशा बेहतर से बेहतर इन्सान बनाना ताकि एक बेहतर समाज की संरचना हो सके और मानव, मानव को कम से कम मानव तो समझे।<br /><br />३ - मैं प्रायः सोचता हूँ कि आज के समाज में कितनी विद्रूपताएं हैं। हर जगह उत्पीड़न-शोषण का एक भयंकर चक्र चल रहा अनवरत धर्म (हर धर्म में) और राजनीति ( सभी राजनैतिक दल) की आड़ में। जिस पर कई तरीके से लिखे जाने की जरूरत है ताकि समाज में अतिम पायदान खड़े लोगों में भी आशा की किरण जगे। क्या इन मुद्दों पर विषयों की कमी हो गई है? क्या हम साहित्य-सृजन के मूल उद्येश्य से भटक गए हैं? अगर नहीं तो इन विवादास्पद मुद्दों को चुनने का औचित्य क्या है?<br /><br />४ - सभी धर्म, सभी संस्कृतियाँ, सभी भाषाएं मेरी दृष्टि में प्रणम्य है और प्रणम्य है हर इन्सान की सकारात्मक भावनाएं। फिर क्यों न ऐसा कहा जाए कि कुछ लोग साहित्य-सृजन के नाम पर साहित्य की ही आत्मा को निरन्तर घायल कर रहे हैं।<br /><br />५ - और अन्त में - आज आपने बहुत लिखवा लिया अनवर भाई (कम लिखने के कारण ही तो कवि बना - हा -हा -हा) - मूलतः कवि हूँ - बिना अपनी कुछ पंक्तियाँ कहे बात खत्म कैसे करूँ? कुछ फुटकर शेर जो मेरी अलग अलग गज़लों के हैं, से अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा --<br /><br />मन्दिर को जोड़ते जो, मस्जिद वही बनाते<br />मालिक है एक फिर भी जारी लहू बहाना<br /><br />मजहब का नाम लेकर चलती यहाँ सियासत<br />रोटी बडी या मजहब हमको जरा बताना<br /><br />और विज्ञान में पढाए गए "आक्सीजन-चक्र" की तरह एक आम आदमी की जिन्दगी-<br /><br />खा कर के सूखी रोटी लहू बूँद भर बना<br />फिर से लहू जला के रोटी जुटाते हैं <br /><br />सादर<br />श्यामल सुमन<br />09955373288<br />http://www.manoramsuman.blogspot.com<br />http://meraayeena.blogspot.com/<br />http://maithilbhooshan.blogspot.com/श्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-7031796657751247082012-04-05T17:02:43.000+05:302012-04-05T17:02:43.000+05:30यह उत्कृष्ट प्रस्तुति
चर्चा-मंच भी है |
आइये कुछ ...यह उत्कृष्ट प्रस्तुति <br />चर्चा-मंच भी है |<br />आइये कुछ अन्य लिंकों पर भी नजर डालिए |<br />अग्रिम आभार |<br /><br />charchamanch.blogspot.comरविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-88967615001543942382012-04-05T13:01:48.534+05:302012-04-05T13:01:48.534+05:30@ सुनीता शानू जी ! ख़ुशदीप सहगल जी ने बिना माफ़ी मा...@ सुनीता शानू जी ! <b>ख़ुशदीप सहगल जी ने बिना माफ़ी मांगे चुपके से तस्वीर बदल दी है</b> और यह समझ लिया है कि इस तरह वह हिंदी ब्लॉगर्स को गुमराह करने में कामयाब हो जाएंगे।<br />ज़रा ध्यान दीजिए कि हमने जिस तस्वीर पर ऐतराज़ जताया है वह नंगी तस्वीर थी जबकि इसमें दोनों ने कपड़े पहन रखे हैं।<br />डा. अयाज़ अहमद साहब के कमेंट के बाद हमारा कमेंट मौजूद है। तब तक भी वह नंगी तस्वीर यहां मौजूद थी जैसे कि यह बेहूदा चुटकुला यहां मौजूद है।<br /><br />देवी देवताओं के और ऋषि मुनियों के चित्र, कार्टून और हास्य व्यंग्य चुटकुले रचने की परंपरा हिंदू समाज में है मुसलमानों में नहीं है।<br /><br />आदम अलैहिस्सलाम और हव्वा अलैहिस्सलाम दोनों ही मुक़ददस पवित्र धार्मिक हस्तियां हैं।<br />इनके बारे में चुटकुले बनाने का क्या सेंस है ?<br /><br />... और अगर इस पर हम आपत्ति जता रहे हैं तो यह आपको व्यर्थ का बवाल क्यों नज़र आ रहा है ?<br /><br />ख़ुशदीप सहगल जी को तस्वीर बदलने के बजाय अपनी ग़लती का इक़रार करके यह पूरा चुटकुला ही हटा लेना चाहिए था।<br />ऐसा तो उन्होंने किया नहीं लेकिन जब हमारी वाणी पर डा. अयाज़ अहमद साहब की पोस्ट इस बेहूदा हरकत के ऐतराज़ में पब्लिश हुई तो भाई साहब ने आज हमारी वाणी ही ऑफ़ करवा दी।<br />यह कैसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है ?<br />हमारी यारी सच से है। सच कहने में हम किसी की यारी दोस्ती का लिहाज़ नहीं करते। हिंदी ब्लॉग जगत यह बात अच्छी तरह जानता है।<br /><br />$#$ ख़ुशदीप सहगल जी की इस पोस्ट का चर्चा पुराने फ़ोटो के साथ आज चर्चामंच पर भी है। लिहाज़ा सच अपना गवाह ख़ुद है। जिसे निम्न लिंक पर देखा जा सकता है-<br />आओ याद करें अज्ञेय और माखनलाल चतुर्वेदी जी को (चर्चा - 840 )<br />Thursday, April 5, 2012<br />Link :<br />http://charchamanch.blogspot.in/2012/04/840.htmlDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-48480154479215675012012-04-05T12:00:06.543+05:302012-04-05T12:00:06.543+05:30डॉ .अनवर ज़माल साहब !अभिव्यक्ति के नाम पर हम किसी भ...डॉ .अनवर ज़माल साहब !अभिव्यक्ति के नाम पर हम किसी भी प्रकार की नंगई दैहिक या मानसिक के हामी नहीं है .एम् ऍफ़ हुसैन साहब ने भी यही गलती की थी .बाद में निर्वासन भोगा ,बेशक उनके पक्ष में लेफ्टिए खड़े हुए थे कला के नाम पर वह कला कला के लिए पोश रहे थे .लेकिन इनकी तो आस्था के केंद्र ही देश से बाहर रहें हैं .आदम हो या हव्वा , ईव हो या वह अफ़्रीकी महिला हमारी 'आदि माँ' हैं और उस नाते स्तुत्य हैं .हमें नहीं मालूम किस सन्दर्भ में खुशदीप जी ने क्या किया है हम देखतें हैं 'चर्चा 'पर जा कर .शुक्रिया ज़नाब का इस सूचना के लिए .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-74971811329592205602012-04-05T11:13:07.579+05:302012-04-05T11:13:07.579+05:30अनवर भाई आपने सही लिखा है माँ बाप का हमे आदर करना ...अनवर भाई आपने सही लिखा है माँ बाप का हमे आदर करना ही चाहिये। <br /><br />खुशदीप भाई ने महज़ एक पोस्ट की है। <br />वंदना ने भी महज अपने विचार प्रस्तुत किये हैं। सभी को स्वतंत्र लेखन का अधिकार है सभी कर रहे हैं।<br /><br />लेकिन बस इतनी सी बात कहना चाहूँगी जो मुझे समझ आ रही है यह तस्वीर आदम और हव्वा की नही है। <br />किसने देखा था उन्हे? यह मात्र एक तस्वीर है गौर से देखिये...हव्वा के आजकल के स्टाइल के सिल्की बाल और आदम के कटे हुए सैट बाल? कहाँ नज़र आ रहा है यह आदि युग के आदम हव्वा है जनाब। <br />व्यर्थ बवाल मचाने से क्या फायदा?<br />बाकि आप समझदार हैं<br />सादरसुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-52722215036294531862012-04-05T10:50:35.738+05:302012-04-05T10:50:35.738+05:30पूर्ण जानकारी के अभाव मे ही ऐसी गल्तियाँ होती हैं ...पूर्ण जानकारी के अभाव मे ही ऐसी गल्तियाँ होती हैं बाकी मनोज कुमार जी से सहमत ।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-85930214094155269702012-04-05T10:50:31.190+05:302012-04-05T10:50:31.190+05:30पूर्ण जानकारी के अभाव मे ही ऐसी गल्तियाँ होती हैं ...पूर्ण जानकारी के अभाव मे ही ऐसी गल्तियाँ होती हैं बाकी मनोज कुमार जी से सहमत ।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-43361112981708546642012-04-05T09:52:07.587+05:302012-04-05T09:52:07.587+05:30Hamen bhi is harkat par sakht aitraaz hai .
ek pos...Hamen bhi is harkat par sakht aitraaz hai .<br />ek post bhi is vishay par hamne abhi abhi likhi hai.<br /><br />http://drayazahmad.blogspot.in/2012/04/blog-post_05.htmlAyaz ahmadhttps://www.blogger.com/profile/09126296717424072173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-2830598111731183482012-04-05T08:58:52.030+05:302012-04-05T08:58:52.030+05:30पुरखों के सम्मान से, जुडी हुई हर चीज ।
अति-पावन ह...पुरखों के सम्मान से, जुडी हुई हर चीज ।<br /><br />अति-पावन है पूज्य है, मानवता का बीज ।<br /><br />मानवता का बीज, उड़ाना हँसी ना पगले ।<br /><br />करे अगर यह कर्म, हँसेंगे मानव अगले । <br /><br />पढो लिखो इतिहास, पाँच शतकों के पहले ।<br /><br />आदम-मनु हैं एक, बाप अपना भी कह ले ।।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-86526215280629069612012-04-05T07:21:06.769+05:302012-04-05T07:21:06.769+05:30साभारसाभारnareshhttps://www.blogger.com/profile/11044655604502266212noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-89400492591023153542012-04-05T06:24:16.744+05:302012-04-05T06:24:16.744+05:30उठाया गया विषय चिंताजनक व दुखद है किसी को दूसरों क...उठाया गया विषय चिंताजनक व दुखद है किसी को दूसरों की भावनाओं से खिलवाड़ करने का कोई हक नहीं|<br />फिर भारतीय संस्कृति में तो बचपन से ही हर एक का सम्मान करना सिखाया जाता है| फिर भी ऐसी घटनाएँ घट जाती है जो दुखद है !!Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-8293710913033203522012-04-05T00:16:21.880+05:302012-04-05T00:16:21.880+05:30हर बार की तरह यह भी एक शोधपूर्ण तथ्यपरक आलेख है।
आ...हर बार की तरह यह भी एक शोधपूर्ण तथ्यपरक आलेख है।<br />आलेख में उठाया गया विषय बहुत ही चिंता की बात है। हमें सबका सम्मान करना चाहिए।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com