tag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post6782213008590076381..comments2023-11-05T13:41:33.460+05:30Comments on Blog News: रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दियाDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-6110613187894907142011-07-18T15:02:14.192+05:302011-07-18T15:02:14.192+05:30मेरी कथनी और करनी में फर्क नहीं होता है. आप अभी मे...मेरी कथनी और करनी में फर्क नहीं होता है. आप अभी मेरा यह <a href="http://sirfiraa.blogspot.com/" rel="nofollow">"सिरफिरा-आजाद पंछी" आप </a> ब्लॉग देखे. सबसे से ऊपर अपने आलोचकों का नाम उसके बाद फिर मेरी पोस्टें है.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-50606783214052080342011-07-18T14:24:35.787+05:302011-07-18T14:24:35.787+05:30पाठकों और दोस्तों एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार...पाठकों और दोस्तों एक छोटी-सी गलती हुई है.जिसकी सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगता हूँ. अधिक जानकारी के लिए "भारतीय ब्लॉग समाचार" पर जाएँ और थोड़ा-सा ध्यान इसी गलती को लेकर मेरा नजरिया दो दिन तक "सिरफिरा-आजाद पंछी" को देखें. <br /><br />आदरणीय शिखा कौशिक जी, मुझे जानकारी नहीं थीं कि सुश्री शालिनी कौशिक जी, अविवाहित है. यह सब जानकारी के अभाव में और भूलवश ही हुआ.क्योकि लगभग सभी ने आधी-अधूरी जानकारी अपने ब्लोगों पर डाल रखी है. फिर गलती तो गलती होती है.भूलवश "श्रीमती" के लिखने किसी प्रकार से उनके दिल को कोई ठेस लगी हो और किसी भी प्रकार से आहत हुई हो. इसके लिए मुझे खेद है.मुआवजा नहीं देने के लिए है.अगर कहो तो एक जैन धर्म का व्रत ३ अगस्त का उनके नाम से कर दूँ. इस अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ. <br /><br />मेरे बड़े भाई श्री हरीश सिंह जी, आप अगर चाहते थें कि-मैं प्रचारक पद के लिए उपयुक्त हूँ और मैं यह दायित्व आप ग्रहण कर लूँ तब आपको मेरी पोस्ट नहीं निकालनी चाहिए थी और उसके नीचे ही टिप्पणी के रूप में या ईमेल और फोन करके बताते.यह व्यक्तिगत रूप से का क्या चक्कर है. आपको मेरा दायित्व सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए था.जो कहा था उस पर आज भी कायम और अटल हूँ.मैंने "थूककर चाटना नहीं सीखा है.मेरा नाम जल्दी से जल्दी "सहयोगी" की सूची में से हटा दिया जाए.जो कह दिया उसको पत्थर की लकीर बना दिया.अगर आप चाहे तो मेरी यह टिप्पणी क्या सारी हटा सकते है.ब्लॉग या अखबार के मलिक के उपर होता है.वो न्याय की बात प्रिंट करता है या अन्याय की. एक बार फिर भूलवश "श्रीमती" लिखने के लिए क्षमा चाहता हूँ.सिर्फ इसका उद्देश्य उनको सम्मान देना था.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-32367556244310161612011-07-18T06:33:17.257+05:302011-07-18T06:33:17.257+05:30http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_...http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.html मेरे दोस्तों/शुभचिंतकों/आलोचकों अब किस बात का इन्तजार कर रहे हो. करों अपनी-अपनी टिप्पणियों और पोस्टों की, मुझे अपशब्दों वाली टिप्पणियों के लिंक भेजते रहना.वैसे कल मुझे कहीं जाना भी है. हो सकता कल जवाब न भी दे पाऊं. अरे! यह क्या हुआ यह आज सुबह के छह बज चुके है.यानि कल नहीं आज जवाब न दें पाऊं.चलो शुरू हो जाओ पानी और चाय पी-पीकर मुझे कोसना. जो जान से मारने की धमकी देना चाहते हो वो कृपया दो बजे के बाद दें, उससे पहले फोन बंद रहेगा या रिसीव नहीं किया जाएगा. फिर आज मेरा एक सज्जन के नाम पर भी सिर्फ जल का व्रत जो है. अपनी तपस्या से अपने दुश्मनों (पत्नी,ससुराली, दिल्ली पुलिस, जज और अन्य) के दिलों में "इंसानियत" का जज्बा भर दूँगा.ऐसी मेरी कोशिश है.<br /><br />प्रधान संपादक और सहयोगियों बताओ यहाँ से कौन से कानून और धारा के तहत मेरी टिप्पणी हटा दी जायेगी? क्या वो धारा "अपराध कानून संहिता" के संस्करण-नौ में लिखी हुई है या संविधान की किताब के कौन से पृष्ठ पर लिखी हुई है या "प्रेस कानून एवं संविधान" की किताब में लिखी हुई है. अगर आपको पता हो और न बताओ तब भी मेरे साथ यह भी एक अन्याय होगा. जाओं भाई, खेल खत्म हुआ और पैसा हजम हुआ.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-90010075370507279102011-07-18T06:32:37.496+05:302011-07-18T06:32:37.496+05:30मैं श्रीमती शालिनी कौशिक के ऊपर लिखित विचारों से भ...मैं श्रीमती शालिनी कौशिक के ऊपर लिखित विचारों से भी असहमत हूँ. एक तरफ मेरे अधिकारों की बात करती हैं और दूसरी तरफ मेरी समस्यों को निजी खबरे बताती है. क्या जब "पद" दिया जा रहा था. तब मेरी निजी समस्या कहाँ चली गई थीं? अगर आप मेरी पोस्ट हटा हैं तब यह एक ब्लॉग जगत की नई गुंडागर्दी होगी. मेरी पोस्ट में क्या कोई अपशब्द है? क्या उसमें गुप्त अंगों का नाम लेते हुए शब्दों का उच्चारण है? मैं पांच-दस केसों का मुकाबला कर रहा हूँ.एक आप भी डाल दो. मैं यह पूछना चाहता हूँ मैंने अपनी जिम्मेदारियां पूछकर क्या कोई गुनाह किया है? <br /><br />एक आपको तर्क देता हूँ कि-आज मेरे केसों में किसी भी वकील को अपने केसों से संबंधित जानकारी और सबूत नहीं देता हूँ. तब क्या वो अपनी "जिम्मेदारी" सही से पूरी कर सकता है? अगर आपका जवाब "हाँ" है,तब मैं सभी वकीलों चुनौती देता हूँ कि-बिना मुझ से जानकारी लिए मेरा केस जीतकर दिखा दो. दो साल तक अपने हाथों से तुम्हारा मल-मूत्र उठाऊंगा.मेरे उपर दर्ज एक केस में जुर्म साबित होने पर तीन साल की सजा है. मेरे ऊपर साबित कर दो तो छह साल की सजा कटाने को तैयार हूँ. कोई गलती हो गई हो तो क्षमा करें.एक जैन धर्म का केवल जल पीकर 30 जुलाई 2011 को एक व्रत आपके नाम.क्योंकि बीच में 27 जुलाई का व्रत किसी ओर के नाम दर्ज है.आखिर कब तक लेखकों का दबंग लोगों द्वारा शोषण होता रहेगा? हमें इसको रोकना होगा. नहीं तो कोई व्यक्ति समाज के लिए लिखने हेतु लेखक नहीं बनेगा. आज बेचारे पत्रकार मजबूरीवश अपना ईमान और जमीर मारकर लेखन कर रहे हैं. नीचे लिखी एक बात जरुर पढ़े. <br /> <br />जिस तरह से फूलों के साथ काँटों का होना स्वाभाविक है, ठीक उसी तरह अच्छाइयों के साथ बुराइयों का होना भी स्वाभाविक है. लेकिन हर मनुष्य में योग्यता है कि वो अपनी बुराइयों को जानकर उनको अच्छाइयों में बदलने का प्रयास कर सकता है. उसके बाद उन व्यक्तियों की टिप्पणियाँ अच्छी और बुरी,सभ्य भाषा में आ रही है और उनको मैं प्रकाशित भी कर रहा हूँ. उनके द्वारा बताई गलतियों में समय-समय पर सुधार भी कर रहा हूँ, क्योंकि संत कबीर दास जी कहते हैं कि "निंदा करने वाले व्यक्ति को शत्रु न समझकर 'सच्चा मित्र' ही मानिए. उसे सदा अपनी समीप रखिए, यहाँ तक कि उसके लिए अपने आंगन में झोंपड़ी बनाकर उसके रहने की व्यवस्था कर दीजिए यानि उसके लिए सब सुविधायें जुड़ा दीजिए" इसका लाभ यह है कि-"निंदा करने वाला व्यक्ति पानी और साबुन के बिना ही आपके स्वभाव और चरित्र को धो-धोकर निर्मल बना देगा" तात्पर्य यह है कि "निंदा के भय से व्यक्ति सज़ग रहेगा, अच्छे काम करेगा और इस प्रकार उसका चरित्र अच्छा बना रहेगा"रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-1516745171795226102011-07-18T06:31:51.091+05:302011-07-18T06:31:51.091+05:30श्रीमती शालिनी कौशिक जी ने कहा-प्रिय शिखा जी, रमेश...श्रीमती शालिनी कौशिक जी ने कहा-प्रिय शिखा जी, रमेश जी इस ब्लॉग के सम्मानित सदस्य हैं और ये उनका अधिकार है कि वे भी अपने विचार इस मंच से साझा कर सकें, किन्तु जैसे कि ये मंच ब्लॉग की ख़बरों के लिए है न कि किसी ब्लोग्गर विशेष की निजी ख़बरों के लिए. ऐसे में उनकी पोस्ट का यहाँ कोई औचित्य नहीं है और आपको इस पोस्ट को यहाँ से हटाने का पूरा पूरा अधिकार है. आदरणीय रमेश जी, मैं हमेशा सही का साथ देती हूँ ओर आप ये भी जान लें कि मैं आपकी विरोधी नहीं हूँ ओर आपके ब्लॉग मेरे लिए ज्ञान का भंडार हैं ओर जहाँ मैंने आपकी पोस्ट हटाने की अनुशंसा की थी वहां मैं आपकी पोस्ट का कोई औचित्य नहीं समझ रही थी <br /><br />आदरणीय शिखा कौशिक जी, चरण बंदना. आप अपनी प्रोफाइल में कहती हैं कि-मैं एक शोध छात्रा हूँ.समस्त मानव जाति मेरा परिवार है और मैं अपने आस-पास विचरण करने वाले जीवों को भी उतना ही स्नेह करती हूँ.जितना अपने परिवार से.ब्लॉग जगत में आप सभी के स्नेह की अपर आकांक्षा है. मैं भी आप सभी के सामने बहुत तुच्छ सा जीव हूँ. तब मेरे प्रति आपका स्नेह कहाँ गया? आप बेशक उपरोक्त पोस्ट को भी हटा दें, मगर साथ में BBS News के सहयोगी के रूप में दर्ज मेरा नाम भी हटा दिया जाए.जहाँ दवाब में फैसले लिए जाते हो, वहाँ यह सिरफिरा रह भी सकता हैं. आपके ऊपर किसका दवाब है, क्या यहाँ पर विज्ञापन नहीं मिलेंगे? जब किसी से बगैर पूछे गलती होती है. उस गलती को हमेशा के लिए मिटा देना चाहते है.बल्कि उसको अपने शीर्षक में सजाकर रखना चाहिए.जिससे हमेशा याद रहे और दुबारा गलती न हो.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-22724919057984274612011-07-18T06:31:17.565+05:302011-07-18T06:31:17.565+05:30मेरे बड़े भाई हरीश सिंह (ज्ञान के भंडार)जी, आपने अन...मेरे बड़े भाई हरीश सिंह (ज्ञान के भंडार)जी, आपने अनवर भाई के लिए लिखा कि-आप हमारे बड़े हैं, और एक ऐसे ही मंच के संचालक भी है. आप द्वारा की जा रही पोस्ट व टिपण्णी आपकी गरिमा के अनुरूप नहीं है.हम आपसे सहयोग की अपेक्षा करते हैं पर हमें लगता है आप मेरी टांग खींचना बंद नहीं करेंगे.आपको यह अज्ञानी,मूर्ख और सिरफिरा सभी इतना कहना चाहता है कि-कोई टांग खींचने वाला होना ही चाहिए.अब जब आप अपनी गलती की माफ़ी मांग चुके है. इस मंच को रणभूमि नहीं बना चाहता हूँ. इस अज्ञानी से कोई गलती हो गई तो माफ कर देना.वैसे अपनी गलती का जैन धर्म की तपस्या करके अपने पाप कम करने की कोशिश भी 23 जुलाई 2011 को करूँगा. लेकिन नीचे लिखी एक बात जरुर पढ़े. <br />मेरे पास पिछले दिनों बहुत असभ्य भाषा में टिप्पणियाँ आई. तब मैंने उनके साथ वैसा ही व्यवहार नहीं करते हुए कहा कि-आप गुमनाम नाम से असभ्य भाषा में टिप्पणी करते हैं. आप स्वस्थ मानसिकता से तर्क-वितर्क करें. तब मैं आपसे स्वस्थ बहस करने के लिए तैयार हूँ और मेरी कमियों की निडर होकर आलोचनात्मक टिप्पणी करें. मुझे खुद अपनी कमी(गलती) दिखाई नहीं देंगी. जिस तरह से फूलों के साथ काँटों का होना स्वाभाविक है, ठीक उसी तरह अच्छाइयों के साथ बुराइयों का होना भी स्वाभाविक है. लेकिन हर मनुष्य में योग्यता है कि वो अपनी बुराइयों को जानकर उनको अच्छाइयों में बदलने का प्रयास कर सकता है. उसके बाद उन व्यक्तियों की टिप्पणियाँ अच्छी और बुरी,सभ्य भाषा में आ रही है और उनको मैं प्रकाशित भी कर रहा हूँ. उनके द्वारा बताई गलतियों में समय-समय पर सुधार भी कर रहा हूँ, क्योंकि संत कबीर दास जी कहते हैं कि "निंदा करने वाले व्यक्ति को शत्रु न समझकर 'सच्चा मित्र' ही मानिए. उसे सदा अपनी समीप रखिए, यहाँ तक कि उसके लिए अपने आंगन में झोंपड़ी बनाकर उसके रहने की व्यवस्था कर दीजिए यानि उसके लिए सब सुविधायें जुड़ा दीजिए" इसका लाभ यह है कि-"निंदा करने वाला व्यक्ति पानी और साबुन के बिना ही आपके स्वभाव और चरित्र को धो-धोकर निर्मल बना देगा" तात्पर्य यह है कि "निंदा के भय से व्यक्ति सज़ग रहेगा, अच्छे काम करेगा और इस प्रकार उसका चरित्र अच्छा बना रहेगा" <br /><br />उसके बाद एक पोस्ट ब्लॉगर श्री रोहित सिंह जी की प्रकाशित हुई. फिर एक पोस्ट http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html प्रधान संपादक शिखा कौशिक की प्रकाशित(जो अब हटा दी गई है) हुई.जिसमें मेरी पोस्ट को हटाने के लिए सहयोगियों और पाठकों से विचार आमंत्रित किये गए.जिसका नतीजा घोषित किये बिना मेरी पोस्ट को हटा दिया गया. अगर पोस्ट हटाना जरुरी था.तब प्रकाशित होते ही क्यों नहीं हटाया या फिर विचार क्यों आमंत्रित किये? जब उसका नतीजा मुझे दिखाए बिना हटानी थीं. जब सारी ताकत प्रबंध मंडल के पास है. तब यह ढोंग क्यों राय बनाने और विचार आमंत्रित करने का? इस समस्या को पैदा ही क्यों किया गया? लापरवाही हुई माफ़ी मांगी गई थीं. फिर क्यों मेरी पोस्ट को "विवाद" बनाया गया? क्यों दिलों में द्वेष भावना रखी जाती है? अगर यह समस्या लग रही थी.तब क्यों नहीं दोनों पक्षों को तीन-चार लोगों(वकीलों) से क़ानूनी सलाह दिलवाई गई? एक तरफा फैसला क्यों लिया गया? इससे पहले भी लिया जा सकता था.इस पोस्ट के प्रकाशित होते ही मैंने नीचे लिखी टिप्पणी कर दी थीं. मगर मेरी टिप्पणी से पहले एक टिप्पणी श्रीमती शालिनी कौशिक जी की आ चुकी थी. जो नीचे है.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-28350638036709461852011-07-18T06:30:38.833+05:302011-07-18T06:30:38.833+05:30उसके बाद एक ऑनलाइन मुझे लिंक दिया गया और नए प्रबंध...उसके बाद एक ऑनलाइन मुझे लिंक दिया गया और <a href="http://blogkeshari.blogspot.com/" rel="nofollow">नए प्रबंध मंडल का स्वागत करे</a> उपरोक्त पोस्ट देखने को कहा गया. तब मैंने विरोध स्वरूप एक टिप्पणी(कुछ बाते लिखना भूल गया था, क्योंकि मैं दो साल तक डिप्रेशन की बीमारी ग्रस्त रहा हूँ.) की थी और फिर एक पोस्ट http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html "नाम के लिए कुर्सी का कोई फायदा नहीं" नामक से लिखी थी. जो यहाँ से हटा दी गई है. जिसको फ़िलहाल एक नए शीर्षक <a href="http://blogkikhabren.blogspot.com/" rel="nofollow"> रमेश कुमार जैन ने ‘सिर-फिरा‘ दिया"</a>" से <a href="http://blogkikhabren.blogspot.com/" rel="nofollow"> "ब्लॉग की खबरें"</a> पर देखा जा सकता है. उसके बाद एक पोस्ट मानवीय भूल होने http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_16.html, पोस्ट प्रकाशित हुई. जो अब हटा दी गई है. मैंने फिर दो टिप्पणी की,वो भी हटा दी गई. जो नीचे लिखी हुई है. <br />श्रीमान जी, आपने मुझे एक तरफा दी जिम्मेदारी से मुक्त करके अहसान किया है. उसका धन्यवाद स्वीकार कीजिये. वैसे मैंने कभी "प्रचारक" का कार्य नहीं किया. इसलिए उसकी समझ नहीं है. क्या अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करने के लिए उसकी "भूमिका" की जानकारी प्राप्त करना गुनाह है. अगर आपकी विचारधारा मुझे "गुनाहगार" मानती है.तब मुझे इसका कोई अफ़सोस नहीं है. क्या हर व्यक्ति को हर कार्य की "समझ" होती है? होती होगी मुझे तो नहीं है. आपको दुःख नहीं होना चाहिए बल्कि दुःख हमें मनाना चाहिए आप जैसे बड़े भाइयों का हमें साथ छोड़ना पड़ रहा, बिना जानकारी दिए "पद" दिए जाने के कारण. मुझे खुशी है कि आपने हमारा इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया हैं. अगर अनजाने में कोई गलती हो गई हो क्षमा प्रार्थी हूँ. मुआवजा के तौर पर कागज के टुकड़े नहीं है, मगर फिर भी 23 जुलाई को जैन धर्म का "अमल*" का एक व्रत आपके नाम.<br />*जिसमें एक समय एक स्थान पर बैठकर एक तरह का अन्न(आनाज)को बिना किसी स्वाद** के खाना होता है.**जैसे-उसमें नमक या मीठा,इसमें भुने हुए चने, सादा चावल, सादी रोटी आदि आती है.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-31711686554068632962011-07-18T06:30:12.224+05:302011-07-18T06:30:12.224+05:30मेरे दोस्तों/शुभचिंतकों/आलोचकों-दोस्तों/शुभचिंतकों...मेरे दोस्तों/शुभचिंतकों/आलोचकों-दोस्तों/शुभचिंतकों अब आप मेरे लिए दुआ करों, क्योंकि अब ब्लॉग जगत में मेरे खिलाफ एक अभद्र भाषा में पोस्टें प्रकाशित होगी. जिससे आपको यह पता चलेगा कि-बुध्दिजीवी वर्ग के कितने बड़े-बड़े सूरमों का यहाँ एक छत्र राज चलता है. मेरे आलोचकों- मुझे खूब अपशब्द कहो और खूब अपशब्द वाली मेरे बारें में पोस्ट लिखो और ईमेल भेजों, फोन व लैटर से धमकियाँ दो, क्योंकि मैंने अपना पूरा पता और सभी फोन नं. सार्वजनिक कर रखें हैं और तुम्हारे डर से हटाऊंगा भी नहीं, कायरों की तरह नहीं मारूंगा. गुंडागर्दी करों, सुपारी दे दो मेरे नाम की. देखूं तुम कितने निम्न स्तर तक जा सकते हो. मेरे आलोचक बनते हो तो क्यों नहीं खुलकर आते हो. कर दो तुम भी अपना फोन और पता सार्वजनिक. लोगों पता चल जाए कि-कौन कितना देश और समाज का भला चाहता है.क्यों सीमित कर रखा अपने आपको चंद ब्लॉगर पाठकों तक. करने दो आम लोगों को आपको फोन, सुनो उनकी समस्याएं कर दो उनको अपने ब्लोगों पर पोस्ट. मगर सच को नहीं झुठला सकते हो. यहाँ उपरोक्त ब्लॉग पर "सच" बेचा और दबाया नहीं जाता है.बल्कि "सच" को हटा दिया जाता है. . मेरे साथ भी इस ब्लॉग पर अन्याय किया गया. मैं भी इस ब्लॉग का एक सहयोगी था. आपको अवगत करने के उद्देश्य से पूरी घटना सिलेवार है. मुझे ९ जुलाई का पता चला उपरोक्त ब्लॉग की संरचना हुई है. तब मैंने नीचे लिखी टिप्पणी कर दी. <br /><br />भाई हरीश सिंह जी, आपका यह काफी अच्छा प्रयास है. इससे कुछ ब्लागरों एक नई पहचान मिलेगी.जो निर्स्वार्थ भावना से ब्लॉग जगत में आये है और देश,समाज व आम-आदमी के हितों हेतु जन-आंदोलन चलाना चाहते हैं. कई बार ऐसा होता है कि-एक अच्छे इंसान की विचारधारा लोगों तक नहीं पहुँच पाती है.तब वो बेचारा गुमनामी के अंधरों में कहीं खो जाता है. आपका उपरोक्त यह मंच ऐसे लोगों सामने लाकर परोपकार का काम करेगा.<br />९ जुलाई २०११ १:०७ अपराह्न अगर पूरा ब्लॉग जगत गंभीर हो जाएगा तब एक बेहतर मीडिया बनकर उभर सकता है.आपका बहुत अच्छा प्रयास है.आपने मुझे इसमें शामिल करके जो मान-सम्मान दिया है.उसका शुक्रगुजार हूँ.मगर फ़िलहाल कुछ निजी समस्याओं के कारण मैं ज्यादा योगदान देने में असमर्थ रहूँगा.९ जुलाई २०११ १२:४७ अपराह्नरमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-45750041012373560232011-07-18T06:28:42.179+05:302011-07-18T06:28:42.179+05:30मैंने उपरोक्त पोस्ट के नीचे कुछ टिप्पणियाँ पोस्ट क...मैंने उपरोक्त पोस्ट के नीचे कुछ टिप्पणियाँ पोस्ट की है.आप भी गौर करें. <br /><br />उपरोक्त ब्लॉग पर गुंडाराज की जीत हुई.सच की हार और झूठ की जीत.मेरा नाम "सहयोगी" में से क्यों नहीं हटाया गया.<br /><br />मेरी पोस्ट को हटाने के लिए ७ प्रबंध मंडल सदस्य और ११ सहयोगियों में से किनते प्रतिशत वोट या विचार बने.विचार फोन पर बने या ईमेल से या सहयोगियों की टिप्पणियों से.इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करों.ईमेल को और टिप्पणियाँ सार्वजनिक होनी चाहिए.बेशक पोस्ट को न करों.मगर होना चाहिए सब कुछ सार्वजनिक.नहीं तो उपरोक्त ब्लॉग को व्यक्तिगत घोषित किया जाना चाहिए.मुझे पता चलना चाहिए मुझे दूषित मानसिकता से पीड़ित बताने वाले खुद कितने ईमानदार है.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4914247499088270007.post-50080421790885342662011-07-17T23:44:57.984+05:302011-07-17T23:44:57.984+05:30जैसी कि आशंका व्यक्त की जा रही थी, वही हुआ। श्री र...<b>जैसी कि आशंका व्यक्त की जा रही थी, वही हुआ। श्री रमेश कुमार जैन जी की पोस्ट को हटा दिया गया। ख़ैर, वह यहां सुरक्षित है।<br />भारतीय ब्लॉग मंच की ओर से यह स्टेटमेंट जारी किया गया है :</b><br />भारतीय ब्लॉग समाचार '' ब्लॉग पर केवल ब्लॉग से सम्बंधित खबरे प्रकाशित की जाएँगी .इसे निजी वार्तालाप ;आक्रोश ,क्षमा प्रार्थना आदि पोस्ट का मंच न बनायें .अनुशासन व् नियमों को दबंगई का नाम न दे .भावुकता विचारों की प्रखरता को अवरूद्ध कर देती है .कुछ पोस्ट इस ब्लॉग की गरिमा व् उदेश्य के अनुरूप नहीं हैं -इसलिए हटाई जा रही हैं .ये लेखन की स्वतंत्रता पर आघात नहीं है -यह मात्र इस ब्लॉग के उदेश्यों व् नियमों का पालन करने का प्रयास है .व्यक्तिगत हित के स्थान पर सामूहिक हित को महत्त्व देते हुए इस कार्यवाही को अंजाम दिया जा रहा है .सभी सम्मानित सदस्यों से आग्रह है कि भविष्य में इन बातों का ध्यान रखें -*इस ब्लॉग पर ब्लॉग-जगत से सम्बंधित ब्लॉग-पोस्ट ही प्रकाशित करें .<br />http://blogkeshari.blogspot.com/2011/07/blog-post_4919.htmlDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com