दोस्तो ! आज लोगों ने दौलत को ही सब कुछ समझ लिया है। आज देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जो कि दौलत की ख़ातिर कुछ भी कर सकते हैं। इनमें ग़रीबी से जूझते हुए लोग भी हैं और वे लोग भी हैं जिनकी तोंद पर हद से ज़्यादा चर्बी जमा है यानि कि ख़ूब खाते-पीते हैं। इन आतंकवादियों में नास्तिक भी हैं और धर्म की विकृत समझ रखने वाले आस्तिक भी। इन लोगों के दिलो-दिमाग़ का प्यूरिफ़िकेशन ज़रूरी है। हमारे लिए करने का काम यही है। जब तक यह काम नहीं किया जाएगा तब तक आतंकवाद का सिलसिला थमने वाला नहीं है। इसे सेना, पुलिस और क़ानून की मदद से रोकना मुश्किल है। विकसित देश तक इसके सामने लाचार हैं। आतंकवाद जीवन के सही बोध के अभाव से जन्म लेता है। जब तक मानव जाति को वह बोध उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, मानव जाति को आतंकवाद से मुक्ति मिलने वाली नहीं है। हमें गर्व और अफ़सोस से आज तक कुछ हासिल नहीं हुआ है। हमें अब वह काम करना होगा जिससे कि कुछ हासिल हो। हमें मानव जाति को उसके जीवन के सही उद्देश्य का बोध कराना होगा, उसे सही ग़लत की तमीज़ देनी होगी और ऐसे लोगों का बहुमत बनाना होगा। जब ऐसे लोगों का बहुमत हो जाएगा, दुष्ट लोग ख़ुद ही क्षीण हो जाएंगे और तब भी वे कुछ करेंगे तो उन्हें राजनैतिक संरक्षण देने वाला कोई न होगा। उनका विनाश निश्चित होगा, यह तय है।
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और जिस वक़्त तारे गिर पड़ेगा (2)
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सूर, तक़वीर मक्का में नाज़िल हुआ और इसकी 29 आयतें हैं जिस वक़्त आफ़ताब की
चादर को लपेट लिया जाएगा (1)
और जिस वक़्त तारे गिर पड़ेगा (2)
और जब पहाड़ चलाए जाएँ...
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