Tuesday, October 30, 2012

The Revival of Ibrahimi Mission-28th October 2012 by Maulana Wahiduddin Khan

Friday, October 26, 2012

Baqra Eid 2012

इस विषय पर अच्छी मालूमात इस लिंक पर देखें -

जिन लोगों को माँसाहार पर ऐतराज़ है वे लोग पढ़ें -


चर्चा-ए-गोश्तखोरी -- बशीर अहमद और महात्मा नित्यानंद

सब्जीखोरी-गोश्तखोरी विषय पर चर्चा जो मौलाना हकीम बशीर अहमद और महात्मा नित्यानंद आर्य-समाजी के दरमियान हुई, जिसमें इस्लाम का बोलबाला रहा। अखबार ‘‘मुसलमान’’ अमृतसर ने उसी वक्त  (22नवम्बर 1910 ई. से लेकर 25 अप्रैल 1911 ई.) छापा और अब अलेहदा किताबी शक्ल में जमीमा (परिशिष्ट)के साथ लाया गया। प्रस्तुत पुस्तक इन्टरनेट www.archive.org में सुरक्षित उर्दू किताब ‘‘मुबाहिसा-ए-गोश्तखोरी’’ का हिन्दी रूपान्तर है
लिंक :
http://swami-nityanand-debate.blogspot.in/2011/08/blog-post.html



Monday, October 15, 2012

सूफ़ीमत के इतिहास में चिश्तिया सिलसिले का योगदान


सूफ़ीमत के इतिहास में चिश्तिया सिलसिले का योगदान

सूफ़ीमत के इतिहास में
चिश्तिया सिलसिले का योगदान
भारत में सूफ़ीमत का इतिहास बिना चिश्तियों की उपलब्धि की चर्चा के अधूरा ही कहा जाएगा। बल्कि यह कहें कि भारत में सूफ़ीमत का इतिहास ही चिश्तिया सूफ़ियों का इतिहास है, तो ज़्यादा तर्क संगत होगा। यह बात ज़ोर देकर कही जा सकती है कि सूफ़ीमत को चिश्तियों के कारण भारत में काफ़ी प्रसिद्धि मिली। न सिर्फ़ धार्मिक क्षेत्र में बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में चिश्तिया सम्प्रदाय का प्रभाव देखने को मिलता है।
सामाजिक जीवन
चिश्ती सूफ़ी संत सादा और पवित्र जीवन जीते थे। वे धन का संचय नहीं करते थे। धन को वे व्यक्ति के आध्यत्मिक विकास में बाधा मानते थे। शेख़ निज़ामुद्दीन औलिया र.अ. को छोड़कर सभी चिश्ती संत वैवाहिक जीवन जिए और उनकी संताने भी हुईं। उन्होंने राज्य से कभी दान नहीं लिया और शिष्यों के द्वारा दिए गए उपहार पर ही अपना जीवन-बसर करते रहे।
चिश्ती सूफ़ी संत सांसारिक इच्छाओं के दमन के लिए उपवास में विश्वास रखते थे। वे कम से कम वस्त्र पहनते थे, जो कि किसी तरह उनका तन ढंक सके। वे फटे-पुराने कपड़ों में ही अपना तन ढंक लेते थे। उन्होंने अपने शिष्यों से भी दरिद्रता और त्याग का जीवन जीने के लिए कहा। उन्होंने अपने मुरीदों को पास-ए-अन्फ़ास(सांसों पर नियंत्रण, प्राणायाम), ध्यान, चिल्ला (40 दिनों का कठोर त्यागपूर्ण एकांतवास) और चिल्ला-ए-माकूस (40 दिनों का त्यागपूर्ण जीवन जिसमें सिर ज़मीन पर और पैर छत या पेड़ की शाखाओं से बांध दिया जाता है) अपनाने की सलाह दी।

Friday, October 12, 2012

Gmail से पूरे भारत में भेजिए फ्री SMS


अब जी-मेल से पूरे भारत में भेजिए फ्री SMS

GMAIL
जीमेल से अब फ्री में एसएमएस भेजे जा सकते हैं।
पुणे।। गूगल ने भारतीय यूजर्स के लिए खास सर्विस शुरू की हैं। जीमेल यूजर अब चैट विंडो से किसी भी मोबाइल फोन पर फ्री में SMS भेज सकते हैं। इस सर्विस को यूज करने के लिए मोबाइल कॉन्टैक्ट्स को जी-मेल की अड्रेस बुक में शामिल करना होगा। इसके बाद जी-मेल यूजर चैट विंडो से किसी भी नंबर पर फ्री में SMS भेज सकते हैं। साथ ही उस नंबर से रिप्लाई आने पर मैसेज सीधे चैट विंडो में दिखेगा। हालांकि गूगल ने इस सर्विस के बारे में ऑफिशली कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन कई सारे यूजर्स की चैट विंडो में अभी से यह ऑप्शन दिखने लगा है।
शुरुआत में हर यूजर को 50 SMS क्रेडिट मिलेंगे और एक SMS भेजने पर 1 क्रेडिट कम हो जाएगा। अगर भेजे गए मैसेज पर मोबाइल फोन से रिप्लाई आता है, तो यूजर के अकाउंट में 5 क्रेडिट जुड़ जाएंगे। गूगल ने यह सर्विस सेल्युलर ऑपरेटर्स के साथ मिलकर शुरू की है, जिसका मतलब यह है कि वे कंपनियां उनके नेटवर्क से भेजे गए SMS से मिलने वाले रेवन्यू को गूगल के साथ शेयर करेंगी।

Posted by पत्रकार-अख्तर खान "अकेला" 

Friday, October 5, 2012

ग़ज़लगंगा.dg: अंधी नगरी चौपट राजा

राखे बासी त्यागे ताज़ा.
अंधी नगरी चौपट राजा.

वो देखो लब चाट रहा है
खून मिला है ताज़ा-ताज़ा.

फटे बांस के बोल सुनाये
कोई राग न कोई बाजा.

अंदर-अंदर सुलग रही है
इक चिंगारी, आ! भड़का जा.

बूढा बरगद बोल रहा है
धूप कड़ी है छावं में आ जा.

जाने किस हिकमत से खुलेगा
अपनी किस्मत का दरवाज़ा.

हम और उनके शीशमहल में?
पैदल से पिट जाये राजा?

वक़्त से पहले हो जाता है
वक़्त की करवट का अंदाज़ा.

---देवेंद्र गौतम

Read more: http://www.gazalganga.in/2012/09/blog-post_30.html#ixzz28SheNRrv

ग़ज़लगंगा.dg: अंधी नगरी चौपट राजा:

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Thursday, October 4, 2012

खबरगंगा: पछताते रह जायेंगे .

... चलिए एक कहानी सुनाती हूँ ..एकदम सच्ची कहानी..एक बिटिया और उसके पापा की कहानी ..मेरी दादी कहा करती  थी कि हमारे खानदान की  परंपरा है 'पान खाना'. ख़ुशी का मौका हो या गम का, 'पान खाना' ही पड़ता .परीक्षा देने जाना हो, यात्रा करनी हो, शुभ काम होनेवाला हो या  हो चूका हो, लगभग  हर मौके पर 'पान' हाज़िर होता .बाबा और दादी तो बड़े शौक से पान खाते थे. ये उनकी दिनचर्या का अनिवार्य हिस्सा था.दादी तो बाकायदा  पान मंगवाती.. साफ़ करती ... अपने साफ़-सफ़ेद बिस्तर (जिनपर हमारा चढ़ना मना था) पर सूखाती ..काटती  - छांटती ....कत्था पकाती..पान लगाती .. खाती और खिलाती..बचपन में हमें भी पान खूब पसंद आया करता. असल में इसे खाने के बाद जीभ एकदम लाल हो जाती. हम बच्चों को बहुत मज़ा आता. बात इन खुशिओं तक  सीमित  रहती तो अच्छा था पर  'अति सर्वत्र वर्ज्यते' यू ही नहीं कहा गया. अत्यधिक जर्दा के घुसपैठ ने 'पान खाने' जैसी परंपरा को भयावह रूप दे दिया.और हमने अपने पापा को खो दिया .. 
जैसा कहा मैंने 'पान खाना' हमारे खानदान कि अभिन्न परंपरा थी. पापा भी पान खाया करते . हाँ, उनके पान में जर्दा (तम्बाकू) की मात्रा बहुत ज्यादा होती थी.मम्मी मना करती पर वो नहीं मानते. मम्मी ने हम बच्चो से भी कहा कि पापा को जर्दा मत खाने दो.अब  हमारे लिए ये एक खेल बन गया.  पापा के जर्दा (तम्बाकू) का डिब्बा अक्सर छिपा दिया करते थे ..पापा हमसे मांगते...हम भी मनुहार करवाते, पर दे देते ...जर्दा (तम्बाकू) की मात्रा कम करने का हमारा आदेश होता  ..पापा भी  दिखाने  के लिए मान जाते, कहते आज खाने दो, कल से नहीं खायेंगे...हम भी खुश और पापा भी खुश . .देखते ही देखते समय निकलता गया.पापा का पान और जर्दा (तम्बाकू) खाना नहीं छूटा. हम बड़े हो गए...व्यस्तताएं बढ़ गयी...पापा को बार बार टोकना बंद हो गया..पर कभी-कभार जरुर शोर मचाते ..मम्मी की तबीयत ख़राब रहने लगी.उनको लेकर हम बहुत परेशां रहते..बार-बार खून चढ़ाना, जगह-जगह दिखाना...पापा पर ध्यान देना थोडा कम हो गया था...इसी बीच पापा के भी मूह में दर्द रहने लगा...आशंका हुई पर बेटी का मन, गलत बातो को क्यों कर मान जाता .अब  पापा ने  पान खाना छोड़ दिया, पर तबतक बहुत देर हो चुकी थी. एक दिन उन्हें जबरदस्ती  डॉक्टर के पास ले जाया गया. उसने देखते ही कह  दिया -इन्हें ओरल कैंसर है. पटना में बायोप्सी  करा ले .कैंसर ही निकला. हालाँकि मन ये मानने को तैयार ही नहीं था. अब भी लग  रहा था कि रिपोर्ट झूठी है .  यकीं था , पापा ठीक हो जायेंगे.  असल में उन्हें कभी बड़ी बीमारी से जूझते नहीं देखा था. और हमारे लिए तो वो 'सुपरमैन' थे , उन्हें क्या हो सकता था .

खैर , महानगरो की दौड़ शुरू हुई . कई अस्पतालों के चक्कर काटे गए. पता चला कि फीड-कैनाल में भी  कैंसर है, फेफड़ा भी काम नहीं कर रहा. डॉक्टर ने बताया कि 'ओपरेशन' और 'कीमो' नहीं हो सकता.' रेडियेशन'  ही एकमात्र उपाय है . सेकाई शुरू हुई, पापा कमज़ोर होने लगे. खाना छूट गया.' लिक्विड  डायट' पर रहने लगे. रेडियेशन पूरा होने के बाद गले का कैंसर ठीक हो गया पर 'ओरल'  ने भयावह  रूप ले लिया. डॉक्टरों  ने भी हाथ खड़े कर लिए. बीमारी बढ़ने लगी.  पहले होठ गलना शुरू हुआ . गाल में गिल्टियाँ  निकलने  लगीं और वो भी गलने लगा. धीरे-धीरे पूरा बाया गाल और दोनों होठ गल गए. घाव नाक तक पंहुचा..साँस लेने में परेशानी होने लगी. खाना पूरी तरह छुट चूका था. शरीर एकदम कमज़ोर हो गया. दावा-दारू काम न आया. ईश्वर ने हमारी 'बिनती' पर  ध्यान नहीं दिया. मित्रो-रिश्तेदारों की शुभकामनाओं की एक न चली. एक दिन  पापा हमें छोड़ कर चले गए. हम अवाक् से थे. सही है कि सबके माता-पिता जाते है पर हम अभी इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थे. वैसे भी 'अडसठ साल' की  उम्र मौत के लिए बहुत ज्यादा नहीं होती, खासतौर पर तब, जब कभी- भी कोई बीमारी न रही हो. पर मौत आयी ..जल्द आयी..समय से पहले आयी, क्यूंकि जर्दा (तम्बाकू)  के सेवन ने उनकी उम्र को दस साल कम कर दिया था. हम रोते रहे, बिलखते रहे, छटपटाते रहे पर क्या हासिल ...पिता का साया उठ जाना बहुत बड़ी बात होती है..हम अनाथ हो गए ..बेसहारा से..

एक साल के अन्दर एक बिटिया के प्यारे से पापा उसे छोड़कर हमेशा के लिए चले गए. पापा के जाने के बाद हर पल याद आया कि कैसे पापा से जर्दा छोड़ देने का  आग्रह करते और पापा हमें फुसला देते ..काश कि पापा ने उसी वक़्त हमारी बाते मान ली होती ... काश कि अपनी बीमारी को बढ़ने न दिया होता.. काश कि... पर 'काश' कहने और सोचने मात्र से कुछ नहीं संभव था . छोडिये, अब  कुछ आंकड़े देखिये --- टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के अनुसार हर साल कैंसर के नए मरीजों की संख्या लगभग सात लाख होती है जिसमे तम्बाकू से होनेवाले कैंसर रोगियों की संख्या तीन लाख है और इससे हुए कैंसर से मरनेवाले मरीजो की संख्या है प्रति वर्ष दो हज़ार है ...बी. बी. सी. के अनुसार भारत में हर दस कैंसर मरीजों में से चार ओरल कैंसर के है..

पापा ने जबतक  'जर्दा' छोड़ा,  समय हाथ से निकल चूका था . पर बाकि लोग ऐसा क्यूँ कर रहे है? क्यूँ अपनी मौत खरीदते और खाते है? कल खबर देखा कि यू. पी. सरकार ने भी गुटखा  (तम्बाकू) प्रतिबंधित कर दिया ...बिहार और देलही में ये पहले से lagu है. इसके अनुसार गुटखा  (तम्बाकू) बनाने, खरीदने  और बेचने पर प्रतिबन्ध है...बावजूद इसके गुटखा (तम्बाकू) खुले आम धड़ल्ले से बेचा-ख़रीदा जाता है...कम से कम अपने राज्य बिहार में तो यही देख रही हूँ...लोग आराम से  खरीदते  है...कोई रोक-टोक नहीं..पाबन्दी नहीं..सरकारे सिर्फ नियम बनाकर कर्त्तव्य पूरा कर देती है.. इसे लागू करने कि उसकी कोई मंशा नहीं होती. तभी तो कही कोई सख्ती नहीं बरती जाती. पुलिस और प्रशाशन के लोग स्वयं इसका सेवन करते है. भाई  लोग,  तम्बाकू का हर रूप हानिकारक है. इसका सेवन करनेवाले अपनी 'मृत्यु' को आमंत्रित करते है.  क्या आप  अपने अपनों से प्यार नहीं करते? फिर  इसकी लत जान से ज्यादा प्यारी कैसे बन जाती है जो  छूटती ही नहीं!  या फिर इच्छाशक्ति का घोर अभाव है, मन से बेहद कमज़ोर, लिजलिजे से हैं . यदि नहीं तो छोड़ दीजिये इस 'आदत' को .  मित्रों  आप तो समझदार है . चेत जाइये.  अरे,   जिम्मेदार नागरिक बने . तम्बाकू का किसी भी रूप में सेवन छोड़े . अपने रिश्तेदारों और मित्रो को भी रोके. कही बिकता देखे तो शिकायत करे . अन्यथा पछताते रह जायेंगे ....
खबरगंगा: पछताते रह जायेंगे .:

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Wednesday, October 3, 2012

मित्रो एक बार लेख को जरुर पढ़े ...वह तस्वीर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की थी

मित्रो एक बार लेख को जरुर पढ़े ...

कुछ समय पहले, फ़ेसबुक पर, बहुत से व्यक्तियों ने एक खूबसूरत महिला की तस्वीर पोस्ट की जो किसी अख़बार में छपी हुई थी। अखबार में छपी सूचना के अनुसार वह तस्वीर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की थी। हमारी प्रिय और आदरणीय रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर? ज़ाहिर है कि इस तस्वीर को देखने के लिए लोग उतावले थे। लेकिन एक नज़र देखते ही मुझे पता लग गया कि यह तस्वीर झूठी है। दरअसल मुझे बहुत अजीब भी लगा कि भारतीय जनता ज़रा-सा भी कॉमन सेंस प्रयोग नहीं करती! बस किसी ने जो भी कह दिया उसे सच मान लिया। लो
ग उस तस्वीर को जो कि हर कोण से झूठी लग रही थी! बिना सोचे-समझे इंटरनेट पर फैलाए जा रहे थे। देशप्रेम की भावना ने लोगों के दिल और दिमाग पर शायद कब्ज़ा कर लिया था – लेकिन देशभक्ति के लिए अपनी बुद्धि की आंखे बंद कर लेना तो ज़रूरी नहीं है! नीचे मैं वही तस्वीर दे रहा हूँ। आप देखिए और फ़ैसला कीजिए:

अख़बार में छपी तस्वीर जिसे झांसी की रानी की तस्वीर बताया गया। यह झूठ है।
हालांकि हिन्दुस्तान में फ़ोटो स्टूडियो 1840 में भी थे (और शायद उससे पहले भी) –लेकिन यह तस्वीर बहुत अधिक “आधुनिक” लग रही है। यह मानना बेहद मुश्किल है कि उस समय महिलाएँ इस तरह के फ़ोटो खिंचवाती होंगी; और रानी लक्ष्मीबाई ने ऐसा किया होगा –ये मानना तो बहुत दूर की कौड़ी लाने जैसा होगा। इस तरह की तस्वीर रानी के निजी कक्ष में ही खींची जा सकती थी –और मुझे नहीं लगता कि उस समय की कोई भी रानी किसी भी फ़ोटोग्राफ़र को अपने निजी कक्ष में आने की अनुमति देती होगी।
इस तस्वीर में दिखने वाली महिला के हाव-भाव से ही पता चलता है कि वह कैमरे और फ़ोटोग्राफ़ी के साथ काफ़ी अभ्यस्त और सहज हो चुकी हैं। साथ ही फ़ोटोग्राफ़ी की गुणवत्ता भी रानी लक्ष्मीबाई के समय से मेल नहीं खाती। उस समय के बक्से वाले कैमरे से इतनी अच्छी तस्वीरें खींचना संभव नहीं हुआ करता था।
मेरे मूल अंग्रेज़ी लेख की एक पाठक श्रीमति चमन निगम जी ने एक रोचक टिप्पणी की थी। उन्होनें कहा कि ऊपर दिए चित्र के साथ “खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली थी” पंक्ति मेल नहीं खाती -इसलिए भी यह चित्र झूठा है!
इस सारे झमेले में जो चीज़ मुझे सबसे अधिक परेशान कर रही है वो है हमारी पत्रकारिता (विशेषकर हिन्दी पत्रकरिता) का गिरता स्तर। मेरी जानकारी के मुताबिक ऊपर दी गई तस्वीर भारत के सबसे बड़े हिन्दी अख़बार दैनिक भास्कर में छपी थी। चित्र के साथ में छपी जानकारी हालांकि ठीक है लेकिन इस खबर के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति ने ग़लत तस्वीर छाप दी! शर्म आती है इस तरह की पत्रकारिता देख कर।
सो, अगर ऊपर दिया गया चित्र ग़लत है तो फिर सही चित्र कहाँ हैं? ऐसा कहा जाता है कि सन 1850 में एक ब्रिटिश फ़ोटोग्राफ़र ने झांसी की रानी की एक तस्वीर ली थीउस समय रानी की आयु मात्र 15 वर्ष की थी। फ़ोटोग्राफ़र ने अपना नाम “हॉफ़मैन” बताया था और कहा था कि वह जर्मन है। ऐसा उसने शायद इसलिए किया क्योंकि किसी ब्रिटिश व्यक्ति का रानी के आस-पास फटकना भी संभव नहीं था। “हॉफ़मैन” द्वारा लिया गया चित्र नीचे दिया गया है।
"हॉफ़मैन"द्वारा ली गई झांसी की रानी की तस्वीर यह तस्वीर अहमदाबाद के एक चित्रकार अमीत अम्बालाल के पास है। उन्होनें इसे 40 वर्ष पहले जयपुर से करीब डेढ़ लाख रुपए में खरीदा था। अम्बालाल ने इसे अपने फ़ोटोग्राफ़र मित्र वामन ठाकरे को दे दिया और वामन ठाकरे ने इसे भोपाल में एक प्रदर्शनी के दौरान जनता के सामने रखा। इस तरह दैनिक भास्कर की खबर बनी जिसमें ग़लत फ़ोटो को छाप दिया गया। मुझे नहीं पता कि अखबार में छपी ग़लत तस्वीर में जो महिला दिख रही हैं –वे कौन हैं। यदि किसी पाठक को पता हो तो मुझे ज़रूर बताएँ।
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1835 को मणिकर्णिका के रूप में वाराणसी में हुआ था। बाद में उन्हें प्यार से “मनु” कह कर पुकारा जाने लगा। उनकी मृत्यु केवल 22 वर्ष की उम्र में ही हो गई। इस छोटी-सी ज़िन्दगी में ही उन्होनें आत्म रक्षा, घुड़सवारी, धनुर्विद्या का अध्ययन किया; तलवार, भाला और कटार चलाने में दक्षता हांसिल की; विवाह से पहले ही केवल महिला सिपाहियों की एक सेना बनाई; एक राजा से शादी की; 16 वर्ष की उम्र में माँ बनी; चार महीने बाद ही अपने बेटे को खो दिया; और उसके दो वर्ष बाद अपने पति को; उन्होनें झांसी राज्य की कमान संभाली; अपनी सेना का नेतृत्व करते हुए अंग्रेज़ों के खिलाफ़ जंग की; और ऐसा युद्ध किया कि अंग्रेज़ जनरल भी उनकी बहादुरी और कौशल की प्रशंसा करने लगे थे; अंत में रानी ने बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति पाई।
क्या यह सब आपको रोमांचित नहीं करता? मुझे तो करता है! इसीलिए आज भी हर भारतवासी रानी लक्ष्मीबाई का सम्मान करता है और इसीलिए मुझे उन्हें “हमारी रानी” कहने में कोई संकोच नहीं है। झांसी की रानी भारतीय स्त्रियों के साहस और बहादुरी की मिसाल बन गईं। वे हमारे राष्ट्र का गौरव हैं।
झांसी की रानी द्वारा अंग्रेज़ों के खिलाफ़ लड़ी गई लड़ाई के फ़ोटोग्राफ़्स उपलब्ध नहीं हैं –लेकिन लड़ाई के खत्म होने के बाद कुछ तस्वीरे ली गईं थी जो अभी भी उपलब्ध हैं।
अगर हम “हॉफ़मैन” द्वारा लिए गए चित्र को छोड़ दें तो लक्ष्मीबाई की छवि के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। आस्ट्रेलियन पत्रकार जॉन लैंग को 1854 में झांसी की रानी से मिलने और बात करने का दुर्लभ मौका मिला था। बाद में लैंग ने रानी के बारे में अपने अखबार “द मोफ़ुसिल” में लिखा था (मैं अंग्रेज़ी से अनुवाद कर रहा हूँ):
जब वे छोटी रही होंगी तो उनका चेहरा बहुत ही सुंदर रहा होगा (लैंग से मुलाकात के समय रानी की उम्र 19 वर्ष थी) और अभी भी उस चेहरे में बहुत-से जादू हैं। उनकी अभिव्यक्ति बहुत अच्छी और बुद्धिमत्तापूर् ण थी। उनकी आंखे विशेष रूप से अच्छी थीं और नाक नाज़ुक और करीने से बनी हुई थी। वे बहुत गोरी नहीं थीं हालांकि काली होने से भी वे कोसों दूर थीं। उन्होनें कानों में सोने के कुंडलों के अलावा और कोई आभूषण नहीं पहना था और उनका वस्त्र बिल्कुल मुलायम सफ़ेद मुस्लिन का था। वस्त्र उनके शरीर पर कस कर लपेटा गया था जिससे कि उनके शरीर की बनावट साफ़ झलक रही थी। यह बनावट काफ़ी अच्छी थी मैंने झांसी की रानी के असली फ़ोटोग्राफ़ के वाकई में असली होने का कोई दावा नहीं किया है। यह काम पुरातत्ववेत्ताओ ं का है। मेरा उद्देश्य केवल इतना है कि अपने पाठकों तक संदेश पहुँचा सकूं ताकि वे अखबार में छपी ग़लत तस्वीर को इंटरनेट पर फैलाना बंद कर दें।..
 साभार 

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प्रस्तुतकर्ता 
सवाई सिंह राजपुरोहित ( सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया)
www.rajpurohitsamaj-s.blogspot.in
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हमारा ई-मेल पता है :- sawaisinghraj007@gmail.com

Tuesday, October 2, 2012

किया जा रहा है 'वास्तु' के नाम पर एक धोखा -Praveen Shah



आपके घर में रोशनी आये, हवा का आना जाना न रूके, बारिश व सीलन से घर बचा रहे व कीमती सामान सुरक्षित रहे... यदि आपका घर यह सब कर रहा है तो उसमें कोई वास्तु दोष नहीं... बेफिकर उसमें रहिये... जीवन की अपनी सफलताओं व विफलताओं व अपने आसपास के लोगों से अपने अच्छे-बुरे संबंधों के कारण अपने अंदर ढूंढिये... और कोई स्वयंभू वास्तु विशेषज्ञ यदि आपको फिर भी  घर के वास्तुदोष गिना रहा है तो आप सीना तान के उस से कहिये...
बंधु, 
कर रहे हो एक धोखा, तुम सबसे, नाम वास्तु है !

उनकी पोस्ट पर हमारा विचार यह है-
विचार भी वस्तु मात्र हैं. घर-दूकान और वस्तुओं का वास्तु ठीक करने के बाद भी समस्या से नजात न मिले तो अपने विचार का वास्तु ठीक कर लीजिये आपकी समस्या दूर हो जायेगी.
आप चिंता, नफ़रत और ग़ुस्सा छोड़ दीजिये, आपके शरीर में फ़ालतू एसिड नहीं बनेगा. एसिड की ज़्यादती  से होने वाली बीमारियों से आप बचे रहेंगे। आप दुश्मनों को माफ़ कर दीजिये. आपका मन निर्मल हो जाएगा. सारी मनोग्रंथियाँ विलीन हो जायेंगी तो आपके मनोरोग भी चले जायेंगे। आप लोगों से मुस्कुरा कर मिलें, हर जगह आपका स्वागत किया जाएगा. आप नौकरी कर रहे हैं तो स्किल्ड लेबर है. आप हमेशा तंगदस्त और क़र्ज़दार रहेंगे. ५० साल में आप जो बचायेंगे उसे आप से किसी अस्पताल में ५० दिन में ले लिया जाएगा. आप अपना छोटा सा बिजनेस शुरू करें. समय के साथ वह बढ़ता जाएगा और दो चार साल में ही आप धनवान हो जायेंगे.
यह सब तब होगा जब आप अपने विचार का वास्तु ठीक कर लेंगे.

‘ब्लॉग की ख़बरें‘

1- क्या है ब्लॉगर्स मीट वीकली ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_3391.html

2- किसने की हैं कौन करेगा उनसे मोहब्बत हम से ज़्यादा ?
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

3- क्या है प्यार का आवश्यक उपकरण ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

4- एक दूसरे के अपराध क्षमा करो
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

5- इंसान का परिचय Introduction
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/introduction.html

6- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- बेवफा छोड़ के जाता है चला जा
http://kunwarkusumesh.blogspot.com/2011/07/blog-post_11.html#comments

9- इस्लाम और पर्यावरण: एक झलक
http://www.hamarianjuman.com/2011/07/blog-post.html

10- दुआ की ताक़त The spiritual power
http://ruhani-amaliyat.blogspot.com/2011/01/spiritual-power.html

11- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

12- शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड-4
http://shakuntalapress.blogspot.com/

13- वाह री, भारत सरकार, क्या खूब कहा
http://bhadas.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

14- वैश्विक हुआ फिरंगी संस्कृति का रोग ! (HIV Test ...)
http://sb.samwaad.com/2011/07/blog-post_16.html

15- अमीर मंदिर गरीब देश
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

16- मोबाइल : प्यार का आवश्यक उपकरण Mobile
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/mobile.html

17- आपकी तस्वीर कहीं पॉर्न वेबसाइट पे तो नहीं है?
http://bezaban.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

18- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम अब तक लागू नहीं
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

19- दुनिया में सबसे ज्यादा शादियाँ करने वाला कौन है?
इसका श्रेय भारत के ज़ियोना चाना को जाता है। मिजोरम के निवासी 64 वर्षीय जियोना चाना का परिवार 180 सदस्यों का है। उन्होंने 39 शादियाँ की हैं। इनके 94 बच्चे हैं, 14 पुत्रवधुएं और 33 नाती हैं। जियोना के पिता ने 50 शादियाँ की थीं। उसके घर में 100 से ज्यादा कमरे है और हर रोज भोजन में 30 मुर्गियाँ खर्च होती हैं।
http://gyaankosh.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.html

20 - ब्लॉगर्स मीट अब ब्लॉग पर आयोजित हुआ करेगी और वह भी वीकली Bloggers' Meet Weekly
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/bloggers-meet-weekly.html

21- इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
http://www.sahityapremisangh.com/2011/07/blog-post_3678.html

22- इसलाम में आर्थिक व्यवस्था के मार्गदर्शक सिद्धांत
http://islamdharma.blogspot.com/2012/07/islamic-economics.html

23- मेरी बिटिया सदफ स्कूल क्लास प्रतिनिधि का चुनाव जीती
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_2208.html

24- कुरआन का चमत्कार

25- ब्रह्मा अब्राहम इब्राहीम एक हैं?

26- कमबख़्तो ! सीता माता को इल्ज़ाम न दो Greatness of Sita Mata

27- राम को इल्ज़ाम न दो Part 1

28- लक्ष्मण को इल्ज़ाम न दो

29- हरेक समस्या का अंत, तुरंत

30-
अपने पड़ोसी को तकलीफ़ न दो
Increase traffic

साहित्य की ताज़ा जानकारी

1- युद्ध -लुईगी पिरांदेलो (मां-बेटे और बाप के ज़बर्दस्त तूफ़ानी जज़्बात का अनोखा बयान)
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

2- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

3- आतंकवादी कौन और इल्ज़ाम किस पर ? Taliban
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/taliban.html

4- तनाव दूर करने की बजाय बढ़ाती है शराब
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

5- जानिए श्री कृष्ण जी के धर्म को अपने बुद्धि-विवेक से Krishna consciousness
http://vedquran.blogspot.com/2011/07/krishna-consciousness.html

6- समलैंगिकता और बलात्कार की घटनाएं क्यों अंजाम देते हैं जवान ? Rape
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/rape.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- ख़ून बहाना जायज़ ही नहीं है किसी मुसलमान के लिए No Voilence
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/no-voilence.html

9- धर्म को उसके लक्षणों से पहचान कर अपनाइये कल्याण के लिए
http://charchashalimanch.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

10- बाइबिल के रहस्य- क्षमा कीजिए शांति पाइए
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

11- विश्व शांति और मानव एकता के लिए हज़रत अली की ज़िंदगी सचमुच एक आदर्श है
http://dharmiksahity.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

12- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

13- ‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है Terrorism or Peace, What is Islam
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/07/terrorism-or-peace-what-is-islam.html

14- The real mission of Christ ईसा मसीह का मिशन क्या था ? और उसे किसने आकर पूरा किया ? - Anwer Jamal
http://kuranved.blogspot.com/2010/10/real-mission-of-christ-anwer-jamal.html

15- अल्लाह के विशेष गुण जो किसी सृष्टि में नहीं है.
http://quranse.blogspot.com/2011/06/blog-post_12.html

16- लघु नज्में ... ड़ा श्याम गुप्त...
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

17- आपको कौन लिंक कर रहा है ?, जानने के तरीके यह हैं
http://techaggregator.blogspot.com/

18- आदम-मनु हैं एक, बाप अपना भी कह ले -रविकर फैजाबादी

19-मां बाप हैं अल्लाह की बख्शी हुई नेमत

20- मौत कहते हैं जिसे वो ज़िन्दगी का होश है Death is life

21- कल रात उसने सारे ख़तों को जला दिया -ग़ज़ल Gazal

22- मोम का सा मिज़ाज है मेरा / मुझ पे इल्ज़ाम है कि पत्थर हूँ -'Anwer'

23- दिल तो है लँगूर का

24- लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी - Allama Iqbal

25- विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story)

26- शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया (ग़ज़ल)

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