मासूम फ़रिश्ता अमन खान Amn Khan
अमन के पैग़ाम की ताज़ा पोस्ट पर हमारे बेटे अमन ख़ान की पैदाइश के बारे में चर्चा हो रही है।
जब घर में कोई बच्चा पैदा हो तो वह बच्चा न सिर्फ़ आपके लिए ख़ुशियां लेकर आता है बल्कि अपनी पैदाइश के साथ ही वह आपको बुद्धिदान भी करता है।
उसकी पैदाइश के साथ ही लोग तीन तरह पर तक़सीम हो जाते हैं।
नंबर एक वे लोग जो बच्चे को देखकर ख़ुश होते हैं और किसी न किसी तरह बधाई और शुभकामनाएं भेजते हैं ,
और दूसरे वे लोग जो बधाई और शुभकामनाएं नहीं भेजते।
आम तौर से बधाई और शुभकामनाएं वही लोग भेजते हैं जो कि दोस्त और हमदर्द हुआ करते हैं।
जो लोग शुभकामनाएं नहीं भेजते उनका व्यवहार बताता है उनके लिए आपके जीने मरने की कोई वैल्यू नहीं है। आप चाहे जियें या आप मर जाएं उन्हें आपकी कोई चिंता नहीं है।
इसी दूसरी क़िस्म में वे लोग भी होते हैं जो आपके घर में ख़ुशी देखकर अपने दिल में जलन महसूस करते हैं।
ये दुश्मन होते हैं और हमेशा नुक्सान ही पहुंचाते हैं। अपनी हरकतों से ये हमेशा पहचान लिए जाते हैं।
इन दुश्मनों में जो ज़्यादा चालाक और मक्कार होता है। वह दोस्तों का रूप बनाकर बधाईयां देने आ जाता है। इसे पहचानना सबसे ज़्यादा मुश्किल होता है।
यही सबसे ज़्यादा घातक होता है।
महापुरूषों के मर्डर सबसे ज़्यादा इन्हीं ‘अपनों‘ ने किए हैं।
एक मासूम बच्चे की पैदाइश अपने बाप को उसके दोस्त और दुश्मन की पहचान करा देती है जो कि उसकी सलामती के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।
बहरहाल ये तो उसूली बातें हैं और सबके काम आने वाली बातें हैं।
असल बात यह है कि
जब घर में कोई बच्चा पैदा हो तो वह बच्चा न सिर्फ़ आपके लिए ख़ुशियां लेकर आता है बल्कि अपनी पैदाइश के साथ ही वह आपको बुद्धिदान भी करता है।
उसकी पैदाइश के साथ ही लोग तीन तरह पर तक़सीम हो जाते हैं।
नंबर एक वे लोग जो बच्चे को देखकर ख़ुश होते हैं और किसी न किसी तरह बधाई और शुभकामनाएं भेजते हैं ,
और दूसरे वे लोग जो बधाई और शुभकामनाएं नहीं भेजते।
आम तौर से बधाई और शुभकामनाएं वही लोग भेजते हैं जो कि दोस्त और हमदर्द हुआ करते हैं।
जो लोग शुभकामनाएं नहीं भेजते उनका व्यवहार बताता है उनके लिए आपके जीने मरने की कोई वैल्यू नहीं है। आप चाहे जियें या आप मर जाएं उन्हें आपकी कोई चिंता नहीं है।
इसी दूसरी क़िस्म में वे लोग भी होते हैं जो आपके घर में ख़ुशी देखकर अपने दिल में जलन महसूस करते हैं।
ये दुश्मन होते हैं और हमेशा नुक्सान ही पहुंचाते हैं। अपनी हरकतों से ये हमेशा पहचान लिए जाते हैं।
इन दुश्मनों में जो ज़्यादा चालाक और मक्कार होता है। वह दोस्तों का रूप बनाकर बधाईयां देने आ जाता है। इसे पहचानना सबसे ज़्यादा मुश्किल होता है।
यही सबसे ज़्यादा घातक होता है।
महापुरूषों के मर्डर सबसे ज़्यादा इन्हीं ‘अपनों‘ ने किए हैं।
एक मासूम बच्चे की पैदाइश अपने बाप को उसके दोस्त और दुश्मन की पहचान करा देती है जो कि उसकी सलामती के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।
बहरहाल ये तो उसूली बातें हैं और सबके काम आने वाली बातें हैं।
असल बात यह है कि
15 comments:
अब अमन के पैग़ाम का असर दिलों पर होने लगा है . इस मक़ाम तक पहुंचने के लिए आपने बहुत मेहनत की है।
सबसे पहले तो आपको बधाई हो
कि अब आपके दिल में ईमान और गोद में अमन रहेगा।
इस मौक़े पर भी आपने बहुत अच्छी मारिफ़त की बात बताई है।
बहुत बहुत शुक्रिया ...
janm....ek nayi shuruat...bahut se anubhavon ki, baaton ki, kabhi na mitne wali yaadon ki
aapne bulaya
bas khinchi chali aayi main
bahut achha laga aapka comment mere blog pe....aapki saraahna ki aage bhi aise hi zaroorat rahegi
abhaar
Naaz
hmara bhtijaa inshaa allaah aman or insaaf ki tlvaar bankar desh me hi nahin duniyaa me nayab kaam karegaa ..akhtar khan akela kota rajsthan
भई मेरी बधाई भी स्वीकार करें।
नहुत बहुत बधाई हो...
:)
My heartiest congratulations on the new arrival. May Almighty shower his bounties on him and on your whole family.
Zafar Iqbal
Hearty Congratulations!!! He is so beautiful. God bless him and give him wisdom and understanding make him His favorite :-)
अमन के जन्म की खुशियाँ आपको बहुत बहुत मुबारक हों डॉ.साहब हम एक शेर कुछ यूँ प्रस्तुत कर रहे हैं आशा है कि अमन को आप ज़रूर सुनायेंगे.
''जिंदगी की बहार देखो ''अमन''
ऐश-ए-लैलो नहार देखो ''अमन''
एक ही बार की दुआ कैसी
साल खुशनुमां हज़ार देखो''अमन''
बुआ की दुआ
''जिंदगी की बहार देखो ''अमन''
ऐश-ए-लैलो नहार देखो ''अमन''
एक ही बार की दुआ कैसी
साल खुशनुमां हज़ार देखो''अमन''
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@ शालिनी कौशिक जी ! आपने बहुत अच्छा शेर हदिया किया है अर्थात भेंट किया है और दुआ भी बहुत अच्छी की है। आपके शेर को अमन को ही नहीं बल्कि उनकी मां को भी सुना दिया है और दोनों को ही अपनी बुआ की दुआ बहुत पसंद आई है।
शुक्रिया !
दूसरी बुआ की भी यही दुआ है .
@ शिखा जी ! यूं ही कह देने से काम नहीं चलेगा।
दूसरी बुआ भी एक कवयित्री है और एक आध बंद रच कर ही दुआ दीजिए,
पहली बुआ की तरह।
शुक्रिया !
अमन हमारे नन्हे-मुन्नों की दोस्त-टोली में शामिल हो गया है . अमन के मम्मी-पापा को हमारी ओर से बहुत-बहुत मुबारकबाद
छोटी बुआ की बड़ी दुआ
शिखा जी ! मालिक आपकी दुआ क़ुबूल करे।
आपके ब्लॉग पर अमन ख़ान की फ़ोटो उनकी मां ने भी देखी और उनके भाई बहनों ने भी। सभी को हमने आपका कलाम पढ़कर भी सुनाया।
सभी को बहुत पसंद आया।
हम सभी को बहुत भाया।
शुक्रिया !
बड़ा प्यारा फूल है, ईश्वर से यही कामना है की अपनी रहमत से हमेशा इस फूल को महकाता रहे!
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एक बार पुनः बधाई...................फेसबुक पे तो कमेन्ट हुआ ही नहीं :)
:)
@ पंडित जी ! आपकी मुस्कान के तो हम हर जगह क़ायल हैं चाहे फ़ेसबुक पर नज़र आए
या ब्लॉगस्पॉट पर !
नेक ख्वाहिशात के लिए आपका शुक्रिया !
And see this -
हमें भी प्यारे हैं गोपाल -Dr. Anwer Jamal
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/dr-anwer-jamal.html
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