Friday, May 31, 2013

कुछ चुनौतियां फ़िज़ूल होती हैं

एक लेखक चुनौती दे रहे हैं.
उनका ऐतराज़ है कि ज़ाकिर नाइक चुनौती देते हैं.
अब वह खुद चुनौती दे रहे हैं. ज़ाकिर नाइक की जिस बात पर उन्हें ऐतराज़ है, वही काम खुद कर रहे हैं. यानि वह ज़ाकिर नाइक के प्रभाव में आ गये हैं ?
हम ज़ाकिर नाइक साहब के प्रोग्राम नहीं देखते लेकिन वह भाई देखते हैं और दस बीस लोगों को पुनः ईश्वर का आज्ञाकारी  (अरबी में मुस्लिम) बनते देख कर बेचैन हो जाते हैं .
क्यों ...?
...क्योंकि वह 'शैतान को सच्चा धार्मिक' मानते हैं. उनकी बेचैनी से पता चलता है कि ज़ाकिर नाइक साहब के मनन-कथन से शैतान के हिमायतियों का काम डिस्टर्ब हो रहा है.
एक्टिव  शैतान के हामियों का काम है, लोगों को 'ईश्वर की आज्ञा' के बारे में भ्रम में डाले रखना .
भ्रम जाते ही ब्रह्‌म की प्राप्ति हो जाती है. यही मानव जीवन का उद्देश्य है.
... ईश्वर की आज्ञा मानते रहो और उसे जन-जन तक पहुंचाते रहो ताकि कल्याण सबका हो.
ज्ञान को केवल अपने समुदाय तक सीमित रखना जुर्म और पाप है.
सब पढ़ें और सब बढ़ें.
सरकार भी यही कहती है.
किसी की चुनौती सचमुच ध्यान देने के लायक हो तो धार्मिक जन उस पर प्रॉपर ध्यान भी देते हैं.
हम ऐसे सभी धार्मिक जनों के आभारी हैं जिनके कारण शैतान परेशान है.
 
देखें :

Friday, May 24, 2013

राजीव शर्मा (Majaz Lakhnavi) और दूसरे एक्टर्स के साथ डा० अनवर जमाल


मजाज़ लखनवी  (1911 – 5 December 1955) उर्दू के बड़े शायर हैं . दूरदर्शन उर्दू चैनल के लिए उनकी ज़िन्दगी और उनकी शायरी पर टी. वी. सीरियल बनाया जा रहा है. 2  मई २ ३ से शूटिंग शुरू हुई . डायरेक्टर हैं श्रीपाल चौधरी . उनका साथ दे रहे हैं रंजन शाह और खुद निर्माता संजेश आहूजा भी एक अच्छे डायरेक्टर है। सीरियल उर्दू का है और अक्सर  कलाकार उर्दू जानते नहीं है। उर्दू न जानने  वालों से उर्दू का सही उच्चारण करवाने की बात आई तो इन सबको हम याद आये और यह ज़िम्मेदारी हमें सुपुर्द की गयी.
मजाज़ के कमरे में शूटिंग का एक सीन 
मजाज़ का किरादर राजीव शर्मा अदा कर रहे हैं . पीटरस बुख़ारी का रोल भी हमें ही करना है जो की आल इण्डिया रेडियो से मजाज़ और दुसरे शायरों का कलाम Broadcast करते थे. 
राजीव शर्मा और दूसरे एक्टर्स के  साथ  डा० अनवर जमाल , श्रीपाल चौधरी और संजेश  सीन समझाते हुए  (दोनों की कमर  दिख रही है)
                             
गर्मी शदीद पड़ रही है लेकिन टीम के हौसले बलंद हैं . 
यहाँ उनकी शायरी देखि जा सकती है-

Friday, May 17, 2013

‘Active Shaitan‘ की पहचान क्या है ?


सत्य और असत्य का संघर्ष शुरू से ही चला आ रहा है। यह आज भी जारी है। 
इसे पहचानने के लिए हमें यह देखना होगा कि हमारे समाज में कौन सकारात्मक सोच फैला रहा है और कौन नकारात्मक सोच का प्रचार कर रहा है ?
सकारात्मकता एक नया शब्द है। पुराने दौर में इसके अच्छाई और भलाई का शब्द इस्तेमाल होता था। ऐसे ही नकारात्मकता को पाप और बुराई नाम से जाना जाता था। दौर बदल गया है। शब्द बदल गए हैं लेकिन लोगों की प्रवृत्तियां आज भी वही हैं। किसी इंसान को देखकर लोग उसे देवता और फ़रिश्ते की उपाधि देते हैं और किसी इंसान को देखकर राक्षस और शैतान की।
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See:

‘एक्टिव शैतान‘ की पहचान क्या है ?

Monday, May 13, 2013

वंदे मातरम्‘ के मुद्दे पर बसपा नेता शफ़ीक़ुर-रहमान बर्क़ की राजनीति

कुछ लोग नेता नहीं होते लेकिन अपनी पूंजी या ज़ोरदार भाषणबाज़ी के बल पर वे संसद या विधान सभा के लिए चुन लिये जाते हैं। उन्हें समस्याओं को हल करना नहीं आता और उन्हें हल करना भी नहीं होता। उनके क्षेत्र के लोगों से पूछिए तो वे उनसे नाराज़ मिलेंगे। ठोस काम न करने वाले ऐसे नेता हमेशा चुनाव में जनता द्वारा ठुकरा दिए जाते हैं। लिहाज़ा तुरूप के पत्ते के तौर पर वे भावनात्मक मुददे उठाते हैं। जनता को एक दूसरे के खि़लाफ़ नफ़रत दिलाते हैं।
‘वंदे मातरम्‘ पर विवाद ऐसे ही लोगों की देन है। जनता को ऐसे नेताओं से होशियार रहना चाहिए। जिनके अमल से समाज कां आपसी सद्भाव ख़त्म होता हो और नफ़रत बढ़ती हो।
See:

वंदे मातरम्‘ के मुद्दे पर बहस हो तो सदभावपूर्ण माहौल में होनी चाहिये


Photo

Friday, May 10, 2013

kroyaaa is aalekh ko pura pdhen or prtikriya avshy de shukriyaa
अख्तर खान अकेला
9 hours ago
Girish Pankaj
सबसे पहला धर्म हमारा, वन्दे मातरम
देश हमारा सबसे न्यारा, वन्दे मातरम

देश है सबसे पहले, उसके बाद धर्म आये
सोचो इस पर आज दुबारा, वन्दे मातरम

हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई बातें हैं बेकार
देश हमें हो प्राण से प्यारा, वन्दे मातरम

जहां रहें, हम जहां भी जाएँ रखे वतन को याद
जिसने अपना आज संवारा, वन्दे मातरम

देश विरोधी लोगों को हम सिखलाएँ यह बात
सुबह-शाम बस एक हो नारा, वन्दे मातरम

देश हमारी आन-बान है देश हमारी शान
लायेंगे घर-घर उजियारा, वन्दे मातरम

भारत मटा तुम्हें बुलाती लौटो अपने देश
घर आओ ये कितना प्यारा, वन्दे मातरम

जातिधर्म की ये दीवारे कब तक कैद रहें?
तोड़ो-तोड़ो अब ये कारा, वन्दे मातरम

ध्वज अपना है, भाषा अपनी, राष्ट्रगान का मान
राष्ट्र प्रेम की सच्ची धारा, वन्दे मातरम

देश प्रेम ही विश्व प्रेम की है सच्ची शुरुआत,
बिन इसके न होय गुजारा, वन्दे मातरम
अख्तर खान अकेला
3 hours ago
फिर दिल से कहो हम इस मिटटी से प्यार करते है इसी मिटटी में मिलकर फना हो जाना चाहते है और वन्देमातरम कहते ही नहीं वन्देमातरम करके भी दिखाते है वन्देमातरम वन्देमातरम
दोस्तों कल संसद में बसपा के एक मुस्लिम सांसद ने वन्देमातरम गीत का बहिष्कार किया उस पर देश भर में बहस छिड़ी हुई है बात भी सही है के जिसे हम राष्ट्रगीत कहते है उसे हमे बोलने सुनने में दिक्क़त है लेकिन जरा हम अपने सीने पर हाथ रख कर देखे क्या हम इस गीत का सम्मान करते है या फिर इस गीत के नाम पर राजनीति कर वोट कबाड़ने और एक दुसरे को नीचा दिखने की सोचते है ..देश की संसद में इस मामले में चुनाव हुआ और बहुमत के आधार पर राष्ट्रगान जन गन मन सुना गया ..बस वोह राष्ट्रगान हो गया देश के मान सम्मान का प्रतीक होने के कारन इस गायन को सम्मान देने के लियें राष्ट्रिय सम्मान कानून बनाया गया और इस गान के अपमान करने वाले को सजा देने का प्रावधान रखा गया लेकिन चाहे कोंग्रेस सत्ता में रही हो चाहे भाजपा सत्ता में रही हो किसी ने भी वन्दे मातरम गीत को गाने और इसका सम्मान करने के मामले में कोई आचार संहिता कोई कानून नही बनाया केवल ऐच्छिक रखा गया अब ऐच्छिक अगर कोई चीज़ है तो उस मामले में की जीद काम नहीं देती खेर यह तो अलग बात हो गयी है लेकिन जरा सोचिये अपने दिल पर हाथ रखिये जो लोग संसद में राष्ट्रगीत वन्देमातरम गा रहे थे क्या उन्हें इस ईत को गाने का हक है क्या वोह लोग देश से प्यार करते है क्या संसद में बेठे लोगों का चरित्र उन्हें इस गीत को गाने की इजाज़त देता है जो लोग बलात्कारी हो ..बेईमान हो ..मक्कार हो ..फरेबी हो ..रिश्वतखोर हो ..भ्रष्ट हो देश के कानून का मान सम्मान नहीं करते हो दश की सीमाओं का सम्मान नहीं करते हो जिनके दिलों में गीता ..कुरान .बाइबिल ...गुरुवाणी या किसी भी द्र्ह्मे का सम्मान नहीं हो तो क्या वोह लोग उनकी नापाक जुबान से वन्देमातरम जेसा गीत गाने के हकदार है क्या संसद में बेठे बेईमान लोग शपथ लेकर देश के संविधान की धज्जियां उढ़ा कर इस गीत को गाने के हकदार है नहीं न तो फिर यह तमाशा क्यूँ वन्देमातरम पर राजनीति क्यूँ ..एक कट्टर हिन्दू वन्देमातरम पर मुसलमानों को इस गीत का दुश्मन बताकर अपने कट्टरवादी वोट मजबूत करने की कोशिशों में जुटा रहता है तो एक मुसलमान सांसद सिर्फ मुस्लिम वोटों को प्रापत् करने के लियें संसद में इस गीत के गायन के वक्त इस गीत का बहिष्कार करता है हमे शर्म आती है दिल में तो बेईमानी और जुबान पर राजनीति वोह भी पवित्र गीत के नाम पर इस गीत का अहसास कोई समझ नहीं सकता मुख्तलिफ शायरों और मुख्तलिफ विचारधाराओं के लोगों ने इस गीत की व्याख्या अपने आने तरीके से की है मुसलमान कहते है के देश की मिटटी से प्यार करने और इसी मिटटी में फना हो जाने को वन्देमातरम कहते है मुसलमानों का तर्क है के यह उन लोगों के लियें संदेश है जो लोग जुबान से देशभक्ति का दिखावा करते है और इस देश की मीट्टी में मिलने की जगह नदी के जरिये विदेशों के समुन्द्र में समां जाते है ..मुसलमान कहते है के हम जब नमाज़ पढ़ते है तो इस देश की मिटटी पर सर झुका कर अपने खुद तक पहुंचने का रास्ता बनाते है ..मुसलमान कहते है के जब नमाज़ के पहेल उन्हें पानी नहीं मिलता या बीमारी के कारण उनका पानी से परहेज़ होता है तो इसी देश की मिटटी से तहममुम यानी सूखा वुजू कर खुद को पाक कर लेता है और फिर खुद के दरबार में नमाज़ के जरिये इसी सर जमीन पर सजदा कर अपनी हाजरी लगाता है ...इतना ही नहीं मुसलमान इस धरती पर पैदा होता है बढ़ा होता है और मरने पर इसी मिटटी में दफन होकर खुद को फना कर लेता है जबके दुसरे समाज के लोग दिखावे को तो इस मिटटी से दिखावे का नाटक करते है लेकिन जिस धरती में सीता मय्या ने समाकर इस धरती की पवित्रता और मिटटी में मिलजाने का संदेश दिया था वही लोग राख बनकर नदी में भाये जाते है और नदी इनको बहा कर दूर विदेशी समुन्द्रों में लेजाती है ऐसा क्यूँ होता है मुसलमान तो इस मिटटी से अपना रिश्ता मरने के बाद भी रखता है लेकिन दुसरे लोग मरने के बाद इस मिटटी से अपना रिश्ता क्यूँ तोड़ कर दूर विदेशी समुन्द्रों में चले जाते है ........दूसरी तरफ दुसरे समाज का कहना है के मुसलमान वन्देमातरम का अपमान करते है धरती भारत की धरती पर अपना शीश नहीं झुकाते है ..उन्हें भारत से प्यार नहीं और वोह भारत को माँ नहीं मानते भारत माँ का सम्मान नहीं करते इसीलियें इस गीत का अपमान करते है अब वक्त आ गया है के गीतों के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों को पकड़ा जाए उनसे सवाल किये जाए उनकी राष्ट्रीयता को परखा जाए और कम से कम मुंह में राम बगल में छुरी रखें वाले चोर बेइमान नेताओं से तो इस गीत को गाने का हक छीन लिया जाए इस गीत को गाने ..इसके सम्मान ..इसके गाने के तरीके स्थान और गीत गाने के हकदारों और इसकी उपेक्षा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही को लेकर कोई आचार संहिता बनाने की जरूरत है इस गीत के नाम पर राजनीति करने वालों को रोकने की भी आचार संहिता बनाने की जरूरत है और जुबान से नहीं दिल से कर्म से मन से वचन से वन्देमातरम कहने वालों की जरूरत है इसलियें एक बार फिर दिल से कहो हम इस मिटटी से प्यार करते है इसी मिटटी में मिलकर फना हो जाना चाहते है और वन्देमातरम कहते ही नहीं वन्देमातरम करके भी दिखाते है वन्देमातरम वन्देमातरम ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Thursday, May 9, 2013

रोजाना 1000 miligram से भी ज्यादा calcium रोजाना लेते रहे हैं उनके लिए Heart की बीमारियों से मरने का ख़तरा 20 गुना बढ़ा हुआ रहता है


महत्वपूर्ण कायिक प्रकार्यों को सुचारू रूप चलाये रखने के लिए शरीर में मौजूद केल्शियम का 01% से भी कम अंश चाहिए. बकाया 99% हमारी अस्थियों और मुक्तावली में जमा रहता है. बालिगों के अलावा शेष भारतीयों को चिकित्सकों के अनुसार 1000 मिलीग्राम केल्शियम ज़रूर लेना चाहिए.फिलवक्त इसी पे विमर्श/विवाद ज़ारी  है.

अध्ययन के अनुसार जो महिलायें कुदरती तथा सम्पूर्ण रूप में कुल मिलाके 1400 मिलीग्राम केल्शियम से ज्यादा रोज हजम कर जाती हैं उनके लिए दिल की बीमारियों से मरने का ख़तरा दो गुना बढ़ जाता है. एक और अध्ययन के मुताबिक़ वह पुरुष जो रोज़ाना कम से कम 1000 मिलीग्राम केल्शियम रोज़ लेते रहते हैं उनके लिए दिल से सम्बन्धी बीमारियों से मर जाने का ख़तरा 20% बढ़ जाता है.
देखें पूरी पोस्ट लिंक पर जाकर :

दिल की बीमारी को दावत देती है कैल्शियम की गोली।

नास्तिक होने का अर्थ बुद्धिजीवी होना नहीं होता- Ek Paricharcha


एक नास्तिक ईश्वर और धर्म को नहीं समझ पाता। लिहाज़ा वह नैतिकता को भी कभी समझ नहीं पाता। एक नास्तिक ख़ुद भी हमेशा कन्फ़्यूज़ रहता है और पहले से कन्फ़्यूज़ लोगों को और ज़्यादा कन्फ़्यूज़ कर देता है। लोगों को कल्याण से निराश कर देना नास्तिक अपनी उपलब्धि मानते हैं।
इन बुराईयों के बावजूद वे देशभक्त हो सकते हैं। हर इंसान में अच्छाई का कोई न कोई अंश ज़रूर मौजूद होता है। ऐसे ही नास्तिक आये दिन हमसे बहस करते रहते हैं लेकिन जवाब कभी नहीं दे पाते।
देखिए एक ऐसी ही बहस-



नास्तिक होने का अर्थ बुद्धिजीवी होना नहीं होता


Wednesday, May 8, 2013

मैंने "आम आदमी पार्टी" से कहा कि-मुझे आपसे झूठ बोलकर "टिकट" नहीं लेना है

दोस्तों, मैंने "आम आदमी पार्टी" का उम्मीदवार चयन प्रक्रिया के तहत अपना फार्म भरकर भेजा है और उसके साथ अपना निम्नलिखित कवरिंग पत्र भेजा है. जिसमें मेरी संक्षिप्त विचारधारा के साथ थोडा सा जीवन परिचय देने का प्रयास किया है. आमने-सामने बैठने पर और उसकी विचारधारा से अवगत हुआ जा सकता है. लेकिन पत्र के माध्यम से अपनी विचारधारा से अवगत करवाने का प्रयास किया है. अब आप ही पढकर बताएँगे कि आम आदमी पार्टी के संयोजक श्री अरविन्द केजरीवाल तक अपनी विचारधारा कितने सही तरीके से पहुँचाने में कितना कामयाब हुआ हूँ या नहीं. अपनी विचारधारा के साथ अपने पत्र और आपके बीच में कोई बाधा न बनते हुए, फ़िलहाल अपनी लेखनी को यहीं पर विराम देता हूँ.
 
मिलें:-  श्री दिलीप पांडे (सचिव) चुनाव समिति
आम आदमी पार्टी
मुख्य कार्यालय:ए-119, ग्राऊंड फ्लोर, कौशाम्बी, गाजियाबाद-201010.
www. aamaadmiparty.org  Email id  :  info@aamaadmiparty.org
Helpline    :  9718500606 Facebook :  AamAadmiParty 
Twitter : @AamAadmiParty 


विषय:- उत्तम नगर विधानसभा उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव पत्र
स्क्रीनिंग कमेटी और श्री अरविन्द केजरीवाल जी,  

श्रीमान जी, मैं सबसे पहले आपको यहाँ एक बात साफ कर दूँ कि मुझे आपसे उत्तमनगर विधानसभा के उम्मीदवार के लिए "टिकट" झूठ बोलकर नहीं लेनी है. इसलिए मैंने अपने फार्म में अधिक से अधिक सही जानकारी देने का प्रयास किया है. मेरी ईमानदारी और सच्चाई के कारण यदि आप टिकट नहीं देते हैं तब मुझे कोई अफ़सोस नहीं होगा,  मगर आपसे झूठ बोलकर या गलत तथ्य देकर टिकट लेना मेरे "जीवन का लक्ष्य" नहीं है. झूठ बोलकर वो व्यक्ति टिकट लेगा, जिसको अपनी ईमानदारी और सच्चाई पर पूरा विश्वास नहीं होगा. माना कि सच्चाई की डगर पर चलना कठिन होता है. कहा जाता है कि-आसान कार्य तो सभी करते हैं, मगर मुश्किल कार्य कोई-कोई करता है. इसी सन्दर्भ में एक कहावत भी है कि-गिरते हैं मैदान-ए-जंग में शेर-ए-सवार, वो क्या खाक गिरेंगे, जो घुटनों के बल चलते हैं. आप की पार्टी (आम आदमी पार्टी) द्वारा विधानसभा उम्मीदवारों का विवरण प्राप्त करने के लिए प्रारूप (फार्म-ए) में यदि राज्य चुनाव आयोग के चुनाव उम्मीदवार के फार्म में शामिल कुछ प्रश्नों (कोलम) एवं प्रक्रिया को और जोड़ दिया जाता तो आपको हर विधानसभा क्षेत्र से आने वाले उम्मीदवारों के बारे में काफी अधिक जानकारी मिल सकती थी. चलिए अब जो हो गया है. उसको पीछे छोड़ते हुए अब आप पूरी दिल्ली के विधानसभा क्षेत्रों के लिए "अच्छे उम्मीदवारों" का चयन कर पाएँ. यहीं मेरी दिली तमन्ना है. आज अच्छे पदों हेतु केवल डिग्री या व्यक्ति के सामान्य ज्ञान की ही परीक्षा ली जाती है. आदमी में "इंसानियत"  है या नहीं. इस बात की परख नहीं की जाती है और इसका नतीजा अच्छा नहीं होता है. 
श्रीमान जी, जिस प्रकार लेखक मुंशी प्रेमचन्द की कहानी "परीक्षा" के पात्र बूढ़े जौहरी (पारखी) सरदार सुजान सिंह ने अपनी जिस सूझ-बुझ से रियासत के दीवान पद के लिए बुगलों (उम्मीदवारों) की भीड़ में से हंस (जो अपने विशिष्ट गुणों और सौंदर्य के आधार पर अलग होता है) यानि पंडित जानकीनाथ जैसे न्याय करने वाले ईमानदार, कर्त्तव्यनिष्ट उम्मीदवार का चयन कर लिया था. जिसके ह्रदय में साहस, आत्मबल और उदारता का वास था. ऐसा आदमी गरीबों को कभी नहीं सताएगा. उसका संकल्प दृढ़ है तो उसके चित्त को स्थिर रखेगा. वह किसी अवसर पर चाहे किसी से धोखा खा जाये. परन्तु दया और अपने धर्म से कभी पीछे नहीं हटेगा. उसी प्रकार आप और आपकी स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य यदि पूरी दिल्ली की विधानसभाओं के लिए "हंस" जैसे उम्मीदवारों का चयन कर पाए तो पूरी दिल्ली में आपकी पार्टी का राज हो सकता है. इस समय आप दो धारी तलवार की धार पर खड़े है. यदि आप की पार्टी ने किसी चमचागिरी या दबाब या लालचवश,  भेदभाव की नीति में उलझकर या धर्म या जाति समीकरण के आंकड़ों में उलझकर गलत व्यक्ति (बुगले) का चयन कर लिया तो आपको राष्ट्रीय स्तर पर काफी नुकसान होगा और आपकी छवि खराब होगी.  आपका सर्वप्रथम लक्ष्य अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझने वाला, दूरदृष्टि के साथ ही देश/समाज सेवा की भावना रखने वाले ईमानदार व्यक्ति (उम्मीदवार) का चयन करना ही होना चाहिए. जैसे अर्जुन को केवल मछली की आँख दिखाई देती थी. चुनाव में "हार" और "जीत" को इतने मायने न दें. बल्कि अपने आदर्शों और सिध्दांतों के साथ चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवारों को उतारे. इससे आम आदमी प्रभावित होगा. बाकी जैसी आपकी मर्जी, क्योंकि आपकी पार्टी है. आप चाहे जैसे करें. यह आपके विवेक पर निर्भर है. 
श्रीमान जी, वर्तमान सरकार और विपक्ष के साथ ही सारे देश के आम आदमियों की निगाह आपकी तरफ है कि आप अपनी पार्टी के लिए कैसे-कैसे उम्मीदवारों का चयन करते हैं. यदि आप मात्र सत्ता पर कब्जा जमाने की अति महत्वकांक्षा चलते "हंस" (अच्छे उम्मीदवार) नहीं चुन पाएँ तो काफी लोगों की आपसे उम्मीदें टूट जायेंगी और यदि आप बिना सत्ता की भूख रखकर चुनाव मैदान में अच्छे उम्मीदवार(हंस) उतारने का उद्देश्य पूरा कर पाएँ तो आप एक अच्छे जौहरी बनकर अपना थाल मोतियों से भरा पायेंगे और आपके साथ जो आम आदमी सच में व्यवस्था बदलने के इच्छुक है, वो आपके साथ जुड जायेंगे. फ़िलहाल वो आपकी पार्टी की कार्यशैली पर अपनी गिध्द दृष्टि जमाए हुए है और देखना चाहते हैं कि आपकी कथनी और करनी में कहीं कोई अंतर तो नहीं आ रहा है. इसलिए आपको उम्मीदवार(हंस) चयन प्रक्रिया में अधिक से अधिक पारदर्शिता का उदाहरण पेश करते हुए एक-एक कदम फूंक-फूंककर रखना होगा. आपका उठाया एक गलत कदम देश के भविष्य को अंधकार में डूबा देगा.
श्री अरविन्द केजरीवाल जी, श्री अन्ना हजारे जी द्वारा किये प्रथम आंदोलन अप्रैल 2011 से आपको देश का बच्चा-बच्चा जानने लगा है. तब से काफी लोग मुझे उत्तम नगर का अरविन्द केजरीवाल कहते हैं और कहने को तो कुछ लोग "गरीबों का मसीहा" भी कहते हैं, क्योंकि पिछले 18 साल से अपनी पत्रकारिता के माध्यम से "आम आदमी" की आवाज को एक बुलंद आवाज देने का प्रयास करता आ रहा हूँ और आज तक जो कोई मेरे दरवाजे पर किसी भी प्रकार की मदद के लिए आया है. वो खाली हाथ या निराश नहीं लौटा है. यहाँ एक बात यह भी है कि मैंने कभी किसी की धन से मदद नहीं की है, बस अपनी कलम से और सही जानकारी देकर उसको जागरूक करके उसे उसकी समस्या का समाधान पाने की प्रक्रिया समझाई है और हाँ,  इसके अलावा ना मैं गरीबों का मसीहा हूँ और ना उत्तम नगर का अरविन्द केजरीवाल हूँ, क्योंकि हर व्यक्ति को अपने-अपने कर्मों द्वारा उसके शरीर को एक पहचान मिलती है.  मैं अपनी पूर्व की "सिरफिरा" और वर्तमान की "निर्भीक"  पहचान से ही संतुष्ट हूँ. आपको सनद होगा कि जो आप कर सकते हैं, वो मैं नहीं कर सकता हूँ और जो मैं कर सकता हूँ, वो आप नहीं कर सकते हैं. इसी प्रकार हर व्यक्ति को भगवान ने अपने-अपने कर्म करने के लिए हमारी- आपकी  "आत्मा" को मिटटी शरीर में समावेश करके भेजा है.  इसलिए कहाँ आप और कहाँ मैं यानि कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली.  मैं अपने आपको एक तुच्छ-सा जीव मानता हूँ. जिसे उस परम पिता परमेश्वर ने धरती पर जन्म लेकर नेक कार्य करने का आदेश दिया है. मैं उसी आदेश का पालन करता हूँ. मैंने कोई स्कूली/कालेज की ज्यादा किताबें नहीं पढ़ी है मगर "इंसानियत" (मानवता) नामक पाठ पढ़ा है और उसके अनुसार कार्य करने की कोशिश करता हूँ. 
यदि आप और आपकी पार्टी सचमुच में भारत देश को उन्नति व खुशहाली की ओर ले जाना चाहते हैं और आप अपनी पार्टी के संविधान के लिए बहुत अधिक कठोर और ठोस निर्णय ले सकते हैं.  तब मैं आपकी दिल्ली विधानसभा 2013 और लोकसभा 2014 के लिए ऐसा घोषणा पत्र तैयार करवा सकता हूँ.  जो पूरे भारत वर्ष की सभी राजनीतिक पार्टियों से अलग और निराला होगा. लेकिन इसके लिए बहुत ही त्यागी, तपस्वी और योगी उम्मीदवारों की जरूरत होगी और उनको तलाशने के लिए काफी प्रयास करने होंगे. हमारे भारत वर्ष में ऐसे व्यक्तियों को खोजना असंभव नहीं है. हमारे भारत देश में एक से एक बढकर त्यागी, बलिदानी और तपस्वी पैदा हुए है और आज भी है. ऐसा भारत देश का इतिहास गवाही दे रहा है.  बस इसके लिए आपके पास दृढ़ निश्चय होने के साथ वो जोश, वो जुनून होना चाहिए. मेरी इस बात को "सच" में बदलने के लिए आपको अपना कुछ कीमती समय मुझे देना होगा. उपरोक्त पत्र के माध्यम से अपने विचारों की अभिव्यक्ति करते हुए अपनी विचारधारा आप तक पहुँचाना ही मेरा "जीवन का लक्ष्य" है. अपने क्रांतिकारी विचारों और अपनी ईमानदारी से चलाई लेखनी से आपको या आपकी पार्टी को नीचा दिखाना या अपमान करना मेरा उद्देश्य नहीं है.  मेरे विचारों के भावों को अपने विवेकानुसार अच्छी तरह से समझने का प्रयास करें.  

पूरी पोस्ट नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके पढ़ें. मेरा विचार है कि आपको मेरे विचारों को जानने का अवसर मिलेगा, कुछ हिंदी के मुहावरे और कहावतें आदि के बारे में मालूम होने के साथ ही देश की राजनीति में क्यों "अच्छे व्यक्तियों" की आवश्यकता है. इसका भी पता चलेगा. 

Monday, May 6, 2013

शराबी कैसे हो गया Shaheed ?


HBFI पर शराबी कैसे हो गया शहीद ? Shaheed

  • Monday, May 6, 2013
  •  by 
  • DR. ANWER JAMAL
  • विदेश में जनहित में काम करते हुए मारे जाने वाले को जाने क्या कहते होंगे लेकिन अपने देश में शहीद कहते हैं। शहीद अरबी भाषा का शब्द है और इसका अर्थ है गवाह। क़ुरआन में यह शब्द परमेश्वर अल्लाह के लिए आया है। यह उसका एक गुणवाचक नाम है। हरेक आदमी को ध्यान रखना चाहिए कि परमेश्वर मेरे हरेक कर्म का साक्षी है। इसलिए मुझे सदा अच्छे कर्म करने चाहिएं।...
    Read More...

    Saturday, May 4, 2013

    Beauty Tips - Face Pack for Instant Glowing Skin

    देखिये इस लिंक पर एक वीडियो -

    Beauty Tips - Face Pack for Instant Glowing Skin

    मसूर की दाल का पावडर + दूध (३ चम्मच) + नींबू का रस (२-३ चम्मच)
    मसूर चेहरे से धुल की परत हटती है.
    दूध खाल को पोषण देता है .
    नींबू ब्लीचिंग एजेंट का काम करता है. 

    असरकारी दर्दनाशक तेल का नुस्ख़ा

    असरकारी दर्दनाशक तेल का नुस्ख़ा देखिये इस लिंक पर-
    http://www.shnkhnaad.com/2013/05/blog-post_3.html
    इसमें लहसुन मुख्य घटक है . इसे सरसों के तेल में पकाया जाता है और फिर तारपीन का तेल भी मिलाया जाता है. रतन जोत इसे प्यारा सा लाल रंग देता है और अमृतधारा  इसके असर को बढ़ा रही है .

    Live in relationship पर वीभत्स सी बहस

    राजीव चतुर्वेदी के विचार 


    Live in Relationship की परिणिति पुरुषों के लिए छिनरफंद की आज़ादी और महिलाओं का Sexual Apparatus में बदल जाना ही है और जब महिला मनुष्य नहीं महज Sexual Apparatus हो जायेगी तो उसका यानी मशीन का Depreciation यानी अवमूल्यन तो होगा ही . यही नहीं हम कालान्तर में बेटी /बहन /माँ /भाभी जैसे एक महिला के बहुरंगी रिश्ते भी खो देंगे ...एक दिन वह भी आयेगा जब Charted Plane /Charted Taxi की ही तरह Charted Sexual Apparatus होंगे . Animal Sex का दौर शुरू होगा ...महिला और पुरुष जब तक Sexual Apparatus की कार्यकुशल मशीन होंगे तभी तक अर्थ रखेंगे वरना व्यर्थ हो जायेंगे ...चूंकि धन पर अभी पुरुष आधिपत्य है अतः प्रौढ़ /बूढ़ी महिलायें वक्त के कूड़ेदान में डाल दी जायेंगी।

    Friday, May 3, 2013

    तलाक.....तलाक....तलाक....

    जिन देशों में ऐसे क़ानून बने हुए हैं वहां मर्द बिना शादी किये ही औरतों की गोद भर रहे हैं. भारत में अब नाजायज़ बच्चों की बाढ़ आ जायेगी. मर्द अपनी संपत्ती ऐसे ही नहीं देने वाला.
    कैसे कानून ?
    यह जानने के लिए पढ़ें-


    तलाक.....तलाक....तलाक....

    -राजेन्द्र सिंह गुर्जर 

    नए कानून की जिसके अंतर्गत अगर कोई महिला तलाक लेती है तों उक्त महिला को पति की सम्पति में से आधा हिस्सा मिलेगा चाहे वो उसकी पुस्तैनी हो या शादी के बाद में खरीदी गयी हो हिस्सा ५०-५०। और अगर बच्चे हों और वो माँ के साथ रहना चाहे तों उनके लिए अलग से देना होगा।

    सरबजीत की बहन एक रात में ही कैसे बदल गई?-Tejvani Girdhar


    पाकिस्तान से लौटने पर वाघा बॉर्डर पर शेरनी की तरह दहाड़ते हुए दलबीर कौर ने कहा था कि भारत सरकार के लिए शर्म की बात है कि वह अपने एक नागरिक को नहीं बचा सकी। भारत ने पाकिस्तान के कई कैदी छोड़े लेकिन अपने सरबजीत को नहीं बचा सके। उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत सरकार ने उनके परिवार को धोखा दिया है। उन्होंने यह धमकी भी दी थी कि अगर सरबजीत को कुछ हुआ तो वह देश में ऐसे हालात पैदा कर देंगी कि मनमोहन सिंह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। एक ओर जहां उनके इस बयान को उनके अपने भाई के प्रति अगाघ प्रेम की वजह से भावावेश में आ जाना माना जा रहा था, वहीं कुछ को लग रहा था कि वे किसी के इशारे पर मनमोहन सिंह को सीधी चुनौती दे रही थीं। कुछ ऐसे भी हो सकते हैं, जिनको उम्मीद रही हो कि दलबीर कौर को सरकार के खिलाफ काम में लिया जाएगा। जो कुछ भी हो, लेकिन उनका गुस्सा जायज था। मगर जैसे ही सरबजीत की मौत की खबर आई, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सरबजीत के परिवार से मुलाकात की और दलजीत कौर का सुर बदल गया है। जिस प्रकार वह उनसे गले मिल कर भावुक हुईं, उससे भी यह आभास हो गया कि एक ही रात में उसका हृदय परिवर्तन हो गया है।
    दलबीर कौन ने कहा कि उनका भाई देश के लिए शहीद हुआ है। देश के सभी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और सभी राजनीतिक दलों को एक हो जाना चाहिए। उन्होंने सब से मिलकर पाकिस्तान पर हमला करने की जरूरत बताई। दलबीर ने कहा कि पहले मुशर्रफ ने वाजपेयी की पीठ पर छुरा मारा, अब जरदारी ने मनमोहन की पीठ पर छुरा मारा है। यह मौका है जब देशवासियों को सब कुछ भूल कर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हाथ मजबूत करने चाहिए और गृह मंत्री शिंदे का साथ देना चाहिए।
    स्वाभाविक सी बात है कि उनके इस बदले हुए रवैये पर आश्चर्य होना ही है। आखिर ऐसी क्या वजह रही कि एक दिन पहले सरकार से सीधी टक्कर लेने की चेतावनी देने वाली सरबजीत की बहन पलट गई। संदेह होता है कि वे अब किसी दबाव में बोल रही हैं। जाहिर तौर पर यह सरकार का ही दबाव होगा, जिसके तहत सरबजीत की दोनों बेटियों को सरकारी नौकरी और पर्याप्त आर्थिक मदद करने की पेशकश की गई होगी। दलबीर कौर के इस रवैये की सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है।
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    Wednesday, May 1, 2013

    सरबजीत बेचारा, शराब का मारा Sharab


    शराब ने हमारे राष्ट्र को आज शर्मिंदा कर दिया
    टी. वी. चैनल पर आज सरबजीत के ब्रेन डैड होने की न्यूज़ फ़्लैश हुई। उसके थोड़ी देर बाद ही इस न्यूज़ का खंडन आ गया। सरबजीत का ब्रेन डैड नहीं है। वह वेंटिलेटर पर है।
    पाकिस्तान की गंदी राजनीति पर लिखा जा रहा है और बहुत लिखा जा रहा है। राजनीति तो आजकल गंदी ही है। बस हमारे भारत में अच्छी राजनीति होती है। केवल हमारे देश के राजनेता ही ऐसे हैं जो विदेशी आतंकवादियों को प्लेन में बिरयानी खिलाते हुए ले जाते हैं और उनके ठिकाने पर सुरक्षित पहुंचाते हैं।
    दुनिया में कोई दूसरा देश इतना दयालु कहां ?
    हमारे दुश्मन अपनी दुष्टता नहीं छोड़ सकते तो न छोडें लेकिन हमें अपनी बुराईयों को ज़रूर छोड़ देना चाहिए। दिल्ली में हुए रेप कांड में भी शराब की भूमिका सामने आ चुकी है। सरबजीत कांड से शराब की विभीषिका एक बार फिर सबके सामने आ गई है। इसे पीने के बाद आदमी अपने भले-बुरे की तमीज़ खो बैठता है। शराब सौ बुराईयों को जन्म देती है। इसे पीकर आदमी को यही मालूम नहीं होता कि मैं अपने घर की तरफ़ जा रहा हूं या अपने घर से दूर जा रहा हूं ?
    पियक्कड़ नशेड़ियों को यह भी सोचना चाहिए कि उनकी शराब का असर केवल उन्हीं पर नहीं पड़ता बल्कि उनका उनके परिवार और उनके राष्ट्र का सिर भी नीचा करता है। सरबजीत पर लिखने वालों को उसकी बर्बादी में शराब की भूमिका को भी पहचानना चाहिए। केवल पाकिस्तान को भला बुरा कहने से लाभ न होगा। अब हमें यह सोचना होगा कि भविष्य कोई और सरबजीत की सी ज़िंदगी न जिए ताकि वह सरबजीत की मौत न मर सके।
    ...लेकिन यहां हम किसे समझा रहे हैं ?
    यहां तो लोग ऐसे मुनाफ़ाख़ोर सौदागर बन चुके हैं जो हर घटना को मसाला लगाकर बेच लेते हैं।
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    सरबजीत बेचारा, शराब का मारा



    ‘ब्लॉग की ख़बरें‘

    1- क्या है ब्लॉगर्स मीट वीकली ?
    http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_3391.html

    2- किसने की हैं कौन करेगा उनसे मोहब्बत हम से ज़्यादा ?
    http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

    3- क्या है प्यार का आवश्यक उपकरण ?
    http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

    4- एक दूसरे के अपराध क्षमा करो
    http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

    5- इंसान का परिचय Introduction
    http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/introduction.html

    6- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
    http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

    7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
    http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

    8- बेवफा छोड़ के जाता है चला जा
    http://kunwarkusumesh.blogspot.com/2011/07/blog-post_11.html#comments

    9- इस्लाम और पर्यावरण: एक झलक
    http://www.hamarianjuman.com/2011/07/blog-post.html

    10- दुआ की ताक़त The spiritual power
    http://ruhani-amaliyat.blogspot.com/2011/01/spiritual-power.html

    11- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
    http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

    12- शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड-4
    http://shakuntalapress.blogspot.com/

    13- वाह री, भारत सरकार, क्या खूब कहा
    http://bhadas.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

    14- वैश्विक हुआ फिरंगी संस्कृति का रोग ! (HIV Test ...)
    http://sb.samwaad.com/2011/07/blog-post_16.html

    15- अमीर मंदिर गरीब देश
    http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

    16- मोबाइल : प्यार का आवश्यक उपकरण Mobile
    http://hbfint.blogspot.com/2011/07/mobile.html

    17- आपकी तस्वीर कहीं पॉर्न वेबसाइट पे तो नहीं है?
    http://bezaban.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

    18- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम अब तक लागू नहीं
    http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

    19- दुनिया में सबसे ज्यादा शादियाँ करने वाला कौन है?
    इसका श्रेय भारत के ज़ियोना चाना को जाता है। मिजोरम के निवासी 64 वर्षीय जियोना चाना का परिवार 180 सदस्यों का है। उन्होंने 39 शादियाँ की हैं। इनके 94 बच्चे हैं, 14 पुत्रवधुएं और 33 नाती हैं। जियोना के पिता ने 50 शादियाँ की थीं। उसके घर में 100 से ज्यादा कमरे है और हर रोज भोजन में 30 मुर्गियाँ खर्च होती हैं।
    http://gyaankosh.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.html

    20 - ब्लॉगर्स मीट अब ब्लॉग पर आयोजित हुआ करेगी और वह भी वीकली Bloggers' Meet Weekly
    http://hbfint.blogspot.com/2011/07/bloggers-meet-weekly.html

    21- इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
    http://www.sahityapremisangh.com/2011/07/blog-post_3678.html

    22- इसलाम में आर्थिक व्यवस्था के मार्गदर्शक सिद्धांत
    http://islamdharma.blogspot.com/2012/07/islamic-economics.html

    23- मेरी बिटिया सदफ स्कूल क्लास प्रतिनिधि का चुनाव जीती
    http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_2208.html

    24- कुरआन का चमत्कार

    25- ब्रह्मा अब्राहम इब्राहीम एक हैं?

    26- कमबख़्तो ! सीता माता को इल्ज़ाम न दो Greatness of Sita Mata

    27- राम को इल्ज़ाम न दो Part 1

    28- लक्ष्मण को इल्ज़ाम न दो

    29- हरेक समस्या का अंत, तुरंत

    30-
    अपने पड़ोसी को तकलीफ़ न दो
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    साहित्य की ताज़ा जानकारी

    1- युद्ध -लुईगी पिरांदेलो (मां-बेटे और बाप के ज़बर्दस्त तूफ़ानी जज़्बात का अनोखा बयान)
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    2- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
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    3- आतंकवादी कौन और इल्ज़ाम किस पर ? Taliban
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    4- तनाव दूर करने की बजाय बढ़ाती है शराब
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    5- जानिए श्री कृष्ण जी के धर्म को अपने बुद्धि-विवेक से Krishna consciousness
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    8- ख़ून बहाना जायज़ ही नहीं है किसी मुसलमान के लिए No Voilence
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    10- बाइबिल के रहस्य- क्षमा कीजिए शांति पाइए
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    12- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
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    13- ‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है Terrorism or Peace, What is Islam
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    14- The real mission of Christ ईसा मसीह का मिशन क्या था ? और उसे किसने आकर पूरा किया ? - Anwer Jamal
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    15- अल्लाह के विशेष गुण जो किसी सृष्टि में नहीं है.
    http://quranse.blogspot.com/2011/06/blog-post_12.html

    16- लघु नज्में ... ड़ा श्याम गुप्त...
    http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

    17- आपको कौन लिंक कर रहा है ?, जानने के तरीके यह हैं
    http://techaggregator.blogspot.com/

    18- आदम-मनु हैं एक, बाप अपना भी कह ले -रविकर फैजाबादी

    19-मां बाप हैं अल्लाह की बख्शी हुई नेमत

    20- मौत कहते हैं जिसे वो ज़िन्दगी का होश है Death is life

    21- कल रात उसने सारे ख़तों को जला दिया -ग़ज़ल Gazal

    22- मोम का सा मिज़ाज है मेरा / मुझ पे इल्ज़ाम है कि पत्थर हूँ -'Anwer'

    23- दिल तो है लँगूर का

    24- लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी - Allama Iqbal

    25- विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story)

    26- शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया (ग़ज़ल)

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