शराब ने हमारे राष्ट्र को आज शर्मिंदा कर दिया
टी. वी. चैनल पर आज सरबजीत के ब्रेन डैड होने की न्यूज़ फ़्लैश हुई। उसके थोड़ी देर बाद ही इस न्यूज़ का खंडन आ गया। सरबजीत का ब्रेन डैड नहीं है। वह वेंटिलेटर पर है।
पाकिस्तान की गंदी राजनीति पर लिखा जा रहा है और बहुत लिखा जा रहा है। राजनीति तो आजकल गंदी ही है। बस हमारे भारत में अच्छी राजनीति होती है। केवल हमारे देश के राजनेता ही ऐसे हैं जो विदेशी आतंकवादियों को प्लेन में बिरयानी खिलाते हुए ले जाते हैं और उनके ठिकाने पर सुरक्षित पहुंचाते हैं।
दुनिया में कोई दूसरा देश इतना दयालु कहां ?
हमारे दुश्मन अपनी दुष्टता नहीं छोड़ सकते तो न छोडें लेकिन हमें अपनी बुराईयों को ज़रूर छोड़ देना चाहिए। दिल्ली में हुए रेप कांड में भी शराब की भूमिका सामने आ चुकी है। सरबजीत कांड से शराब की विभीषिका एक बार फिर सबके सामने आ गई है। इसे पीने के बाद आदमी अपने भले-बुरे की तमीज़ खो बैठता है। शराब सौ बुराईयों को जन्म देती है। इसे पीकर आदमी को यही मालूम नहीं होता कि मैं अपने घर की तरफ़ जा रहा हूं या अपने घर से दूर जा रहा हूं ?
पियक्कड़ नशेड़ियों को यह भी सोचना चाहिए कि उनकी शराब का असर केवल उन्हीं पर नहीं पड़ता बल्कि उनका उनके परिवार और उनके राष्ट्र का सिर भी नीचा करता है। सरबजीत पर लिखने वालों को उसकी बर्बादी में शराब की भूमिका को भी पहचानना चाहिए। केवल पाकिस्तान को भला बुरा कहने से लाभ न होगा। अब हमें यह सोचना होगा कि भविष्य कोई और सरबजीत की सी ज़िंदगी न जिए ताकि वह सरबजीत की मौत न मर सके।
...लेकिन यहां हम किसे समझा रहे हैं ?
यहां तो लोग ऐसे मुनाफ़ाख़ोर सौदागर बन चुके हैं जो हर घटना को मसाला लगाकर बेच लेते हैं।
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