Sunday, April 29, 2012

ग़ज़लगंगा.dg: मेरी बर्बादियों का गम न करना

मेरी बर्बादियों का गम न करना.
तुम अपनी आंख हरगिज़ नम न करना.

हमेशा एक हो फितरत तुम्हारी
कभी शोला कभी शबनम न करना.

कई तूफ़ान रस्ते में मिलेंगे
तुम अपने हौसले मद्धम न करना.

जो आया है उसे जाना ही होगा
किसी की मौत का मातम न करना.

ये मेला है फकत दो चार दिन का
यहां रिश्ता कोई कायम न करना.

हरेक जर्रे में एक सूरज है गौतम
किसी का कद कभी भी कम न करना.

----देवेंद्र गौतम

ग़ज़लगंगा.dg: मेरी बर्बादियों का गम न करना:

'via Blog this'

Saturday, April 28, 2012

रहस्य-रोमांच: जिन्नात की शादी

आरा शहर की घटना है. लगभग 70  वर्ष पुरानी. लेकिन लोगों के बीच अभी भी कही-सुनी जानेवाली. 
आरा शहर का एक मोहल्ला है शिवगंज. वहां हाल के वर्षों तक रूपम सिनेमा हॉल हुआ करता था. उसके बगल की गली में एक बड़े ही विद्वान पुरोहित रहा करते थे जो अपनी ज्योतिष विद्या की जानकारी के लिए दूर-दूर तक जाने जाते थे. 
एक बार की बात है. रात के करीब 2 बजे वे दूसरे शहर के किसी जजमान के यहां से पूजा संपन्न कराकर लौट रहे थे. अपनी गली के मोड़ पर रिक्शा से उतर कर वे घर की और बढे ही थे कि अचानक एक गोरा चिटठा, लम्बा-चौड़ा आदमी उनके सामने आकर खड़ा हो गया. पंडित जी डर  गए. उन्होंने पूछा-'कौन हो भाई! क्या बात है?'
'आप डरें नहीं. मैं एक जिन्न हूं. आपसे बहुत ज़रूरी काम है.' उसने जवाब दिया.
'अरे भाई! एक जिन्नात को मुझसे क्या काम....'
'आपको एक सप्ताह बाद मेरी शादी करनी है. कर्मन टोला की एक युवती का देहांत उसी दिन होना है. उसी के साथ मेरी शादी आपको करनी है. मुहमांगी दक्षिणा दूंगा.'
'जिन्नात की शादी..? मैंने ऐसी शादी कभी कराई नहीं. इसका विधान भी मुझे नहीं मालूम.'
'पंडित जी! शादी तो आप ही को करनी है. कैसे आप जानें. आज से ठीक आठवें दिन आप रात के एक बजे अबर पुल पर आपका इंतज़ार करूँगा. आपको वहां समय पर पहुँच जाना होगा. यह बात किसी को बताना नहीं है.' इतना कहकर जिन्नात गायब हो गया.
पंडित जी घर पहुंचे. रात भर सो नहीं सके. दूसरे दिन तमाम शास्त्रों को पलट डाला लेकिन जिन्नात की शादी की विधि नहीं मिली. अंततः उन्होंने कई किताबों का अध्ययन कर एक अपना तरीका निकाला.
आठवें दिन पंडित जी! डरते-सहमते रात के एक बजे से पहले ही अबर पुल पर पहुँच गए. एक बजे...डेढ़ बजे..दो बज गए लेकिन जिन्न नहीं पहुंचा. वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें. तभी अचानक झन्न की आवाज़ के साथ जिन्नात प्रकट हुआ. उसके चेहरे पर परेशानी झलक रही थी.
' माफ़ कीजिये पंडित जी! यह शादी नहीं हो सकेगी.'
'क्यों क्या हो गया.'
'वह लडकी मरी तो ज़रूर लेकिन मरने के वक़्त जब उसे ज़मीन पर लिटाया गया तो रुद्राक्ष का एक दाना उसके शरीर को छू रहा था. इसके कारण मरने के बाद वह सीधे शिवलोक चली गयी. अब वह वहां से वापस नहीं लौटेगी. इसलिए अब उसके साथ मेरी शादी नहीं हो पायेगी.'
उसने पंडित जी की ओर चांदी के  सिक्कों  की एक थैली बढ़ाते हुए कहा-'आप मेरे आग्रह पर यहां तक आये. इसे दक्षिणा समझ कर रख लीजिये. आपकी बड़ी मेहरबानी होगी.'
पंडित जी ने कहा कि जब शादी करवाई नहीं तो दक्षिणा कैसा. लेकिन जिन्नात उनके हाथ में थैली थमाकर  गायब हो गया.
पंडित जी घर वापस लौट आये. कई वर्षों तक उन्होंने इस घटना का किसी से जिक्र नहीं किया. बाद में अपने कुछ करीबी लोगों को यह घटना सुनाई. धीरे-धीरे लोगों तक यह किस्सा पहुंचा.

----छोटे 

रहस्य-रोमांच: जिन्नात की शादी:

'via Blog this'

Friday, April 27, 2012

संविधान का अपमान करने के पीछे क्या मंशा है ? Zealzen Blog

‘ब्लॉग की ख़बरें‘ हिंदी ब्लॉग जगत का सबसे पहला समाचार पत्र है जो ब्लॉग की ख़बरें देता है। निष्पक्षता इसकी ख़ासियत है। ब्लॉग जगत की ताज़ा घटनाओं सबसे मशहूर घटना यह है कि थाईलैंडवासी डा. दिव्या ने भारतीय संविधान को लेकर एक पोस्ट लिखी जिसका समर्थन दिवस गौड़ ने किया। शिल्पा मेहता जी ने इसका संज्ञान लिया और अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि ‘यह संविधान का अपमान है। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए।‘
शिल्पा जी ने केवल संविधान के अपमान के एक बिंदु पर बहस की है लेकिन इस बात को जानबूझ कर नज़रअंदाज़ कर दिया कि इस पोस्ट में ‘अब्राहमिक रिलीजन‘ को भी गाली दी गई है।
ज़ील ब्लॉग का मक़सद सिर्फ़ नफ़रत फैलाना है।
इस संबंध में तीन पोस्ट्स पर नज़र डालना ज़रूरी है।
1. भारत देश के गांधी कितने घातक ? - डा. दिव्या श्रीवास्तव, थाईलैंड से
2. I obhect. - शिल्पा मेहता, मुंबई , भारत से
3. क्या वाक़ई स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है ? - डा. दिव्या श्रीवास्तव, थाईलैंड से
ये पोस्ट्स बताती हैं कि देश के गौरव पर चोट करने वाले तत्व हिंदी ब्लॉगिंग में किस दर्जे पर सक्रिय हैं और देशप्रेमियों को उनसे किस प्रकार मुक़ाबला करना पड़ता है ?
क़ाबिले ऐतराज़ पोस्ट का फ़ोटो भी आइन्दा के लिए सुरक्षित कर लिया गया है।
जिस नियाज़ अहमद का फ़ेसबुक लिंक डा. दिव्या ने अपनी पोस्ट में दिया है, उसके अकाउंट में अब वह कटेंट नहीं है। लगता है कि उसने डर कर कटेंट मिटा दिया है। हो सकता है कि दिव्या जी भी मिटा दें। जिन पोस्ट्स पर दिव्या जी को फ़ज़ीहत झेलनी पड़ी, ऐसी कई पोस्ट्स वह डिलीट कर चुकी हैं। ऐसे दर्जनों कमेंट्स भी वह डिलीट कर चुकी हैं। शिल्पा जी ने उनकी पोस्ट का फ़ोटो न लिया होगा। सो यह काम हिंदी ब्लॉगर्स के हित में ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ ने अंजाम दिया है।
नियाज़ अहमद की भाषा शैली का अध्ययन किया गया तो वह पूरी तरह उन लोगों से मैच करती है जो कि कांग्रेस, नेहरू ख़ानदान और गांधी को कोसने का तथा अंग्रेज़ों से न लड़ने का इतिहास रखते हैं। बेशुमार लोग छद्म और फ़र्ज़ी आईडी बनाकर फ़ेसबुक पर और ब्लॉगिंग में नफ़रत का ज़हर फैला रहे हैं।
ब्लॉग जगत के विश्वसनीय सूत्रों ने संदेह जताया है कि दिवस गौड़ का प्रोफ़ाइल भी छद्म है।
इस रिपोर्ट को तैयार करने के दौरान एक दिग्गज ब्लॉगर ने हमें फ़ोन किया और यह संदेह जताया है कि ऐसा लगता है कि अब ज़ील ब्लॉग का संचालन डा. दिव्या के बजाय कोई पुरूष ही कर रहा है। इस संबंध में उन्होंने कुछ सुराग़ भी दिए हैं।
इस तरह का संदेह ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ की एक पोस्ट पर एक महिला ब्लॉगर भी जता चुकी हैं।
इन दो ब्लॉगर्स के नज़रिये को सामने रखते हुए अब हमें भी पुनर्विचार करना होगा।
बहरहाल हिंदी ब्लॉग जगत को ख़बरदार रहना होगा कि धर्म और संविधान की खिल्ली उड़ाकर आपस में नफ़रत की दीवारें खड़ी करने वाले तत्व भी ब्लॉगर्स के रूप में सक्रिय हैं।

Hindi News | Rajasthan News | Get all rajasthan News | Jaipur News | Jodhpur News | Udaipur News | Bikaner News | Rajasthan News in Hndi

चटपटे इलाज...अटपटे हैं लेकिन बड़े काम के हैं ये घरेलू फंडे

खबरगंगा: मैंने नेत्रदान किया है..और आपने ?


कई साल पहले की बात है ...शायद बी. एस सी. कर रही थी ..मेरी आँखों में कुछ परेशानी हुई तो डोक्टर के पास गयी..वहां नेत्रदान का पोस्टर लगा देखा... पहली बार इससे  परिचित हुई...उत्सुकता हुई तो पूछा, पर पूरी व सही जानकारी नहीं मिल पाई ....डॉक्टर ने बताया कि अभी हमारे शहर में ये सहूलियत उपलब्ध नहीं, पटना से संपर्क करना होगा ...फिर मै अपने कार्यों में व्यस्त होती गयी...सिविल सर्विसेस की तैयारी में लग गयी. हालाँकि इंटरव्यू  तक पहुँचने के बाद भी  अंतिम चयन नहीं हुआ ..पर इसमें कई साल निकल गए, कुछ सोचने की फुर्सत नहीं मिली...उसी दौरान एक बार टीवी पर ऐश्वर्या राय को नेत्रदान के विज्ञापन में देखा था....मुझे अजीब लगा कोई कैसे अपनी आंखे दे सकता है ?  आंखे न हो तो ये खूबसूरत दुनिया दिखेगी कैसे?  फिर सोचा जो नेत्रदान करते है वो निहायत ही भावुक किस्म के बेवकूफ होते होंगे.... कुछ साल इसी उधेड़-बुन में निकल गए...फिर एक आलेख पढ़ा और नेत्रदान का वास्तविक मतलब समझ में आया...' नेत्रदान' का मतलब ये है कि आप अपनी मृत्यु के पश्चात् 'नेत्रों ' के दान के लिए संकल्पित है...वैसे भी इस पूरे शरीर का मतलब जिन्दा रहने तक ही तो है....मृत्यु के बाद शरीर से कैसा प्रेम? मृत शरीर मानवता के काम आ जाये तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है, है न?. 


सोचिये, जिनके नेत्र नहीं, दैनिक जीवन  उनके लिए कितना दुष्कर है ... छोटे-छोटे कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भरता ..अपने स्नेहिल संबंधों को भी न देख पाने का दुःख ...कितनी  बड़ी त्रासदी है...यह कितना कचोटता होगा, है न! ....नेत्रहीन व्यक्ति के लिए ये खूबसूरत, प्रकाशमय दुनिया अँधेरी होती है (यहाँ बाते सिर्फ शारीरिक अपंगता की है,  कई ऐसे लोग है जो नेत्रों के नहीं होने पर भी  दुनिया को राह दिखने में सक्षम  हुए, जबकि कई नेत्रों के होते हुए भी अंधे है) .

बहरहाल, अभी कुछ महीने पहले फेसबुक पर ऐसे एक विज्ञापन को देखा.एक बार फिर 'नेत्रदान' की बाते जेहन में घूमने  लगी ..उस तस्वीर को मैंने अपने वाल पर भी लगाया...उसी एक क्षण में मैंने संकल्प लिया कि मुझे नेत्रदान करना है ..पता करने पर मालूम चला कि इसके लिए सरकारी अस्पताल में फॉर्म भरना होता है...हमारे छोटे से शहर में सदर अस्पताल है... वहां  जाकर फॉर्म माँगा तो कर्मचारी चौंक गया ..उसने ऊपर से नीचे तक घूरकर देखा, जैसे की  मै चिड़ियाघर से  भागा हुआ जानवर हूँ ..फिर शुरू हुई फॉर्म खोजने की कवायद ...कोना-कोना छान मारा गया पर फॉर्म नहीं मिला ( सोचिये, इतने हो-हल्ला  के बावजूद इस अभियान का क्या हाल है) ...कहा गया कि एक सप्ताह बाद आये ...गनीमत है एक सप्ताह बाद एक पुराना फॉर्म मिल गया ...हालाँकि उस फॉर्म की शक्ल ऐसी थी एक बार मोड़ दे तो फट जाये...
अब सुने आगे की दिलचस्प कहानी..मेरा भाई अनूप फॉर्म ले कर आया ..तब मै और मेरे अन्य भाई-बहन  मम्मी  के पास बैठे थे...हंसी-मजाक का दौर चल रहा था...अनूप आया उसने मुझे देने के बजाये मम्मी को फॉर्म दे दिया..मम्मी ने अभी पढना ही शुरू किया था कि मेरे शेष भाईयों ने भयानक अंदाज़ में (हालाँकि सब हंसने के मूड में ही थे ) मम्मी को बताना शुरू किया की वो किस चीज़ का फॉर्म है...मम्मी रोने लगी और फॉर्म के टुकड़े-टुकड़े कर दी ...बोलने लगी.. तुमको कौन सा दुःख है जो ऐसा चाह रही हो..लाख समझाने पर भी नहीं समझ पाई की नेत्रदान असल में क्या है ..उलटे मुझे खूब डांट पिलाईं कि ऐसा करना महापाप है...मतलब यह कि उन्हें भी वही गलतफहमियां है जो आमतौर पर लोगों को है...ये बात बताने का मकसद भी यही है  कि  नेत्रदान संबधित भ्रांतियों को समझा जाये...हालाँकि मैंने बाद में फिर फॉर्म लिया और उसे भर दिया....

अब थोड़ी जानकारी...आँखों का गोल काला हिस्सा 'कोर्निया' कहलाता है.. यह बाहरी वस्तुओं का बिम्ब  बनाकर हमें दिखाता  है.. कोर्निया पर चोट लग जाये, इस पर झिल्ली पड़ जाये या धब्बे हो जायें तो दिखाई देना बन्द हो जाता है..हमारे देश में करीब ढ़ाई लाख लोग कोर्निया  की समस्यायों से ग्रस्त  हैं..जबकि करीब 1करोड़ 25 लाख लोग दोनों आंखों से और करीब 80 लाख एक आंख से देखने में अक्षम हैं. यह संख्या पूरे विश्व के नेत्रहीनों की एक चौथाई है. किसी मृत व्यक्ति का कोर्निया मिल जाने से ये परेशानी दूर हो सकती है ...डाक्टर किसी मृत व्यक्ति का कोर्निया तब तक नहीं निकाल सकते जब तक कि उसने अपने जीवित होते हुए ही नेत्रदान की घोषणा लिखित रूप में ना की हो..ऐसा होने पर मरणोपरांत नेत्रबैंक लिखित सूचना देने पर मृत्यु के 6 घटे के अन्दर कोर्निया  निकाल ले जाते हैं..किंतु जागरूकता के अभाव में यहाँ  नेत्रदान करने वालों की संख्या बहुत कम है. औसतन 26 हजार ही दान में मिल  पाते हैं... दान में मिली तीस प्रतिशत आंखों का ही इस्तेमाल हो पाता है क्यूंकि ब्लड- कैंसर, एड्स जैसी गंभीर  बीमारियों वाले लोगों की आंखें नहीं लगाई जाती ...  धार्मिक अंधविश्वास के चलते भी ज्यादातर मामलों में लिखित स्वीकृति के बावजूद अंगदान नहीं हो पाता....दूसरी तरफ मृतक के परिजन शव विच्छेदन के लिए तैयार नहीं होते.... अंगदान-केंद्रों को जानकारी ही नहीं देते  ..हमारे देश के कानून में मृतक की आंखें दान करने के लिए पारिवारिक सहमति जरूरी है, यह एक बड़ी बाधा है...जबकि चोरी-छिपे, खरीद-फरोख्त कर अंग प्रत्यारोपण का व्यापार मजबूत होता जा रहा है...

----स्वयम्बरा  

खबरगंगा: मैंने नेत्रदान किया है..और आपने ?:

'via Blog this'

आप अपने ब्लॉग को फेसबुक से जोड़ सकते हो Facebook

अगर आप भी फेसबुक पर अपना पेज बनाना चाहते है तो सबसे पहले फेसबुक पर जाये  और वहा  सबसे निचे Create a Page पर क्लीक करे जेसा आप निचे चित्र में देख रहे है .
See:
http://techaggregator.blogspot.com/2012/04/create-page.html
इतना सब करने के बाद आपकी हर पोस्ट ऑटोमेटिक फेसबुक पर पहुच जाया करेगी और जो लोग आपकी फेसबुक आईडी से जुड़े है वो लोग फेसबुक आईडी पर आपकी पोस्ट पर क्लीक करके सीधे आपके ब्लॉग पर आकर आपकी पोस्ट पढ़ सकते है

आप चाहो तो मेरे ब्लॉग की फीड लेकर भी मेरी हर पोस्ट को अपनी फेसबुक आईडी पर दिखा सकते हो

Wednesday, April 25, 2012

भारत माता के टाइटिल को पाने की नायाब तरकीब Bharat Mata

बड़ा ब्लॉगर कैसे बनें ?
ब्लॉग पर नई पोस्ट भाई बहन के प्यार पर
त्रिया चरित्र से धोखा नहीं खाता बड़ा ब्लॉगर Best Hindi Blog
चुनाव नज़्दीक आए तो ब्लॉगर अपनी अपनी पसंद की पार्टी के लिए ज़मीन हमवार करने लगे। किसी ने यह काम इशारे में किया तो किसी ने खुले आम किया। कोई ब्लॉग पर इस विषय में चुप ही रहा। जो चुप रहा उसकी पार्टी उत्तर प्रदेश में जीत गई और जो खुल कर बोला और बोला ही नहीं बल्कि दहाड़ा भी, उसकी पार्टी हार गई।
हार से पार्टी भी बौखला गई और पार्टी के वर्कर ब्लॉगर भी।
बौखलाहट पागलपन में बदली तो उसने संविधान का अपमान कर दिया।
जिसे पार्टी से नहीं बल्कि देश से प्यार है, उसने कह दिया कि ‘मुझे आपत्ति है‘।
औरत को औरत ने पकड़ लिया और नर्म गुफ़्तगू के साथ ऐसा जकड़ लिया कि जान छुड़ानी भारी हो गई। उनकी हिमायत में एक भाई साहब आ गए।
बहन भी गालियां बकती है और भाई भी गालियां बकता है।
गालियां बकने से इन दोनों को वीरता का नक़ली अहसास होता है।
इनमें से एक भाग कर विदेश में बैठा है और दूसरा है ही नहीं।
भाई के नाम से भी फ़र्ज़ी प्रोफ़ाइल ख़ुद बहन जी ने ही बना रखा है और अपनी हिमायत में भाई बनकर ख़ुद ही बोलती रहती हैं।
बड़ा ब्लॉगर अपनी हिमायत का इंतेज़ाम ख़ुद ही लेकर चलता है।
अपने प्रोफ़ाइल से वह ख़ुद को ‘लौह कन्या‘ कहती है तो भाई के प्रोफ़ाइल से अपने दावे की तस्दीक़ कर देती है बल्कि इससे भी आगे बढ़कर ख़ुद को भारत माता का खि़ताब भी दे देती है।
यह वाक़ई अदभुत है।
भारत माता के टाइटिल को पाने की यह नायाब तरकीब पहली बार देखी गई है।
भाई का प्रोफ़ाइल फ़र्ज़ी है, सो वह संविधान का अपमान करता रहा और पीएम तक के अपमान को तत्पर सा होता रहा। उसे पता है कि प्रोफ़ाइल पूरी तरह फ़र्ज़ी है। मेरा कुछ होना नहीं है और जिसका असली है उसने देश को अपनी मर्ज़ी से छोड़ ही रखा है।
दोनों भाई बहन मुतमईन हैं, सो मज़े से संविधान के खि़लाफ़ बोलते रहे।
अपने सम्मान के प्रति संवेदनशील ब्लॉगर ज़्यादातर ऐसे केसेज़ को इग्नोर ही करते हैं।
कुछ मिलाकर भाई बहन के फ़िल्मी प्यार का मंज़र देखने वालों को बड़ा इमोशनल कर गया।
इतना प्यार आजकल कहां मिलता है ?
प्यार के नाम पर भी खिलवाड़ करने वाले ही आजकल ज़्यादा हैं और ऐसे भी हैं कि पहले तो इश्क़ लड़ाएं और जब काम निकल जाए तो आशिक़ से कह दें कि अब आप हमारे भाई बन जाओ।
...और कलाकार इतनी कि पति को पता ही न चलने दे कि उसकी पीठ पीछे ब्लॉग जगत में क्या गुल खिलाए जा रहे हैं ?
यह लक्षण तो त्रिया चरित्र से मेल खाते हैं।
भारत माता का टाइटिल ऐसी औरत के लिए तो नहीं है और न ही कोई देगा।
ख़ुद कोई हथियाने लगे तो ब्लॉग जगत को सच्चाई वह बता ही देगा जो कि वास्तव में ही बड़ा ब्लॉगर है।

Zealzen Blog एक सस्पेंस , एक पहेली

थाईलैंडवासी डा. दिव्या ने अपनी पसंद की पार्टी के हक़ में वोटर्स के ध्रुवीकरण के लिए आग उगली। नतीजा यह हुआ कि उनके ब्लॉग पर आग देखकर टिप्पणीकार भाग खड़े हुए।
उनकी ताज़ा पोस्ट पर एक और महिला ब्लॉगर ने उन्हें आड़े हाथों ले लिया और ब्लॉग जगत ने भी उनका समर्थन कर दिया। डा. दिव्या को दिन में तारे और रात में सूरज दोनों दिखाई देने लगे तो उन्होंने तुरंत अपनी नीति बदली।
ताज़ा नीति के अनुसार उन्होंने सामाजिक लेख लिखने शुरू कर दिए हैं। इससे टिप्प्पणीकार वापस जुटने में आसानी होगी और जब वे जुट जाएंगे तो मुसलमानों के त्यौहार और चुनाव के समय पर वह फिर से आग उगलने लगेंगी। टिप्पणीकार भाग जाएंगे तो उन्हें सामाजिक लेख लिखकर या कविता आदि समर्पित करके फिर से मना लिया जाएगा।
ब्लॉगर्स भी बदलते रंग और मिज़ाज से उनके मन में चल रही उथल पुथल को ताड़ रहे हैं।
3 टिप्पणीकार वापस आ भी चुके हैं।
देखते हैं फिर से 50 का आंकड़ा कितने दिन में वापस आता है ?
एक सस्पेंस , एक पहेली !

ग़ज़लगंगा.dg: ऐसी सूरत चांदनी की

ऐसी सूरत चांदनी की.
नींद उड़ जाये सभी की.

एक लम्हा जानते हैं
बात करते हैं सदी की.

हम किनारे जा लगेंगे
धार बदलेगी नदी की.

मंजिलों ने आंख फेरी
रास्तों ने बेरुखी की.

जंग जारी है मुसलसल
आजतक नेकी बदी की.

जाने ले जाये कहां तक 
अब ज़रुरत आदमी की.

अब ज़रूरत ही नहीं है 
आदमी को आदमी की.

एक जुगनू भी बहुत है
क्या ज़रूरत रौशनी की.

ग़ज़लगंगा.dg: ऐसी सूरत चांदनी की:

'via Blog this'

क़ुरआन के बारे में ग़लतफ़हमियों का निवारण (Swami Lakshmi Shankaracharya) & Archarya Sanjay Dwivedi

लोग बूढ़े हो जाएं तो यह नहीं होता कि उनके दिल का मैल भी दूर हो जाए। दिल साफ़ होता है तब जबकि उसकी सफ़ाई की जाए। बूढ़े होने का मतलब यह भी नहीं है कि उसे ज्ञान मिल गया। ज्ञान भी तब ही मिलता है जबकि उसे ज्ञानियों से प्राप्त किया जाए।
आईना टेढ़ा हो तस्वीर भी टेढ़ी ही दिखेगी। दिल भी एक आईना है। क़ुरआन पढ़ने से पहले इसे निर्मल कीजिए और निष्पक्ष हो कर क़ुरआन पढ़िये। तब पता चलेगा कि जो इल्ज़ाम क़ुरआन पर लगा रहे थे, वह बस इल्ज़ाम ही थे, जिनकी कोई सच्चाई कभी थी ही नहीं।
कुछ वजहों से आदमी क़ुरआन का नाम सुनता है लेकिन उसे पढ़ता कभी नहीं है। जब वह पढ़ता है तो उसे लगता है कि मुझसे बड़ी ग़लती हुई जो मैंने क़ुरआन के बारे में औल फ़ौल बका।
स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य ऐसे ही व्यक्ति हैं।
उनकी पोस्ट को यहां देखा जा सकता है-

इस्लाम आतंक ? या आदर्श


इसी के साथ देखिए यह वीडियो कि क़ुरआन क्या सिखाता है ?




और यह वीडियो

Ex-Shankarcharya Sanjay Dwivedi : How Vedas Guide me to Islam from Hinduism


http://youtu.be/KXyTvCnapbo

Tuesday, April 24, 2012

fact n figure: जन-आस्था के दोहन के समूल तंत्र पर हमला करे मीडिया

निर्मल बाबा प्रकरण में एक दिलचस्प मोड़ आया है. देश के 84  तीर्थस्थलों के पुरोहितों ने कुम्भ मेले में निर्मल बाबा के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग करने का निर्णय लिया है. पुरोहितों के तीर्थ महाधिवेशन में 84  तीर्थस्थलों के  350 प्रतिनिधियों ने यह निर्णय लिया है. उनको अंदेशा है कि कुम्भ के पवित्र आयोजन के दौरान पाखंडी धर्मगुरु धर्म और अध्यात्म के नाम पर पैसे की वसूली करते हैं. पुरोहित लोगों को अपने बारे में क्या खयाल है और अंधविश्वास तथा आस्था के व्यवसाय का विरोध करने वाले मीडिया का इन पुरोहितों के बारे में क्या ख़याल हैं. क्या वे लोग मेले में जन-आस्था के नाम पर वसूली का काम नहीं करते या अंधविश्वास  फ़ैलाने में इनकी कोई भूमिका नहीं होती. या उनको इसका पुश्तैनी अधिकार है जिससे मीडिया का कुछ लेने-देना नहीं है. निर्मल बाबा ने अभी तक कुम्भ मेले में जाने की कोई घोषणा नहीं की है. फिर पुरोहितों को यह भय क्यों सताने लगा कि निर्मल बाबा उनके व्यवसाय में हिस्सेदारी कर सकते हैं. महालक्ष्मी यंत्र और गंडे ताबीज से लेकर बहुमूल्य रत्नों का व्यवसाय करने वाले दूसरे बाबाओं के आगमन की आशंका ने उन्हें इस कदर भयभीत नहीं किया इसका क्या कारण है? जन-आस्था के दोहन का दायरा बहुत विशाल है. निर्मल बाबा उसके एक छोटे से हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनका भंडाफोड़ कर मीडिया ने अपनी पीठ थपथपा ली. टीआरपी और प्रसार संख्या में भी बढ़ोत्तरी कर ली. संभवतः उनका लक्ष्य भी यही था. यदि जन-आस्था के दोहन के समूल तंत्र पर हमला करेंगे तो उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. इसके लिए साहस भी चाहिए जो शायद ही किसी मीडिया घराने में मौजूद हो. वे खून लगाकर शहीदों की कतार में खड़े होनेवाले लोग हैं. उनका काम थोड़ी सनसनी पैदा करना भर था जो उन्होंने सफलता पूर्वक कर लिया. अब पूरे तंत्र की सफाई करने का उन्होंने ठेका थोड़े ही ले रखा है. अंधश्रद्धा का कारोबार चलता है तो चलता रहे उनका क्या. है न यही बात.

---देवेंद्र गौतम

fact n figure: जन-आस्था के दोहन के समूल तंत्र पर हमला करे मीडिया:

'via Blog this'

Monday, April 23, 2012

ब्लॉगर्स मीट वीकली (40) The Last Sermon

ब्लॉगर्स मीट वीकली (40) The Last Sermon

दोस्तो ! आप सभी के लिए मालिक से शांति की कामना है। आज हमारा जन्म दिन है। एक नई ड्रग कंपनी भी शुरू की है। उसकी मसरूफ़ियत भी बढ़ती जा रही है। इन्हीं सब मसरूफ़ियतों के बीच पेश है आज हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल की 40वीं पेशकश। मंच की सप्ताह भर की पोस्ट्स 1- Dr. Ayaz Ahmad अवैध संबंधों के शक में धड़ाधड़ हो रही हैं बेटियों-बीवियों की हत्याएं आनंद...
Read More...

हिंदी ब्लॉग जगत में बोझिलपन का अहसास

कोई कह रहा है कि इस समय हिंदी ब्लॉग जगत में एक तरह का बोझिलपन महसूस किया जा रहा है।
हमें भी यही लगता है।
...लेकिन यह बोझिलपन क्यों है ?

जो नहीं जानते उन्हें इसे जानकर कोई फ़ायदा नहीं है और जो जानते ही हैं, उन्हें बताना तो बेकार ही है।


Sunday, April 22, 2012

अंदाज ए मेरा: अगवा हुआ ‘सरकार का चेहरा’

अंदाज ए मेरा: अगवा हुआ ‘सरकार का चेहरा’: अपह़त कलेक्‍टर मेनन  छत्तीसगढ़ में अब यही देखना बाकी था। प्रदेश के मुखिया गांव-गांव घूमकर विकास का ढोल पीट रहे हैं। गांव,  गरीब, किसान की...

Saturday, April 21, 2012

अवैध संबंधों के शक में


‘सोने पे सुहागा‘ ब्लॉग पर डा. अयाज़ लिखते हैं-

 अवैध संबंधों के शक में धड़ाधड़ हो रही हैं बेटियों-बीवियों की हत्याएं

आनंद बाइक मैकेनिक था। उसने अपनी दो बेटियों और अपनी बीवी की हत्या की और फिर खुद भी फांसी पर लटक गया।
यह घटना कल गुड़गांव के सूरत नगर में हुई। इस घटना की जांच जो भी होगी, सामने आ जाएगी।
इस तरह की घटनाओं में ज़्यादातर शक ही सामने आया है। नए ज़माने में पढ़े लिखे लोगों का जीने का ढर्रा बदल चुका है। बेटियां और बीवियां बाहर जाएंगी तो वे कुछ भी कर सकती हैं, अच्छा भी और बुरा भी।
ज़माने का चलन बुरा है तो बुरा करने के इम्कान ज़्यादा हैं।
लोग पुराना ज़हन लेकर नए चलन के समाज में कैसे जी पाएंगे ?
चक्की के इन्हीं दो पाटों के बीच आज लोग पिस रहे हैं।
नई तहज़ीब की तरक्क़ी इंसान और इंसानियत के ख़ून से हो रही है।

Thursday, April 19, 2012

रविन्द्र जी के नए सामूहिक ब्लॉग की घोषणा पर kanishka kashyap की टिप्पणी

रविन्द्र जी ने एक नए सामूहिक ब्लॉग की घोषणा करते हुए ब्लॉगर्स से जुड़ने की अपील की है।
उनकी अपील के जवाब में कुछ ने अपने पते छोड़े तो कुछ ने मशविरे।
कनिष्क कश्यप जी ने दो टूक फ़रमाया-
kanishka kashyap ने कहा…
यह पहली बार नहीं है ..और यह पहले भी करने का प्रयास किया गया है. आप किसी अन्य के प्रयास में कितने सहभागी बने..? कृपया ब्लॉग का स्वरूप यथावत रहने दें. न तो ऐसी किसी पहल का अब समर्थन करता हूँ, और न ही ऐसे किसी प्रयास के सफलता की कामना करता हूँ . जो दूसरे के प्रयासों को अपनाना नहीं जानते .. उन्हें ऐसी अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए !

नारी जीवन पर एक यादगार कहानी

गुल्लक (कहानी) -विकेश निझावन


          -ममी! इस बार कितने दिन के लिये आई हो? शिप्रा ने आईने पर से नज़र हटाते हुए मेरी ओर देखते हुए पूछा तो मैं खिलखिला कर हँस दी।  शिप्रा को बाँहों में भरते हुए मैंने कहा- मेरी बेटी जब तक चाहेगी मैं उसके पास रह लूँगी।            -अगर मैं वापिस ही न जाने दूँ...?
           -तो हम नहीं जाएँगे।
           -सच कह रही हो ममी?
           -क्या हम अपनी बेटी से झूठ बोलेंगे?
           -आई लव यू ममी! आई रियली लव यू! शिप्रा ने मेरे दाएँ गाल पर किस किया और मेरी बाँहों का घेरा तोड़ते हुए बाहर को भाग गई।

            शिप्रा के इस निश्छल स्नेह को मैं समझ पा रही थी। यकीनन मेरे प्यार के लिए वह अतृप्त है। इस पूरे साल के बीच मैं बहुत ही कम आ पायी हूँ। सरकारी नौकरी में कितना काम है कितने बन्धन हैं -इन बातों को शिप्रा क्या समझे। उसकी यह उम्र भी तो नहीं है ये सब समझने की। लेकिन इस बार अपनी इस लम्बी छुट्टी के बीच मैं उसे पूरी तरह से अतृप्त कर ही दूँगी। अपना पिछला एकाकीपन भी भूल जाएगी वह।
             मैं तो अपनी छुट्टियों का भूली ही चली जा रही थी। वर्मा साहब ने रजिस्टर पर नज़र दौड़ाते हुए मुझे कनखियों से देखते हुए कहा था- मिसेज श्रीवास्तवा क्या इस बार श्रीवास्तव साहब से झगड़ा करके आयी हैं?
            -क्या मतलब? मैं चौंकी थी।
See :

गुल्लक (कहानी) -विकेश निझावन

Wednesday, April 18, 2012

Top 5 Blogs of Jagran Junction

अंदाज ए मेरा: ... तो न आना किसी गांव सीएम साहब!

अंदाज ए मेरा: ... तो न आना किसी गांव सीएम साहब!: नक्‍सल प्रभावित सीतागांव में ग्रामीणें के बीच 19 अप्रैल 2011 को  चौपाल लगाए बैठे मुख्‍यमंत्री डा रमन सिंह की फाईल तस्‍वीर। प्रति , ड...

fact n figure: निर्मल बाबा ही क्यों......!

यदि मैं निर्मल बाबा की जगह होता तो इस वक़्त सुल्तान अख्तर का यह शेर पढता-

'अपने दामन की स्याही तो मिटा लो पहले
मेरी पेशानी पे रुसवाइयां जड़ने वालो!'

स्टार न्यूज़ पर निर्मल बाबा की अग्नि-परीक्षा कार्यक्रम देख रहा था. उसमें निर्मल बाबा का विरोध करते हुए एक सज्जन ने कहा की गाय को रोटी खिलाना तो ठीक है लेकिन गधे को घास मत खिलाइए. सवाल उठता है कि क्या गधा जीव नहीं है. उसे आहार देना गलत है. कुत्ते की पूंछ पर भी उन्हें आपत्ति थी. जीव-जंतुओं के प्रति दो भाव रखने वाले लोग जब धर्म और अध्यात्म की बातें करें तो इसे क्या कहा जाये. एक बच्चा जब निर्मल बाबा के पक्ष में कुछ बोलना चाहता था तो उसे यह कहकर चुप करा दिया कि उन जैसे बुद्धिजीवियों के होते हुए बच्चे से क्या पूछते हैं. यानी वे स्वयं को आध्यामिक और बुद्धिजीवी दोनों मान रहे थे. दूसरे पक्ष को वे कुछ बोलने ही नहीं दे रहे थे. यह गैरलोकतांत्रिक आचरण था. मेरे ख्याल में तो वे न आध्यात्मिक हो सकते थे, न बुद्धिजीवी और न ही लोकतान्त्रिक. बुद्धिजीवी सभी पक्षों की बातें ध्यान से सुनते और अपने तर्कों के जरिये अपनी बात मनवाते हैं. वे तो पूरी तरह पूर्वाग्रह से ग्रसित और ईष्यालु किस्म के व्यक्ति लग रहे थे. एक और आपत्तिजनक बात यह कही गई कि समस्याओं से घिरे कमजोर बुद्धि के लोग ही निर्मल बाबा के पास जाते हैं. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि लाखों लोग निर्मल बाबा को मानते हैं और किसी न किसी रूप में उनसे जुड़े हुए हैं. तो क्या सभी कमजोर बुद्धि के लोग हैं. यदि यह विचार व्यक्त करने वाले कुशाग्र बुद्धि के हैं तो उनके पीछे कोई जमात क्यों नहीं है. कुल मिलाकर तीन घंटे के इस कार्यक्रम का कुछ फलाफल नहीं निकला. एक तरफ यह स्वीकार किया गया कि तीसरी आंख अथवा छठी इन्द्रिय का अस्तित्व होता है. महाभारत के ध्रितराष्ट और संजय का उदाहरण दिया गया. यह हर व्यक्ति के अन्दर किसी न किसी मात्रा में मौजूद रहता है. उसे कभी-कभी घटनाओं का पूर्वाभास होता है. पशु-पक्षियों में यह और अधिक विकसित होता है. तभी तो वे प्राकृतिक आपदाओं के समय विचित्र हरकतें करने लगते हैं. योग साधना के जरिये इसे और जागरूक किया जा सकता है. लेकिन निर्मल बाबा के पास इसके जागरूक होने पर सवाल उठाया गया. समस्याओं के निदान के उनके बताये गए उपायों की खिल्ली उड़ाई गई. सवाल उठता है कि क्या अन्धविश्वास की शुरूआत निर्मल बाबा से हुई और इसका अंत भी उन्हीं से होगा. यहां तो हर कदम पर अन्धविश्वास के प्रतिमान भरे हैं जनाब. और भक्तों से मिली रकम का किस बाबा ने निजी इस्तेमाल नहीं किया. बाबा रामदेव आज यदि 11  सौ करोड़ के मालिक हैं तो कोई खेत बेचकर संपत्ति नहीं बनाई है. आसाराम बापू या उन जैसे बाबाओं का पूरा कुनबा अपने भक्तों के सहयोग से ही करोडो-करोड़ में खेलते हैं. क्या ऐसा कोई बाबा अभी मौजूद है जिसे भारतीय अध्यात्म का आदर्श पुरुष कहा जा सके. अध्यात्म की गहराइयों में उतरे हुए महात्माओं का यहां क्या काम. वे अपने आप में मस्त किसी गुफा किसी कन्दरा में पड़े मिलेंगे. निर्मल बाबा सिर्फ समस्याओं से घिरे लोगों को उससे निजात पाने के उपाय बताते हैं. बहुत ही आसन उपाय. यहां तो ज्योतिषाचार्य लाखों के रत्न पहनने की सलाह दे डालते हैं. मान्त्रिक सवा लाख जाप करने के नाम पर हजारों रूपये ले लेते हैं. तांत्रिक भरी-भरकम रकम लेकर अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं. फिर निर्मल बाबा ही क्यों. और लोग क्यों नहीं.

----देवेंद्र गौतम

fact n figure: निर्मल बाबा ही क्यों......!:

'via Blog this'

Tuesday, April 17, 2012

यहूदियों की कुकी चिन मीजो जाति : 3000 साल बाद घर जाने की बेचैनी

गुम आदिवासियों की 3000 साल बाद घर जाने की बेचैनी
भारत में कुछ लोग प्रार्थना कर रहे हैं। उनकी तमन्ना है कि 3000 साल बाद वह किसी तरह अपने घर लौट जाएं। गुम आदिवासी कहे जाने वाले ये लोग मणिपुर पहुंच गए हैं, लेकिन वे हैं कहां के और हजारों साल अपने घर से दूर कैसे रहे। भारत हमारा देश नहीं है,' 72 साल के हानियल रुएबन जब यह कहते हैं तो उनकी आंखों से बेबसी और पराएपन का भाव छलक जाता है। वह छोटी सी कम्युनिटी के सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं, जो मणिपुर के एक सिनेगॉग (यहूदी मंदिर) में अपने लोगों के साथ प्रार्थना करने पहुंचे हैं। ये जाति है यहूदियों की कुकी चिन मीजो और समझा जाता है कि इन लोगों को 720 ईसा पूर्व में इसराइल से भागना पड़ा। उस वक्त इसराइल पर मेसोपोटामिया सभ्यता के असीरियाई लोगों ने कब्जा कर लिया था। बाइबिल में जिन कुछेक गुम जातियों का जिक्र है, उनमें ये लोग भी शामिल होने का दावा करते हैं। रुएबन का कहना है, 'हमारे पूर्वज यहां आकर बस गए। लेकिन हमारा असली घर इसराइल है। हम एक दिन जरूर अपने घर, अपने लोगों को साथ जाकर रहने में सफल होंगे।'

ब्लॉगर्स मीट वीकली (39) Nirmal Baba ki tisri aankh & Sex Life

मालिक हम सब को शांति दे !
आमीन .

शांति के साथ सबसे पहले हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल की ताज़ा पोस्ट्स का लुत्फ़ उठाइये

ब्लॉगर्स मीट वीकली (39) Nirmal Baba ki tisri aankh

http://hbfint.blogspot.in/2012/04/39-nirmal-baba-ki-tisri-aankh.html

सेक्स लाइफ़ को बेहतर बनाने वाली योग की एक्सरसाइज़ेज़

Monday, April 16, 2012

सेक्स रैकेट का पर्दाफाश Sex Racket

मां बाप को चाहिए कि वे यह ज़रूर देख लें कि उनकी लड़की जिन लड़कियों के साथ दोस्ती रखती है। उनका शौक़ क्या हैं ?
कहीं ऐसा न हो कि कोई ग़लत लड़की आपकी कम उम्र मासूम लड़की को सब्ज़बाग़ दिखा कर बर्बादी के रास्ते पर डाल दे।
पेश है एक रिपोर्ट, जो कि कम या ज़्यादा हरेक शहर की कहानी है और अब यह कहानी क़स्बों और गांवों तक आ चुकी है।

भुवनेश्वरः देह व्यापार में मिलने वाला अच्छा पैसा और पूरे होने वाले बड़े शौक में अब कॉलेज की लड़कियों की तादात बढ़ती ही जा रही है। उड़ीसा के भुवनेश्वर में बीती रात पुलिस ने एक होटल में छापा मारकर एक हाईफाई सेक्स रैकेट का भंड़ाफोड़ किया, यहां से 10 लड़कियों को गिरफ्तार किया गया जबकि सेक्स रैकेट चलाने वाला सरगना भी पुलिस के शिकंजे में फंस गया।

पुलिस ने बताया कि पकड़ी गई लड़कियां यहां के बड़े कॉलेजों की छात्राएं है जबकि कुछ लड़कियां इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हैं। पुलिस के अनुसार अपने शौक पूरा करने के लिए बड़े घराने की लड़कियां इस धंधे में सबसे ज्यादा आ रही हैं, खासकर पढ़ाई कर रही लड़कियां मां-बाप से दूर रहकर इस धंधे में जुड़ती हैं। पुलिस ने बताया कि पकड़ी गई लड़कियों में 7 लड़कियां कोलकता की हैं जबकि बाकी की भुवनेश्वर से हैं।

पुलिस के मुताबिक यहां पर सेक्स रैकेट का धंधा चलाने वाले सुनील मेहरा को गिरफ्तार कर लिया गया है साथ ही उसके पास से एक डायरी भी बरामद की गई है जिसमें यह खुलासा हुआ है कि यहां पर प्रतिदिन बड़ी तादात में लड़कियां लाई जाती हैं और हर दिन तकरीबन एक लाख से 80 हजार तक की कमाई की जाती है। डायरी में यह भी पाया गया कि लड़कियों की सप्लाई दूसरे राज्यों में किया जाता था।

सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि जहां पर सेक्स रैकेट का पर्दाफाश हुआ उसके नजदीक स्टेशन मौजूद है। अब सवाल यह उठता है कि इस धंधे को बढ़ावा देने के लिए क्या पुलिस ने आंखे बंद कर रखी थी, क्या कभी भी इन्हें आभास नहीं हुआ कि यहां पर इस तरह का गलत काम चल रहा है। इस पूरे प्रकरण से पुलिस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। 

Sunday, April 15, 2012

बलात्कार का पुरस्कार महिला सैनिक को ?

कहा जाता है कि अगर औरत अपने पैरों पर खड़ी हो जाए और मार्शल आर्ट सीख ले तो फिर उसका शोषण कोई न कर पाएगा। लेकिन इस धारणा को निर्मूल कर रही है अमेरिका की ताज़ा रिपोर्ट  कि अमेरिका में 56 मामलों में महिला सैनिकों के साथ बलात्कार करने वाले उनके अपने साथी ही होते हैं।
देखिए :

फ़ौज में आबरू रेज़ी के वाक़यात में इज़ाफा Fauji aur Faujan


डा. अयाज़ कहते हैं कि 

इस रिपोर्ट से इस्लामी शरियत और इस्लामी हिजाब की अहमियत का पता चलता है. औरत को पियक्कड़ शराबियों के दरम्यान छोड़ देने का मतलब है उसे बर्बाद होने के लिए छोड़ देना . फिर उसे दुनिया की सबसे ताक़तवर हुकूमत भी नहीं बचा सकती.

Saturday, April 14, 2012

अंदाज ए मेरा: जन सरोकारों की लडाई लडेंगे हम.....

अंदाज ए मेरा: जन सरोकारों की लडाई लडेंगे हम.....: भास्‍कर भूमि। मेरे नए अखबार का विमोचन शनिवार को हुआ। अखबार का विमोचन किया नक्‍सल घटनाओं में शहीद हुए जवानों के छोटे-छोटे बच्‍चों, बुजुर्ग...

ग़ज़लगंगा.dg: बंद दरवाज़े को दस्तक दे रहा था

जाने किस उम्मीद के दर पे खड़ा था.
बंद दरवाज़े को दस्तक दे रहा था.

कोई मंजिल थी, न कोई रास्ता था
उम्र भर  यूं ही   भटकता फिर रहा था.

वो सितारों का चलन बतला रहे थे
मैं हथेली की लकीरों से खफा था.



मेरे अंदर एक सुनामी उठ रही थी
फिर ज़मीं की तह में कोई ज़लज़ला था.

इसलिए मैं लौटकर वापस न आया
अब न आना इस तरफ, उसने कहा था.

और किसकी ओर मैं उंगली उठाता
मेरा साया ही मेरे पीछे पड़ा था.

हमने देखा था उसे सूली पे चढ़ते
झूठ की नगरी में जो सच बोलता था.

उम्रभर जिसके लिए तड़पा हूं गौतम
दो घडी पहलू में आ जाता तो क्या था.

----देवेंद्र गौतम

ग़ज़लगंगा.dg: बंद दरवाज़े को दस्तक दे रहा था:

'via Blog this'

Teen Online Dating Suggestions ~ GLAMOUR GLOBE

बड़ा ब्लॉगर कैसे बनें ? Best Hindi Blog

हमेशा उस विषय पर लिखिए जिसके प्रति पाठकों में उत्सुकता और आकर्षण पाया जाता हो और उसे नए और अनोखे अंदाज़ में बयान कीजिए। आप इसमें जितना ज़्यादा सफल होंगे, उतने ही बड़े ब्लॉगर बन जाएंगे।
यौन शिक्षा को ब्लॉगिंग का विषय बनाया जाए तो बड़ा ब्लॉगर बनना बिल्कुल आसान है। तब न कोई गद्य देखेगा और न पद्य। पाठक तो यह देखेंगे कि आखि़र लिखने वाले ने लिखा क्या है ?
पढ़कर मज़ा आ जाए तो बस आप बन गए बड़ा ब्लॉगर।
इस समय हिंदी ब्लॉग जगत का ढर्रा यही है।

यौन शिक्षा देता है बड़ा ब्लॉगर


fact n figure: अपना ही गिरेबां भूल गए निर्मल बाबा

आज तक चैनल पर निर्मल बाबा का इंटरभ्यू उनपर लगे आरोपों का खंडन नहीं बन पाया. किसी सवाल का वे स्पष्ट जवाब नहीं दे सके. इस दौरान उनके चेहरे पर नज़र आती बौखलाहट इस बात की चुगली खा रही थी कि वे कोई पहुंचे हुए महात्मा नहीं बल्कि एक साधारण व्यापारी हैं. एक साधारण मनुष्य जो प्रशंसा से खुश और निंदा से दुखी होता है. जिसे राग, द्वेष जैसी वृतियां प्रभावित करती हैं. वे आरोपों का शांति से जवाब नहीं दे सके. यदि उनकी छठी इन्द्रिय सक्रिय है तो क्या उन्हें इस बात का पहले से इल्हाम नहीं हो जाना चाहिए था कि वे विवादों से घिरने जा रहे हैं. इल्हाम होता तो वे इसका सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार होते और चेहरे पर कोई भाव आये बिना इसके निराकरण का मार्ग तलाश लेते. विवाद उठने के बाद दो दिनों तक उनका चुप्पी साध लेना इस बात को इंगित करता हुआ कि जो कुछ हुआ वह उनके लिए अप्रत्याशित था. उनका इंटरभ्यू देखने के बाद मुझे मजाज़ का एक शेर याद आ गया-
'सबका तो मुदावा कर डाला अपना ही मुदावा कर न सके 
सबके तो गिरेबां सी डाले अपना ही गिरेबां भूल गए.'
जनाब! टीवी चैनलों पर प्रसारित होनेवाले अपने समागम के दौरान वे भक्तों की समस्याओं को सुनते और उनका हल बताते देखे जाते हैं. उनकी तीसरी आंख भक्त तक आती ईश्वरीय कृपा के मार्ग में आने वाली बाधाओं को देख लेती है.उसकी गति को माप लेती है और बाधा हटाने तथा गति बढ़ने के उपाय भी बता देती है लेकिन ईश्वर और स्वयं उनके बीच आनेवाले प्रश्नों का जरा भी आभास नहीं करा पायीं.उनका आधा-अधूरा जवाब तलाशने में भी उन्हें 48 घंटे से ज्यादा वक़्त लग गया. उनके प्रारंभिक जीवन की जो जानकारियां पिछले कई दिनों से विभिन्न माध्यमों से आ रही थीं उन्हें स्वयं अपने भक्तों के बीच रखने में उन्हें क्या परेशानी थी. अपने वेबसाईट पर इन बातों को रखने में हर्ज़ क्या था. यदि वे इंदर सिंह नामधारी के साले हैं और एक ज़माने में कई व्यवसाय कर विफल हो चुके हैं तो इसमें छुपाने जैसी क्या बात थी? उनहोंने स्वयं स्वीकार किया कि उनका टर्नओवर 248 करोड़ का है जिसका वे बाकायदा आयकर चुकाते हैं. भक्तों की दी हुई इस रकम पर सिर्फ उनका अधिकार है. टर्नओवर शब्द व्यवसाय जगत का है. अध्यात्म की दुनिया में टर्नओवर नहीं बल्कि चढ़ावा होता है. टर्नओवर शब्द का अपने मुंह से प्रयोग कर उन्होंने बतला दिया कि वे शुद्ध रूप से व्यापार कर रहे हैं और जो कमा रहे हैं उसका टैक्स जमा कर रहे हैं. वे अपने प्रचार पर खर्च कर रहे हैं और अपने नाम का एक भव्य मंदिर बनाना चाहते हैं ताकि उनके बाद भी भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती रहे. प्रतिवर्ष 248  करोड़ की रकम वे इसी मकसद से जमा कर रहे हैं. यह मंदिर कहां बन रहा है. इसपर क्या लागत आनी है इसके बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया. अपने किसी समागम में भी इसका जिक्र नहीं किया.बतलाते तो भक्तों को प्रसन्नता ही होती. अपने जीजा और दीदी पर भी उन्होंने आरोप लगाये. कोई संत इतना भावुक नहीं होता. वह तो अपने आप में मस्त रहता है. जाहिर है कि बाबाजी जिन बातों को छुपाना चाहते थे उनका खुलासा होने से परेशान हो उठे. उनकी पोल-पट्टी खुल गयी. यह अलग बात है कि उनकी लोकप्रियता पर इन बातों का कुछ खास असर नहीं पड़ेगा. उनकी दुकानदारी पहले की तरह चलती रहेगी क्योंकि यह भारत है जहां ज्यादा दिनों तक बातें याद नहीं रखी जातीं. जहां विश्वास उठते-उठते उठता है.

fact n figure: अपना ही गिरेबां भूल गए निर्मल बाबा:

'via Blog this'

Friday, April 13, 2012

fact n figure: कृपा के कारोबार में टीवी चैनलों की भूमिका

निर्मल बाबा का ईश कृपा का कारोबार पूरी तरह इलेक्ट्रोनिक मीडिया की बदौलत चल रहा है. प्रिंट मीडिया ने साथ उनका कोई लेना देना नहीं रहा. प्रिंट और इंटरनेट मीडिया ने जब उनकी तरफ निगाह डाली तो उनके तीसरे नेत्र का भरम खुलने लगा. अब इस बात पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की जरूरत है कि टीवी चैनलों को किराये पर टाइम स्लॉट देने के पहले पात्र-कुपात्र पर विचार करना चाहिए या नहीं. एक निर्धारित कीमत पर यह किसी को किसी तरह के कार्यक्रम के लिए दे दिया जाना चाहिए या चैनल के संपादकीय विभाग को कार्यक्रम की रूपरेखा देखने के बाद सहमति-असहमति का अधिकार देने चाहिए और उसकी अनुशंसा को आवंटन का आधार बनाया जाना चाहिए. कोई आचार-संहिता होनी चाहिए या नहीं.
यदि निर्मल बाबा जैसे लोग रातो-रात लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच कर लोगों की पिछड़ी चेतना का लाभ उठाते हुए आर्थिक दोहन करने लगते हैं तो इसके लिए उपजाऊ ज़मीन मुहैय्या करने का काम टीवी चैनल ही तो करते हैं. भारत ऋषि-मुनियों का देश रहा है. यहां बड़े-बड़े संत महात्मा गुज़रे हैं. त्यागी भी और ढोंगी भी. आमलोग उनके बीच ज्यादा फर्क नहीं कर पाते. जिस तरह लोग अपने लिए उपयुक्त जन-प्रतिनिधि का चुनाव नहीं कर पाते उसी तरह सही आध्यात्मिक गुरु का भी चयन नहीं कर पाते. इसमें उनका नहीं भक्ति योग का दोष है जो अदृश्य शक्ति के सामने आत्म-समर्पण कर देने की शिक्षा देता है और राजा के दैवी को मान्यता दिलाता है. जन-मानस पर भक्तियोग का प्रबल प्रभाव नहीं होता तो निर्मल बाबा का ईश कृपा का कारोबार भी नहीं चलता. फिलहाल स्टार-न्यूज़ ने निर्मल बाबा का कार्यक्रम बंद करने की घोषणा की है लेकिन शेष 34 चैनल उनके विज्ञापन से होने वाले लाभ का मोह त्याग सकेंगे अथवा नहीं कहना कठिन है. इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने बाबागिरी के धंधे को चमकने का मौका दिया है. कई चैनल तो उनके मालिकाना अधिकार में हैं. लिहाज़ा मीडिया जगत के लिए यह आत्ममंथन का समय है. इसका उपयोग जन-चेतना को उन्नत करने के लिए हो या उसे पीछे धकेलने के लिए.

---देवेंद्र गौतम

fact n figure: कृपा के कारोबार में टीवी चैनलों की भूमिका:

'via Blog this'

अश्लील मेल का लिंक, नंगेपन का प्रचार

मेरी एक दोस्त ने एक पोस्ट डाल दी और उस पर मेरी जरा सी टिप्पणी ने ऎसा असर किया कि लोग गुप्त रूप से मुझे अश्लील मेल का लिंक भेजने की हिम्मत कर बैठे। जबकि मैने उस टिप्पणी में उसका समर्थन भी नही किया था। एक दोस्त ने अपने ब्लॉग पर इतने नंगेपन का प्रचार किया की अफ़सोस हुआ मुझे अपनी दोस्ती पर। क्या कहूं?

जब चाहा इस्तेमाल किया जब चाहा फ़ेंक दिया वाह!

Do your chakras need Healing? ~ GLAMOUR GLOBE

The chakra is a point in the body that is associated with, and transmits the life force energy. The word 'chakra' comes from the sanskrit and literally means 'spinning wheel or sphere of energy'.
Traditional Hindu writings have often said that there are nearly 90,000 points of Chakra throughout every human body, but there are truly only seven extrmely important points of Chakra. These seven vital points of Chakra can be found from the bottom of the spinal cord all the way up to the top of the head.
These seven points are the base chakra, the sex chakra, the solar plexus chakra, the chakrra of the heart, the chakra of the throat, the chakra of the brow, and lastly the crown chakra. These points on our body take in energy from the people in our environment and also transmit energy to the people in our environment. Therefore, they also influence us mentally, emotionally, and our daily activities including spiritual activities that we may do.
Whether you believe in the Hindu philosophies and doctrines of human body function explanations or the Chinese medicinal beliefs or even the modern psychological research findings, the energy points or the chakras are the common thread that would bind all explanations and definitions.
Studies have shown that chakra's stay in constant movement the matter whether person is sweeping or steer a week. Because of the constant movement it helps to influence such things on a person like: physical disorders, they are body is structured, or appearance, glandular processes, the way we conduct ourselves and the way we think. It is safe to say that if just one of our chakra's is not working properly, we can suffer with an imbalance that can affect our whole body.
All this is due to the fact that the seven major chakras correspond to the endocrine system of our body. With the imbalances in the major functioning of the body system, the functioning of the chakras disrupts from the normal behaviour or activity.
It is extremely important to attempt to maintain Chakra balance by using the above as a starting part. It is important that you realize all major illnesses are related to one of the seven main chakras. There may not be physical evidence yet of the illness, but emotions or worries from past events in our lives may still effect us today emotionally as well as spiritually.
One of the major causes of chakra imbalance is associated with repressed emotional baggage that develops from past trauma. These habitually buried emotional toxins of the subconscious influence the cellular level of our body.
This is why it is extremely important to come to terms with the events that have occurred in our life in order to heal ourselves through chakra.
It is important to keep a healthy chakra so that you body can function as it should and you can do this by doing such techniques as aromatherapy, chakra balancing by use of gemstones, crystals or a pendulum, Reiki healing or color therapy.
Many health conscious individuals enjoy performing the physical and breathing exercises of yoga as doing so is most beneficial for chakra balance maintenance.
Some other ways that we can heal our Chakras include mediation as well as guided visualization. These techniques can help to reduce stress and harness the power of the mind.
Despite the fact that we can not physically see or touch our chakras, they can work independently to sustain our body.
It is a fact that our bodies must be fed the proper foods in order to maintain our chakras. There are specific foods that are beneficial to major chakras.
Root vegetables and foods that are rich in protein and spices help to nourish the root chakra. The sacral chakra that associates with the sexual and creative being is nourished by such foods as sweet fruits, nuts, cinnamon, vanilla and seeds such as sesame and caraway. Spicy mints, dairy products, yogurt, pastas, bread and cereals nourish the solar plexus chakra that inspires our sense of self confidence and self love.
The chakra of the heart functions the best when eating leafy vegetables like cabbage and also drinking green tea. The throat chakra desires that you drink lots of water and juices like apple juice, grape juice, and even orange juice!
The brow or third eye chakra which enhances our sharpness of third eye sight and an in-depth sense of our own psychical gifts is nourished by consuming grapes, blueberries, grape juice and wine.
Detoxifying the body is beneficial to the crown chakra which is our emotional and spiritual center. This is done by the ritual inhalation of incense and herbs and by fasting.
When we stimulate our chakras we directly influence our health. We move towards being more responsive and spiritual as we attune ourselves completely with our surroundings and the elements of the physical and metaphysical world in which we live.

Do your chakras need Healing? ~ GLAMOUR GLOBE:

'via Blog this'

fact n figure: An inside look at Islam

fact n figure: निर्मल बाबा के विरोध का सच

निर्मल बाबा की पृष्ठभूमि खंगाली जा रही है. प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया और इन्टरनेट मीडिया तक ने उनके विरुद्ध हल्ला बोल दिया है. हालांकि लखनऊ के दो बच्चों को छोड़ दें तो अभी तक किसी आम नागरिक ने उनके विरुद्ध कहीं कोई शिकायत दर्ज करने का प्रयास नहीं किया है. फिर भी मीडिया के लोगों ने आम लोगों की आंखें खोलने के अपने कर्तव्य का पालन किया है. मीडिया के लोग आम तौर पर विज्ञापनदाताओं की जायज़-नाजायज़ सभी हरकतों को संरक्षण दिया करते हैं. कितने ही काले कारनामों पर उन्होंने सफलतापूर्वक पर्दा  डाल रखा है. आज की तारीख में देश के दर्जनों बड़े पत्रकार कई घोटालों में संलग्न होने के आरोपी हैं. जांच एजेंसियों के पास इसके प्रमाण भी हैं लेकिन उनपर हाथ नहीं डाला जा रहा है. उनका लिहाज़ किया जा रहा है. निर्मल बाबा भी बड़े विज्ञापनदाता हैं. 35  चैनलों पर उनके विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं. यदि वे आमजन की अंधभक्ति का दोहन कर रहे हैं और ईशकृपा की मार्केटिंग कर रहे हैं तो मीडिया को उसका हिस्सा भी दे रहे हैं. उनकी गल्ती यही है कि 35  चैनलों के अलावा जो मीडिया घराने हैं उनकी तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं. ध्यान देते तो यह हमले या तो नहीं होते या फिर उनकी धार कुछ कमजोर होती.  
फिलहाल उनके प्रारंभिक जीवन के जो खुलासे हुए हैं उनमें कुछ भी आपत्तिजनक नज़र नहीं आता. झारखंड के चतरा के निर्दलीय सांसद इन्दर सिंह नामधारी का साला होना या पूर्व में कपडे का थोक व्यापार करना, ठेकेदारी करना कोई गुनाह नहीं है. वे कोई मंगल ग्रह से नहीं आये हैं कि धरती पर उनका कोई रिश्तेदार न हो. सोने का चम्मच लेकर नहीं पैदा हुए कि उन्हें जीवन में संघर्ष न करना पड़ा हो. ज्ञान चक्षु तो उम्र के किसी भी पड़ाव पर खुल सकते हैं. भगवान बुद्ध भी तो ज्ञान प्राप्त होने के पूर्व पत्नी और बच्चे को नींद में सोता छोड़ यानी अपनी जिम्मेवारियों को छोड़ कर भागे हुए एक कापुरुष ही कहे जा सकते हैं. लेकिन सुजाता के हांथों से खीर खाने के बाद उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ तो वे महान और युग प्रवर्तक बन गए. बाद में उन्हें विष्णु का नवां अवतार तक मान लिया गया.
निर्मल बाबा जिस तीसरी आंख का दावा करते हैं उसकी वास्तविकता क्या है यह एक बहस का विषय हो सकता है. अभी तक हमारी जानकारी में भगवान शिव तीन नेत्रों वाले माने गए हैं. उनके तीसरे नेत्र के खुलने पर कामदेव भस्म हो गए थे. उनका यह नेत्र कभी-कभार ही खुलता था. निर्मल बाबा की मानें तो उनका यह नेत्र हमेशा खुला ही रहता है लेकिन किसी को भस्म करने के लिए नहीं भक्तों तक ईश कृपा के निर्वाध वितरण के लिए. वे अपने भक्तों को त्याग और संयम की शिक्षा नहीं देते. महंगी से महंगी चीजें खरीदने और ऐश के साथ जीने की सलाह देते हैं. वे अध्यात्म की नहीं भौतिक जीवन को बेहतर बनाने की बात करते हैं. भारत में भक्तियोग का बोलबाला है. लोग अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए किसी दैवी शक्ति के चमत्कार के इंतज़ार में रहते हैं. उनकी इसी कमजोरी का लाभ निर्मल बाबा जैसे लोग उठाते रहे हैं और जबतक भक्तियोग की जगह कर्मयोग या ज्ञानयोग का प्रचालन नहीं बढेगा उठाते रहेंगे. एक निर्मल बाबा जायेंगे दस पैदा होंगे. जनता के साथ इस तरह की ठगी का यदि कोई ह्रदय से विरोध करता है और सिर्फ टीआरपी या प्रसार संख्या बढ़ने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं करते उन्हें जन चेतना को भक्तियोग से उबारने का प्रयास करना चाहिए.

----देवेंद्र गौतम  

fact n figure: निर्मल बाबा के विरोध का सच:

'via Blog this'

Thursday, April 12, 2012

खबरगंगा: JOURNALISTERA The People's E-Paper

डीवीसी में महाघोटाले का सच।
पुष्पराज
---------
स्वतंत्र पत्रकार 
खबरगंगा: JOURNALISTERA The People's E-Paper:

'via Blog this'

Wednesday, April 11, 2012

हिंदी ब्लॉगिंग की दुर्दशा के लिए ज़िम्मेदार दिल्ली के ब्लॉगर्स


ब्लॉगर चुक गए हैं या चुकते जा रहे हैं।
हिंदी ब्लॉगर्स की ताज़ा पोस्ट्स देखकर ऐसा लगता है।
ख़ुद के लिए आज़ादी चाहता है और दूसरों पर ऐतराज़ करता है और ख़ुद पर ऐतराज़ किया जाता है तो बर्दाश्त नहीं कर पाता।
समझ नहीं आता कि जब अपने दिल की कह नहीं सकते और दूसरे के दिल की झेल नहीं सकते तो ब्लॉगर क्यों बन गए ?
क्या सिर्फ़ इसलिए कि ऑफ़िस में मुफ़्त का कम्प्यूटर हाथ आ गया इत्तेफ़ाक़ से ?
या इसलिए कि दिल्ली में पैदा हो गए ?
कोई पत्थर फेंक रहा है और कोई बैठा हुआ गिनती गिन रहा है, उनके लगे सगे वहां बैठे हुए उन्हें राई के पहाड़ पर उगे हुए चने के झाड़ पर चढ़ा रहे हैं।
इन दिल्ली वाले ब्लॉगर्स ने हिंदी ब्लॉगिंग को ऐसा बना दिया है कि अब लोगों ने शर्मो हया लुट जाने पर आत्महत्या करना ही छोड़ दिया है।
वे सोचते हैं कि जब हिंदी ब्लॉगर्स सम्मान से जी सकते हैं तो फिर हम क्यों नहीं ?

Tuesday, April 10, 2012

डा. अनवर जमाल ख़ान की ख़ास पेशकश Buniyad Blog

ताज़ा पोस्ट

बुनियाद
 
3 ख़ास पेशकश डा. अनवर जमाल ख़ान  Tuesday April 10, 2012 ‘मुशायरा‘ ब्लॉग पर 3 ख़ास पेशकश मां बाप हैं अल्लाह की बख्शी हुई नेमत मां बाप हैं अल्लाह की बख्शी हुई नेमत मिल जाएं जो पीरी में तो मिल सकती है जन्नत लाज़िम है ये हम पर कि करें उन की इताअत जो हुक्म दें हम को वो बजा लाएं उसी वक्त ...
 
पत्नी चाहती क्या है? डा. अनवर जमाल ख़ान  Saturday April 07, 2012 पत्नी की संतुष्टि उसका स्वाभाविक अधिकार है Women's Natural Right वंदना गुप्ता जी ने हिंदी ब्लॉग जगत को एक पोस्ट दी है ‘संभलकर, विषय बोल्ड है‘ हमने उनकी इस पोस्ट पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहा है कि वंदना गुप्ता जी ! आपने नर नारी...
 
संतुष्टि के उपाय ख़ुद नारी बताए डा. अनवर जमाल ख़ान  Friday April 06, 2012 वंदना गुप्ता जी का मानना है कि नारी की संतुष्टि के लिए अंतरंग संबंध बनाते समय पुरूष के लिए धैर्य परमावश्यक है। उनके इतना कहने मात्र से ही हिंदी ब्लॉग जगत में एक ज़बर्दस्त बहस का आग़ाज़ हो गया। वंदना गुप्ता जी को श्री कृष्ण जी की कथा वाचिका के रूप में...
 
ब्रह्मा अब्राहम इब्राहीम एक हैं? डा. अनवर जमाल ख़ान  Thursday April 05, 2012 ब्रहमा जी जैसी महान हस्ती को आज ऐतिहासिक शख्सियत के बजाय केवल एक मिथकीय पात्र मानकर उनकी महत्ता को घटाया क्यों जाता है ? हिंदी ब्लॉगर्स ने चैत्र मास से आरंभ होने वाले नवसमवत्सर पर लेख लिखे। हमने भी इस विषय पर लेख लिखा। चैत्र मास से आरंभ होने वाला यह...
 
हिंदी वेबसाइट का मजा मोबाइल पर डा. अनवर जमाल ख़ान  Wednesday April 04, 2012 एक ख़ास तोहफ़ा मोबाइल पर इंटरनेट का लुत्फ़ उठाने वालों के लिए तकनीकी विशेषज्ञ दे रहे हैं जानकारी हिंदी वेबसाइट का मजा लीजिए मोबाईल पर अक्‍सर आपने  देखा होगा कि मोबाईल में कोई हिंदी की वेबसाईट खोलने पर डब्‍बे डब्‍बे से...
 
ब्रह्मा जी ने मनुष्य बनाया डा. अनवर जमाल ख़ान  Monday April 02, 2012 होली आकर जा चुकी है और नया हिन्दू वर्ष आरम्भ हो गया है . हिन्दू धर्म की मान्यता है कि ब्रह्मा ने चैत्र मास के प्रथम दिन प्रथम सूर्योदय होने पर की. 'Hindi Bloggers Forum International' की ओर से  विक्रमी संवत 2069 के शुभ आगमन पर नव...
 
सूफ़ी दर्शन (पहला सबक़) डा. अनवर जमाल ख़ान  Saturday March 31, 2012 सच्चे बादशाह से बातें कीजिए God hears. रूह में रब का नाम नक्श है। रूह सबकी एक ही है। जो भी पैदा होता है, उसी एक रूह का नूर लेकर पैदा होता है। रूह क्या है ? रब की सिफ़ाते कामिला का अक्स (सुंदर गुणों का प्रतिबिंब) है। सिफ़ाते कामिला को...
 
फ़ायदे ग्रीन टी के डा. अनवर जमाल ख़ान  Friday March 30, 2012 चाय आज हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का हिस्सा है , इसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाये तो इसके नुकसान से बचा जा सकता है . देखें एक रिपोर्ट: बुढ़ापे की दिक्कतों से बचा सकती है ग्रीन टी नीतू सिंह ॥ नई दिल्ली || अगर आप ...
 
लड़कियों,महिलाओं के लिए नैचरोपैथी डा. अनवर जमाल ख़ान  Tuesday March 27, 2012 लड़कियों और महिलाओं के लिए नैचरोपैथी में करिअर बनाना बहुत आसान भी है और बहुत लाभदायक भी. इसके ज़रिये वे खुद को और अपने परिवार को तंदरुस्त भी रख सकती हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बन सकती हैं. प्राकृतिक जीवन पद्धति है नैचरोपैथी Naturopathy...
 
सबका धर्म एक है डा. अनवर जमाल ख़ान  Saturday March 24, 2012 ‘सबका धर्म एक है, सम्पूर्ण मानव जाति एक है‘ - स्वामी ब्रजानंद जी महाराज God is One ‘सबका धर्म एक है, सम्पूर्ण मानव जाति एक है‘ विषय पर गोष्ठी का आयोजन जामिया उर्दू अलीगढ़ में विश्वस्तरीय ख्याति प्राप्त धर्मगुरू एवं...
 
नैचरोपैथी: एक प्राकृतिक जीवन पद्धति डा. अनवर जमाल ख़ान  Saturday March 24, 2012 प्राकृतिक जीवन पद्धति है नेचुरोपैथी Naturopathy in India नेचुरोपैथी सीखने के लिए हमने औपचारिक रूप से भी D.N.Y.S. किया है। आजकल धनी लोग इस पैथी की तरफ़ रूख़ भी कर रहे हैं। रूपया काफ़ी है इसमें। फ़ाइव स्टारनुमा अस्पताल तक खुल चुके हैं नेचुरोपैथी के और...
 
ज्योतिषियों-बाबाओं की तिलिस्मी तकनीक डा. अनवर जमाल ख़ान  Wednesday March 21, 2012 भविष्य बताने वाले और कष्ट दूर करने वाले ज्योतिषियों और बाबाओं की तिलिस्मी तकनीक रोज़ी रोटी की तो क्या यहां हलवा पूरी की भी कोई समस्या नहीं है नज्म सितारे को कहते हैं और नूजूमी उसे जो सितारों की चाल से वाक़िफ़ हो। सितारों की चाल के असरात ज़मीन की आबो...
 
मूत्र मार्ग संक्रमण की रोकथाम UTI डा. अनवर जमाल ख़ान  Sunday March 18, 2012   मूत्र मार्ग संक्रमण मूत्र मार्ग संक्रमण जीवाणु जन्य संक्रमण है जिसमें मूत्र मार्ग का कोई भी भाग प्रभावित हो सकता है। हालाँकि मूत्र में तरह-तरह के द्रव एवं वर्ज्य पदार्थ होते है किंतु इसमें जीवाणु नहीं होते। यूटीआई से ग्रसित होने पर ...
 
राजनीतिक ब्लॉगर्स की औक़ात क्या है? डा. अनवर जमाल ख़ान  Friday March 16, 2012 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अब श्री अखिलेश यादव जी हैं। अखिलेश यादव जी की पार्टी के लिए हिंदी ब्लॉगर्स के बहुमत ने कोई आंदोलन नहीं चलाया इसके बावजूद उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश की बागडोर संभाल रही है। उत्तराखंड की बागडोर भाजपा के हाथ से निकल गई है हालांकि...
 
 
अरब और हिंदुस्तान का ताल्लुक़- 1 डा. अनवर जमाल ख़ान  Thursday March 15, 2012 काबा वह पहला घर है जो मालिक की इबादत के लिए बनाया गया है। इसे हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने सबसे पहले बनाया था। आदम अलैहिस्सलाम को स्वयंभू मनु कहा जाता है। जब उनके बाद जल प्रलय आई तो उसका असर इस घर पर भी पड़ा था। इसके बाद हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने आज से ...

‘ब्लॉग की ख़बरें‘

1- क्या है ब्लॉगर्स मीट वीकली ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_3391.html

2- किसने की हैं कौन करेगा उनसे मोहब्बत हम से ज़्यादा ?
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

3- क्या है प्यार का आवश्यक उपकरण ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

4- एक दूसरे के अपराध क्षमा करो
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

5- इंसान का परिचय Introduction
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/introduction.html

6- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- बेवफा छोड़ के जाता है चला जा
http://kunwarkusumesh.blogspot.com/2011/07/blog-post_11.html#comments

9- इस्लाम और पर्यावरण: एक झलक
http://www.hamarianjuman.com/2011/07/blog-post.html

10- दुआ की ताक़त The spiritual power
http://ruhani-amaliyat.blogspot.com/2011/01/spiritual-power.html

11- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

12- शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड-4
http://shakuntalapress.blogspot.com/

13- वाह री, भारत सरकार, क्या खूब कहा
http://bhadas.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

14- वैश्विक हुआ फिरंगी संस्कृति का रोग ! (HIV Test ...)
http://sb.samwaad.com/2011/07/blog-post_16.html

15- अमीर मंदिर गरीब देश
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

16- मोबाइल : प्यार का आवश्यक उपकरण Mobile
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/mobile.html

17- आपकी तस्वीर कहीं पॉर्न वेबसाइट पे तो नहीं है?
http://bezaban.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

18- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम अब तक लागू नहीं
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

19- दुनिया में सबसे ज्यादा शादियाँ करने वाला कौन है?
इसका श्रेय भारत के ज़ियोना चाना को जाता है। मिजोरम के निवासी 64 वर्षीय जियोना चाना का परिवार 180 सदस्यों का है। उन्होंने 39 शादियाँ की हैं। इनके 94 बच्चे हैं, 14 पुत्रवधुएं और 33 नाती हैं। जियोना के पिता ने 50 शादियाँ की थीं। उसके घर में 100 से ज्यादा कमरे है और हर रोज भोजन में 30 मुर्गियाँ खर्च होती हैं।
http://gyaankosh.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.html

20 - ब्लॉगर्स मीट अब ब्लॉग पर आयोजित हुआ करेगी और वह भी वीकली Bloggers' Meet Weekly
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/bloggers-meet-weekly.html

21- इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
http://www.sahityapremisangh.com/2011/07/blog-post_3678.html

22- इसलाम में आर्थिक व्यवस्था के मार्गदर्शक सिद्धांत
http://islamdharma.blogspot.com/2012/07/islamic-economics.html

23- मेरी बिटिया सदफ स्कूल क्लास प्रतिनिधि का चुनाव जीती
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_2208.html

24- कुरआन का चमत्कार

25- ब्रह्मा अब्राहम इब्राहीम एक हैं?

26- कमबख़्तो ! सीता माता को इल्ज़ाम न दो Greatness of Sita Mata

27- राम को इल्ज़ाम न दो Part 1

28- लक्ष्मण को इल्ज़ाम न दो

29- हरेक समस्या का अंत, तुरंत

30-
अपने पड़ोसी को तकलीफ़ न दो
Increase traffic

साहित्य की ताज़ा जानकारी

1- युद्ध -लुईगी पिरांदेलो (मां-बेटे और बाप के ज़बर्दस्त तूफ़ानी जज़्बात का अनोखा बयान)
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

2- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

3- आतंकवादी कौन और इल्ज़ाम किस पर ? Taliban
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/taliban.html

4- तनाव दूर करने की बजाय बढ़ाती है शराब
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

5- जानिए श्री कृष्ण जी के धर्म को अपने बुद्धि-विवेक से Krishna consciousness
http://vedquran.blogspot.com/2011/07/krishna-consciousness.html

6- समलैंगिकता और बलात्कार की घटनाएं क्यों अंजाम देते हैं जवान ? Rape
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/rape.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- ख़ून बहाना जायज़ ही नहीं है किसी मुसलमान के लिए No Voilence
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/no-voilence.html

9- धर्म को उसके लक्षणों से पहचान कर अपनाइये कल्याण के लिए
http://charchashalimanch.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

10- बाइबिल के रहस्य- क्षमा कीजिए शांति पाइए
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

11- विश्व शांति और मानव एकता के लिए हज़रत अली की ज़िंदगी सचमुच एक आदर्श है
http://dharmiksahity.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

12- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

13- ‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है Terrorism or Peace, What is Islam
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/07/terrorism-or-peace-what-is-islam.html

14- The real mission of Christ ईसा मसीह का मिशन क्या था ? और उसे किसने आकर पूरा किया ? - Anwer Jamal
http://kuranved.blogspot.com/2010/10/real-mission-of-christ-anwer-jamal.html

15- अल्लाह के विशेष गुण जो किसी सृष्टि में नहीं है.
http://quranse.blogspot.com/2011/06/blog-post_12.html

16- लघु नज्में ... ड़ा श्याम गुप्त...
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

17- आपको कौन लिंक कर रहा है ?, जानने के तरीके यह हैं
http://techaggregator.blogspot.com/

18- आदम-मनु हैं एक, बाप अपना भी कह ले -रविकर फैजाबादी

19-मां बाप हैं अल्लाह की बख्शी हुई नेमत

20- मौत कहते हैं जिसे वो ज़िन्दगी का होश है Death is life

21- कल रात उसने सारे ख़तों को जला दिया -ग़ज़ल Gazal

22- मोम का सा मिज़ाज है मेरा / मुझ पे इल्ज़ाम है कि पत्थर हूँ -'Anwer'

23- दिल तो है लँगूर का

24- लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी - Allama Iqbal

25- विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story)

26- शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया (ग़ज़ल)

join india