Tuesday, July 3, 2012

धर्म के नाम पर 'सेक्स' का खेल




एक धर्म की ख़ास, करे नारी पर रचना

सचिवों ने की गड़बड़ी, खुश कर दित्ता बास ।
ऐसी-तैसी कर गये, एक  धर्म की  ख़ास ।

एक  धर्म की  ख़ास, करे नारी पर रचना ।
माफ़ी लेता माँग,  मगर रचना से बचना |


है सच्चा इंसान, अगर गलती वह माने   |
विषय जाइए भूल, यही कह गए सयाने ||
...लेकिन एक नारी ब्लॉगर किसी सयाने की बात मानकर भला कहाँ भूलने वाली थीं ?
उन्होंने लिंक देकर बताया कि  इस घटना का सम्बन्ध पत्रकार अख्तर खान अकेला जी से है .
  1. http://akhtarkhanakela.blogspot.in/2012/07/blog-post_9433.html

    link bhi daetae
    kam sae kam hindu dharm par aastha rakhnae walae
    kuchh to chaettae
दिए  लिंक पर गए तो पता चला कि  अख्तर खान साहब ने वह पोस्ट ही मिटा डाली है जो उनके सचिव मुकेश जी ने भास्कर डोट कॉम से एक अंश उठाकर उनके ब्लॉग  पर पोस्ट बना दी थी. जिन ब्लॉगर्स ने अख्तर साहब के ब्लॉग पर मात्र एक अंश पर आपत्ति प्रकट की , उनमें से किसी ने भास्कर डोट कॉम की पूरी पोस्ट  पर भी कोई आपत्ति प्रकट नहीं की जो कि 8 गुना ज़्यादा है , है न कमाल की बात ?
कुछ हिंदी ब्लॉगर्स ऐसी दोहरी सोच लेकर भी बुद्धिवादी कहलाते हैं.
ख़ैर, अख्तर साहब अपनी पोस्ट डिलीट कर चुके हैं और शायद भास्कर भी अपना लेख वापस ले ले लेकिन कोई उस लेख पर जाकर अपना ऐतराज़ दर्ज तो करे . इस लेख में स्भास्कर ने हिन्दू औरतों का एक नंगा चित्र भी छापा है. जिसे हमने औरत का सम्मान करते हुए नहीं दिया है. लेख निम्न है-

PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल !

धर्म के नाम पर औरतों के यौन शोषण का इतिहास काफी पुराना है। हिंदू धर्म के तहत जहां मंदिरों में देवदासी प्रथा का प्रचलन हुआ, वहीं बेबीलोन के मंदिरों में भी देवदासियां रहा करती थीं। ईसाई धर्म के तहत चर्च और कॉन्वेन्ट्स में नन रहने लगीं जो चिरकुमारियां कही जाती हैं। जैन धर्म में संतों के साथ साध्वियां भी होती हैं।
महात्मा बुद्ध मठों में औरतों को शामिल करने के विरुद्ध थे। उनका मत था कि औरतों की मौजूदगी में व्यक्ति काम वासना के आकर्षण से बच नहीं सकता, पर उनके महाप्रयाण के बाद मठों के द्वार औरतों के लिए खुल गए। बौद्ध धर्म की एक शाखा पूरी तरह तंत्र पर आधारित हो गई और तंत्र क्रिया में औरतों की देह का इस्तेमाल 'मोक्ष' यानी निर्वाण पाने के नाम पर किया जाने लगा। सभी धर्मों में कमोबेश ऐसी ही बातें जुड़ी हुई हैं।
भारत के कुछ क्षेत्रों में महिलाओं को धर्म और आस्था के नाम पर वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेला जाता है। सामाजिक-पारिवारिक दबाव के चलते ये महिलाएं इस धार्मिक कुरीति का हिस्सा बनने को मजबूर हैं। देवदासी प्रथा के अंतर्गत ऊंची जाति की महिलाएं मंदिर में खुद को समर्पित करके देवता की सेवा करती थीं। देवता को खुश करने के लिए मंदिरों में नाचती थीं।
PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!
इस प्रथा में शामिल महिलाओं के साथ मंदिर के पुजारियों ने यह कहकर शारीरिक संबंध बनाने शुरू कर दिए कि इससे उनके और भगवान के बीच संपर्क स्थापित होता है। धीरे-धीरे यह उनका अधिकार बन गया, जिसको सामाजिक स्वीकार्यता भी मिल गई। उसके बाद राजाओं ने अपने महलों में देवदासियां रखने का चलन शुरू किया। मुगल काल में, जबकि राजाओं ने महसूस किया कि इतनी संख्या में देवदासियों का पालन-पोषण करना उनके वश में नहीं है, तो देवदासियां सार्वजनिक संपत्ति बन गईं।
 

 कर्नाटक के 10 और आंध्र प्रदेश के 14 जिलों में यह प्रथा अब भी बदस्तूर जारी है। देवदासी प्रथा को लेकर कई गैर-सरकारी संगठन अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। बताते चलें कि देवदासी हिन्दू धर्म में ऐसी स्त्रियों को कहते हैं, जिनका विवाह मन्दिर या अन्य किसी धार्मिक प्रतिष्ठान से कर दिया जाता है। समाज में उन्हें उच्च स्थान प्राप्त होता है और उनका काम मंदिरों की देखभाल तथा नृत्य तथा संगीत सीखना होता है।

PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!
परंपरागत रूप से वे ब्रह्मचारी होती हैं, पर अब उन्हे पुरुषों से संभोग का अधिकार भी रहता है। यह एक अनुचित और गलत सामाजिक प्रथा है। इसका प्रचलन दक्षिण भारत में प्रधान रूप से था। बीसवीं सदी में देवदासियों की स्थिति में कुछ परिवर्तन आया। पेरियार तथा अन्य नेताओं ने देवदासी प्रथा को समाप्त करने की कोशिश की। कुछ लोगों ने अंग्रेजों के इस विचार का विरोध किया कि देवदासियों की स्थिति वेश्याओं की तरह होती है।
PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!
सदियों से चली आ रही परम्परा का अब ख़तम होना बहुत ही जरुरी है। देवदासी प्रथा हमारे इतिहास का और संस्कृति का एक पुराना और काला अध्याय है, जिसका आज के समय में कोई औचित्य नहीं है। इस प्रथा के खात्मे से कहीं ज्यादा उन बच्चियों के भविष्य की नींव का मजबूत होना बहुत आवश्यक है, जिनके ऊपर हमारे आने वाले भारत का भविष्य है। उनके जैसे परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधरनी बहुत जरुरी है।
PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!
इसी तरह कैथोलिक चर्चों में भी सेक्स के खुले खेल के खुलासे होते रहे हैं। कुछ दिन पहले ही एक पूर्व नन ने पादरियों के व्यभिचार के बारे में सनसनीखेज खुलासा किया था। उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि पादरी ननों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं। जब वह गर्भवती हो जाती हैं तो बच्चों को गर्भ में ही मार देते हैं। नन सिस्टर मैरी चांडी अपनी आत्मकथा 'ननमा निरंजवले स्वस्ति' लिखा है कि, 'मैंने वायनाड गिरिजाघर में हासिल अनुभवों को सहेजने की कोशिश की है। चर्च के भीतर की जिंदगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी। एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी। मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचाई थी।' उनके मुताबिक चर्च में ननें सेक्सी किताबें पढ़ती है। इसी तरह से नन सिस्टर जेस्मी ने एक किताब लिखकर धार्मिक पाखंडों का खुलासा किया था। इस किताब का नाम 'आमेन: द आटोबायोग्राफी' था।
PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!
1982 में कर्नाटक सरकार ने और 1988 में आंध्र प्रदेश सरकार ने देवदासी प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन कर्नाटक के 10 और आंध्र प्रदेश के 15 जिलों में अब भी यह प्रथा कायम है। उड़ीसा में बताया गया कि केवल पुरी मंदिर में एक देवदासी है, लेकिन आंध्र प्रदेश ने 16,624 देवदासियों का आंकड़ा पेश किया। महाराष्ट्र सरकार ने कोई जानकारी नहीं दी। जब महिला आयोग ने उनके लिए भत्ते का एलान किया, तब आयोग को 8793 आवेदन मिले, जिसमें से 2479 को भत्ता दिया गया। बाकी 6314 में पात्रता सही नहीं थी।

PHOTOS: धर्म के नाम पर कुछ यूं खेला जाता रहा है 'सेक्स' का खेल!

31 comments:

रचना said...
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Shah Nawaz said...
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DR. ANWER JAMAL said...

@ रचना जी ! ब्लॉगर को टोका जाय और अखबार को छोड़ दिया जाय, यह नीति ठीक नहीं है. ग़लत लगे तो सबको टोको, इसमें अपना पराया मत देखो. हमारा तो यही मानना है और जो हम मानते हैं वही करते हैं.
मल्टीनेशनल कंपनियों की पूँजी पर आज अखबार और कुछ ब्लॉगर दोनों चल रहे हैं.
अपने ईमान को भुलाकर ये हमेशा सच के ख़िलाफ़ ही बोलते हैं.

भास्कर की पोस्ट के नीचे भी पाठकों से उनके विचार मांगे गए हैं. अखतर साहब के लिंक देने के बाद भी कोई उधर न गया ?
देखते हैं अपनी आपत्ति जताने अब कौन उधर जाता है ?

दिनेशराय द्विवेदी said...

अख्तरखान बड़े ब्लागर हैं। उन की पोस्टें सचिव लिखा करते हैं। लिखते क्या हैं? कट पेस्ट करते हैं।
(आप ने यह सीक्रेट उजागर करने के पहले अख्तर भाई से पूछ तो लिया था न?)
सारे ही धर्म हमेशा से आम लोगों को उल्लू बनाते आए हैं और जब तक रहेंगे बनाते रहेंगे। जो अपने धर्म का बचाव करता है वह खुद को धोखा देता है। दुनिया में जो पैदा होता है वह मरता है यह अटल सत्य है। सभी धर्म मानव विकास की किसी अवस्था में पैदा हुए हैं और किसी न किसी अवस्था में वे अवश्य मर जाएंगे।

मनोज कुमार said...

समय और काल के हिसाब से हमें अपनी सोच में भी परिवर्तन लाना चाहिए।
जो आपत्तिजनक है वहौर उसका विरोध होना चाहिए, चाहे वह कहीं हो।

रचना said...
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DR. ANWER JAMAL said...

@ रचना जी ! आपने अख्तर खान साहब को सलाह दी कि
'dusrae kae dharm par jo likhae haen apnae dharm par bhi likhae'
आपको सलाह देने का या ऐतराज़ करने का पूरा हक़ है. हमें आपके कथन पर कोई ऐतराज़ नहीं है लेकिन हम यह ज़रूर जानना चाहते हैं कि यह अख्तर खान साहब के साथ ही क्यों ?
क्या ऐसा सिर्फ वही करते हैं या दूसरे ब्लॉगर भी ऐसा ही करते हैं ?
आपको एक ब्लॉगर का लिंक डा. अयाज़ अहमद साहब की पोस्ट पर शाहनवाज़ जी दे भी चुके हैं. उस पर यह नियम बताने के लिए आप न पहले पहुँचीं और न अब .
यह पक्षपात क्यों ?

DR. ANWER JAMAL said...

@ आदरणीय द्विवेदी जी ! धर्म कब बने और किस धर्म में क्या कमी है ?
इसकी विवेचना करना इस पोस्ट का विषय नहीं है. आप खुद भी कह चुके हैं कि सभी विषयों पर एक साथ बात करना संभव नहीं है.
इस पोस्ट का विषय टिप्पणी करने वाले हिंदी ब्लॉगर्स की दोहरी मानसिकता को सामने लाना है.
उम्मीद है कि आप बात समझ गए होंगे.
धोखे में वे लोग हैं जो अपनी माँ के साथ रिश्ते की पवित्रता भी बनाए रखते हैं और ईश्वर का इन्कार भी करते हैं. पवित्रता ईश्वर के नाम से ही है. पवित्रता नास्तिकता और विज्ञान का विषय नहीं है.
जो पवित्रता को मानता है और उसे क़ायम करने वाले ईश्वर को नहीं मानता, वह अपनी हठ के कारण सदा अंतर्द्वंद और विरोधाभास में जीता है और इसी में वह मर जाता है.
धन्यवाद.

Saleem Khan said...

rachan madam lagta hai aap KHURSHEED aur SALEEM ko bhoool gayeen hai....

रचना said...
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DR. ANWER JAMAL said...

@ रचना जी ! अख्तर खान अकेला जी ने
१-बहस से बचने के लिए पोस्ट डिलीट कर दी और
२-उस पोस्ट में भास्कर का लिंक भी नहीं था.
३- वह पोस्ट उनके सचिव ने तैयार की थी.
४-उस पोस्ट का मुद्दा हमारी रिपोर्ट के मुद्दे से अलग था.
रविकर जी ने अपनी पोस्ट क्यों डिलीट की है ?, पता नहीं लेकिन उनकी पोस्ट का मुद्दा भी हमारी रिपोर्ट के मुद्दे से अलग था.
१- हम बहस से बचना नहीं चाहते बल्कि उसे आमंत्रित करते हैं.
२- हमारी पोस्ट में भास्कर का लिंक भी है.
३-अपनी पोस्ट को हमने खुद लिखा है.
४-इस पोस्ट का मुद्दा है 'हिंदी ब्लॉगर्स की दोहरी मानसिकता' को सामने लाना.
इसलिए इस पोस्ट को डिलीट करने से हज़ारों ब्लॉगर्स बड़े कहलाने वाले हिंदी ब्लॉगर्स के बारे में सही सूचना से वंचित रह जायेंगे.
अतः इस पोस्ट को डिलीट करने का कोई उचित कारण नहीं है.
हम सब का नहीं बल्कि सच का साथ देते हैं. यही हमारी पहचान है.

रचना said...
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दीपक बाबा said...

@हम सब का नहीं बल्कि सच का साथ देते हैं. यही हमारी पहचान है.

डॉ साहेब, चिंता मत कीजिए आप की पहचान सब के सामने होगी, झूठ की हंडिया ज्यादा दिन चूल्हे पर नहीं चढती.

दीपक बाबा said...

आदरनीय डॉ साहेब,
वैसे तो आपके कई ब्लॉग है, पर आपके ब्लॉग “ब्लॉग की खबरें” पर इसी पोस्ट में एक टीप द्वारा में अपनी बात रखना चाहता हूँ,

LIKE कॉलम के अन्तरगत कुछ पोस्ट जो कई महीनो से चमक रही हैं जैसेकि
धर्म के नाम पर ‘सेक्स’ का खेल
सम्भोग रहस्य

यहाँ पर इस पोस्टों के साथ संबद्ध चित्र को देख कर ऐसा लगता है मानो इन ब्लोग्गरों ने कुछ इस टाइप का लेखन किया हो. पर ऐसा कुछ भीं नहीं है. अत: आपसे ये सादर अनुरोध है की उक्त पोस्टों को अपने ब्लॉग से डिलीट कर देवें.

इस विषय में आपसे पहले भी टीप द्वारा सूचित किया है, पर आपने बजाये कुछ कदम उठाने के मेरी टीप ही डिलीट कर दी. एक अनुभवी और विद्वान ब्लोग्गोर है, अत: अपेक्षा करता हूँ कि तुरंत ऐसी पोस्ट डिलीट कर आप स्वस्थ ब्लॉग्गिंग को मज़बूत करेंगे.

सादर
दीपक बाबा

DR. ANWER JAMAL said...

@ आदरणीय दीपक जी ! आपकी कोई टिप्पणी डिलीट नहीं की गई है. आपकी अन्य टिप्पणियां इस पोस्ट के बाद वाली नई पोस्ट पर हैं.
हम आपकी भावना का सम्मान करते हैं.
भाई, 'धर्म के नाम पर 'सेक्स' का खेल' नामक रिपोतार्ज को तो अभी ४ दिन भी नहीं हुए हैं तब आपने इसे 'लाइक' कालम में महीनों से चमकते हुए कैसे देख लिया ?
इस रिपोतार्ज में जिसका फोटो है, उसका स्टेटमेंट भी बिना किसी संपादन के दिया गया है.
'सम्भोग रहस्य' में भी वंदना जी का फ़ोटो इसलिए है क्योंकि पूरा रिपोतार्ज उनकी महाप्रसिद्ध कविता पर ही आधारित है.
हिंदी ब्लॉगजगत में कई ब्लॉग हैं जो पोस्ट या टिप्पणी का चर्चा करते हुए पोस्ट और टिप्पणी के लेखक का चित्र भी साथ में देते हैं.
अतः पोस्ट या टिप्पणी का चर्चा करते हुए पोस्ट और टिप्पणी के लेखक का चित्र साथ में देना किसी भी तरह स्वस्थ ब्लॉगिंग के खिलाफ नहीं है.

'संभोग रहस्य' वंदना जी की कविता का विरोध करने वालों के निराकरण के लिए लिखी गई एक पोस्ट है. यह पोस्ट उनके नज़रिए के समर्थन में लिखी गई है. जब तक इंटरनेट पर वंदना जी को अश्लील गालियाँ देने वालों के पोस्ट्स रहेंगी तब तक इस पोस्ट का बने रहना ज़रूरी है.

पोस्ट्स डिलीट करने की बात आप उन पोस्ट्स पर जा कर ज़रूर कहें जिन्होंने ब्लागर डोट कॉम और फेसबुक पर वंदना जी को गालियाँ दी हैं. उस समय वन्दना जी को ज़रूरत भी थी कि कोई उन्हें गालियाँ देने वालों को रोके.
तब दर्जनों पोस्ट और कमेंट्स के ज़रिये हमने उन्हें रोका. हमने उन्हें टोका.
तब आप कहाँ थे भाई साहब ?
क्या आप भी कुछ कहने से पहले ब्लॉगर का नाम देखते हैं ?

चलिए, अब देख लेते हैं कि आपको वंदना जी से कितनी हमदर्दी है ?
वन्दना जी को अश्लील गालियाँ देने वाले हिंदी ब्लागर्स को आप अब क्या कहते हैं ?, अब देख लेते हैं.
अगर नापने के पैमाने एक हो जाएँ तो आपको या किसी को कोई पोस्ट डिलीट करने के लिए कभी कहना नहीं पड़ेगा क्योंकि तब हमें यह सब लिखने के ज़रूरत ही नहीं रहेगी.
धन्यवाद.

दीपक बाबा said...

@आपकी कोई टिप्पणी डिलीट नहीं की गई है.
जी नहीं मैंने ४ मर्तबा टीप की कोशिश की .... पर आपने डिलीट नहीं की.
@ 'धर्म के नाम पर 'सेक्स' का खेल' नामक रिपोतार्ज को तो अभी ४ दिन भी नहीं
मैंने दूसरे पोस्ट के साथ इसकी बात कर रहा हूँ, क्या वंदना जी की पोस्ट को २ महीने नहीं हो गए. उसके बाद रचना जी का चित्र. आपकी मंशा क्या जनाब... खुल कर लिखिए.
@ उनकी महाप्रसिद्ध कविता
देखिये चूक किसी से भी हो सकती है... उन्होंने कोई कविता लिख दी, पर उनको इस बात का इल्म हुआ, कि गलती हो गयी है... अत: उन्होंने ये कविता अपने ब्लॉग से हटा ली, पर आप अभी तक उसे चिपका कर घूम रहे वो भी गलत टाईटल के साथ. ... उनकी कविता का टाईटल था, संभल कर विषय जरा बोल्ड है. और आपने सम्भोग का रहस्य कर दिया.
@ पोस्ट या टिप्पणी का चर्चा करते हुए पोस्ट और टिप्पणी के लेखक का चित्र भी साथ में देते हैं.
क्या दिक्कत है दीजिए पर ऐसे किसी संभ्रांत महिला के विषय में उलूल फजूल लिख कर मत चित्र चास्पाइए .
@ 'संभोग रहस्य' वंदना जी की कविता का विरोध करने वालों के निराकरण के लिए लिखी गई एक पोस्ट है.
कितना निराकरण किया है आपने – ये आपका खुदा जानता है या फिर मेरा. टीप देने वालों ने दे दी, पोस्ट लिखने वाले ने लिख कर डिलीट कर दी, पर एक आप हैं जो अपने ब्लॉग पर लाईक में चिपका रखी है.

@ वन्दना जी को अश्लील गालियाँ देने वाले हिंदी ब्लागर्स को आप अब क्या कहते हैं ?, अब देख लेते हैं.
अगर नापने के पैमाने एक हो जाएँ तो आपको या किसी को कोई पोस्ट डिलीट करने के लिए कभी कहना नहीं पड़ेगा क्योंकि तब हमें यह सब लिखने के ज़रूरत ही नहीं रहेगी.
डॉ साहेब, जो मसला था सब निपट गया, टीप भी पोस्ट भी. पर आपने क्यों उस पोस्ट को अपने ब्लॉग पर लगा रखा है... समझ नहीं आता ...

दीपक बाबा said...

मालिक हो साहेब, ब्लॉग आपका है, मेम्बेर्स तो बस नाममात्र के बना रखे हैं आपने....


क्या सोच कर टीप डिलीट कर देते हैं, और फिर क्या सोच कर दुबारा पब्लिश करते हैं, जहाँपना ... आप तो बहुत पहुंचे हुए संत फकीर है.

रचना said...

please remove my photo from your blog post

its very simple to paste the comment yet not paste the photo

ok you are a very learned man of india then you should know using a womans photo on your blog post without her permission is punishable under cyber crime and also under crime against woman

i am asking you to remove my photo immediately

please go and read the guide lines of NCW if you are not sure

DR. ANWER JAMAL said...

@ दीपक बाबा ! आपकी टिप्पणियाँ स्पैम में जा रही हैं. वहाँ से हमें लानी पड़ रही हैं.
आपकी दूसरी टिपण्णी में आपने बेवजह अभद्रता से काम लिया है. इसलिए आपकी दूसरी टिप्पणी हटा दी जायेगी. इससे संवाद की स्तरीयता बनी रहेगी.
बहुत से लोगों ने एक साथ वंदना जी पर हल्ला बोला और उन्हें अश्लील टिप्पणियां दीं तो उन्हें घबरा कर पहले टिप्पणियां हटानी पड़ें लेकिन फिर भी लोगों की गिरी हुई हरकतें बंद नहीं हुईं तो उन्हें मजबूरन अपनी कविता को भी हटाना पडा.
किसी एक दो ने अपनी पोस्ट चाहे हटा ली हो लेकिन वंदना जी के विरोध में लिखी गई ज़्यादातर पोस्ट्स अभी तक नेट पर मौजूद हैं. आप उनकी कविता का शीर्षक गूगल में डालकर ढूंढेंगे तो उनमें से कुछ आपको नज़र भी आ जायेंगी. इसलिए यह पोस्ट अभी भी प्रासंगिक है.
जब किसी कविता की समीक्षा की जाती है और एक कवयित्री के पक्ष में लेख लिखा जाता है तो उस स्वतंत्र रचना का शीर्षक हमेशा कविता से जुदा होता है.
मुधुशाला की समीक्षा लिखी जायेगी तो क्या उसका शीर्षक भी मधुशाला ही होगा ?
यह एक कॉमन सेन्स की बात है. जिसे आप समझना चाहते तो आसानी से समझ सकते थे.

Saleem Khan said...

रचना जी आप एक बार इस्लाम धर्म कुबूल करने वाले सवाल में मुहं की खा चुकी हैं सन 2009 में और फिर से ! कम से कम कुछ तो सोचा करिए कहीं पिछली बार की तरह ऐसा न हो कि आपको अपनी प्रोफाईल से सब कुछ हटाना न पड़ जाए !

Unknown said...

बहुत बढ़िया… लगे रहो सब के सब…

साइड बार के Like और Popular post का Content देखकर Taste का पता चल रहा है…

इतने दिनों बाद भी इधर कुछ भी नहीं बदला… :P :P

रचना said...
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Atul Shrivastava said...

कुछ अच्‍छा कीजिए.... अच्‍छा न हो तो बुरा मत कीजिए.....
विवादों से किसी का भला नहीं होता....

सत्य गौतम said...

देवदासियां दलित समुदाय से आती हैं और उच्च वर्गीय उनसे अपनी काम पिपासा शांत करते हैं. दलितों पर जारी अत्याचार पर पर्दा पड़ा रहे, इसी के लिए यह छल प्रपंच किया जा रहा है.
अपना चेहरा दिखाना जिन्हें गवारा नहीं है, उन्होंने भी भास्कर को महिलाओं का नंगा चित्र दिखाने से न रोका क्योंकि वे दलित हैं.
समस्या दलित नारी की हो तो फिर नारी समस्याओं पर मुखर होने वाले भी कैसे कन्नी काटते हैं ?
इसे यहाँ साक्षात दिखाने के लिए धन्यवाद !!!

सत्य गौतम said...

जनता को जागरूक करने के लिए इस पोस्ट को न हटाने का आग्रह है.
हमारे पुराने गिले शिकवे इसमें बाधा न बनेंगे, ऐसी आशा है.

DR. ANWER JAMAL said...

@ अतुल जी ! आप एक ज़िम्मेदार पत्रकार हैं. किसी की ईमेल मिली तो कमेन्ट करना आप की मजबूरी क्यों बन गई ?
क्या आप अपने अखबार में नक्सलवाद के ख़िलाफ़ लिखना महज़ इसलिए छोड़ सकते हैं कि नक्सलवादी 'विवाद' करने के लिए आ जायेंगे ?
तथ्यों को किसी विवादी के डर से छिपाना पत्रकारिता के धर्म के ख़िलाफ़ है.

@ सत्य गौतम ! स्वर्ण दलित मुद्दे पर बहस के लिए यह पोस्ट मुनासिब नहीं है और न ही किसी पुरानी बात को याद दिलाने का यह कोई मौक़ा है.
उचित कारण न मिले तो हम कोई पोस्ट हटाते ही नहीं. अब तक यहाँ ऐसा ही हुआ है.

रेखा श्रीवास्तव said...

बात कहाँ से चली और कहाँ पहुँच गयी? किसी भी प्रकाशित पत्र से रचना उठा कर उसको लगा कर पोस्ट बना देना , नैतिक रूप से गलत है और सबसे बड़ा गलत ये है कि अख्तर खान जी का ब्लॉग उनके सचिव चलाते हें फिर भी पोस्ट को पोस्ट होने से पहले अख्तर खान जी के बार देखते तो होंगे न. वहाँ से चली बात और उसे कोई और लेकर उड़ा लिया और आपत्तिकर्ता की आपत्ति को देखते हुए खुद उसी को विषय बना दिया गया क्यों? आप अपने विषय पर बहस कीजिये न कि किसी की फोटो पर. ये व्यक्तिगत मामले पर हम आपत्ति करने वाले कोई नहीं होते हें. लिखने वाली की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह अपने ब्लॉग पर क्या लगा रहा है?
मैं नहीं समझाती हूँ कि जितनी चर्चा ऐसे विवादस्पद विषयों पर चर्चा होती है बजाय उनके कि जो सार्थक और सामाजिक हित की पोस्ट होती हें. और फिर चर्चा चलते चलते व्यक्तिगत जीवन पर आकार ख़त्म होती है या फिर कटाक्ष में बदल जाती है. ये क्या हमारी स्वस्थ और बुद्धिजीवी मानसिकता की द्योतक है. अगर नहीं तो फिर वाद विवाद सार्थक होना चाहिए जिसका कोई परिणाम निकले. न कि हम व्यर्थ की बातें करते रहें.

Unknown said...

:P :P :P :) :) :) :) :) :P :P
:) :) :) :) :D :D :D :D

वन्दना अवस्थी दुबे said...

डॉ साहब, कल मैंने यहाँ एक कमेन्ट किया था, लेकिन शायद वो स्पैम में चला गया है. उसे प्रकाशित करें प्लीज़.

DR. ANWER JAMAL said...

@ वन्दना दुबे जी ! कुछ लोग किसी के आमंत्रण पर यहां आकर अभद्र भाषा में कमेंट कर रहे हैं या फिर उनका कमेंट पोस्ट के विषय से हटकर होता है। उनका जवाब दिया जाए तो पाठकों का ध्यान इस पोस्ट के विषय से हट जाता है। इस लिए पोस्ट के मूल विषय से हटकर की गई टिप्पणियों को हटा दिया गया है। इस क्रम में हमने अपनी दो टिप्पणियों को भी हटा दिया है।
हमने अपने ब्लॉग ‘अहसास की परतें‘ पर एक पोस्ट में रचना जी का फ़ोटो दिया था। उस पर रचना जी ने आपत्ति की थी। हमने अपनी पोस्ट से उनका फ़ोटो तुरंत हटा दिया था। अब भी उन्हें चित्र को लेकर आपत्ति है। उनके चित्र का सत्यापन होते ही उनका चित्र हटा दिया जाएगा।

@@ रेखा जी !
नाम देखकर न्याय की परिभाषा बदल दी जाती है हिंदी ब्लागिंग में। इसके बावजूद आपके कहे का मान रखने के लिए हम अपनी ज़िंदगी में पहली बार अपनी दो टिप्पणियां हटा रहे हैं ताकि अपने निजी अहं के लिए ब्लॉगिंग करने वाले इसे कोई सांप्रदायिक रंग न दे सकें, जैसा कि उन्होंने एक ताज़ा पोस्ट लिखकर यह घिनौनी कोशिश की भी है और उन्हें इस पर टोकने के लिए कोई भी न पहुंचा। दोहरी मानसिकता की एक बानगी ख़ुद उनकी ताज़ा पोस्ट पर भी देखी जा सकती है।
धन्यवाद !

@@@ झटका जगाने के लिए दिया जाता है कि सबको एक पैमाने से नापो !
झटका लगा है तो कुछ न कुछ लोग जागे भी ज़रूर होंगे। इंसानियत का पहला तक़ाज़ा है कि जो व्यवहार अपने लिए पसंद करते हो वही व्यवहार दूसरों के साथ करो।
‘उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्यवरान्निबोधत‘
उठो जागो और श्रेष्ठता का वरण करो।

Ayaz ahmad said...

शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया
दोनों के सिलसिले में ये बेहतर कहा गया

ख़ुददारियों की राह पे जो गामज़न रहे
उनको हमारे शहर में ख़ुदसर कहा गया

महिला ब्लॉगर का नाम और फ़ोटो हटाकर आपने अच्छा किया। फ़ित्नागरों के लिए पोस्ट के असल मुददे से ध्यान हटाना अब मुमकिन न हो सकेगा। शायद अब लोग संजीदगी से सोचें कि एक ही काम सौ लोग करते हैं तो 99 को छोड़कर एक को ही क्यों टोका जाता है ?

अन्दरूनी तब्दीली हो जाए तो बाहर उसका असर आना तय है।
आपकी पोस्ट को मैंने अपने ब्लाग पर शेयर किया है।
लिंक यह है-
http://drayazahmad.blogspot.in/2012/07/dr-anwer-jamal.html

‘ब्लॉग की ख़बरें‘

1- क्या है ब्लॉगर्स मीट वीकली ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_3391.html

2- किसने की हैं कौन करेगा उनसे मोहब्बत हम से ज़्यादा ?
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

3- क्या है प्यार का आवश्यक उपकरण ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

4- एक दूसरे के अपराध क्षमा करो
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

5- इंसान का परिचय Introduction
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/introduction.html

6- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- बेवफा छोड़ के जाता है चला जा
http://kunwarkusumesh.blogspot.com/2011/07/blog-post_11.html#comments

9- इस्लाम और पर्यावरण: एक झलक
http://www.hamarianjuman.com/2011/07/blog-post.html

10- दुआ की ताक़त The spiritual power
http://ruhani-amaliyat.blogspot.com/2011/01/spiritual-power.html

11- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

12- शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड-4
http://shakuntalapress.blogspot.com/

13- वाह री, भारत सरकार, क्या खूब कहा
http://bhadas.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

14- वैश्विक हुआ फिरंगी संस्कृति का रोग ! (HIV Test ...)
http://sb.samwaad.com/2011/07/blog-post_16.html

15- अमीर मंदिर गरीब देश
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

16- मोबाइल : प्यार का आवश्यक उपकरण Mobile
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/mobile.html

17- आपकी तस्वीर कहीं पॉर्न वेबसाइट पे तो नहीं है?
http://bezaban.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

18- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम अब तक लागू नहीं
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

19- दुनिया में सबसे ज्यादा शादियाँ करने वाला कौन है?
इसका श्रेय भारत के ज़ियोना चाना को जाता है। मिजोरम के निवासी 64 वर्षीय जियोना चाना का परिवार 180 सदस्यों का है। उन्होंने 39 शादियाँ की हैं। इनके 94 बच्चे हैं, 14 पुत्रवधुएं और 33 नाती हैं। जियोना के पिता ने 50 शादियाँ की थीं। उसके घर में 100 से ज्यादा कमरे है और हर रोज भोजन में 30 मुर्गियाँ खर्च होती हैं।
http://gyaankosh.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.html

20 - ब्लॉगर्स मीट अब ब्लॉग पर आयोजित हुआ करेगी और वह भी वीकली Bloggers' Meet Weekly
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/bloggers-meet-weekly.html

21- इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
http://www.sahityapremisangh.com/2011/07/blog-post_3678.html

22- इसलाम में आर्थिक व्यवस्था के मार्गदर्शक सिद्धांत
http://islamdharma.blogspot.com/2012/07/islamic-economics.html

23- मेरी बिटिया सदफ स्कूल क्लास प्रतिनिधि का चुनाव जीती
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_2208.html

24- कुरआन का चमत्कार

25- ब्रह्मा अब्राहम इब्राहीम एक हैं?

26- कमबख़्तो ! सीता माता को इल्ज़ाम न दो Greatness of Sita Mata

27- राम को इल्ज़ाम न दो Part 1

28- लक्ष्मण को इल्ज़ाम न दो

29- हरेक समस्या का अंत, तुरंत

30-
अपने पड़ोसी को तकलीफ़ न दो
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साहित्य की ताज़ा जानकारी

1- युद्ध -लुईगी पिरांदेलो (मां-बेटे और बाप के ज़बर्दस्त तूफ़ानी जज़्बात का अनोखा बयान)
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

2- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

3- आतंकवादी कौन और इल्ज़ाम किस पर ? Taliban
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/taliban.html

4- तनाव दूर करने की बजाय बढ़ाती है शराब
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

5- जानिए श्री कृष्ण जी के धर्म को अपने बुद्धि-विवेक से Krishna consciousness
http://vedquran.blogspot.com/2011/07/krishna-consciousness.html

6- समलैंगिकता और बलात्कार की घटनाएं क्यों अंजाम देते हैं जवान ? Rape
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/rape.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- ख़ून बहाना जायज़ ही नहीं है किसी मुसलमान के लिए No Voilence
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/no-voilence.html

9- धर्म को उसके लक्षणों से पहचान कर अपनाइये कल्याण के लिए
http://charchashalimanch.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

10- बाइबिल के रहस्य- क्षमा कीजिए शांति पाइए
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

11- विश्व शांति और मानव एकता के लिए हज़रत अली की ज़िंदगी सचमुच एक आदर्श है
http://dharmiksahity.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

12- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

13- ‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है Terrorism or Peace, What is Islam
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/07/terrorism-or-peace-what-is-islam.html

14- The real mission of Christ ईसा मसीह का मिशन क्या था ? और उसे किसने आकर पूरा किया ? - Anwer Jamal
http://kuranved.blogspot.com/2010/10/real-mission-of-christ-anwer-jamal.html

15- अल्लाह के विशेष गुण जो किसी सृष्टि में नहीं है.
http://quranse.blogspot.com/2011/06/blog-post_12.html

16- लघु नज्में ... ड़ा श्याम गुप्त...
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

17- आपको कौन लिंक कर रहा है ?, जानने के तरीके यह हैं
http://techaggregator.blogspot.com/

18- आदम-मनु हैं एक, बाप अपना भी कह ले -रविकर फैजाबादी

19-मां बाप हैं अल्लाह की बख्शी हुई नेमत

20- मौत कहते हैं जिसे वो ज़िन्दगी का होश है Death is life

21- कल रात उसने सारे ख़तों को जला दिया -ग़ज़ल Gazal

22- मोम का सा मिज़ाज है मेरा / मुझ पे इल्ज़ाम है कि पत्थर हूँ -'Anwer'

23- दिल तो है लँगूर का

24- लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी - Allama Iqbal

25- विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story)

26- शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया (ग़ज़ल)

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