शब्द अभिव्यक्ति बन जाते हैं और यकीनन यह शब्द ही मेरा सुकून हैं .............रश्मि प्रभा
ज़िन्दगी के दर्द ह्रदय से निकलकर बन जाते हैं कभी गीत, कभी कहानी, कोई नज़्म, कोई याद ......जो चलते हैं हमारे साथ, ....... वक़्त निकालकर बैठते हैं वटवृक्ष के नीचे , सुनाते हैं अपनी दास्ताँ उसकी छाया में ।
लगाते हैं एक पौधा उम्मीदों की ज़मीन पर और उसकी जड़ों को मजबूती देते हैं ,करते हैं भावनाओं का सिंचन उर्वर शब्दों की क्यारी में और हमारी बौद्धिक यात्रा का आरम्भ करते हैं....

आप सभी का स्वागत है इस यात्रा में कवियित्री रश्मि प्रभा के साथ ..... बहन रश्मि प्रभा एक काम काजी महिला हैं और अपने दिल में दर्द,जज्बात,बुलंद इरादों के साथ अल्फाजों की जादूगरी ,कर जो शब्द यात्रा पर चलती हैं ,उससे जो साहित्य ,जो रचना ,जो कविता, जो लेख, जो क्षणिका, बनती है ,बस पढ़ते ही दिल से वाह निकल जाती है, और इंसान खुद बा खुद अपने जज्बातों में खो जाता है बस साहित्य इसी का नाम है ,और यह कमाल करने में बहन रश्मि प्रभा को महारत हांसिल है इसीलियें आज यह ब्लोगिंग की खुसूसी साहित्यकारों में विशिष्ठ स्थान रखती हैं और ब्लोगिंग की महारथी बन सांझा ब्लोगों की सांझीदार सलाहकार अध्यक्ष बनी हैं .
बिहार की राजधानी पटना में जन्म लेकर पली,बढ़ीं, और फिर वहीँ एक व्यवसायिक कामकाजी महिला के साथ साथ अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ मन के अहसास को शब्दों के जरिये ब्लोगिंग पर उकेर रही हैं ,रश्मि प्रभा जी मई २००७ से ब्लोगिग्न की दुनिया में जोर आज़माइश कर रही हैं और आज हालात यह हैं के बहन रश्मि प्रभा को ब्लोगिंग क्वीन के नाम से भी जाना जाने लगा है , कविपंत की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद की सोभाग्य्वती बेटी रश्मि प्रभा का नाम करण विख्यात साहित्यकार स्वर्गीय श्रीमती सुमित्रा नन्दन पन्त ने किया ,और बस बहन रश्मि ने जब से होश सम्भाला अपने जज्बात,, मन की बातों को अल्फाजों की माला में पिरोकर, कागज़ के कलेजे पर, उकेरना प्रारम्भ किया और इन्हें दाद पर दाद मिलती रही , रश्मि प्रभा जी कहती हैं ........के शब्दों की विरासत मुझे मिली है उनका कहना है के अगर शब्द की धनी में ना होती तो मेरा मन,मेरे विचार , मेरे अन्दर दम तोड़ देते वोह कहती हैं के मेरा मन जहां तक जाता है मेरे शब्द उसकी अभिव्यक्ति बन जाते हैं वोह गर्व से कहती हैं यकीनन यह शब्द ही मेरा सुकून हैं ......
एक अच्छी कामकाजी महिला , एक अच्छी बेटी के साथ साथ रश्मि प्रभा एक अच्छी गृहणी भी हैं यह पूजा पाठ पर विश्वास करती हैं इन्हें पढने लिखने के अलावा घर की सजावट करना भी पसंद है यह अपने मन को और अपने दिमाग को सोच सोच कर भावुक बना देती है और इन भावनाओं से जो अलफ़ाज़ निकलते हैं वही आज हमारे सामने खुबसूरत रचनाओं के रूप में सामने पेश किये गये हैं .
नज्मों की सोगात ..........वटवृक्ष ......मेरी भावनाएं ........क्षणिकाएं ........खिलोने वाला घर सहित कई दर्जन ब्लोगों की सांझेदार रश्मि प्रभा ब्लोगिंग की दुनिया में कई सांझा ब्लॉग के प्रबन्धक अध्यक्ष भी हैं .२१ जून २००७ का वोह ऐतिहासिक यादगार दिन जब रश्मि प्रभा जी इंटरनेट पर आयीं अपना पहला ब्लॉग लिखा और अंग्रेजी में अपने यादगार फोटुओं के ...साथ... सोने की साइकिल चांदी की सीट आओ चलें डार्लिंग चलें लव स्ट्रीट ...लिखा फिर अंग्रेजी में ही दुसरा तीसरा छोटा ब्लॉग लिखा बस उसके बाद हिंदी शुरू हुई और फिर २८ अक्तूबर २००७ को ..सिट्रेला की जमीन ....में अपने भाव इस तरह से बिखेरे के सभी लोग भाव विभोर हो गये .
मेरी भावनाए....ब्लॉग में रश्मि जी खुद के अहसास को अल्फाजों में ढाल कर एक ऐसी जिंदगी देती हैं के वोह लोगों के दिलों पर जाकर सीधे ऐसी जगह बनाते हैं के वहां से हटने का अनाम ही नहीं लेते अपने भावनाओं में माँ बताओ तो वाली रचना जब रश्मि जी लिखती है तो यकीन मानिये एक छोटे बच्चे के मन की गुदगुदी जो वोह सोचता है उसे लिख डालती हैं , इनकी रचना आज भी में यही चाहती हूँ ,, जीवन क्रम , चुप तो रहो , जाने दो किस किस की तारीफ़ करूं मुझे अगर लिखते लिखते कई साल भी गुज़र जाये तो इनकी प्रशंसा और रचनाओं के भाव की सुगंध खत्म नहीं हो सकती इनका ब्लॉग खिलोने वालों का घर जिसमें बच्चों की भावनाए उनके खेल उनके जज्बात उकेर कर रख दिए हैं .. बचपन से लेकर बुढापे तक का अहसास अपने अल्फाजों में उकेरने वाली बहन रश्मि प्रभा जो जीवंत साहित्यकार हैं और शायद एक अभिमन्यु की तरह से ही इन्होने साहित्यकार माँ के गर्भ में साहित्य का पाठ पढ़ा हो इसीलियें तो साहित्य के चक्रव्यूह का घेरा बहन रश्मि आज तोड़ कर लोगों को भाईचारा,सद्भावना ,प्रेम भाव ,एकता की सीख दे रही हैं .. हैं ना बहन रश्मि ब्लोगिंग क्वीन ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
5 comments:
रश्मि जी के बारे मे जानकर अच्छा लगा…………आभार्।
रश्मि प्रभा जी मेरी मनपसंद लेखिकाओं में से हैं। एक ऐसी लेखिका जिन्हें पढ़ना एक अनुभव से गुज़रना है। यही वजह है कि उनके लेख को मैं तभी टिप्पणी देता हूं जबकि मैं उसे ढंग से पढ़ लेता हूं और समझ भी लेता हूं। मैंने उन्हें पढ़ा और पढ़ते ही तुरंत मुतास्सिर हो गया। बाद में पता चला कि जिस लेख से मैं मुतास्सिर हुआ था, वह दरअस्ल इमरोज़ जी का था उनके ब्लॉग पर। लेकिन बाद में भी जब मैंने उन्हें पढ़ा तो मुझे कोई फ़र्क़ ऐसा न लगा कि मैं उनकी रचना को इमरोज़ जी से कमतर कह सकता। उनके शब्दों से प्रभावित हुआ तो उन्हें मैंने ‘प्यारी मां‘ के लिए निमंत्रित किया और वे आ गईं। उसके बाद जब ‘हिंदी ब्लागर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ बना तो उसमें वे मुख्य निरीक्षिका बनीं। इसी दरम्यान उनसे फ़ोन पर बात हुई तो पता चला कि उनकी रचनाएं मुझे क्यों प्रभावित करती हैं ?
क्योंकि जो कुछ वह जीती हैं उसे ही वह अपने शब्दों में बयान करती हैं।
रश्मि जी एक ‘प्यारी मां‘ हैं। वह अपने बच्चों की सखी हैं, इरादे की पक्की हैं। मैं उन्हें एक नदी की तरह देखता हूं जो कि हर हाल में अपने लिए रास्ता ढूंढ लेती है। उन्हें पढ़ना ही नहीं बल्कि उनसे बात करना भी एक उम्दा अनुभव है। उनकी तारीफ़ में बहुत सी बातें कही जा सकती हैं लेकिन एक ख़ास बात यह है कि वह जज़्बात में जीती हैं लेकिन फिर भी ग़लत फ़ैसले नहीं लेतीं, जज़्बात में बह नहीं जातीं। निष्पक्ष होकर वह तथ्यों पर विचार करती हैं और सकारात्मक कामों में वह हमेशा हरेक का साथ देती हैं।
ऐसी अदम्य इच्छा शक्ति की धनी हैं रश्मि जी।
@ जनाब अख़तर साहब ! इनके बारे में आपने बताया, बहुत बताया लेकिन फिर भी कम बताया।
इस कमी को आप आइन्दा ज़रूर पूरा कीजिएगा। ऐसी हमारी दरख्वास्त है आपसे।
शुक्रिया।
रश्मिप्रभा जी बेहद संवेदनशील एवं उच्च कोटि की रचनाकार हैं ! उनकी हर रचना को पढ़ना एक विशिष्ट अनुभव यात्रा से गुजरने की तरह होता है ! उनका इतना विस्तृत परिचय पढ़ कर हार्दिक प्रसन्नता हुई ! मेरी ओर से बहुत बहुत शुभकामनायें व आभार !
Akhtar ji bahut achchhi post prastut ki hai .Rashmi ji ke bare me kuchh bhi likhna mere jaison ke liye vaisa hi hai jaise suraj ko diya dikhana .aabhar
उच्च कोटि की रचनाकार हैं ....रश्मि प्रभा जी
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