खनखना रही हैं शब्दों की शमशीरें।
शमशीर का मतलब है तलवार।
ये तलवारें आभासी हैं लेकिन फिर घायल बहुत करती हैं।
डा. अमर कुमार जी औरतों के नाभि प्रदर्शन पर और पोर्न साइट्स के मुताल्लिक़ विचार रखते हुए कह रहे हैं कि
Ladies are advised about certain norms...
because fair sex is more vulnerable to unfair eyes !
Who says.. Indian attire is more graceful ? Have a look at low back or backless blouses.. naval showing tightly worn sarees, exposing every detais of hip's contour.
Till the devil dwells in human minds, porn sites are hard to go... better desist visiting there and block those links !
approved by the blog author ;-)
http://mypoeticresponse.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html?showComment=1311107856930#c6871591586221328475
उन्होंने इंग्लिश में इसलिए कहा है क्योंकि रचना जी हिंदी जितनी ही इंग्लिश भी अच्छी समझती हैं और बात में दम सा भी लगता है औसत अक्ल के लोगों को।
दरअसल इस वैचारिक जंग की शुरूआत तो लेडी रचना ने ब्लॉग जगत में बहुत दिनों से कर रखी है कि औरतों को कोई सलाह न दी जाए कि उसे क्या पहनना है ?
जहां भी उन्हें ऐसी सलाह देता हुआ कोई ब्लॉगर नज़र आ जाता है तो वे भिड़ जाती हैं। इसी क्रम उन्होंने मासूम साहब की पोस्ट पर ताबड़तोड़ कमेंटीय धावा बोल दिया और मासूम साहब उन्हें समझाते ही रह गए कि यह लेख तो मैंने उन औरतों को नज़र में रखकर लिखा था जिन्हें अपनी आबरू का ख़याल अपनी जान से भी ज़्यादा होता है। देखिए एक घनघोर शब्द युद्ध यहां पर
http://bezaban.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html
(ऐ रसूल) पहर दिन चढ़े की क़सम
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सूरए जुहा मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी ग्यारह (11) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
(ऐ रसूल) पहर दिन चढ़े की...
7 comments:
दूसरों की आग में अपने हाथ सेंकने की कोशिश तो नहीं?
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बेहतर लेखन की ‘अनवरत’ प्रस्तुति।
अब आप अल्पना वर्मा से विज्ञान समाचार सुनिए..
@ Rajneesh ji ! क्या आपके द्वारा यहां-वहां अपना लिंक छोड़ने के मक़सद को हमने कभी ऐसा समझा ?
यह है हमारी उदारदिली और आपकी तंगहृदयता !
आप वहां जाकर देखिए कि हो क्या रहा है बजाय यहां तफ़्तीश करने के।
Dr Anwar Jamaal
Did you even understand what dr amar said ????
And as regards my comments on masums post he has already agreed to the discussion that we need to make rules for man and woman not just man
before you make a post at least understand the issue other wise you make a fool of your self nothing more
and here who so ever will read your post will laugh and go away because you not sounding like a fool but a stupid as well
मैंने उन औरतों को नज़र में रखकर लिखा था जिन्हें अपनी आबरू का ख़याल अपनी जान से भी ज़्यादा होता है।
aesa ek bhi vyaakya masum ki post yaa kament mae dikhaa dae
yae aap ke shabd haen unkae nahin
aur maere upar likh likh kar bore nahin hogyae
sab kuchh to pehlae kayeii baar keh chukae haen
shyaad aap ke majhab mae yahii sheksha dee jaatee haen
http://kumarendra.blogspot.com/2011/07/blog-post_21.html
tommorrow make a news of this post i have posted comment here also
हम अनपढ़, गंवार कुछ नहीं समझे कोई हिंदी कुछ कहता या लिखता तब समझ आती. पढ़े-लिखे की लड़ाई में हम क्यों पड़े. जब सब ब्लोग्गर दूर खड़े होकर तमाशा देख रहे हैं तब हम क्यों न देखें? हम तो ठहरे वैसे भी अनपढ़, गंवार और सिरफिरा.
oh
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