हमारी वाणी की पांच हॉट पोस्ट्स इस तरह नजर आ रही हैं.
१. अपने कल से पाठ अवश्य लीजिये पर उसका रोना न रोइए .२३
२. कौन बनेगा २०११ (प्रथम) का नायक. १७
३. सभी ब्लागर आमंत्रित हैं हमारे घर १६
४. चाँद एक सच्चा साथी.१४
५. HBFI जैसा अभिव्यक्ति के रक्षा का बेनजीर उदाहरण कम ही मिलता है . Virtual Freedom Fighter Anwer Jamal 13
अब ये पोस्ट्स किसी न किसी ब्लॉग पर तो होंगी ही लिहाज़ा यहाँ लिंक देने की ज़रुरत नहीं है . आप सीधे हमारी वाणी पर जाकर इन पोस्ट्स तक पहुँचिये .
अब ये पोस्ट्स किसी न किसी ब्लॉग पर तो होंगी ही लिहाज़ा यहाँ लिंक देने की ज़रुरत नहीं है . आप सीधे हमारी वाणी पर जाकर इन पोस्ट्स तक पहुँचिये .
आज हम मुख़्तसर पोस्ट लिखेंगे जनाब सुशील बाकलीवाल जी की सलाह मानते हुए क्योंकि आज हमारे नेट की स्पीड ज़रा नहीं बल्कि बहुत कम है. बुजुर्गों का सम्मान करने का इससे अच्छा अवसर भला कब मिलेगा ?
हरकीरत 'हीर' जी के दिल में इस्लाम के बारे में जानकारी हासिल करने का बेहद शौक़ पैदा हो गया है . आप उनके ब्लॉग पर जाकर देखें . उन्होंने इस्लाम को औरतों के हक में सितम बताने वाली एक कविता लिख डाली है . मौक़ा गनीमत जानकर भंडाफोड़ू के प्रशंसक भाई प्रतुल वशिष्ठ जी वहां कह रहे हैं कि मैं आ गया हूँ यहाँ यज्ञ की आग में घी डालने और हम भी वहां पहुँच गए अपना वुजू का लोटा लेकर और आग पर कुछ पानी डाल दिया . हम तो पहले से ही ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ हैं .
कुछ इस्लामी ताक़तें वहाँ पहले ही उन्हें ईमान का सबक पढ़ा रही थीं . कमेन्ट ९० से ऊपर पहुँच गए .इस मामले में इस्मत जी ने भी उनकी ग़लतफ़हमी दूर कर दी . फिरदौस जी का कहीं पता नहीं चल रहा है . अगर वह होतीं तो लेडी विभीषण का पार्ट अच्छे ढंग से ज़रूर अदा करतीं . हमें तो मुसलमानों में कोई कट्टरता नज़र नहीं आई किसी ने भी हीर जी को कोई धमकी आदि न दी और मुसलमानों की तरह ही अब हीर जी कब सच्चाई की गहराई में उतर जाएँ कौन जानता है ?
हमें तो उनकी ऊँटनी खजूर की करवट बैठती हुई दिखाई दे रही है .
कुछ इस्लामी ताक़तें वहाँ पहले ही उन्हें ईमान का सबक पढ़ा रही थीं . कमेन्ट ९० से ऊपर पहुँच गए .इस मामले में इस्मत जी ने भी उनकी ग़लतफ़हमी दूर कर दी . फिरदौस जी का कहीं पता नहीं चल रहा है . अगर वह होतीं तो लेडी विभीषण का पार्ट अच्छे ढंग से ज़रूर अदा करतीं . हमें तो मुसलमानों में कोई कट्टरता नज़र नहीं आई किसी ने भी हीर जी को कोई धमकी आदि न दी और मुसलमानों की तरह ही अब हीर जी कब सच्चाई की गहराई में उतर जाएँ कौन जानता है ?
हमें तो उनकी ऊँटनी खजूर की करवट बैठती हुई दिखाई दे रही है .
जिसे हमारी रिपोर्टिंग पसंद न हो वह खुद इस अखबार का पत्रकार बनकर इससे अच्छी पोस्ट्स लिख ले , कौन रोकता है ?
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