भारतीय ब्लॉग लेखक मंच पर महासंग्राम
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच के संस्थापक/ संयोजक हरीश सिंह का कीमती साक्षात्कार, जो मचाने जा रहा है, ब्लॉग की दुनिया में तहलका, खुलेंगे सलीम खान, डॉ.अनवर जमाल, श्याम गुप्ता, AIBA .. LBA ,, HBFI, ABBA जैसे संगठनो के पोल, बस दिल थाम लीजिये..
------------------------------------------------------------------भदोही/उत्तरप्रदेश: अभी तक आपने टीवी शो में देखते रहे की कभी संगीत तो कभी गीत को लेकर महासंग्राम छिड़ते रहे है. महुआ चैनल ने तो भोजपुरी गानों को बुलंदियों तक पहुचने के लिए "सुर संग्राम" का आयोजन किया अब यह आयोजन ब्लॉग लेखन में भी होने जा रहा है. भारतीय ब्लोगर मंच ने पहली बार "लेखनी की महाभारत" का धमाकेदार आगाज़ किया है. इस महाभारत को लेकर पूरे ब्लॉग जगत में सनसनी फ़ैल गयी है. यही नहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह भी पता चला है की कुछ ब्लोगरो ने जलन वश संगठन बनाने में ही जुट गए और खुद को असली बताते हुए सबको नकली बताने लगे.
इस सम्बन्ध में भारतीय ब्लॉग लेखक मंच के संथापक.संयोजक ----- हरीश सिंह से ब्लॉग की खबरे के प्रमुख ब्यूरो ने विस्तृत बात की >>>>>
ब्यूरो { ब्लॉग की खबरे} .. सबसे पहले आप का तहे दिल से स्वागत की आप जैसी महान हस्ती ने इस नए समाचार के अड्डे पर तशरीफ़ लाकर हमें कृतार्थ किया. अब यह बताये की क्या हम आपसे प्रश्न पूछने की गुस्ताखी कर सकते हैं.
हरीश सिंह..... अरे भाई क्यों शर्मिंदा कर रहे है आप ब्लॉग की दुनिया के पहले पत्रकार है जो हम जैसे नाचीज़ का साक्षात्कार ले रहे है. और भाई हम कोई हस्ती वस्ती नहीं है. वैसे ही बड़े भाइयों का आशीर्वाद लेने इस ब्लॉग की दुनिया में प्रवेश किये है. और आप खुलकर प्रश्न पूछिए हम खोल-खोल कर जबाब देंगे.
प्रश्न -१..... भारतीय ब्लॉग लेखक मंच का गठन क्यों हुआ ?
उ० ..... देखिये पिछले कुछ दिनों में मैं देख रहा था की ब्लॉग जगत में एक वैचारिक हिंसा ने कब्ज़ा जमा लिया था, लोंगो में अहंकार पैदा हो रहा था. खुद को बड़ा और दूसरो की छोटा दिखाने की होड़ लगी थी. दूसरे के धर्मो पर अंगुली उठाकर उसकी बुराइयाँ गिनाई जाती थी. लोंगो में कटुता बढ़ रही थी, लोग एक दूसरे के साथ इस तरह का बर्ताव कर रहे थी यदि पा जाते तो जान से मार देते...... देखा जाय तो ब्लॉग जगत में वैचारिक आतंकवाद ने कब्ज़ा जमा लिए था .. यह सब देखकर मुझे बहुत झोभ हुआ. फिर मैंने सोचा की एक ऐसा संगठन बनाया जाय, जहा पर प्रेम हो, भाईचारा हो, परिवार जैसा प्रेम हो, इस संगठन के लोग आपस में इतने घुल मिल जाय की इन्ही ब्लोगर भाइयो में किसी के चेहरे पर दोस्त, किसी के भाई, किसी के बहन, किसी के माँ, कोई पितातुल्य झलक दिखाई दे. इसी सोच के साथ मैंने इस सामुदायिक ब्लॉग की परिकल्पना की थी.
प्रश्न २.. { थोडा सकुचाते हुए} महाशय बुरा मत मानियेगा मुझे विश्वस्त सूत्रों से पता चला की शुरुवाती दौर में आपको आरोप भी झेलने पड़े थे ?
उ० ..... देखिये जब भी आप कोई सोच लेकर जायेंगे. तो लोंगो के सामने नयी होगी, लिहाजा आपकी बातों के अन्दर छुपे भाव को नहीं पहचान पाएंगे, शुरुवाती दौर में आपको ऐसी परिस्तिथियों का सामना करना पड़ेगा, और इसमें छुपा क्या है यह खबर तो चारो तरफ हवा में उड़ रही थी.
प्रश्न.. ३......... आप पर आरोप लगाये गए की आप एक संगठन में रहते हुए इतना गलत कम किया ?
उ०....... {गंभीर होकर} जी नहीं यह आरोप सरासर गलत है. मैं नेट पर बैठने का आदती था. अक्सर मैं लोंगो के ब्लॉग पढता था. एक दिन हंसी हंसी में अपना ब्लॉग बना डाला, जबकि इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी. यह घटना २०१० की है... ब्लॉग का नाम रखा "डंके की चोट पर", एक दिन खेल खेल में लखनऊ ब्लोगर असोसिएसन पर नजर पड़ी और उसमे लेखक के तौर पर जुड़ गया, फिर पता नहीं कैसे LBA के संयोजक सलीम भाई की नजरे इनायत हम पर हुई और उन्होंने हमें प्रमुख प्रचारक की जिम्मेदारी सौंप दी, { हँसते हुए} भैया इ बताओ जरा, हलवाई के दुकनिया के आगे से निकलत कई जो घी सिर्फ सुंघा हो वह भी डालडा , ओकरा के देशी घी का कटोरा दै दोगे त का उ पागल न होई जाई... अब उही हाल हमरो हुआ. हम त ख़ुशी क मारे नाचे लागली न भैया. अब इ बताव हमरा के जो हमरा एतना पहचान बनौलेस ओकरा के धोखा देइब, इही बदे हमका जब कोई गाली भी देहलेश हम ओकरा का नादानी सोच के माफ़ कई देहली.
ब्यूरो...... हरीश जी, प्लीज यहाँ पर पढ़े लिखे लोग आयेंगे, इस देहाती भाषा को न बोलिए.
हरीश सिंह .... क्यों भाई अरे थोडा सा भावुक हो गया था तो अपनों में ही खो गया. गाव की याद आयी तो बोली भी निकलने लगी, और इसमें शर्म कैसी, जब पंजाब के लोग पंजाबी, महराष्ट्र के मराठी, गुजरात के गुजराती, बंगाल के बंगाली बोलते है तो शर्म नहीं आती. जब हम अपनी मिटटी की भाषा बोलते है तो लोंगो को शर्म आने लगती है. हमारी क्षेत्रीय बोलिया हमारी साँस है, हमारा बचपन है. यही बोलकर हम खेले कूदे, जब हम मिटटी में खेलते थे, पानी और मिटटी के छींटे अपने शारीर पर लगा लेते थे , जिस मिटटी माँ की डांट पड़ी, दुलार मिला, हम पढ़ लिखकर उसी को भूल जाते है, यह कैसी शिक्षा है जो हमारे अन्दर शर्म की भावना पैदा करती है. अहंकार, शर्म, घमंड, पाखंड जलन जैसी भावनाए ही समाज से भाईचारा व प्रेम को ख़त्म कर रही है... खैर छोडिये मैं जब गंभीर होता हु तो मैं खुद को ढूंढता हु और बच्चा बन जाता हूँ. और बच्चे तो वही बोलेंगे न जो आज भी गावो में मिटटी लगाकर बोलते हैं. .
हा तो मैं बता रहा था. की जिस ब्लॉग से मुझे पहचान मिली उसी के साथ गद्दारी कदापि नहीं. जब मैंने उस संगठन की सदस्यता ली थी तो किसी भी नियम कानून की बात नहीं थी. यह नहीं कहा गया था की समाज में प्रेम व भाईचारा के लिए कोई काम नहीं हो सकता. हा उस वक्त उत्तरप्रदेश ब्लोगर असोसिएसन का गठन लोंगो को गलत लगा लेकिन मुझे नहीं.... क्योंकि मैं एक मिसन के तहत कम कर रहा हूँ.. और वह मिसन यह था कि. .............. { जाने दीजिये बाकी बाते कल होंगी}
ब्यूरो....... {हडबडाते हुए} अरे नहीं सर संपादक महोदय नाराज़ हो जायेंगे. कहेंगे आधी बात लेकर आये हो आधी तनख्वाह दूंगा.... }
हरीश सिंह....... अरे छोडो यार, तुम्हारा संपादक खुद ही महाकंजूस है, वह तुम्हारी जेब से निकाल लेगा, यह लो कुछ नोट रख लो उसके लिए भी मिठाई लेते जाना. हा खबर बढियां से लगाना नहीं तो सड़क पर चलना मुश्किल कर दूंगा चल अब फूट ले यहाँ से...
ब्यूरो---- सर जाते-जाते एक बात और बता दे, भारतीय ब्लॉग लेखक मंच के महाभारत में पोस्ट भेजने की अंतिम तिथि क्या है ?
हरीश सिंह--- हा यह बात जरुर छाप देना, इस विषय पर सिर्फ १५ मार्च तक पोस्ट भेजे जायेंगे, उसके बात समीक्षा शुरू होगी. एक बात और छाप देना १५ मार्च को मेरा जन्मदिन भी है. जिसे शुभकामना देना होगा वह दे देगा मैं किसी से मांगने नहीं जाऊंगा.
ब्यूरो----- बहुत बहुत धन्यवाद सर कल जरुर आईयेगा.
प्रस्तुति -- BKK ब्यूरो/भदोही/उत्तरप्रदेश मो. 7860754250
नोट--- ब्लॉग कि खबरे के पत्रकारों द्वारा अब खुलेगी सलीम खान, डॉ. अनवर जमाल, डॉ. श्याम गुप्ता. सहित कथित असली ब्लोगर संगठनो के पोल, साक्षात्कार की अगली कड़ी कल. भूलियेगा मत वर्ना यह पढने का कीमती मौका दुबारा नहीं मिलेगा.
4 comments:
आहि दादा ! लागताs हमरा पोल खुलिये जाई....! हरीश दादा !! तानी बचा के हो ! वैसने जोगीरा सारा रारा होवे वाला बाs ई फागुन में !!!
ब्लॉग-संग्राम में कूड़े के मन बनिए गईल बाs अब....!
भाई BKK ब्यूरो प्रमुख जी ! मिट्टी की भाषा तो हमारी भी है लेकिन फिलहाल तो मिठाई की भाषा बोलने का मन कर रहा है ।
आप तो कमाल के रचनाकार हैं साहब । आज पहली बार मैं आपके लेखन का कायल हुआ अब तक महज आपकी मुहब्बत का कायल था।
और हाँ , पत्रकार का भी एक धर्म होता है कि वह जनहित में सूचना को सामने लाए लिहाज़ा आप ऐसा ही करना और इसके लिए न तो अपने साथ रियायत करना और न ही मुझे बख़्शना। आप एक ब्लाग पत्रकार हैं और बिना किसी रिश्ते नाते की परवाह किए खोल दीजिए पोल डंके की चोट पर।
...और भाई हम कंजूस नहीं हैं लेकिन ईमानदार कड़की के शिकार रहते ही हैं और हिंदी लेखक की हालत भी पतली ही रहती है । सो तनख़्वाह न तो आप माँगना और न ही मैं दूंगा ।
लेकिन जो आनंद आपको ब्लॉग पत्रकारिता करके मिलना आज से शुरू हुआ है वह रोज ब रोज बढ़ता ही चला जाएगा ।
ब्लॉग जगत के पोस्ट माफ़ियाओं में आपका भय मुझसे भी अधिक व्याप्त हो ऐसी कामना मैं करता हूँ और कोशिश आप खुद करना वर्ना सफलता नहीं मिलेगी ।
आपकी शानदार पेशकश के लिए मैं आपको प्रमोशन का वचन देता हूं ।
कृप्या अब खेल खेल में कोई पूर्वाचंल ब्लॉग टाइम्स शुरू मत कर दीजिएगा । आपका तो खेल ठहरता है , अगले बंदे की जान हलक़ में आ जाती है ।
एक बार फिर महाशुभकामना ।
गिरा डालो हरेक नक़ली सिकंदर को असली में !
mithaa mithaa pyaara pyaara lekhn chahiye. akhtar khan akela kota rajsthan
संपादक महोदय जी, यह परिकल्पना आपने जो की है वह निश्चय ही बहुत सोच विचार के बाद किया होगा, पर आपको बता दे की पत्रकारिता का एक मापदंड भी होता है, इस ब्लॉग की गरिमा यदि वास्तव में बढ़ानी है एक बात का आपको खास ख्याल रखना होगा. पत्रकार कोई संगठन या धर्म नहीं, यह मिशन है, समाज की सच्चाईयों को सामने लाने का, यदि वास्तव में पत्रकारिता करनी है तो जब आपकी निगाह खबर पर हो तो यह भूल जाईये की आप किस धर्म किस जाती से ताल्लुक रखते हैं. आप सिर्फ एक पत्रकार हैं. निश्चय ही जब भड़ास 4 मिडिया , प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मिडिया की ख़बरें लोंगो को दे रहा है तो ब्लॉग की खबरे क्यों नहीं.
जिस कार्य को आपने शुरू किया है. वह बहुत जिम्मेदारी का कार्य है, यदि आप चाहते है की यह ब्लॉग बुलंदियों को छुए तो. आपको बदलाव लाना होगा. जब आप अन्य ब्लोगों पर संपादक की हैसियत से जाय तो भूल जाय की आप अनवर जमाल हैं, आप सिर्फ संपादक है, चाहे वह कोई ब्लोगर हो आपका परिचित या अपरिचित आप सिर्फ खबर की नजर से देखिये, घबराईये मत मई कुछ नया नहीं करूँगा, आपसे मेरा वडा है, बल्कि आपका सहयोगी रहूँगा... एक पत्रकार की हैसियत से..... मैंने बिना आपसे पूछे ब्यूरो चीफ बन गया क्योंकि मुझे पता है की मैं उस लायक हूँ. यह मेरा अहंकार नहीं मेरा विश्वास है. यदि समय मिलता रहा तो मैं दिखाऊंगा ब्लोगिंग की पत्रकारिता कैसी होती है और इसी ब्लॉग पर. देखिये लोंगो की भीड़ खुद बी खुद जमा हो जाएगी.
आपको बता दू मेरा जो साक्षात्कार छप रहा है यदि फुर्सत मिलती रही तो यह ब्लॉग का सबसे बड़ा इंटरव्यू होगा. और इस्न्तार्व्यु के अंत तक लोग जन जायेंगे मेरी इच्छा किसी को नीचा दिखने की नहीं बल्कि कुछ और है.......... बाकि फिर कभी, जब तक जिन्दगी है बात तो चलती रहेगी.
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