ब्लागर्स भाईयों ! आज अनवरत लिखने वाले आपने डी. आर . द्विवेदी जी के ब्लॉग पर हमने अजीब मामला देखा . वे पहले फिरदौस जी को भड़काया करते थे लेकिन आजकल कोई मिल नहीं रहा है तो औरतों के पूरे ग्रुप को ही भड़का रहे हैं कि वे समानता पाने के लिए धर्म की सत्ता के खिलाफ बग़ावत कर दें . मैंने उन्हें टिप्पणी करके अपना नजरिया दिया और बताया कि धर्म में कमी नहीं है और न ही पहले कभी थी . कमी हमारे समाज में है कि वह धर्म के धंधेबाजों को अपना गुरु बनाती है और सच्चे धार्मिक लोगों की अवहेलना कर देती है लेकिन जनाब ने मेरा कमेन्ट तीन बार मिटा दिया . फिर मैंने आपने कमेन्ट का मसव्विदा कुछ कम किया , अब मालूम नहीं कि वे उसे जिंदा छोड़ेंगे या उसे भी spam के घाट उतार देंगे .
उस मूल कमेन्ट को आप यहाँ देख सकते हैं.
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/03/women-are-different.html
आपके दोस्त एम अफसर खान सागर का नया अवतार....
आदाब
सभी को एम अफसर खान सागर का सलाम
उस मूल कमेन्ट को आप यहाँ देख सकते हैं.
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/03/women-are-different.html
एक कमेन्ट में मैंने इन पंक्तियों का इज़ाफ़ा भी किया था :
साहिब जी , आपने अपने टिपण्णी बॉक्स पर एक आग्रह चिपका रखा है , फिर क्यों आपने मेरा कमेन्ट मिटा दिया ,
जबकि मेरा कमेन्ट किसी के मिटाए से नहीं मिटता .
मासूम साहब के दूसरे और तीसरे और चौथे मक़सद के लिए हिंदी ब्लागर्स की एक अंतर्राष्ट्रीय मार्गदर्शक मंडली का गठन किया जाना समय की मांग है.
इसका मैं समर्थन करता हूँ , उन्हें या तो मुसलमान रहना चाहिए या फिर अमन का पैगाम देना चाहिए , वे दोनों काम एक साथ करके 'इस्लाम और मुसलमान' का नाम क्यों रौशन करना चाहते हैं ?
जबकि मेरा कमेन्ट किसी के मिटाए से नहीं मिटता .
मासूम साहब के दूसरे और तीसरे और चौथे मक़सद के लिए हिंदी ब्लागर्स की एक अंतर्राष्ट्रीय मार्गदर्शक मंडली का गठन किया जाना समय की मांग है.
इसका मैं समर्थन करता हूँ , उन्हें या तो मुसलमान रहना चाहिए या फिर अमन का पैगाम देना चाहिए , वे दोनों काम एक साथ करके 'इस्लाम और मुसलमान' का नाम क्यों रौशन करना चाहते हैं ?
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तो साहब , यह आलम है इन तथाकथित बुद्धिजीवियों का . अपने नज़रिए के खिलाफ किसी की भी सुनना नहीं चाहते . बस हमने धर्म को बुरा बता दिया तो बता दिया . अब जिसे साबित करना हो तो उसे बुरा साबित करे , कोई सच्चा आदमी धर्म के गुण गायेगा तो यह उसके दूसरे मकसद नाहक ढूँढेंगे जबकि अपनी ज़िन्दगी चाहे पहले मकसद से भी खाली हो .
देहाती कहावत है कि
रांड तो यही चाहती है कि सबके खसम मर जावें .
अपना धर्म तो ये लोग बिगाड़ बैठे , अब बजाय उसे ठीक करने , बल्कि धर्म को क्या खुद अपने आपे को ठीक करने के औरतों को कह रहे हैं कि धर्म से बगावत कर दो और औरतें हैं कि बगावत करना ही नहीं चाहतीं . हर साल करवा चौथ रखने वाली औरतों की तादाद बढ़ती ही जा रही है.
डा. श्याम गुप्ता जी की आज की पोस्ट भी द्विवेदी जी की बात का एक मुनासिब जवाब है :
भारतवर्ष का धर्म उसके पुत्रों से नहीं , उसकी संस्कारवान कन्याओं से ठहरा हुआ है | यदि भारत की रमणियाँ अपना धर्म छोड़ देतीं तो अब तक भारत नष्ट होगया होता | ---महर्षि दयानंद सरस्वती .....
अतः दयानंद जी के कथन को सामने रखते हुए द्विवेदी जी को भारत को नष्ट करने की प्रेरणा देने वाला माना जा सकता है .
अभी अभी देखा तो वकील साहब ने हमारा नया कमेन्ट भी हलाक डाला , काफी खुंदक में हैं , ऐसा लगता है .
2. इसी से के साथ एक खबर यह भी है कि आज हिंदी ब्लॉगर्स फोरम इंटरनेश्नल पर जनाब अफसर पठान साहब ने निराले अंदाज़ में अपनी आमद दर्ज कराई है आप भी देखें :
आदाब
सभी को एम अफसर खान सागर का सलाम
3 comments:
shukriya,
janab,
is banda nawaji ke liye.
shukriya,
janab,
is banda nawaji ke liye.
ha ha ah sahi kaha !
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