टूटे से फिर ना जुटे, जुटे गांठ पड़ जाय.
मनुष्य जीवन इस सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ रचना है. भगवन ने अपनी सारी कारीगरी समेट कर इसे बनाया है. जिन गुणों और विशेषताओं के साथ इसे भेजा गया है, वे किसी अन्य प्राणी को प्राप्त नहीं हैं. भगवान तो सबका पालनहार पिता है. उसे अपनी संताने एक सामान प्रिय हैं. और वह न्यायप्रिय है. स्वयं निराकार होने के कारण उसने मनुष्य को अपना मुख्य प्रतिनिधि बनाकर भेजा है. ताकि वह सृष्टि {विश्व व्यवस्था} की देखरेख कर सके. उसे उसकी आवश्यकता से अधिक सुख सुविधाएँ और शक्तियां इसलिए दी हैं की वह उसके विश्व उद्यान को सुन्दर,सभ्य और खुशहाल बनाने में अपनी जिम्मेदारियों को ठीक ढंग से निभा सके.
पर मनुष्य की पिपाशा, लोभ और स्वार्थ इतना बढ़ गया है की वह विश्व उद्यान को सजाने सवारने के बजाय उसे नष्ट करने में जुट गया है. हम सभी मानते हैं की ईश्वर एक है, मात्र वही एक पालनहार पूरी सृष्टि का सञ्चालन कर रहा है. धर्म या जाति का बंटवारा ईश्वर ने नहीं बल्कि मनुष्य ने किया है. हिन्दू मानता है की मनु और सतरूपा से मनुष्य जाति का प्रादुर्भाव हुवा और मुसलमान आदम और हव्वा को बताता है. मेरी खुद की सोच है की दोनों एक को ही अलग अलग भाषाओ में परिभाषित करते हैं. हो सकता है की यही सोच आप लोंगो की भी हो. जब सभी मनुष्य जाति एक ही पूर्वज की संतान हैं तो झगडे किस बात के हो रहे हैं. सभी आपस में भाई-भाई होने के बावजूद क्यों लड़ते हैं. यह श्रृंखला जब मैंने शुरू की तो कुछ लोंगो ने मुझपर आरोप लगाये की मैं सलीम खान और अनवर जमाल का समर्थन करता हू, जी नहीं यह बात सर्वथा अनुचित है. दोनों ब्लोगर हैं मैं दोनों का सम्मान करता हूँ. पर आपत्तिजनक विचार किसी के हो उसका मैं समर्थन नहीं करता. और न ही "बी एन शर्मा जी ,सुरेश चिपलूनकर जी हमारे लिए दुश्मन है. आगे पढ़ें........
2 comments:
भाई हरीश जी ! जहां गंदे लोग होते हैं , अच्छे लोगों की ज़रुरत वहीं पर तो होती है .
अंधेरों के डर से दिए खुद को बुझाया नहीं करते . आपने मेरे लेखों की तारीफ़ की अच्छा लगा .
शिव जी के बारे में जब मैं अच्छा लिखूंगा तो उनके बारे में भला मैं गलत कैसे लिख सकता हूँ ?
अगर ऐसी कोई बात आपकी नज़र से गुज़री है तो आप उसे बताएं ताकि मैं उसे क्षमा सहित वापस ले लूं .
शुक्रिया .
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/04/lord-shiva-and-first-man-shiv-ji.html
hrish bhaai sch khte hain sch likhte hain hrish bhaai zindabaaad. akhtar khan akela kota rajsthan .
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