Sunday, May 8, 2011

में कलम से हाले दिल कहता गया ...समीरलाल उड़नतश्तरी

में कलम से हाले दिल कहता गया ...समीरलाल उड़नतश्तरी

   ख़यालों की उढ़ान, अपने हिंदी अल्फाजों में सजाकर ,ब्लोगिंग करने वाले, एक भारतीय शख्स, जिसे हिंदी ,हिंदीवासी  और भारतीयों से प्यार है, उस आदमी का नाम ,समीरलाल है, जिन्होंने जबलपुर से कनाडा तक का सफर तय करने के बाद भी ,भारतीयता और हिंदी का दामन ,नहीं छोड़ा है और इसीलियें ऐसी राष्ट्रप्रेमी हिंदी प्रेमी शख्सियत को खुद बा खुद सलाम करने को जी चाहता है ..........जबलपुर में रहने के बाद कनाडा के टोरंटो और फिर एजेक्स ओटोरीया कनाडा में बस जाने वाले भाई समीरलाल हिन्दुस्तानी है, इनका दिल हिन्दुस्तानी है ,इनकी लेखनी, इनकी जुबान ,और साहित्य ,हिन्दुस्तानी है, इनकी भाषा, हिन्दुस्तानी है ,और इसीलियें कहते है के सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ..कनाडा में भाई समीरलाल  एकाउंटिंग सलाहकार के कार्य से जुड़े हैं,और रोज़गार के सिलसिले में कनाडा ही बस गए हैं ,लेकिन भारत से इनका जुड़ाव आत्मिक होने से वोह भारत और भारतीयों से लगातार जुड़े रहे हैं ..............
अखिल ब्राह्मण ब्लोगर  संगठन ....उड़नतश्तरी ....लाल और बवाल जुगलबंदी ...tech notes exchange .... जेसे ब्लॉग बनाकर, उनपर नियमित अपनी लेखनी के माध्यम से दस्तक देने वाले, पहले , ऐसे ब्लोगर हैं ,जो हर भारतीय ब्लोगर के ब्लॉग पर घूमते हैं, उसे पढ़ते हैं ,और फिर अपने प्यार भरे अल्फाज़ ,टिप्पणी के रूप में परोसते हैं ....इनके ब्लॉग का सारांश इन्होने ,,जान निसार अख्तर के एक शेर में समो दिया है वोह लिखते हैं ..और क्या इससे ज्यादा कोई नरमी बरतूं ..दिल के जख्मों को छुआ है तेरे गालों की तरह ,इस शेर को अपने ब्लॉग पर सजा कर भाई समीरलाल जी ने अपने दिल की बात कह डाली  है, साथ ही भाई समीरलाल, विदेश में रहकर भी अपनी धर्म परम्पराओं को नहीं भूले हैं, उन्होंने इसी ब्लॉग पर हनुमान चालीसा.आरती संग्रह .......भी लगा रखा है ...भाई समीर लाल एक ऐसे ख्यातनाम लेखक हैं के इनकी ब्लोगिंग अधिकतम अख़बारों में छाई रहती है ,देश के हिंदी देनिक समाचार पत्रों में  इनके हिंदी ब्लोगिंग लेख व् रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं ......भाई समीरलाल साहित्य की दुनिया में पुस्तक प्रकाशन में भी नाम कमा चुके हैं ग्रीन पब्लिकेशन के माध्यम से इनकी पुस्तक बिखरे मोती .देख लूँ तो चलूं प्रकाशित हुई है जिसे देश के अधिकतम साहित्यकारों .ब्लोगरों और पत्रकारों ने सराहा है ..भाई समीर लाल केनेडा में रह कर भी, देश की हिंदी भाषा ,और पर्यावरण के प्रति चिंतित हैं वोह पर्यावरण के लियें .....धरा बचाओ पेढ़  लगाओं...... का नारा बुलंद करते हैं तो दुसरे तरफ हिंदी में लिखने की अपील इसी ब्लॉग पर करते हैं ...इनकी ब्लोगिंग मार्च २००६, में शुरू हुई लेकिन पहली रचना समीरलाल जी ने अपने ब्लॉग पर फरवरी के अंतिम सप्ताह में लिखी थी उन्होंने लिखा था ........मेरी शुरुआत एक प्रयास हिंदी में लिखने का हिंदी में ब्लोगिंग का मन करा इसलियें लिखना शुरू किया है,इनके इस लेख पर जिसमे समीरलाल जी ने गागर में सागर भर दिया था, कुल आठ टिप्पणियाँ आयीं और इनके पहले टिप्पणीकार,, भाई अनिल जी बन गए ................भाई समीर कहते हैं के खयालों की बेलगाम, उढ़ान कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप ,और कभी कविता के माध्यम से, विचार प्रस्तुत है .........वोह लिखते हैं ..हाल में लेकर कलम में हाले दिल कहता गया .....काव्य निर्झर आप ही बहता गया ...और यह सही भी है, के भाई समीरलाल के विचारों की उड़ान उडन तश्तरी के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी तश्तरी की तरह उडी के विश्व के विचारों का एक सतरंगी इन्द्रधनुष उड़न तश्तरी ब्लॉग में बना डाला है ........इनकी दूसरी रचना पंडित काली भीषण शर्मा पर है, और पहली काव्य रचना, कभी जी भर का ख़्वाब लिए है .........भाई समीर लाल का ब्लॉग लाल और बवाल जुगलबंदी में दो साथियों की जुगलबंदी की जोड़ी से ब्लॉग बना है जिसमे एक वकील साहब और एक जनाब खुद समीर लाल ने अपनी रचनाओं को पेश कर ब्लोगर्स को लुभाया है इनकी महत्वपूर्ण प्रासंगिक रचना में मेरे पिता ने रुपया छोड़ा नहीं होता ..मेरे भाई ने मुझ से मुंह मोड़ा नहीं होता काफी चर्चित रही है अब तक कुल ६६८९० लोगों की दाद प्राप्त कर चुके भाई समीरलाल जितने धार्मिक,जितने साहित्यकार जितने हिंदी प्रेमी जितने राष्ट्रीयता भाव रखने वाले है उतने ही भाई समीरलाल बहतरीन इंसान भी हैं और वोह सभी ब्लोगर्स से सम्पर्क कर प्यार बाँटने का काम भी करते रहते हैं .,इनकी एक मात्रत्व पर रचना आज के दिन प्रासंगिक है जो इन्होने वर्स २००६ में ही लिख डाली है ......इनके अंग्रेजी ब्लॉग में भी काफी लेख लिखे गए है जनाब ऐसे भारतवासी जो विदेश में रहकर भी अपनी मिटटी की खुशबु नहीं भूले हों यहाँ के मोसम ,यहाँ के त्यौहार ,यहाँ की समस्याओं ,यहाँ के लोगों के आचार विचार पर ब्लोगिंग करते हों यहाँ की भाषा को अपनाकर दूसरों को भी अपनाने की सलाह देते हों ऐसे राष्ट्रीय ब्लोगर,हिंदी साहित्यकार भाई समीरलाल की वैचारिक उड़ान की उडनतश्तरी को सलाम .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 comments:

Asha Lata Saxena said...

आपकी यह समीर जी से परिचय करवाती रचना बहुत अच्छी लगी |अच्छी पोस्ट के लिए बधाई |
आशा

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