सुशील गंगवार - मीडिया दलाल डाट.कॉम
लड़की - दारु - ड्रग्स का खुला कारोवार मेरी आखो के सामने चल रहा था इदर उधर वोदका , रम , बीयर , ब्रांडी , सिगरते के खाली पैकेट बिखरे पड़े थे और मुंबई मामू हाथ में डंडा लिए बीच पर टहल कदमी कर रहे थे | जैसे जैसे टाइम बढ रहा था नशे की काली रात अपने उफान पर थी , म्यूजिक की गति तेज हो रही है लड़के लडकिया मस्त हो कर नाच झूम रहे थे | हम चूतियों की तरह अपने हाथ पैर पटक रहे थे |
जो लड़के अपनी जुगाड़ लेकर आये थे वह काम क्रिया को बुझाने के लिए लड़की लेकर कमरे में घुस और निकल रहे थे | दलाल अपना माल खुले बेच रहे थे | सुबह के चार बजते बजते सभी नशे में वही पड़ी खटिया पर अपनी जुगाड़ के सीने पर सर रख कर सोये पड़े थे |
मै सोच रहा था यह कैसा साल का अंत है जो हमारे युवा पीड़ी की रगों में नशे का तीखा जहर भर रहा है | क्या यही दुनिया है जहा होता है जिस्म - नशे का खुला कारोबार | यह बाजार हर शनिवार और रविवार सजती है जह सिखाया जाता है नशा करना और लड़की को .. ........? मै अपने घर की तरफ रास्ता नाप ही रहा था तो एक मामू ने मुझे रोक लिया और बोला नया साल खतम हो गया घर जाओ | मैंने ऑटो पकड़ा और घर फूट लिया |
यह लेख सुशील गंगवार ने लिखा है जो पिछले ११ वर्षो से प्रिंट , वेब , इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए काम कर रहे है वह साक्षात्कार डाट.कॉम , साक्षात्कार टीवी .कॉम , साक्षात्कार .ओर्ग के संपादक है इनसे संपर्क ०९१६७६१८८६६ पर किया जा सकता है
यह लेख सुशील गंगवार ने लिखा है जो पिछले ११ वर्षो से प्रिंट , वेब , इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए काम कर रहे है वह साक्षात्कार डाट.कॉम , साक्षात्कार टीवी .कॉम , साक्षात्कार .ओर्ग के संपादक है इनसे संपर्क ०९१६७६१८८६६ पर किया जा सकता है
2 comments:
anvar bhaai bhtrin jnaab .akhtar khan akela kota rajsthan
A very sad situation and an alarm for everybody. If we want to save our children and comming generations from this type of society, then we have to look for the right path, understand the "Creation Plan of God", Know the objective of our lives and act accordingly.
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