मोक्ष के लिए आपको पुनर्जन्म और आवागमन में अंतर जानना होगा Salvation
और हमारा विश्लेषण भी जो देता है मुक्ति बोध , तुरंत.
वह ईश्वर हमसे प्रेम करता है। इसीलिए उसने हमें निष्पाप पैदा किया है। बच्चा हरेक मासूम है , पिछले पापों का कोई इतिहास किसी का भी नहीं है .
उसने हमें किन्हीं पिछले जन्मों का दंड भुगतने के लिए पैदा नहीं किया है .
उसने हमें किन्हीं पिछले जन्मों का दंड भुगतने के लिए पैदा नहीं किया है .
पुनर्जन्म और आवागमन में अंतर यह है कि
पुनर्जन्म परलोक में प्रलय के बाद होता है, इसी दुनिया में नहीं।
पुनर्जन्म दो शब्दों का योग है
पुनः और जन्म
जिसका अर्थ है दोबारा जन्म
दोबारा जन्म की बात हरेक धर्म-मत में मौजूद है।
स्वर्ग-नरक की बात भी हरेक धर्म-मत में मौजूद है।
इसी संसार में बार बार जन्म लेना आवागमन कहलाता है.
पुनर्जन्म एक हक़ीक़त है जिसकी पुष्टि सारी दुनिया करती है और आवागमन एक कल्पना है जिसके बारे में उसे मानने वाले तक एकमत नहीं हैं। कोई कहता है कि मनुष्य की आत्मा पशु और वनस्पति दोनों में जाती है और कोई कहता है कि नहीं केवल मुनष्य योनि में ही जाती है औ कोई कहता है कि मनुष्य की आत्मा मानव योनिऔर पशु योनि दोनों में जाती है . आवागमन में विश्वास रखने वाले कुछ ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि आत्मा का वुजूद ही नहीं होता . गर्ज़ यह कि हरेक अपनी अटकल से बोल रहा है .
84 लाख योनियों में जन्म-मरण के चक्र से छुटकारे को मोक्ष कहा जाता है।
ईश्वर ने यह चक्र बनाया ही नहीं है, सो मोक्ष तो वह दे चुका है,
बस आपको इसका बोध हो जाए।
पुनर्जन्म परलोक में प्रलय के बाद होता है, इसी दुनिया में नहीं।
पुनर्जन्म दो शब्दों का योग है
पुनः और जन्म
जिसका अर्थ है दोबारा जन्म
दोबारा जन्म की बात हरेक धर्म-मत में मौजूद है।
स्वर्ग-नरक की बात भी हरेक धर्म-मत में मौजूद है।
इसी संसार में बार बार जन्म लेना आवागमन कहलाता है.
पुनर्जन्म एक हक़ीक़त है जिसकी पुष्टि सारी दुनिया करती है और आवागमन एक कल्पना है जिसके बारे में उसे मानने वाले तक एकमत नहीं हैं। कोई कहता है कि मनुष्य की आत्मा पशु और वनस्पति दोनों में जाती है और कोई कहता है कि नहीं केवल मुनष्य योनि में ही जाती है औ कोई कहता है कि मनुष्य की आत्मा मानव योनिऔर पशु योनि दोनों में जाती है . आवागमन में विश्वास रखने वाले कुछ ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि आत्मा का वुजूद ही नहीं होता . गर्ज़ यह कि हरेक अपनी अटकल से बोल रहा है .
84 लाख योनियों में जन्म-मरण के चक्र से छुटकारे को मोक्ष कहा जाता है।
ईश्वर ने यह चक्र बनाया ही नहीं है, सो मोक्ष तो वह दे चुका है,
बस आपको इसका बोध हो जाए।
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