Sunday, July 24, 2011

क्या लेडी रचना का यह फ़ैसला दुरूस्त है ?

लेडी रचना ने शिखा कौशिक जी और शालिनी कौशिक जी, दोनों को ही ‘नारी‘ ब्लॉग से आउट कर दिया।
कारण ?
कारण केवल यह है कि लेडी रचना उन दोनों पर अपनी पसंद-नापसंद थोप रही थीं। वे जिस आदमी को नापसंद करती हैं, उसके ब्लॉग में वे लेख लिखती हैं।
लेकिन सवाल यह है कि उन्होंने बलि चढ़ाने के लिए ये दो ब्राह्मण कन्याएं ही क्यों चुनीं ?
उस आदमी के ब्लॉग में तो बहुत सी प्रतिष्ठित साहित्यकाराएं तक शामिल हैं।
बात यह है कि तानाशाही की चक्की में अपेक्षाकृत कमज़ोर ही पीसे जाते हैं। ये दोनों बहनें अपेक्षाकृत नई हैं और किसी गुट में भी नहीं हैं। ख़ुशामद और चापलूसी भी इनके मिज़ाज में नहीं है लिहाज़ा इन्हें पीसने के बाद लेडी रचना को किसी तूफ़ान के उठने की उम्मीद नहीं है।
नारी अधिकारों के लिए लड़ने का दावा करने वाली लेडी रचना ने दो नारियों की व्यक्तिगत पसंद-नापसंद के अधिकार का और राय की आज़ादी के इज़्हार के हक़ का ख़ून कर डाला और इस तानाशाही को नाम दिया इंसाफ़ का।
अगर यही इंसाफ़ है तो दो के साथ ही यह बर्ताव क्यों जबकि यह जुर्म तो और भी नारियां कर रही हैं और फिर भी वे ‘नारी‘ ब्लॉग में लिख रही हैं ?
आप बताएं कि क्या लेडी रचना का यह क़दम ब्लॉगिंग और इंसानियत के लिहाज़ से ठीक है ?
इसी के साथ यह भी देख लीजिए कि बोलते समय वे किस तरह की गालियों और मुहावरों का प्रयोग करती हैं ?
क्या इस तरह की अहंकारपूर्ण अभद्र भाषा बोलने वाली महिला को अपने लिए किसी सम्मान की आशा रखनी चाहिए ?
पूरी तफ़्सील जानने के लिए देखिए शिखा कौशिक जी की रिपोर्ट

रचना जी का शुक्रिया -नारी ब्लॉग से हटाने के लिए

15 comments:

रविकर said...

kya mahilayen apne se kam padhe-likhe aur kam hasiyat dar se shadi ke liye taiyaar hain ||

shikhaji charcha karaaiye is vishay par ||

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

हम अनपढ़, गंवार कुछ नहीं समझे कोई हिंदी में कुछ कहता या लिखता तब समझ आती. पढ़े-लिखे की लड़ाई में हम क्यों पड़े. जब सब ब्लोग्गर दूर खड़े होकर तमाशा देख रहे हैं, तब हम क्यों न देखें? हम तो ठहरे वैसे भी अनपढ़, गंवार और सिरफिरा.

शिखा कौशिक said...

अनवर जी -आपके द्वारा इस मुद्दे पर दिया गया समर्थन तारीफ के काबिल है .मेरे आलेख की भावना को आपने सही तरह समझा है .यह मेरा निजी मामला नहीं है .एक ब्लॉग से हटाया जाना भी कोई बहुत बड़ी बात नहीं .बात केवल इतनी सी है कि क्या हम विचारों की लड़ाई को व्यक्तित्व से जोड़कर किसी पर कुछ भी आरोप लगा सकते हैं .BBLM के तकनीकी सलाहकार योगेन्द्र जी ने तो मेरी इस पोस्ट को ही BBLM के योग्य नहीं माना क्योंकि उनका मानना हो सकता है की यह मेरा निजी मामला है और चैट व् मेल को ब्लॉग पोस्ट में शामिल करना निजता का हनन है पर विस्तृत दृष्टिकोण से विचार करें तो ये मामला प्रत्येक ब्लोगर की आजादी पर कुठाराघात है .अब या तो सामूहिक ब्लॉग पर यह नियम चसपा कर दिया जाये की आप इस ब्लॉग पर तभी सदस्यता ले सकते हैं जब आप ''XYZ ''व्यक्ति से कोई मतलब नहीं रखेंगे .जब आप ऐसा कोई नियम नहीं चसपा करते हैं तब ''XYZ ''से या उसके ब्लॉग से जुड़ने पर आपको क्यों कोई आपत्ति है .अंत में बस इतना कहना चाहूंगी कि सारे ब्लॉग जगत को ऐसी पोस्ट पर सांप सूंघ जाता है और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को बड़ा बढ़-चढ़ कर लिखते हैं .अरे भाई ये भी तो भ्रष्टाचार का ही रूप है .रमेश जी का शुक्रिया भी ह्रदय से करती हूँ .

रचना said...

शीखा जी अपना वो ईमेल देखे जो मैने आप को सबसे पहले दिया हैं जहां मैने कहा हैं की नारी ब्लॉग पर क़ोई एडिटिंग नहीं होती हैं पर क़ोई भी पोस्ट हटाई जा सकती बिना किसी सूचना के
और नारी ब्लॉग पर आप को हमेशा आदर और सम्मान दिया गया था और आप को मेल दे कर सूचित भी कर दिया गया था की जिस मंच पर आप हैं वहाँ मेरे खिलाफ लिखा जा रहा हैं आप को उसमे कुछ गलत लगा नहीं
और रह गयी बात ब्लॉग जगत के बोलने की तो आप जिनके सुर में सुर मिला कर बोल रही हैं और जिनसे समर्थन ले रही हैं पूरा ब्लॉग जगत इनको जानता हैं और ये कितने महिला हित के विरोधी हैं ये भी जानता हैं
बहन कहना इनके लिये क़ोई मतलब नहीं रखता हैं
अभी तो आप को जुम्मा जुम्मा बहुत कम वक्त हुआ हैं इनकी बहिन बने आगे आगे देखिये होता हैं क्या

रचना said...

जैसे आप को अधिकार हैं किसी से भी जुडने का वैसे ही मुझ अधिकार हैं की मै आप से जुड़ना बंद कर दूँ क्युकी आप के और मेरे सामाजिक सरोकारों का दायरा अलग हैं
साँझा ब्लॉग ज्वाइन करने से पहले ही सोच ले की वो ब्लॉग किसी नीति के तहत चलता हैं जैसे योगेन्द्र को ब्ब्ल्म के लिये आप की पोस्ट अनपयुक्त लगी . वैसे ही नारी ब्लॉग के लिये मुझे आप की सदस्यता अनपयुक्त लगी सो ख़तम करदी
कारण देना क्यों जरुरी हैं जब जुडने का क़ोई कारण नहीं था तो हटना हैं बताना क्यूँ जरुरी हैं
ईश्वर आप को सुरक्षित रखे यही कामना हमेशा करुँगी क्युकी डर हैं मन में आप के लिये , वही डर जो किसी भी स्त्री को होता हैं दूसरी स्त्री के लिये . आगाह कर दिया अपने कर्तव्य की इती कर ली

DR. ANWER JAMAL said...

O Revamper ! क्या आपके द्वारा किसी के चरित्र पर शक ज़ाहिर करना उचित है ?

रचना जी , पूरा ब्लॉग जगत तो आपको भी जानता है कि आप किस क़ुमाश की औरत हैं ?
‘क़ुमाश‘ एक उर्दू का लफ़्ज़ है, इसे इसलिए प्रयोग किया गया है ताकि आपका उर्दू का ज्ञान बढ़े। इसे जानने के लिए आपको किसी उर्दू जानने वाले की मदद लेनी पड़ेगी।
आपको कभी इन दोनों बहनों के लिए अपने आप से डर नहीं लगा ?
आपके जैसे ‘क्रांतिकारी विचारों वाली‘ औरतों के पास आज भी क़स्बों के वालिदैन अपनी लड़कियों को छोड़ते नहीं हैं, यह बात आप भी अच्छी तरह जानती हैं। इसका मतलब आपको तो अधिकार है जब चाहे जिसके चरित्र पर शक ज़ाहिर कर दिया और अगर कोई यही काम आपके साथ करे तो फिर अपने ब्लॉग को ‘रीवैम्प‘ तक करने पर उतारू हो जाती हैं।
दोहरे पैमाने लेकर चले हैं समाज में बदलाव लाने !
वाह!
तर्क न दे सकीं तो मन में शक का बीज ही बो दिया जाए , क्यों ?
हैं आप भी पूरी ही ।

Shalini kaushik said...

रचना जी आप हमें लेकर चिंतित हैं जानकर अच्छा लगा किन्तु आपकी ये चिंता कितनी निर्मूल है ये भी आप जन लें हम आज तक जिस माहोल में पले बढे हैं उसमे हमने हिन्दू मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोगो को साथ साथ रहते और एक दूसरे के लिए मरते मिटते देखा है .इसलिए आप यदि ये सोच रही हैं की आप इस तरह हमारे मन में अनवर जी के लिए शक के बीज बो देंगी तो ये केवल एक विफल प्रयास है.aapne हमें जिस तरह से ब्लॉग से अलग किया है ये बात तो हम आपके बारे में सोच सकते हैं आप हमसे कहती की मेरे ब्लॉग को छोड़ दो तो हम कभी का आपके ब्लॉग को छोड़ चुके होते जहाँ sach कहने का अधिकार ही नहीं है.और जहाँ आपकी इच्छा के विरुद्ध कोई जरा भी लिख दे तो आप अपने व्यवस्थापक अधिकार का तुरंत प्रयोग कर पोस्ट हटा देती हैं .

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

दोस्तों, आज तो कम से कम दिल से स्वीकार कर लो. भाई अनवर जमाल खान साहब बेशक धर्म से इस्लाम है.मगर उनका इरादा कभी किसी का अहित करना नहीं बल्कि सच का साथ देना और जब तक कोई सच का साथ देगा और सच का गला नहीं घोटेगा. तब तक सिरफिरा हर उस व्यक्ति के साथ खड़ा है.जिस दिन उसने सच का दामन छोड़ा.उस दिन "सिरफिरा" दामन छोड़ने में दो मिनट नहीं लगेगा.

आदरणीय शिखा कौशिक जी, आप भी आज उसी द्वध्द से लड़ रही है. जिससे कुछ दिनों पहले मैंने भी "भारतीय ब्लॉग समाचार" के मंच पर लड़ा था. उस दिन सभी को डॉ अनवर जमाल खान बुरे नज़र आ रहे थें, क्योंकि उन्होंने मेरी उस पोस्ट को यहाँ "रमेश कुमार जैन ने 'सिर-फिरा'दिया शीर्षक से पोस्ट लगा दी थीं.तब मैंने भी चैटिंग को शामिल करते हुए अपनी जिम्मेदारियां की जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की थीं. तब सम्मानीय और आपकी दोस्त शालिनी कौशिक ने उसी मंच पर उसको मेरी निजी मामला/ख़बरें कहकर अपमानित किया था. जब कोई ब्लोग्गर किसी के निजी दुःख और सुख में साथ नहीं दें सकते हैं. तब क्यों यह दोस्ती और भाईचारे का ढोंग? आज तक सिरफिरा ने "सच" का साथ दिया है और देता रहेगा.आज आप किन हालातों से गुजर रही हैं. मैं यह भली-भांति समझ सकता हूँ. वैसे तो आपके उस मंच पर लगी यहीं पोस्ट उस मंच के मापदंड को पूरा नहीं करती हैं. उसमें भी किसी की निजी समस्या है. उस मंच के उद्देश्य को पूरा नहीं करती हैं. मगर यहाँ पोस्ट डालने वाले भाई अनवर जमाल खान साहब की हैसियत और जिसकी यह समस्या(प्रधान संपादक-शिखा कौशिक)है, उनकी हैसियत मेरे से लाख गुना बड़ी है. आखिर यह भेदभाव क्यों? सिर्फ इसलिए मैं गरीब, लाचार, कमजोर था. गरीब, लाचार और कमजोर को कोई भी थप्पड़ मार लेता हैं. अपने से ताकतवर को मारे तब बहादुरी है. आज कहाँ गई उस मंच के मंडल और मालिक की ताकत? उस दिन एक-दो को छोड़कर बाकी मौन थें और आज भी मौन क्यों है? यानि यहाँ पर तमाशा देखने वाले ज्यादा है. बल्कि आगे बढ़कर "सच" का समर्थन करने वाले कम है. मैंने जो कहा करके दिखाया और आगे भी दिखता रहूँगा. इसका सबूत भी उन्हें ईमेल करके दे रहा हूँ. जब सच का कोई साथ ना दें तब सिरफिरा के पास आये.सिरफिरा सच के लिए अपना सिर भी कटवाने के लिए तैयार रहता है.

मैं पहले भी कहता आया हूँ और आज ब्लॉग जगत पर कह रहा हूँ कि-मुझे मरना मंजूर है,बिकना मंजूर नहीं.जो मुझे खरीद सकें, वो चांदी के कागज अब तक बनें नहीं.दोस्तों-गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

अंकित कुमार पाण्डेय said...

मैं ना तो नारी ब्लॉग का पाठक हूँ और ना ही रचना जी का कोई विशेष समर्थक हूँ और ही शालिनी जी या शिखा जी का विरोधी हूँ , अपितु मैं शिखा जी के ब्लॉग का पाठक हूँ तो इस विवाद से मेरा कोई सम्बन्ध नहीं है और शायद इस लिए मैं कोई टिप्पणी भी नहीं करता इस लेख पर परन्तु मैं सबका ध्यानाकर्षण करना चाहता हूँ वुछ विशेष लोगों की के कार्य की तरफ (वैसे हम उन से यही आशा करते हैं ) , उन लोगों को को ना तो शिखा जी से कोई सहानुभूति है और ना ही उसने यह लेख उनके समर्थन में लिखा है क्यों की अगर ऐसा होता तो यह पंक्ती ना होती "लेकिन सवाल यह है कि उन्होंने बलि चढ़ाने के लिए ये दो ब्राह्मण कन्याएं ही क्यों चुनीं ?" , इस बात से साफ़ है की कुछ विशेह लोगों ने इस प्रकरण को एक अवसर के रूप में लिया है , और वो इसे जातिगत दिशा देना चाहता है | हो सकता है रचना जी घमंडी हों या तानाशाह हों ,और शानिली जी का नया मंच बनाना भी एक अच्छा निर्णय हो सकता है , परन्तु अनवर जमाल को इस नए प्रकरण को भारतीयता और हिंदुत्व के विरोध के प्रयोग करने का अवसर देना उचित नहीं होगा |

आशुतोष की कलम said...

मुझे लगता है आप सभी सम्मानित माताओं बहनों को एक दुसरे की बातों पर गौर करना चाहिए..
महिलाओं के बारे में स्तरहीन बातें कुछ लोगों ने की. और ब्लॉग जगत में कुछ लोगों ने एक अभियान चलाया है संगठित होते एक समाज विशेष को तोड़ने का..उसी क्रम में ये अगली कड़ी है..
पुरुष ब्लोगरों की कुश्ती रोज दिखती थी..मगर हमरी माताएं बहने हमेशा से जोड़ने का काम करती रहीं हैं..
ये मेरी व्यक्तिगत राय है की हम किसी एक व्यक्ति को हमारी शक्ति को आपस में लड़ाकर ख़तम करने का अधिकार नहीं दे सकते..
बाकि आप सभी प्रबुद्ध हैं...
जय श्री राम..

DR. ANWER JAMAL said...

@ अंकित जी ! इसे जातिगत रूप भी आप ही दे रहे हैं और इसे एक अवसर के रूप में भी आप ही ले रहे हैं कि लेडी रचना की तरह आपके वर्गबंधुओं को भी इन दोनों सत्यघोषी लड़कियों का हमारे हक़ में गवाही देना सदा से ही अखरता आया है।
आपकी पीड़ा को हम सभी ख़ूब समझ रहे हैं। थोड़ी बहुत अक्ल दूसरे भी रखते हैं रीयल स्कॉलर भाई ।

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

दोस्तों, क्या किसी ब्लोग्गर की पोस्ट पर जाकर उसकी तारीफ़ करना जरुरी है? यहाँ पर गेहूं के साथ घुन को भी पीसा जाता है. लेकिन मुझे आदरणीय रचना जी के ब्लॉग पर जाकर ऐसा ही महसूस हुआ. आप सभी सिरफिरा का पागलपन देखे और आदरणीय रचना जी की समझदार भी नीचे देख लें.
इन दिनों आदरणीय रचना जी पूरी पुरुष और नारी समाज से रुष्ट है. इसका जीता जगाता नमूना आप स्वयं नीचे देखें. मेरे दोस्तों मेरी आलोचना जरुर करें. मगर बात और विचारों को समझकर.
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आप मेरे ब्लॉग पर २७ बार एक ही कमेन्ट ना किया करे.कमेन्ट मिल गया अनुपयुक्त था नहीं छापा.
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2011/7/26 रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"
रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" has left a new comment on your post ""बेटा जी " तुम सही हो ।":
@रचना जी, आपकी पोस्ट में कई शब्द अंग्रेजी में है. जो मुझे समझ नहीं आये.वैसे आप दोनों महिलाओं की वैचारिक लड़ाई में किसी को कुछ नहीं मिलना वाला है. बल्कि कुछ ब्लॉग जगत बुध्दिजीवी वर्ग के लोग जरुर दो धड़े में बंट जायेंगे.इससे ब्लॉग जगत का नुक्सान होना निशिचत है.जब तक दोनों महिलाओं का पक्ष नहीं जान लूँ.तक मेरे लिए कोई भी अपने विचार रखने में असमर्थ हूँ. फ़िलहाल मेरी अपनी निजी कुछ समस्याओं के कारण परेशान हूँ, पता नहीं आप इससे अवगत है या नहीं. मगर दो पक्षों को जानने के लिए मेरे पास समय का अभाव है.आप ऐसा करें आप अपने सच के लिए लड़ते रहे और साथ में अपने समाज और महिलायों के हितों में कार्य निरंतर करते रहें. उसमें किसी योगदान के लिए नि:संकोच इस नाचीज़ को याद करें.आपकी सार्थक प्रशंसा और आलोचना करने के साथ ही अपने बहुमूल्य सुझाव से आपके ब्लॉग को अपनी टिप्पणियों से भर दूँगा.
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Posted by रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" to ब्लॉगर "रचना " का ब्लॉग " बिना लाग लपेट के जो कहा जाए वही सच है " at July 26, 2011 1:13 PM
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रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

ब्लॉग मालिक का अधिकार हैं वो जिसकी टिप्पणी रखे या डिलीट करे.आप दिनेश जी से इस सम्बन्ध में पता कर सकते हैं आप की टिपण्णी मेरी पोस्ट के लिये अन्पुयुक्त हैं डिलीट कर दी हैं
2011/7/26 रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"
रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" has left a new comment on your post ""बेटा जी " तुम सही हो ।":
@रचना जी, टिप्पणी डिलेट करने से कुछ नहीं होने वाला है. कर सको तो अपनी सोच को बदलने की कोशिश करों. अगर यह मानकर चल रही है कि मैं उस गुट का हूँ. तब आप भूल कर रही है. मैं "सच" के साथ हूँ. विश्वास ना हो तो कभी हमारे ब्लोगों का शोध करें. मुझे आशा है कि आप अब मेरी किसी टिप्पणी को नष्ट नहीं करेंगी. अगर आपको टिप्पणियाँ ही डिलेट करने में संतुष्टि मिलती हैं तो वादा रहा एक-दो दिन में इस पोस्ट को फिर देखूंगा और अगर मेरी टिप्पणी यहाँ नहीं हुई तब मैं आपको आपकी संतुष्टि के लिए दो* टिप्पणियाँ यहाँ पर पोस्ट करूँगा. फिर करते रहना "सिरफिरा" की टिप्पणियाँ डिलेट.
Posted by रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" to ब्लॉगर "रचना " का ब्लॉग " बिना लाग लपेट के जो कहा जाए वही सच है " at July 26, 2011 1:23 PM
___________________________________
* यहाँ में दो सौ लिखना चाहता था.मगर गलती से लिखना भूल गया था. मेरी बीमारी से शायद आप अवगत हो.
********************************
दोस्तों, यह सूचना मुझे ईमेल से मिली है. आदरणीय रचना के ब्लॉग पर मेरी पहले भी कई तारीफ वाली टिप्पणियाँ है. लेकिन अब हो सकता, अब उनको भी हटा दिया जाए या जाएगा.
जब मुझे एक ब्लोग्गर भाई ने लिंक बनाना सिखाया था. तब भी मैंने अपनी कई पोस्टों के लिंक उनकी अनेक पोस्टों पर छोड़े थें. मैं मानता हूँ कि-उन्होंने ही नहीं अनेकों ब्लोग्गर भाई ने उनको मेरे ब्लोगों का प्रचार समझकर प्रकाशित नहीं किया. इससे मुझे यह मालूम हुआ कि-यहाँ ब्लॉग जगत पर चापलूस प्रवृति का बनकर प्रचार किया जा सकता है. तब मैंने कुछ जगह लिंक छोड़ना बंद कर दिया. कुछक एक-आध अपवाद छोड़ दें. लगभग पूरा ब्लॉग जगत दूसरे की थाली में ज्यादा घी क्यों से ज्यादा दुखी है और द्वेष व ईर्षा भावना से पीड़ित हैं. मैंने अपने ब्लॉग पर ब्लॉग जगत के भले कहूँ या ब्लोग्गर भाई या अपने पढ़ने में सुविधा के लिए जो भी सार्थक ब्लॉग जानकारी में आये. उनको मान-सम्मान दिया.अब दोस्तों मेरी आलोचना जरुर करो, जिससे इस दूध पीते बच्चे को कुछ यहाँ की रणनीतियों की जानकारी हो जाए.
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हमारा उद्देश्य यहाँ पर किसी को नीचा दिखाना, अपमान करना या आहत करना नहीं है.सिर्फ बिना लाग लपेट के जो सच है वो ही कहने की कोशिश है. फिर भी किसी का मन या दिल आहत होता है. तब मुझे खेद है और क्षमा प्रार्थी हूँ.-आपका "सिरफिरा"

मैं पहले भी कहता आया हूँ और आज ब्लॉग जगत पर कह रहा हूँ कि-मुझे मरना मंजूर है,बिकना मंजूर नहीं.जो मुझे खरीद सकें, वो चांदी के कागज अब तक बनें नहीं.
दोस्तों-गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

Unknown said...

भटकते हुए "दुर्भाग्य" से इधर आ गया, और पाया कि अनवर जमाल साहब को 4-6 माह पहले जिस हालत में छोड़कर गया था, आज भी वे वहीं टिके हुए हैं… जरा भी आगे नहीं बढ़े। पिछले कुछ माह से हिन्दी ब्लॉगिंग में जारी इस थुक्का-फ़जीहत से दूर हो चला हूं, और ज़ाहिर है कि खुश हूँ, क्योंकि इससे मैं अपने नियमित लेखन और "राष्ट्रवादी" विचारधारा को प्रसार देने का काम बखूबी कर पा रहा हूँ।
इसीलिये शुरुआत में "दुर्भाग्य से" कहा, क्योंकि यहाँ आकर फ़िर से वही पुराने दिन याद आ गए।

बहरहाल, कौशिक बहनों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं हैं, वे खूब लिखें और नाम कमाएं… बस यदि थोड़ा समय मिले तो हिन्दी ब्लॉगिंग में पिछले साल हुई "धार्मिक समरसता"(?), ब्लॉगवाणी के बन्द होने के कारणों, रचना जी सहित कई अन्य महिलाओं पर फ़ेंकी गई कीचड़ इत्यादि के बारे में गूगल बाबा पर खोज करें… तो उनके ज्ञान में अभूतपूर्व वृद्धि होगी…

मैं तो नाचीज़ हूं, सिर्फ़ सलाह दे सकता हूँ…
बाकी सभी को राम-राम, पता नहीं दोबारा कब आना हो… क्योंकि आजकल फ़ेसबुक पर सक्रियता बढ़ा दी है।
(पता नहीं मेरा यह कमेण्ट यहाँ रहता भी है या नहीं… इसलिये चित्र लेकर रख लूं…)

DR. ANWER JAMAL said...

@ प्यारे बंधु ! अगर आप जानते कि
प्यार का रिश्ता ही इंसानियत की पहचान है
तो आज आप यूं न भटक रहे होते।
रचना जी के आड़े वक्त में आप सदा ही काम आए हैं।
आपकी कोई टिप्पणी कभी मिटाई हो तो बताएं ?
कोई भी नर-‘नारी‘ तब तक राष्ट्रवादी नहीं हो सकता जब तक कि वह मेरी तरह यह न मान ले कि
मैं ईश्वरवाद को मानता हूं और मनुवादी हूं। सारे मनुष्य एक ही मनु ‘स्वयंभू मनु‘ की संतान हैं। सारे मनुष्य एक ही परिवार हैं। मैं मनुवादी हूं। अतः मानवतावादी हूं। मैं सारी मानव जाति को एक परिवार और सारी धरती को एक घर मानता हूं। सारे मनुष्य वास्तव में एक राष्ट्र हैं। मैं इस राष्ट्र को मानता हूं और केवल इन्हीं अर्थों में राष्ट्रवादी हूं। मैं एक राष्ट्र को खंडित करने की निंदा करता हूं और इस एक धरती पर बहुत से राष्ट्रों के होने को नकारता हूं। मैं देश, भाषा और संस्कृति के आधार पर राष्ट्र का विभाजन स्वीकार ही नहीं करता। जो लोग यह विभाजन स्वीकार करते हैं और किसी राष्ट्रवाद की किसी भू-सांस्कृतिक अवधारणा में विश्वास रखते हैं, उन्हें पुनर्विचार की आवश्यकता है। यह अवधारणा मनुवाद के विपरीत है। अतः त्याज्य है।
‘जय श्री अनंत राम‘ हम भी बोलते हैं और कोई भी अच्छी बात बोलने में हमें कोई परहेज़ नहीं है।

आखिर कब तक चलेगा यह सब???

‘ब्लॉग की ख़बरें‘

1- क्या है ब्लॉगर्स मीट वीकली ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_3391.html

2- किसने की हैं कौन करेगा उनसे मोहब्बत हम से ज़्यादा ?
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

3- क्या है प्यार का आवश्यक उपकरण ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

4- एक दूसरे के अपराध क्षमा करो
http://biblesmysteries.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

5- इंसान का परिचय Introduction
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/07/introduction.html

6- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

7- क्या भारतीय नारी भी नहीं भटक गई है ?
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

8- बेवफा छोड़ के जाता है चला जा
http://kunwarkusumesh.blogspot.com/2011/07/blog-post_11.html#comments

9- इस्लाम और पर्यावरण: एक झलक
http://www.hamarianjuman.com/2011/07/blog-post.html

10- दुआ की ताक़त The spiritual power
http://ruhani-amaliyat.blogspot.com/2011/01/spiritual-power.html

11- रमेश कुमार जैन ने ‘सिरफिरा‘ दिया
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

12- शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड-4
http://shakuntalapress.blogspot.com/

13- वाह री, भारत सरकार, क्या खूब कहा
http://bhadas.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

14- वैश्विक हुआ फिरंगी संस्कृति का रोग ! (HIV Test ...)
http://sb.samwaad.com/2011/07/blog-post_16.html

15- अमीर मंदिर गरीब देश
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

16- मोबाइल : प्यार का आवश्यक उपकरण Mobile
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/mobile.html

17- आपकी तस्वीर कहीं पॉर्न वेबसाइट पे तो नहीं है?
http://bezaban.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html

18- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम अब तक लागू नहीं
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html

19- दुनिया में सबसे ज्यादा शादियाँ करने वाला कौन है?
इसका श्रेय भारत के ज़ियोना चाना को जाता है। मिजोरम के निवासी 64 वर्षीय जियोना चाना का परिवार 180 सदस्यों का है। उन्होंने 39 शादियाँ की हैं। इनके 94 बच्चे हैं, 14 पुत्रवधुएं और 33 नाती हैं। जियोना के पिता ने 50 शादियाँ की थीं। उसके घर में 100 से ज्यादा कमरे है और हर रोज भोजन में 30 मुर्गियाँ खर्च होती हैं।
http://gyaankosh.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.html

20 - ब्लॉगर्स मीट अब ब्लॉग पर आयोजित हुआ करेगी और वह भी वीकली Bloggers' Meet Weekly
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/bloggers-meet-weekly.html

21- इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
http://www.sahityapremisangh.com/2011/07/blog-post_3678.html

22- इसलाम में आर्थिक व्यवस्था के मार्गदर्शक सिद्धांत
http://islamdharma.blogspot.com/2012/07/islamic-economics.html

23- मेरी बिटिया सदफ स्कूल क्लास प्रतिनिधि का चुनाव जीती
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_2208.html

24- कुरआन का चमत्कार

25- ब्रह्मा अब्राहम इब्राहीम एक हैं?

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29- हरेक समस्या का अंत, तुरंत

30-
अपने पड़ोसी को तकलीफ़ न दो
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8- ख़ून बहाना जायज़ ही नहीं है किसी मुसलमान के लिए No Voilence
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9- धर्म को उसके लक्षणों से पहचान कर अपनाइये कल्याण के लिए
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10- बाइबिल के रहस्य- क्षमा कीजिए शांति पाइए
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11- विश्व शांति और मानव एकता के लिए हज़रत अली की ज़िंदगी सचमुच एक आदर्श है
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12- दर्शनों की रचना से पूर्व मूल धर्म
http://kuranved.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

13- ‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है Terrorism or Peace, What is Islam
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/07/terrorism-or-peace-what-is-islam.html

14- The real mission of Christ ईसा मसीह का मिशन क्या था ? और उसे किसने आकर पूरा किया ? - Anwer Jamal
http://kuranved.blogspot.com/2010/10/real-mission-of-christ-anwer-jamal.html

15- अल्लाह के विशेष गुण जो किसी सृष्टि में नहीं है.
http://quranse.blogspot.com/2011/06/blog-post_12.html

16- लघु नज्में ... ड़ा श्याम गुप्त...
http://mushayera.blogspot.com/2011/07/blog-post_17.html

17- आपको कौन लिंक कर रहा है ?, जानने के तरीके यह हैं
http://techaggregator.blogspot.com/

18- आदम-मनु हैं एक, बाप अपना भी कह ले -रविकर फैजाबादी

19-मां बाप हैं अल्लाह की बख्शी हुई नेमत

20- मौत कहते हैं जिसे वो ज़िन्दगी का होश है Death is life

21- कल रात उसने सारे ख़तों को जला दिया -ग़ज़ल Gazal

22- मोम का सा मिज़ाज है मेरा / मुझ पे इल्ज़ाम है कि पत्थर हूँ -'Anwer'

23- दिल तो है लँगूर का

24- लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी - Allama Iqbal

25- विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story)

26- शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया (ग़ज़ल)

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