दोस्तों ! एक है रमेश कुमार जैन,
जिनका दुनिया की हकीक़त
देखकर सिर-फिर गया.
और बस इसीलिए
वो रमेश कुमार जैन से
रमेश कुमार सिरफिरा हो गए.
पहले पत्रकार बने, फिर नेता बने
अब देख लो, बेहतरीन ब्लोगर बन गए है.
मन में जिनके निर्भीकता और
बेबाकी में भी अपनापन हो
सभी की मदद करने की चाहत
और हौंसला जिसके मन में हो
देखो मेरे भाइयों! अपनों के ही बेगाने हो जाने से
आज वो अकेले हो गए हैं.
संघर्ष ही जिनका जीवन बना हो
राह में जिनके कांटे ही कांटे बिछे हों
जिनके सत्य वचनों से
जिसका दुश्मन जमाना बना हो.
आज उन्हें देख लो मेरे भाइयों!
वो अपने साहस, धैर्य, त्याग,
तपस्या, बलिदान और संयम से
पप्पू की तरह से फिर पास हो गए है.
अख़बार जिनका "जीवन का लक्ष्य" हो
ब्लॉग जिनका खुद के नाम पर हो
दोस्त जिनके हजारों हों
ब्लोगिंग की रेटिंग जिनकी अव्वल हो
आज देख लो मेरे भाइयों!
वही रमेश कुमार जैन पहले सिरफिरा
और अब सबके अपने हो गए हैं
शोषण-उत्पीडन के खिलाफ जंग और
बेबाकी, सत्यता, ईमानदारी, कर्मठता
जिसका मकसद हो, आज उन्हें देख लो
वो अलग-थलग होकर भी
अपने इस संघर्षशील आचरण से
प्यार-मुहब्बत, इंसानियत, ब्लोगिंग
और पत्रकारिता के शीर्ष हो गये हैं
या चुट्किले अंदाज़ में यूँ कहिये
भाई रमेश, मुन्नी को बदनाम कर
शीला को जवान कर
भाई रमेश कुमार सिरफिरा जी
ब्लोगिग्न और पत्रकारिता की दुनिया के
दूसरे "दबंग" हो गए हैं
कुदरत का अजब नजारा
यह भी देख लो, राशि में लिखी है
जिनकी दुश्मनी हमसे वो फिर भी हमारे
दोस्त से भी बढ़कर भाई हो गए
भाईयों यह तो है, भाई रमेश कुमार जैन जी
आपका-अख्तर खान "अकेला"
अब ओर क्या कहूँ इनके बारें में ज्यादा अगर जानना हो मेरी कलम से तब यहाँ "यारों मैं बेफिक्र हुआ, मुझे 'सिरफिरा' सम्पादक मिल गया" पर करो क्लिक और जान लो. सिरफिरा के बारे में कुछ अंश लेकिन उनका परिचय उन्हीं के अंदाज़ में एक बार फिर से पेश हैं
रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"
लिंग: पुरुष, खगोलीय राशि: मेष, उद्योग: प्रकाशन
व्यवसाय: प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकारिता व विज्ञापन बुकिंग
स्थान: A-34-A,शीश राम पार्क, सामने-शिव मंदिर, उत्तम नगर, नई दिल्ली-59
फ़ोन: 09868262751, 09910350461, 011-28563826 : भारत
मेरे बारे में -मुझे अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा के कारण ही पत्रकारिता के क्षेत्र में 'सिरफिरा' प्रेसरिपोर्टर के नाम से पहचाना जाता है.अन्याय का विरोध करना और अपने अधिकारों हेतु जान की बाज़ी तक लगा देना.हास्य-व्यंग साहित्य, लघुकथा-कहानी-ग़ज़ल-कवितायों का संग्रह,कानून की जानकारी वाली और पत्रकारिता का ज्ञान देने वाली किताबों का अध्ययन,लेखन,खोजबीन और समस्याग्रस्त लोगों की मदद करना.एक सच्चा,ईमानदार, स्वाभिमानी और मेहनती इंसान के रूप में पहचान. मै अपने क्षेत्र दिल्ली से चुनावचिन्ह "कैमरा" पर निर्दलीय प्रत्याक्षी के रूप में दो चुनाव लड़ चुका हूँ.दिल्ली नगर निगम 2007,वार्ड न.127 व उत्तमनगर विधानसभा 2008 के दोनों चुनाव में बगैर किसी को दारू पिलाये ही मात्र अपनी अच्छी विचारधारा से काफी अच्छे वोट हासिल किये थें.मेरी फर्म "शकुंतला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" परिवार द्वारा प्रकाशित पत्र-पत्रिकाएँ-जीवन का लक्ष्य (पाक्षिक)शकुंतला टाइम्स(मासिक),शकुंतला सर्वधर्म संजोग(मासिक),शकुंतला के सत्यवचन(साप्ताहिक) ,उत्तम बाज़ार (त्रैमासिक) "शकुंतला एडवरटाईजिंग एजेंसी" द्वारा सभी पत्र-पत्रिकायों की विज्ञापन बुकिंग होती है.निष्पक्ष,निडर,अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक,मुद्रक,संपादक,स्वतंत्र पत्रकार,कवि व लेखक
रुचि
एक अभिलाषा-भ्रष्टाचार मुक्त सर्वक्षेष्ट व समृध्द भारत देश में प्रजातंत्र
कभी-कभार फुर्सत मिलने पर ही:-क्रिकेट देखना और खेलना
सांप-सीढ़ी और लूडो खेलना, दिमागी कसरत वाली गेम कंप्यूटर व टी.वी. पर खेलना.
पसंदीदा मूवी्स
- ऐसे सीरियल देखना जिनमें हंसी-मजाक के साथ कोई अच्छा संदेश हो और पारवारिक होने के साथ जीवन की राह पर चलने में मदद करते हो
- देशभक्ति की प्रेरणा देने वाली फ़िल्में देखना
पसंदीदा संगीत
- दर्द भरी गज़ल
- हरियाणवी-पंजाबी लोकगीत
- दर्द भरे-रोमांटिक-हिंदी पुराने व नये गाने
- एफ.एम रेडियो आदि सुनना
7 comments:
आज दोस्ती दिवस पर आपको और रमेश जैन जी को और तमाम दोस्तों को बधाई और शुभकामनाएं !
मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रता दिवस की शुभकामनाये .
दोस्तों, आप सभी को आज का दोस्ती वाला दिन मुबारक हो! क्या दोस्ती के लिए एक दिन ही निश्चत है? सच्ची और पवित्र दोस्ती निभाने के लिए हर रोज दोस्ती का दिन होता है. जब भी आपके किसी दोस्त को आपकी मदद की जरूरत हो. तब ही उसकी यथासंभव मदद करना ही पवित्र दोस्ती है.
anvar bhaai man aye bhaai aap pkke doctr ho aapne to opreshan kar sabhi kuchh plastik serjeri kar di or lekhan ko hiro banaa diya shukriyaa. akhtar khan akela kota rajsthan
अख्तर खान भाई, मैंने आपके इस "फ्रेंडशिप डे पर राशि अनुसार जानिए कौन हो सकते हैं आपके अच्छे दोस्त?" आलेख पर यह टिप्पणी ही तो गई थी कि इस आलेख के हिसाब से मैं आपके साथ शत्रुता रखता हूँ और आपकी मेरे साथ कम ही बनती है. अब अपने शत्रु के बारें में आपका क्या कहना है. तब आपने ईमेल भेज कह दिया था कि-भाई रमेश, आप जैसा प्यारा शत्रु अगर ईश्वर किसी को दे दें तो उसे फिर दोस्तों की क्या जरूरत है.वैसे भी कुछ दोस्त तो आस्तीन के सांप ही निकलते हैं. आप जैसा प्यारा शत्रु पाकर में तो धनी हो गया हूँ भाई. (अख्तर खान "अकेला", कोटा-राजस्थान) तब भाई आपको हमें इतना महान बताने की आवश्कता नहीं थी. महान खुदा कहूँ या भगवान है. मुझ नाचीज़ को नाचीज़ ही रहने दो. फिर भी आपकी भावनाओं की कद्र करता हूँ.वैसे आपने अपनी कविता में जितना में इस तुच्छ की खूबियों का जो वखान किया है.वो इस तुच्छ में कहाँ है? यह सब आपका प्रेम है. आपने इस तुच्छ को इतना मान-सम्मान दिया और उसके लिए इतना परिश्रम किया. जिसके आगे यह तुच्छ नमन करता है. आपने इस तुच्छ को इतना मान-सम्मान दिया और उसके लिए इतना परिश्रम किया.
Absolutely you are correct. I saw real life in your post. You have doing a good job. Keep on posting.
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