आप देख सकते हैं इस पोस्ट पर यह पूछते हुए कि
ये तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी का जि़क्र है जो (उसने) अपने ख़ास बन्दे
ज़करिया के साथ की थी (2) कि जब ज़करिया ने अपने परवरदिगार को धीमी आवाज़ से
पुकारा
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19 सूरए मरयम
सूरए मरयम मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी 98 आयतें हैं खु़दा के नाम शुरू करता
हूँ जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
काफ़ हा या ऐन साद (1)
ये तुम्हा...
1 comments:
भाई जान मेहनत से सब कुछ संभव है और भाई अनवर डोक्टर साहब जो महनत कर रहे हैं उससे कोई भी कामयाबी असम्ब्भव हो ही नहीं सकती इंशा अल्लाह कामयाब ही होंगे .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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