आप देख सकते हैं इस पोस्ट पर यह पूछते हुए कि
जिन (मुसलमानों) से (कुफ़्फ़ार) लड़ते थे चूँकि वह (बहुत) सताए गए उस वजह से
उन्हें भी (जिहाद) की इजाज़त दे दी गई और खु़दा तो उन लोगों की मदद पर यक़ीनन
क़ादिर (व तवाना)
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निरे खुरे अल्लाह के होकर (रहो) उसका किसी को शरीक न बनाओ और जिस शख़्स ने
(किसी को) खु़दा का शरीक बनाया तो गोया कि वह आसमान से गिर पड़ा फिर उसको (या
तो दर...
1 comments:
भाई जान मेहनत से सब कुछ संभव है और भाई अनवर डोक्टर साहब जो महनत कर रहे हैं उससे कोई भी कामयाबी असम्ब्भव हो ही नहीं सकती इंशा अल्लाह कामयाब ही होंगे .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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