यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे... |
और दिन की क़सम जब ख़ूब रौशन हो (2) और उस (ज़ात) की जिसने नर व मादा को पैदा
किया
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सूरए अल लइल मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी इक्कीस (21) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
रात की क़सम जब (सूरज क...
2 comments:
पढ़ा है.
@भूषण जी, आपका धन्यवाद!
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