यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे... |
और फिर (जब दोबारा) सूर फूँका जाएगा तो उसी दम ये सब लोग (अपनी-अपनी) क़ब्रों
से (निकल-निकल के) अपने परवरदिगार की बारगाह की तरफ चल खड़े होगे
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और फिर (जब दोबारा) सूर फूँका जाएगा तो उसी दम ये सब लोग (अपनी-अपनी) क़ब्रों
से (निकल-निकल के) अपने परवरदिगार की बारगाह की तरफ चल खड़े होगे (51)
और (हैरान ...
2 comments:
पढ़ा है.
@भूषण जी, आपका धन्यवाद!
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