यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे... |
और जिस वक़्त तारे गिर पड़ेगा (2)
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सूर, तक़वीर मक्का में नाज़िल हुआ और इसकी 29 आयतें हैं जिस वक़्त आफ़ताब की
चादर को लपेट लिया जाएगा (1)
और जिस वक़्त तारे गिर पड़ेगा (2)
और जब पहाड़ चलाए जाएँ...
2 comments:
पढ़ा है.
@भूषण जी, आपका धन्यवाद!
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