बेबसी चारो तरफ फैली रही.
जिंदगी फिर भी सफ़र करती रही.
अब इसे खुलकर बिखरने दे जरा
रौशनी सदियों तलक सिमटी रही.
The very first torch bearer of Virtual Journalism in Hindi.
बेबसी चारो तरफ फैली रही.
जिंदगी फिर भी सफ़र करती रही.
अब इसे खुलकर बिखरने दे जरा
रौशनी सदियों तलक सिमटी रही.
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1 comments:
bhaut khub....
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