मनोज कुमार जी की क़लम से
जाएं और सराहें
सूफ़ियों ने विश्व-प्रेम का पाठ पढ़ाया अंक-5
इस्लाम में सूफ़ीमत का विकास किसी धर्म में होने वाले रहस्यवादी आंदोलन (Mystic Movement) की सफलता और लोकप्रियता का महत्त्वपूर्ण और दिलचस्प इतिहास है। धीरे-धीरे नक़्शब, तिर्मीज़, नीशापुर, बुस्ताम, बग़दाद और शीराज़ सूफ़ीमत के अन्य प्रमुख केन्द्र बने। जैसे-जैसे इस्लाम अरब की सीमाओं से बाहर निकलकर पर्शिया, ईराक़, सीरिया, मिस्र और विश्व के अन्य देशों में फैलता चला गया, वैसे-वैसे मुसलमानों की संख्या-वृद्धि के साथ-साथ ही उन लोगों की संख्या में भी वृद्धि होती गई, जो इस्लाम में पूर्ण आस्था के बावज़ूद अपनी आत्मा में मचलते हुए प्रभु-प्रेम के फलस्वरूप अपने अंतःचक्षु द्वारा प्रिय के दर्शन करने में लगे हुए थे।
एक मत के रूप में सूफ़ीमत नौवीं शताब्दी में उभरा। सूफ़ीमत इस्लामी विधान का उल्लंघन नहीं करता। यह दौर इस्लाम के अत्यधिक प्रभाव का दौर था।
... भारतीय दर्शन में ‘अनल हक़‘ के समानार्थी ‘अहं ब्रह्मस्मि‘ है। अद्वैत दर्शन को सूफ़ी मंसूर की पहचान माना जाता है लेकिन हक़ीक़त है यह कि राहे विलायत से गुज़रने वाले हरेक साधक को इस मक़ाम से गुज़रना पड़ता है।... सूफ़ियों के सिलसिलों की संख्या निश्चित करना कठिन है, पर उनमें से कई भारत में पाए जाते हैं। इनमें प्रमुख हैं – चिश्ती, सुहरवर्दी, क़ादिरी, शतारी, नक्शबंदी, फिरदौसी, आदि। अकबर के ज़माने का मशहूर विद्वान अबुल फजल ने “आइन-ए-अकबरी” में चौदह सूफ़ी सिलसिलों का ज़िक्र किया है।
Source : http://www.testmanojiofs.com/2012/02/2.html?showComment=1328070899526#c117346338345762996
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