होली आकर जा चुकी है और नया हिन्दू वर्ष आरम्भ हो गया है .
हिन्दू धर्म की मान्यता है कि ब्रह्मा ने चैत्र मास के प्रथम दिन प्रथम सूर्योदय होने पर की.
'ब्लॉग की ख़बरें' की ओर से
विक्रमी संवत 2069 के शुभ आगमन पर
नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं ...
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...लेकिन विचारणीय तथ्य यह है कि ब्रह्मा ने सृष्टि किस चीज़ की की थी ?
क्योंकि सूर्य, पृथ्वी और ऋतुएँ तो पहले से ही थीं ?
दरअसल ब्रह्मा का यह मिशन भौतिक पदार्थों की सृष्टि करना नहीं था बल्कि उनकी योजना एक नयी मानव जाती उत्पन्न करने की थी, एक ऐसी मानव जाति जो आध्यात्मिक और वैज्ञानिक शक्तियों से परिपूर्ण हो और उनके पुत्रों में यह गुण थे भी.
ब्रह्मा जी ने ब्रह्म विद्या सिखाकर हमें मनुष्य बनाने का मिशन आज के दिन से शुरू किया था.
ब्रह्मा कौन थे और उनके पुत्र कौन थे और वे कहाँ रहते थे ?
यह सारी जानकारी वेद और पुराण देते हैं .
आज लोगों में पुराणों की मजाक बनाने का और उन्हें कोरी गप्प कहने का प्रचलन है लेकिन हकीक़त यह है कि मानव जाति का अति प्राचीन इतिहास पुराणों मौजूद है.
हिन्दू जाति का कैलेण्डर उसके ज्ञान विज्ञानं का एक अच्छा उदाहरण है.
देखिये यह लेख :
....कालांतर से बना है कैलेंडर
डॉ. मनोहर भंडारी
यह कथन पूर्णत: सत्य है कि भारतीय काल गणना पद्धति सबसे प्राचीन है और वैज्ञानिक भी। हमारे यहाँ सृष्टि की रचना के साथ ही कालगणना का शुभारंभ माना गया है। ऎसा कहा जाता है कि सृष्टि की रचना का प्रथम दिन चैत्र मास का प्रथम दिवस था। ब्रह्मपुराण के मुताबिक "चैत्रमास के प्रथम दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी।" यथा- चैत्रं मासि जगद् ब्रह्मा ससर्ज प्रथमेहनि।
ज्योतिष शास्त्र में इस बात का उल्लेख है कि जब सृष्टि की रचना हुई और पूर्व क्षितिज पर सूर्यदेव प्रकट हुए तब सूर्य का होरा था, अतएव सृष्टि की रचना का प्रथम दिवस रविवार माना गया है। दरअसल, ज्योतिष मतानुसार एक अहोरात्र (दिन रात) में २४ होरा होते हैं और २५वाँ होरा जिस ग्रह का होता है उससे संबंधित वार होता है। इस पच्चीसवें होरा में सूर्योदय भी होता है। उदाहरणार्थ रविवार की शुरूआत के पश्चात पच्चीसवाँ होरा चंद्रमा का होता है अतएव रविवार के पश्चात सोमवार आता है। इसी क्रमानुसार मंगलवार, बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार और शनिवार का नामकरण हुआ है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में अवस्थित अशोक चक्र के २४ खंड भी इस सतत प्रवाहमान होरा चक्र के प्रतीक बताए गए हैं। समूचे विश्व में वारों का यही क्रम है। अंग्रेजी के सैटरडे सैटर्न अथवा शनि, संडे सूर्यवार और मन डे या मून डे चंद्रवार के ही पर्याय हैं।
इसी तरह भारतीय मासों के नामकरण में तारा विज्ञान का हाथ रहा है। चैत्रमास की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में भ्रमण करता है और वैशाख पूर्णिमा को विशाखा नक्षत्र में। दूरबीन द्वारा तारामंडल को देखकर उक्त कथन की वैज्ञानिक पुष्टि की जा सकती है। अर्थात् भारतीय माहों के नामकरण पूर्णत: तारा विज्ञान के आधार पर किए गए हैं। इस तारतम्य मे यह कहना कतई अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है कि कैलेंडर शब्द पूर्णत: भारतीय है। वास्तव में कैलेंडर शब्द कालान्तर शब्द का बिगड़ा हुआ स्वरूप है। समय को संस्कृत में कालान्तर कहा जाता है। कैलेंडर शब्द की रोमन उत्पत्ति की कथा अविश्वसनीय और अजीब है। भारतीय वर्ष का प्रारंभ चैत्र अर्थात मार्च में होता है। वस्तुत: कैलेंडर शब्द कालांतर का ही अपभ्रंश है।
इसी तरह भारतीय मासों के नामकरण में तारा विज्ञान का हाथ रहा है। चैत्रमास की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में भ्रमण करता है और वैशाख पूर्णिमा को विशाखा नक्षत्र में। दूरबीन द्वारा तारामंडल को देखकर उक्त कथन की वैज्ञानिक पुष्टि की जा सकती है। अर्थात् भारतीय माहों के नामकरण पूर्णत: तारा विज्ञान के आधार पर किए गए हैं। इस तारतम्य मे यह कहना कतई अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है कि कैलेंडर शब्द पूर्णत: भारतीय है। वास्तव में कैलेंडर शब्द कालान्तर शब्द का बिगड़ा हुआ स्वरूप है। समय को संस्कृत में कालान्तर कहा जाता है। कैलेंडर शब्द की रोमन उत्पत्ति की कथा अविश्वसनीय और अजीब है। भारतीय वर्ष का प्रारंभ चैत्र अर्थात मार्च में होता है। वस्तुत: कैलेंडर शब्द कालांतर का ही अपभ्रंश है।
और देखें यह लेख :
http://bmrnewstrack.blogspot.in/2012/03/2069.html
3 comments:
खोजपरक और ज्ञानवर्द्धक है। हमारा राशिफल भी ठीक मालूम पड़ता है।
बहुत बढ़िया,बेहतरीन करारी अच्छी प्रस्तुति,..
नवरात्र के ४दिन की आपको बहुत बहुत सुभकामनाये माँ आपके सपनो को साकार करे
आप ने अपना कीमती वकत निकल के मेरे ब्लॉग पे आये इस के लिए तहे दिल से मैं आपका शुकर गुजर हु आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
मेरी एक नई मेरा बचपन
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: मेरा बचपन:
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/03/blog-post_23.html
दिनेश पारीक
aise prshn doosre mton ke bhi hai phle vhan prsh hl kr ke unhe jan le fir doosron ke jane lgta bs hindoon ka vishvash vhshvash nhi hai baki ka pkka hai bda mjak hai yh
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