विधायक ने धर्म परिवर्तन कर प्रेमी से की शादी
असम की कांग्रेस विधायक रूमी नाथ के पति पिछले दस दिन से दावा कर रहे थे कि उनकी पत्नी का अपहरण कर लिया गया है, लेकिन अब पता चला है कि वह अपने प्रेमी के साथ फरार हैं। यही नहीं, रूमी नाथ के फेसबुक अकाउंट पर दी गई ताजा जानकारी के मुताबिक उन्होंने धर्म परिवर्तन कर उस प्रेमी के साथ शादी भी रचा ली है।
रूमी नाथ ने फेसबुक पर जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक अब उनका नाम राबिया सुल्ताना हो गया है। उन्होंने सामाजिक कल्याण विभाग के एक मुलाजिम जाकिर हुसैन के साथ निकाह कर लिया है। हुसैन से उनकी मुलाकात भी इसी सोशल साइट के जरिए हुई थी।
कांग्रेस के टिकट पर चुने जाने से पहले वह एक बार भाजपा की विधायक भी रह चुकी हैं।
4 comments:
nice info
Not nice info - this lady has left her small kid and ran away with a guy to marry. this is disgudting. what kind of "muslim" by was that who was romancing a married lady. islam is against all such absurd activities. a good muslim is one who abstain from illegal relationship. that muslim boy may be a muslim on the line of KHANS of hollywood!!!!
विवाह हुआ है तो निश्चित ही पहले पति से तलाक ले लिया होगा. इसमें गलत कुछ नहीं. गलत ये है धर्म परिवर्तन क्यों किया और नाम क्यों बदला?
इस केस में लड़की हिन्दू समुदाय से है और लड़का मुस्लिम है . कहीं यह भी देखने में आता है लड़की मुसलमान है और लड़का हिन्दू है, जैसा कि आमिर खान के कार्यक्रम 'सत्यमेव जयते' में भी दिखाया गया है.
जब से लड़की के लिए शिक्षा और रोज़गार के दरवाज़े खोले गए हैं . तब से इस तरह के केस ज़्यादा होने लगे हैं.
असम की कांग्रेस विधायक रूमी नाथ के केस को लें तो हम यह बताना चाहेंगे कि तलाक़ के बाद औरत को ३ महीने (मासिक धर्म) की मुद्दत तक इंतज़ार करना होता है ताकि यह निश्चय हो जाए कि वह पूर्व पति से गर्भवती है या नहीं ताकि उस बच्चे का अपने बाप की संपत्ति में अधिकार सुनिश्चित हो सके.
यह इस्लामी तरीक़ा नहीं है कि इधर पूर्व पति को छोड़ा और उधर दूसरा पति कर लिया.
औरत को मनपसंद साथी के साथ जीने का हक़ है लेकिन वह जिस धर्म को अपना रही है उसके विधान का पालन न करने का अर्थ क्या है ?
इस से यही पता चलता है कि जैसे जैसे हम व्यक्तिगत आज़ादी की तरफ बढ़ रहे हैं वैसे वैसे सामाजिक और नैतिक ज़िम्मेदारी का अहसास कम होता जा रहा है .
जाकिर हुसैन साहब को भी अपनी धार्मिक और नैतिक ज़िम्मेदारी का अहसास होता तो वे इस तरह किसी का घर न तोड़ते.
इस्लाम मुसलमान मर्द को किसी औरत के साथ तन्हाई में मिलने से रोकता है ताकि इस तरह कि घटनाएं न हों.
पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब स. ने तीन बार फ़रमाया खुदा कि क़सम वह आदमी ईमान नहीं रखता जिस का पड़ोसी (चाहे मुस्लिम हो या ग़ैर मुस्लिम) उसकी तकलीफ़ों से महफूज़ न हों.
(हदीस ग्रन्थ : बुख़ारी, मुस्लिम)
इस एक बात का ध्यान भी मुसलमान रख लें तो बहुत सी समस्याएं हल हो सकती हैं. इस्लाम का नाम लेना ही काफी नहीं है बल्कि उसके मुताबिक़ अमल करना भी ज़रूरी है. समाज में शांति तभी आएगी.
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