एक उम्मीद लगाकर रखना.
दिल में कंदील जलाकर रखना.
कुछ अकीदत तो बचाकर रखना.
फूल थाली में सजाकर रखना.
जिंदगी साथ दे भी सकती है
आखरी सांस बचाकर रखना.
पास कोई न फटकने पाए
धूल रस्ते में उड़ाकर रखना.
ये इबादत नहीं गुलामी है
शीष हर वक़्त झुकाकर रखना.
लफ्ज़ थोड़े, बयान सदियों का
जैसे इक बूंद में सागर रखना.
भीड़ से फर्क कुछ नहीं पड़ता
अपनी पहचान बचाकर रखना
----देवेंद्र गौतम
ग़ज़लगंगा.dg: आखरी सांस बचाकर रखना:
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(ऐ रसूल) अगर तुम उनसे पूछो कि (भला) किसने सारे आसमान व ज़मीन को पैदा किया
और चाँद और सूरज को काम में लगाया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने फिर वह
कहाँ बहके चले जाते हैं
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(ऐ रसूल) अगर तुम उनसे पूछो कि (भला) किसने सारे आसमान व ज़मीन को पैदा किया
और चाँद और सूरज को काम में लगाया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने फिर वह
कह...
5 comments:
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (25-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
लिखते रहें खूबसूरत गजल
एक उनके लिये बचा कर रखना !
बहुत खूबसूरत गज़ल
उम्दा है , बधाई
जिंदगी साथ दे भी सकती है
आखरी सांस बचाकर रखना.
...बहुत खूब...बेहतरीन गज़ल...
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