महाभारत की ग़लती को दोहराने से कैसे बचें ?
शाँति में विश्वास किसका है ?
यह कहना भी मुश्किल है।
नेताओं का या जनता का ?
हमारे नेताओं को तो दुनिया जानती ही है।
जनता में सब तरह के लोग हैं। संगठित गिरोह सुपारी लेकर क़त्ल करने से लेकर अपहरण तक कर रहे हैं। जो घरेलू लोग हैं, वे अपने बेटे की शादी कर लेते हैं और बहू को बंधक बनाकर सगाई, विवाह और गोद भराई के मौक़ों पर उसके माँ-बाप से रक़म वसूल करते रहते हैं। इनमें से कोई आत्महत्या कर लेती है और कोई मार दी जाती है। ज़िन्दा बच भी जाए तो अपनी कोख में कन्या भ्रूण हत्या करती रहती है। लड़की को कोख में न भी मारा तो किसी खेत, पार्क या बस में उसकी लाश मिल जाती है।
किसका विश्वास है शाँति में ?, कहना मुश्किल है लेकिन फिर भी माना जाता है कि कुछ लोग इस देश में ऐसे ज़रूर होंगे जो कि शाँति में विश्वास रखते होंगे और रखना भी चाहिए। ऐसा हमारे संविधान में लिखा है।
संविधान में लिखा है, इसलिए भारत को शाँति का पुजारी मान लिया जाता है।
इसलाम का नाम ही उस शब्द से बना है जिसकी धातु का अर्थ ‘शाँति‘ है।
इसलाम को आतंकवाद से जोड़ ��दिया जाता है.
इसलाम में भी शाँति की शिक्षा है। इस बात को भी नज़रअन्दाज़ कर दिया जाता है।
इसलाम को आतंकवाद से जोड़कर बदनाम करना है तो बस बदनाम करना ही है।
यह अन्याय है।
अन्याय करेंगे तो जंग कैसे रूक पाएगी ?
पहले अन्याय किया गया तो आज अन्याय न किया जाए।
पहले ग़लती हुई तो आज उसे न दोहराया जाए।
यह कहना भी मुश्किल है।
नेताओं का या जनता का ?
हमारे नेताओं को तो दुनिया जानती ही है।
जनता में सब तरह के लोग हैं। संगठित गिरोह सुपारी लेकर क़त्ल करने से लेकर अपहरण तक कर रहे हैं। जो घरेलू लोग हैं, वे अपने बेटे की शादी कर लेते हैं और बहू को बंधक बनाकर सगाई, विवाह और गोद भराई के मौक़ों पर उसके माँ-बाप से रक़म वसूल करते रहते हैं। इनमें से कोई आत्महत्या कर लेती है और कोई मार दी जाती है। ज़िन्दा बच भी जाए तो अपनी कोख में कन्या भ्रूण हत्या करती रहती है। लड़की को कोख में न भी मारा तो किसी खेत, पार्क या बस में उसकी लाश मिल जाती है।
किसका विश्वास है शाँति में ?, कहना मुश्किल है लेकिन फिर भी माना जाता है कि कुछ लोग इस देश में ऐसे ज़रूर होंगे जो कि शाँति में विश्वास रखते होंगे और रखना भी चाहिए। ऐसा हमारे संविधान में लिखा है।
संविधान में लिखा है, इसलिए भारत को शाँति का पुजारी मान लिया जाता है।
इसलाम का नाम ही उस शब्द से बना है जिसकी धातु का अर्थ ‘शाँति‘ है।
इसलाम को आतंकवाद से जोड़ ��दिया जाता है.
इसलाम में भी शाँति की शिक्षा है। इस बात को भी नज़रअन्दाज़ कर दिया जाता है।
इसलाम को आतंकवाद से जोड़कर बदनाम करना है तो बस बदनाम करना ही है।
यह अन्याय है।
अन्याय करेंगे तो जंग कैसे रूक पाएगी ?
पहले अन्याय किया गया तो आज अन्याय न किया जाए।
पहले ग़लती हुई तो आज उसे न दोहराया जाए।
1 comments:
-- महाभारत में कोई गलती ही नहीं हुई ...किसी एक का नाम बताओ तो उसीके बारे में मूर्ख व अज्ञानी लोगों को समझाया जाए...
--जहां तक इस्लाम की बात है ..नाम सही है पर आज तक इसलाम या शान्ति पर चला कौन ...किसी एक का नाम तो बताओ....यूंही झूठ-मूठ नाम रख लेने से क्या होता है...
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