हिंदी ब्लॉगर ऐसा भी करती हैं कि ख़ुद एक ऐसी अपील करेंगी जिसे वे ख़ुद नहीं मानतीं। जब कोई उन्हें इस बात की तरफ़ ध्यान दिलाता है तो वे उस टिप्पणी को ही मिटा डालती हैं।
ऐसा किसने किया ?
यह जानने के लिए देखिए
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5 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (07-03-2013) के “कम्प्यूटर आज बीमार हो गया” (चर्चा मंच-1176) पर भी होगी!
सूचनार्थ.. सादर!
@ आदरणीय शास्त्री जी ! आपका शुक्रिया इस पोस्ट को मुन्तखब करने के लिये.
यह सारे धर्मों के साथ नई समस्या पैदा हो गयी है कि ईश्वर जिन चर्चाओं से आहत नहीं होता उसके बन्दे ईश्वर के नाम पर खुद आहत हो जाते हैं और न जाने कितने बवाल मचाते हैं। सारी समस्या अध्ययन से संबंध रखती है। ये वैसा ही है जैसे गांधी को गाली देने वाले अधिकांश लोग ऐसे हैं जिन्होंने गांधी को पढ़ा और समझा ही नहीं।
आपने ख़ुद ही बता दिया है कि सवाल का जवाब नहीं बन पा रहा था। इसलिए आपकी टिप्पणी मिटा दी गई।
ब्लॉगर ख़ुद को विद्वान समझते हैं लेकिन सवाल करना ही काफ़ी नहीं है बल्कि सवालों को हल करना भी ज़रूरी है। सवाल को दरकिनार करना ब्लॉगिंग की समझ न होना ज़ाहिर करता है।
और आपका आशय तो सबकी समझ में आ रहा है
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