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पर कुछ चिंताएं जताते हुए आपको मिलेंगे ब्लॉगजगतके मशहूर पत्रकार अजय कुमार झा
पिछले एक दशक में भारतीय समाज में कुछ बहुत ही क्रांतिकारी परिवर्तन देखने सुनने को मिल रहे हैं । ये परिवर्तन भारतीय समाज को क्या और कितना बदलेंगे ये तो आने वाला समय भी बताएगा और भविष्य में भारतीय समाज को एक मोड पर आकर ये निर्णय भी लेना ही होगा कि आने वाला समाज कैसा होगा ? क्या धीरे धीरे भारतीय समाज में पैठ बनाती ये नवीन परंपराएं और चलन भारतीय समाज की बरसों पुरानी चूलें हिला देगा ?: या फ़िर कि आने वाले समय में लाख विरोध और प्रतिक्रियाओं के बावजूद यही परंपराएं युगों से चली आ रही भारतीय रीतियों के ऊपर भारी पडती हुई संचालक परंपराएं बन जाएंगीं । आज भारतीय समाज में , विशेषकर शहरी समाज में , लिव इन रिलेशनशिप , सरोगेट मदर , वाईफ़ स्वैपिंग, मर्सी किलिंग , होमो सैक्सुऐलिटी और इन जैसी और भी कई आ रही और आने वाली बहुत सी परंपराओं ने अब खुद को स्थापित करने के लिए न सिर्फ़ सरकार और समाज के सामने चुनौती खडी की है बल्कि आज वे अदालतों का दरवाज़ा खटखटा कर उन्हें कानूनी /वैधानिक मान्यता दिलाने की लडाई शुरू भी कर चुके हैं ।
इन सभी समस्याओं पर अलग अलग पाठकों का अलग अलग नजरिया देखने में आया. ऐसे में ये लोग भारतीय समाज में इन मान्यताओं को स्थापित होने से कैसे रोक पाएंगे ?, जबकि कुछ लोग तो इनमें से कुछ बातों को गलत और नाजायज़ मानने के लिए भी तैयार नहीं हैं . इन सभी बातों को इंसान की फितरत गलत समझती है और आज केवल इस्लाम है जो कि इन सभी गंदी बातों को नाजायज़ और हराम कहता है और यही वजह है कि इन सभी जुर्मों में आपको इस्लाम का पाबंद मुसलमान नज़र ही नहीं आएगा .
इस तथ्य को बताने वाली टिप्पणी हमने इस पोस्ट पर दी थी लेकिन सच को यहाँ भी दबा दिया गया .
अफ़सोस .
समस्याओं से परेशान भी हैं और अपने पास कोई हल भी नहीं है और अगर कोई सही हल बताये तो उसे सुनना भी नहीं चाहते . इसी का नाम है तास्सुब और साम्प्रदायिकता और भारत को यही चाज़ तबाह कर रही है .
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