इस बेहूदा और अंधे निर्णय की कटु, तिक्त और घोर निंदा निम्न , मध्यम और उच्च तीनों स्वरों में की जाती है क्योंकि वकील डी. आर. द्विवेदी जी का ब्लॉग निलंबित नहीं किया गया जबकि उन्होंने ख़ुद भी धर्म से बग़ावत कर रखी है और नारी वर्ग को भी सभी धर्मों के ख़िलाफ़ बग़ावत के लिए उकसाया। मैंने उनकी आलोचना की तो मेरे कई ब्लॉग्स के साथ मेरे दो Blogs मात्र इसलिए निलंबित कर दिए क्योंकि मैंने द्विवेदी जी के लेख की आलोचना की थी । इससे पता चलता है कि आपको धर्म और न्याय से ज्यादा प्यारा है 'रूतबे वाला आदमी'। 'हमारी अंजुमन' और 'प्यारी माँ' को भी आपने अपनी अंधी नफ़रत का शिकार बना डाला जबकि वहाँ तो कॉपी पेस्ट वाले आर्टिकल डाले ही नहीं जाते।
याद रखना कि जो लोग हमारी वाणी को जन्म देकर आज तुम जैसों का नाम चमकवा सकते हैं वे ..,
....
उपरोक्त बयान 'ब्लॉग की खबरें' के संपादक व ब्लॉग जगत के पहले और मशहूर Virtual Freedom Fighter अनवर जमाल का है जो कि उन्होंने आज
http://www.blog.hamarivani.com/2011/03/blog-post_12.html?showComment=1300101357133#c8877179998920326462
हमारी वाणी के ब्लॉग पर दिया है। इस बयान के बाद हमारी वाणी की अंधी नीतियाँ खुलकर सामने आ गई हैं और यह भी साफ़ हो गया है कि जो लोग हमारी वाणी के इस अन्यायपूर्ण फ़ैसले का स्वागत कर रहे हैं या तो उनमें इतनी बुद्धि ही नहीं है कि वे न्याय और अन्याय में अंतर कर सकें या फिर टिप्पणियाँ देना उनकी आदत है जैसे कि बिना पोस्ट को ध्यान से पढ़े ही टिप्पणियाँ देने का चलन ब्लॉग जगत में आम है ।
याद रखना कि जो लोग हमारी वाणी को जन्म देकर आज तुम जैसों का नाम चमकवा सकते हैं वे ..,
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उपरोक्त बयान 'ब्लॉग की खबरें' के संपादक व ब्लॉग जगत के पहले और मशहूर Virtual Freedom Fighter अनवर जमाल का है जो कि उन्होंने आज
http://www.blog.hamarivani.com/2011/03/blog-post_12.html?showComment=1300101357133#c8877179998920326462
हमारी वाणी के ब्लॉग पर दिया है। इस बयान के बाद हमारी वाणी की अंधी नीतियाँ खुलकर सामने आ गई हैं और यह भी साफ़ हो गया है कि जो लोग हमारी वाणी के इस अन्यायपूर्ण फ़ैसले का स्वागत कर रहे हैं या तो उनमें इतनी बुद्धि ही नहीं है कि वे न्याय और अन्याय में अंतर कर सकें या फिर टिप्पणियाँ देना उनकी आदत है जैसे कि बिना पोस्ट को ध्यान से पढ़े ही टिप्पणियाँ देने का चलन ब्लॉग जगत में आम है ।
4 comments:
ये सब लिख कर आप लोग ब्लॉग जगत को क्या देना चाहते हैं। अच्छा होता कोई अच्छी सी कविता करते ... लेख लिखते
अनवर भाई की बात को समर्थन
@ भाई पदम सिंह जी ! आप एक हिंदू हैं और मैंने देखा है कि अगर कोई हिंदू भाई धर्म के ख़िलाफ़ लोगों को ग़लत जानकारी देता है तो आप लोग उससे बुराई मोल नहीं लेते और बैठे हुए चुपचाप कविताएं लिखते रहते हैं और यही करने की ग़लत सलाह आप हमें दे रहे हैं ?
हम मुसलमान हैं और बुराई के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना हम पर हमारे रब ने अनिवार्य किया है । हमारा मानना है कि ग़लत बातों को धर्म न माना जाए और ऐसा करने के बाद औरतों को धर्म से बग़ावत करने की कोई ज़रूरत शेष नहीं रह जाती। मानव जाति का कल्याण केवल और केवल धर्म से ही संभव है , यही संदेश हम ब्लॉग जगत को देना चाहते हैं । आप भी ऐसा ही कीजिए और अपनी कविताओं में भी यही संदेश देकर उन्हें सार्थक बनाएँ ।
ये टिप्पणी मेरे ब्लॉग जीवन के पहले चरण की अंतिम टिप्पणियों में से हैं ।
शुक्रिया !
@ भाई हरीश सिंह जी ! आपके समर्थन के लिए शुक्रिया !
आपके साथ आने से लगा कि मेरे प्रयास असफल नहीं गए । मैं हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं हूँ लेकिन मैं जलाने के खिलाफ हूँ चाहे धर्म के नाम पर आग में खाने वाले को जलाया जाए या फिर खाने पीने की चीज़ों को । खाने वालों को जलाना यानि सती प्रथा को तो अब हिंदू भाई छोड़ चुके हैं लेकिन घी और फलों को जलाना और पत्थरों पर दूध बेकार बहाने का क्या औचित्य है भारत जैसे देश में, जहाँ करोड़ों गर्भवती औरतें और बच्चे कुपोषण के शिकार हैं ?
गाय का दूध नाली में बेकार बहाने से तो अच्छा था कि उसे गाय के थनों में ही छोड़ दिया जाता ताकि उसका बच्चा ही उसे पी लेता जिसके लिए कि वह दूध उसके शरीर में बना था ।
मैं इस तरह की व्यर्थ की बातों का विरोध करता हूँ जिनके कारण दिनेश राय द्विवेदी जी जैसे लोग धर्म की आलोचना करते हैं और लोगों को धर्म के ख़िलाफ़ बग़ावत के लिए उकसाते हैं।
हमें याद रखना होगा कि समाज में धर्म की स्थापना तब तक संभव नहीं है जब तक कि धर्म का बोध ईश्वर की वाणी से प्राप्त न किया जाए और विकारों का उन्मूलन न किया जाए ।
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