इस पर एक ज़बरदस्त चर्चा चल रही है मदन शर्मा जी से . जिसे देखा जा सकता है निम्न लिंक पर
और (कुफ़्फ़ार अरब) कहते हैं कि इस (रसूल) पर उसके परवरदिगार की तरफ़ से
मौजिज़े क्यों नही नाजि़ल होते (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि मौजिज़े तो बस ख़ुदा ही
के पास हैं और मै तो सिर्फ़ साफ़ साफ़ (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाला हूँ
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और (कुफ़्फ़ार अरब) कहते हैं कि इस (रसूल) पर उसके परवरदिगार की तरफ़ से
मौजिज़े क्यों नही नाजि़ल होते (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि मौजिज़े तो बस ख़ुदा ही
के पास ...
3 comments:
आदरणीय मदन शर्मा जी,
जमाल बाबू से आप बहस में ना जीत पायेंगे। कारण ये है कि जमाल जी हिन्दी ब्लॉगजगत में मूर्खता और बेवकूफ़ियों का सबसे बड़ा नगाड़ा हैं। और आप तो न नगाड़ेबाज हो न अखाड़ेबाज, मेरी तरह। ये महाशय सिर्फ़ नगाड़ेबाज और अखाड़ेबाज दो ही लोगों से घबराते हैं। मेरे ब्लॉग पर आप इनकी दीन हीन दशा हमेशा देख सकते हैं। वहीं पर ये अपनी टोपी सहित पट्ट पाये जाते हैं।
शर्मा जी आपको स्मरण कराता हूँ, आपने इनसे मिलती जुलती एकमात्र वस्तु इस असार संसार में देखी होगी। मालुम क्या ? ही ही
बिल्ली का गू ।
हा हा
जो ना लीपने का होता है ना ही पोतने का। एम आय राँग ?
लो जमाल जी लो धोबी पछाड़।
आप कहते हो:-
(@ Rajpurohit ji ! हनुमान जी को भगवान तो मेरे पूर्वज श्री रामचंद्र जी ने भी नहीं माना भाई .)
जवाब:-
रामजी, आप जैसे बेसिरपैर दिमाग वालों के पूर्वज कहाँ से हो गये ? आप या आपके पूर्वज कन्वर्टेड याने मार मार मुसलमान बनाये गये थे क्या ?
और सुनो जब राम ने कहा कि तुम मम प्रिय भरतहिं सम भाई तब ही वो भगवान हो गये क्योंकि भगवान का भाई भगवान अण्डर्स्टुड।
आपके यहाँ तो अल्ला मियाँ सण्ड मुसण्ड याने सिंगल माने जाते हैं शायद। अब जब उनकी खुद किसी से रिश्तेदारी नहीं तो बताइये आप से क्या होगी यू टोपीबाज मामूली इंसान ?
इसीलिये शायद अल्ला मियाँ से निराश होकर आप भगवान राम को अपना पूर्वज बतलाने लग पड़े हैं। हो जाता है अक्सर निराशा में ऐसा। मैं और मदन शर्मा जी आपका यह दुख समझ सकते हैं।
जमाल जी नं २,
आप कहते हो:-
(मदन शर्मा जी ! भगवान का जो अर्थ आप बता रहे हैं उसे आप संस्कृत के किसी शब्दकोष में तो दिखा नहीं सकते , आप जैसे लोग खुद ही किसी भी चीज़ को भगवान बना लेते हो और किसी भी शब्द का कुछ भी अर्थ घोषित कर देते हो. आपको अपनी बात के पक्ष में प्रमाण देना चाहिए. आपकी बात सही होगी तो मैं आपकी बात मान लूँगा.)
यार जमाल बाबू, आप शब्दकोष (लुगत) भी मुसलमानी मोहल्ले के मीना बाजार से खरीदते हो। वहाँ कहाँ मिलेगा इसका अर्थ। अरे जब सारी की सारी Earth ही आप जैसे व्यर्थ (टोपीबाज मुल्लों) जो दरअसल यह छुपाने के लिये पहनी जाती है कि इस टोपी के नीचे कोई खोपड़ी (दिमाग) ही नही है) लोगों से भरी पड़ी हो तो तब ऊपरवाले पर बह्स करने का क्या अर्थ ?
हा हा और आपने जब अपने वालिद की बात नहीं मानी कि बेटा और कोई भले पैदा हो तो तू मत पैदा हो जाना, तब भी आप पैदा हो ही गये, तो शर्मा जी का दिया कोई भी प्रमाण क्या मानेंगे ?
ही ही।
जमाल बाबू नं ३
आप कहते हो:-
(@ मदन शर्मा जी ! आप संधि-विच्छेद करके जो अर्थ जबरन निकाल रहे हैं उसका आधार और स्रोत क्या है ?
किसी ग्रन्थ का हवाला तो दीजिये)
देखो जी, संधि-विच्छेद (खतना) के मास्टर तो आप ही लोग हो इसलिये इसका और स्रोत वही समझ लीजिये और रही बात ग्रन्थ की तो वो इस्लाम में होता है क्या ? आय डोण्ट थिंक सो।
हा हा
जमाल बेकाबू नं ४
आप कहते हो:-
(@ शर्मा जी ! आपके पास समय नहीं है तो हम तो आपको बुलाने नहीं गए थे . हमारे पास आये थे तो सोचकर आते कि अब वो ज़माने नहीं रहे कि जब लोग पंडत की बात इसलिए मान लेते थे कि पंडत जी कह रहे हैं . लोगों के इसी भोलेपन का फायदा उठाकर आपने जानवरों को इंसानों का भगवान घोषित कर दिया . घोर पाप किया पंडत जी आप जैसे लोगों ने.)
इसके जवाब में एक शेर ही काफ़ी है
शैख ने मस्जिद बना मिस्मार बुतखाना किया
तब तो एक सूरत भी थी अब साफ़ वीराना किया
जमाल बाबू नं ५
आप कहते हो:-
(विधवाओं की दुर्दशा के पीछे भी यही कारण है , जो कि इस पोस्ट का विषय है . लेकिन इस्लाम के प्रभाव में आकर विधवाओं की सोच काफी बदल गयी है. अब वे भी जीना चाहती हैं .
अगली बार जब आप आयें तो समय निकलकर और प्रमाण ढूंढ कर ज़रूर लायें)
सही कहा आपने इस्लाम के प्रभाव में आकर विधवाओं की सोच काफ़ी बदल गई है याने वो विधवा की जगह बेवा हो गई हैं है ना ?
आपकी वो मीना बाजार वाली लुगत में देखना जरा ?
हा हा।
और सुनिये लोग तो आप को ही समय से निकाल देने के मूड में हैं। अब मत पगलाओ डॉ. साहब, ऐसे में तबियत और फ़ितरत और किस्मत सब की सब बिगाड़ लोगे। आपका सबसे अजीज दोस्त हूँ तो इतना ही कहता हूँ कि मेरी टिप्पणियाँ मिटाने की जगह उन्हें दिल और मन लगाकर पढ़ डालो तुम्हारी जिंदगी तर जायेगी और ये नजर के पर्दों की धूल अपने आप झड़ जायेगी।
अपने नाम को भी उसी लुगत में देख लेना और फिर सोचना कि क्या तुम्हारे काम का भी वही अर्थ है जो तुम्हारे नाम का होना चाहिये ?
चलता हूँ।
बाय बाय भाय
मेरी जानकारी के अनुसार 'भगवान' शब्द भगवत पुराण और विष्णु पुराण दोनों में हुआ है. भगवान शब्द दो शब्दों का मेल है. भग + वान. भग शब्द के कई अर्थ बताये गए हैं जैसे कि ऐश्वर्य, दैविक इत्यादि इत्यादि. और वान शब्द का अर्थ तो सबको पता ही होगा - इसका अर्थ है कि जो ऊपर दिए हुए गुणों को धारण करे. विष्णु पुराण में ऋषि परशुराम ने भगवान शब्द कि शायद परिभाषा भी दी है. दूसरी बात ये भी ध्यान में रखनी चाहिए कि बहुत से पौराणिक शब्दों के अर्थ खोजना बहुत कठिन है उसके लिए प्रकांड पंडितों या ज्ञानियों की सहायता लेनी पड़ेगी. उदहारण के लिए मुझे इस बात का ज्ञान नहीं की जीसस या खुदा शब्द के क्या मायने हैं, और या फिर अंग्रेजी भाषा के शब्द गौड का क्या संधि विच्छेद होगा..
@Sanjay, खुदा का अर्थ मालिक होता है |
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