सूफ़ी दर्शन-2
वाजिबुल वुजूद
मनुष्य के विभाग
सूफ़ियों ने मनुष्य के चार विभाग स्वीकार किए हैं :
1. नफ़्स
2. रूह
3. क़ल्ब
4. अक्ल
नफ़्स यानी विषयभोग वृत्ति या इंद्रिय या जड़ तत्व। मनुष्य के शरीर में समाहित यह तत्व उसका जड़ अंश बनाते हैं। अतः साधक का प्रथम लक्ष्य नफ़्स के साथ युद्ध होना चाहिए। रूह यानी आत्मा और क़ल्ब यानी हृदय द्वारा ही साधक अपनी साधना करता है। अक्ल या बुद्धि मनुष्य का चौथा विभाग है।
नफ़्स या जड़ आत्मा उसे कार्य में बाधा पहुंचाता है और उसे पाप की ओर ले जाने की चेष्टा करता है। किन्तु रूह या अजड़ आत्मा की ईश्वरीय शक्ति उसके कल्ब या हृदय के स्वच्छ दर्पण में परमेश्वर को प्रतिबिम्बित कर देती है और उसका अपने प्रियतम के साथ मिलन हो जाता है।
1. नफ़्स ए अम्मारा - यह इंसान को बुराई की प्रेरणा देता है।
2. नफ़्स ए लव्वामा - यह इंसान को बुराई करने पर कचोटता है।
3. नफ़्स ए मुतमइन्ना - साधना के बाद जब इंसान का नफ़्स मुतमइन हो जाता है। तब वह अपने रब के हरेक हुक्म पर मुतमइन हो जाता है। अपने नफ़्स को इस कैफ़ियत में लाने के लिए ही सूफ़ी लोग साधना करते हैं। रूहानी तरक्क़ी को वे अपने नफ़्स की कैफ़ियत से ही परखते हैं।
नफ़्स ए अम्मारा इंसान की साधना में बाधा पहुंचाता है और उसे पाप की ओर ले जाने की चेष्टा करता है। किन्तु रूह या आत्मा की ईश्वरीय शक्ति उसके कल्ब और हृदय के स्वच्छ दर्पण में परमेश्वर को प्रतिबिम्बित कर देती है और उसका अपने प्रियतम के साथ मिलन हो जाता है।
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2 comments:
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