ईं. प्रदीप कुमार जी की एक रचना जो हालाते हाज़िरा का एक जीवंत ख़ाका आपके सामने पेश करती है। उनके ब्लॉग पर जाकर उनकी यह रचना पढ़ें और उनका हौसला बढ़ाएं।
http://www.pradip13m.blogspot.com/
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