मुहब्बत के भाव से भरपूर अनवर जमाल , लखनऊ में |
हमारे ‘षटमित्रों‘ ने हमें क्रोध पर क़ाबू पाने की प्रेरणा समय समय पर दी है और हम भी समय की प्रतीक्षा कर रहे थे। सो अब वह समय आ गया है। हमारे वे मेहरबान ‘षटमित्र‘ कौन हैं ?
यह भी एक पोस्ट का विषय है लेकिन इनमें हमारे महामित्र अलबेला खत्री जी का नाम ज़रूर शामिल। वही पहले आदमी हैं जिन्होंने हमारे नाम को ईनाम के लिए प्रस्तावित किया और फिर उनका वचन पूरा होते हुए भी हिंदी ब्लॉग जगत ने देख ही लिया।
इस मौक़े पर हमने भाई ख़ुशदीप जी की एक पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए एक अहम घोषणा की है :
'आज यह सुनिश्चित हो गया कि आप एक बड़े ब्लॉगर हैं क्योंकि ब्लॉग जगत में यह सिद्धांत प्रचलित है कि ‘टेढ़ा है पर मेरा है की भावना से ओत-प्रोत होते हैं बड़े ब्लॉगर्स‘।
आपकी यह पोस्ट उसी सिद्धांत की पुष्टि करती है।
अभी अभी लखनऊ से लौटा हूं और सबसे पहले तो बधाई देने वालों को शुक्रिया अदा किया। बड़ी मुश्किल से तो दो-चार बंदे शुक्रिया कहने आए और अगर कहीं उन्हें भी थैंक्स न कहा तो अगली बार वे भी रूख़ न करेंगे। इसी क्रम में मक्खनबाज़ी हेतु आपके ब्लॉग पर भी एक टिप्पणी चिपकाने के लिए आ गया।
समय देखकर इस टिप्पणी का उधार आप अवश्य ही चुकता करेंगे। ऐसी सद्-आशा के साथ आपका भाई , अनवर जमाल !
... और हां,
ब्लॉग जगत की तमाम परेशान आत्माओं के नाम एक हर्ष संदेश
आय एम कूल एंड सैटिस्फ़ाई नाओ.
अब आप मुझे जैसे ढालना चाहें, ढाल लें,
सलाह और सुझाव आमंत्रित हैं,
अवधि मात्र 3 दिवस है।
ऐसा क्यों कह रहा हूं, यह भी एक पूरी पोस्ट का विषय है जो कि मैं बनाऊंगा नहीं। बस, सलाह दीजिए और पालन कराइये।
जय हिंद !'
इसे आप निम्न लिंक पर भी देख सकते हैं :
http://slogover.hamarivani.com/2011/05/blog-post.html?showComment=1304947313542#c4024455052601591001
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