स्वयं पर नियन्त्रण हेतु हमें अपने जीवन में बनने वाले रसायनों को नियन्त्रित करना पड़ता है। संयम की चाबी रसायनों के पास है। हमारा जीवन रसायनों का योग है। हमारा शरीर बनता भी रसायनों से हैं एवं इसका संचालन भी उन्हीं से होता है। शरीर में एक रसायन विशेष के बनने से भूख लगने का पता लगता है व भोजन करते ही रसायन बदल जाता है तो तृप्ति महसूस होती है। विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण के पीछे भी एक तरह का रसायन होता है। कामपूर्ति होते ही भिन्न रसायन पैदा होता है जो तृप्ति देता है।पूर्ति होने के बाद भिन्न रसायन उत्पन्न होने से उदासीनता का भाव आता है। इन तीनों स्थितियों के लिए रसायन जिम्मेदार है।
यह एक अच्छी पोस्ट है , कुछ लाभकारी जानकारी देती है.
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1 comments:
थैंक्यू जमाल जी,
बहुत अच्छी जानकारियाँ हासिल हुई पोस्ट पढ़कर।
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