इस बात को दो जगह कहा गया है
1- भावनाओं में बहकर शांति खोना जायज़ नहीं है
2- पुलिस के साथ मुसलमानों का रवैया कैसा होना चाहिए ?
दरअस्ल यह पोस्ट हमने लिखी थी साहित्य प्रेमी संघ के लिए। इस संघ की स्थापना इंजीनियर सत्यम शिवम साहब ने की है और यह साहित्य सुमन उगाता है और ख़ुशबू फैलाता है। हमने हमेशा साहित्य की रचना तभी की है जबकि उसका कोई असर व्यक्ति के जीवन और उसके चरित्र पर पड़ता हो। मात्र मनोरंजन के लिए साहित्य लिखना हमारी नज़र में समय को बेकार गंवा देना है।
समाज में चारों ओर समस्याएं हैं, हमें उनके हल के बारे में सोचना चाहिए और ऐसा साहित्य रचना चाहिए जो सबको रास्ता दिखा सके।
और (उस दिन को याद) करो जिस दिन हर शख़्स अपनी ज़ात के बारे में झगड़ने को आ
मौजूद होगा
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और (उस दिन को याद) करो जिस दिन हर शख़्स अपनी ज़ात के बारे में झगड़ने को आ
मौजूद होगा (111)
और हर शख़्स को जो कुछ भी उसने किया था उसका पूरा पूरा बदला मिले...
1 comments:
सुन्दर प्रस्तुति,
हार्दिक बधाई ||
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