तारकेश्वर गिरी जी जानते तो यह बात न लिखते कि गेरूआ वस्त्र पहनने पर फ़तवा जारी हो जाता।
तारकेश्वर गिरी जी को पता होना चाहिए कि मुसलमान मौलाना सफ़ेद लिबास पहनते हैं और चिश्ती साबरी दरवेश गेरूआ रंग भी इस्तेमाल करते हैं। हिंदू आचार्य और सन्यासी भी इन दोनों रंगों को इस्तेमाल करते हैं और दोनों ने ही आज तक इन दोनों रंगों को लेकर कोई फतवा जारी नहीं किया है।
मोदी भाई साहब ने मुस्लिम टोपी नहीं ली तो उनकी इच्छा।
इसमें मुसलमानों को नाराज नहीं होना चाहिए।
वैसे भी नाराज तो उससे हुआ जाता है जिससे प्यार का कोई रिश्ता हो।
हम तो उनसे नाराज हैं जो टोपियां पहन पहन कर वहां गए, मोदी जी को 'टोपी पहनाने'।
http://taarkeshwargiri.blogspot.com/2011/09/blog-post.html
तारकेश्वर गिरी जी को पता होना चाहिए कि मुसलमान मौलाना सफ़ेद लिबास पहनते हैं और चिश्ती साबरी दरवेश गेरूआ रंग भी इस्तेमाल करते हैं। हिंदू आचार्य और सन्यासी भी इन दोनों रंगों को इस्तेमाल करते हैं और दोनों ने ही आज तक इन दोनों रंगों को लेकर कोई फतवा जारी नहीं किया है।
मोदी भाई साहब ने मुस्लिम टोपी नहीं ली तो उनकी इच्छा।
इसमें मुसलमानों को नाराज नहीं होना चाहिए।
वैसे भी नाराज तो उससे हुआ जाता है जिससे प्यार का कोई रिश्ता हो।
हम तो उनसे नाराज हैं जो टोपियां पहन पहन कर वहां गए, मोदी जी को 'टोपी पहनाने'।
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