अभी कुछ दिन पहले एक महिला ने अपने लेख मे लिखा की, "ट्रैफ़िक पुलिस वाले, लड़कियों को नियम तोड़ने पर कुछ नही बोलते हैं. महिला वर्ग से इतनी क्या सहानुभूति हैं? क्या पुलिस वाले इनकी बाइक या स्कूटी से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि, इनको ट्रैफ़िक नियमों और विनियमों का आभास करवाना भी भूल जाते हैं. जुर्माना लगाना तो दूर की बात हैं !"
एक लेखिका ने लिखा की " मैं महिलाओं को टिकट बुकिंग काउंटर पर व पब्लिक ट्रांस्पोर्टेशन सिस्टम में मिलने वाले किसी भी तरह के आरक्षण का समर्थन करती हूं" मगर ये मामला पब्लिक ट्रांसपोर्ट, ATM मशीन, ट्रफ़िक नियम, बुकिंग काउंटर तक ही सीमित नही है, बल्कि इस अघोषित आरक्षण का दायरा बढ़ता ही जा रहा है,
एक लेखिका ने लिखा की " मैं महिलाओं को टिकट बुकिंग काउंटर पर व पब्लिक ट्रांस्पोर्टेशन सिस्टम में मिलने वाले किसी भी तरह के आरक्षण का समर्थन करती हूं" मगर ये मामला पब्लिक ट्रांसपोर्ट, ATM मशीन, ट्रफ़िक नियम, बुकिंग काउंटर तक ही सीमित नही है, बल्कि इस अघोषित आरक्षण का दायरा बढ़ता ही जा रहा है,
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