इस्लामी नए साल को मनाने का तरीका बेवाओं (विधवाओं), बेसहारा लोगों की मदद करना है .
इस्लामी नया साल मुबारक .
दुनिया के हर मजहब या कौम का अपना-अपना नया साल होता है। नए साल से मुराद (आशय) है पुराने साल का खात्मा (समापन) और नए दिन की नई सुबह के साथ नए वक्त की शुरुआत। नए वक्त की शुरुआत ही दरअसल नए साल का आगाज (आरंभ) है।
इस्लामी कैलेंडर में जिलहिज के महीने की आखिरी तारीख को चाँद दिखते ही पुराना साल विदाई के पायदान पर आकर रुखसत हो जाता है और अगले दिन यानी मोहर्रम की पहली तारीख से इस्लामी नया साल शुरू हो जाता है।
1 comments:
नए इस्लामी साल आपको बहुत-बहुत मबारकबाद हो.
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