अपनी-अपनी जिद पे अड़े थे.
इसीलिए हम-मिल न सके थे.
एक अजायब घर था, जिसमें
कुछ अंधे थे, कुछ बहरे थे.
फिसलन कितनी थी मत पूछो
हम गिर-गिरकर संभल रहे थे.
The very first torch bearer of Virtual Journalism in Hindi.
अपनी-अपनी जिद पे अड़े थे.
इसीलिए हम-मिल न सके थे.
एक अजायब घर था, जिसमें
कुछ अंधे थे, कुछ बहरे थे.
फिसलन कितनी थी मत पूछो
हम गिर-गिरकर संभल रहे थे.
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1 comments:
वाह!! क्या बात है.
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