सूफ़ी साधना से आध्यात्मिक उन्नति आसान है Sufi silsila e naqshbandiya
सूफ़ी दर्शन क्या है और सूफ़ी कौन होता है ?
सूफ़ी दर्शन को ‘तसव्वुफ़‘ कहा जाता है। सूफ़ी शब्द की उत्पत्ति को लेकर बहुत से मत हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि सूफ़ी शब्द ‘सफ़ा‘ से निकला है, जिसका अर्थ है विशुद्धता, मन-विचार और कर्म की विशुद्धता। जिन लोगों के बारे में यह शब्द बोला जाता है उनका चित्त शुद्ध होता है और ख़ुदा की मुहब्बत के साथ साथ उनके दिल में उसके बंदों के लिए भी मुहब्बत पाई जाती है। अमीर की अमीरी और किसी ग़रीब की ग़ुरबत इनके लिए कोई मायने नहीं रखती। अमीरों से पहले ये लोग ग़रीबों को अपने क़रीब करते हैं।
सूफ़ी दर्शन को ‘तसव्वुफ़‘ कहा जाता है। सूफ़ी शब्द की उत्पत्ति को लेकर बहुत से मत हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि सूफ़ी शब्द ‘सफ़ा‘ से निकला है, जिसका अर्थ है विशुद्धता, मन-विचार और कर्म की विशुद्धता। जिन लोगों के बारे में यह शब्द बोला जाता है उनका चित्त शुद्ध होता है और ख़ुदा की मुहब्बत के साथ साथ उनके दिल में उसके बंदों के लिए भी मुहब्बत पाई जाती है। अमीर की अमीरी और किसी ग़रीब की ग़ुरबत इनके लिए कोई मायने नहीं रखती। अमीरों से पहले ये लोग ग़रीबों को अपने क़रीब करते हैं।
अनल हक़ से आगे मंज़िलें और भी हैं
अपने शैख़ की रहनुमाई में जो लोग इस मंज़िल से आगे निकल जाते हैं। वे यह जान लेते हैं कि ‘अल्लाह वराउलवरा है।‘ जो भी चीज़ नज़र में आती है या इंसान के ख़याल में समाती है, अल्लाह उस जैसा नहीं है। कोई भी चीज़ अल्लाह जैसी नहीं है। अल्लाह हर चीज़ से परे है। योगियों में भी जो यह जान लेते हैं कि परब्रह्म अचिन्त्य, अविज्ञेय और कल्पनातीत है, वे ब्रह्म को परब्रह्म कहते हैं।
मुस्लिम सूफ़ी पहली कैफ़ियत को ‘तश्बीह‘ और दूसरी कैफ़ियत को ‘तन्ज़ीह‘ कहते हैं।
अपने शैख़ की रहनुमाई में जो लोग इस मंज़िल से आगे निकल जाते हैं। वे यह जान लेते हैं कि ‘अल्लाह वराउलवरा है।‘ जो भी चीज़ नज़र में आती है या इंसान के ख़याल में समाती है, अल्लाह उस जैसा नहीं है। कोई भी चीज़ अल्लाह जैसी नहीं है। अल्लाह हर चीज़ से परे है। योगियों में भी जो यह जान लेते हैं कि परब्रह्म अचिन्त्य, अविज्ञेय और कल्पनातीत है, वे ब्रह्म को परब्रह्म कहते हैं।
मुस्लिम सूफ़ी पहली कैफ़ियत को ‘तश्बीह‘ और दूसरी कैफ़ियत को ‘तन्ज़ीह‘ कहते हैं।
1 comments:
नव-वर्ष की मंगल कामनाएं ||
धनबाद में हाजिर हूँ --
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