मानव प्राणी द्वारा विचार कर मैथुन करना ही, सभी प्राणियों में श्रेष्ठता प्रदान करती हैं|आख़िर मनुष्य और जानवर में फ़र्क क्या हैं? जानवर भी प्रेम, दोस्ती, समूह मे रहने की कला, लड़ना,झगड़ना,रोना हँसना आदि जानते है|यहाँ तक कि कभी-कभी जानवर विवेकशीलता का एसा उदाहरण प्रस्तुत करता हैं,जो मनुष्य के वश का नही होता ,फिर भी उन्न्हें जड़ जीव क्यों कहा जाता हैं? इसका मुख्य कारण कि वह संभोग के लिए रिश्तों मे भेद नहीं करते| वह कहीं भी,कभी भी,तथा किसी से भी अपने मैथुन भूख को मिटा लेते हैं| माँ,बहन,भाई, बाप आदि के रिश्तों को वह नही जानते|मैथुन के लिए वह सबको बराबर समझते हैं|
आजकल मानव भी अपने रिश्ते के अहमियत को भूल रहा हैं|भाई- बहन, बाप- बेटी आदि से संभोग रत होने का समाचार देखने और सुनने को मिल रहा हैं| तो क्या मैथुन के लिए हमें जानवर हो जान चाहिए ?कदापि नहीं|
NBT पर एक सुपरहिट पोस्ट-
3 comments:
We must open our eyes and never forget the good vaules and humane qualities for want of worldly materials.
Thanks for the nice post by Ram Bandhu Tiwari Ji, I congratulate him for this post.
शुक्रवार के मंच पर, तव प्रस्तुति उत्कृष्ट ।
सादर आमंत्रित करूँ, तनिक डालिए दृष्ट ।।
charchamanch.blogspot.com
Shukriya .
Post a Comment