वेद कुरआन ब्लॉग पर
गायत्री मंत्र का पाठ प्राचीन पद्धति से किया जाए तो उसकी शुद्धता प्रकट हो जाती है
अब हमें गायत्री मंत्र के विषय में लगभग सारी ज़रूरी जानकारी हासिल हो चुकी है। हम देख सकते हैं कि जिस गायत्री मंत्र की स्फुरणा विश्वामित्र के अंतःकरण में हुई और जिसे देखकर उनके विरोधियों ने भी उसकी महानता को स्वीकार किया। अगर वास्तव में ही इस मंत्र में किसी प्रकार का मात्रा दोष होता तो सबसे पहले तो उनके विरोधी ही इस दोष को चिन्हित करते ?
उनके किसी भी विरोधी ने, यहां तक कि उनकी योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले वसिष्ठों ने भी गायत्री मंत्र के ‘निचृत‘ होने जैसा कोई दोष न पाया। जो दोष गायत्री मंत्र के रचनाकाल में किसी को नज़र न आया। वह दोष आज आर्य-सनातनी विद्वानों को क्यों नज़र आ रहा है ?
इस विशय में वेद मर्मज्ञ विद्वान प्रा. ह. रा. दिवेकर ने अपने 50 साल के षोध के बाद लिखा है कि
विचार करने पर यह जान पड़ता है कि उस समय का मंत्र पाठ आज हम जिस प्रकार मंत्र पाठ कर रते हैं, वैसा न था.
इस लेख का पिछला भाग यहां पढ़ें- http://www.vedquran.blogspot.in/2012/03/3-mystery-of-gayatri-mantra-3.html
गायत्री मंत्र का पाठ प्राचीन पद्धति से किया जाए तो उसकी शुद्धता प्रकट हो जाती है
अब हमें गायत्री मंत्र के विषय में लगभग सारी ज़रूरी जानकारी हासिल हो चुकी है। हम देख सकते हैं कि जिस गायत्री मंत्र की स्फुरणा विश्वामित्र के अंतःकरण में हुई और जिसे देखकर उनके विरोधियों ने भी उसकी महानता को स्वीकार किया। अगर वास्तव में ही इस मंत्र में किसी प्रकार का मात्रा दोष होता तो सबसे पहले तो उनके विरोधी ही इस दोष को चिन्हित करते ?
उनके किसी भी विरोधी ने, यहां तक कि उनकी योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले वसिष्ठों ने भी गायत्री मंत्र के ‘निचृत‘ होने जैसा कोई दोष न पाया। जो दोष गायत्री मंत्र के रचनाकाल में किसी को नज़र न आया। वह दोष आज आर्य-सनातनी विद्वानों को क्यों नज़र आ रहा है ?
इस विशय में वेद मर्मज्ञ विद्वान प्रा. ह. रा. दिवेकर ने अपने 50 साल के षोध के बाद लिखा है कि
विचार करने पर यह जान पड़ता है कि उस समय का मंत्र पाठ आज हम जिस प्रकार मंत्र पाठ कर रते हैं, वैसा न था.
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