देखिए डा. अरविंद मिश्रा जी की एक अच्छी पोस्ट.
और जिस वक़्त तारे गिर पड़ेगा (2)
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सूर, तक़वीर मक्का में नाज़िल हुआ और इसकी 29 आयतें हैं जिस वक़्त आफ़ताब की
चादर को लपेट लिया जाएगा (1)
और जिस वक़्त तारे गिर पड़ेगा (2)
और जब पहाड़ चलाए जाएँ...
5 comments:
आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार १५ /५/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |
हमें हार नहीं माननी चाहिए।
अब तो वर्षों से की गई आपकी सेवा भी सम्मानित की जाएगी।
bahut kathin hai dagar panghat kee...nar ho na nirash karo man ko...baise aapkee baaton se main sahmat hoon..sadar badhayee ke sath...aapke blog par aana pahli baar hua..mera amantran bhee sweekarein
स्पंदन अभी बाकी है
आप जैसे दिग्गज स्पंदित करें .. हम खुद ब खुद स्पंदित होते रहेंगे
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