हिंदी ब्लॉगिंग को एक दशक पूरा नहीं हुआ और दशक का ब्लॉगर और ब्लॉग चुना जा रहा है।
यह एक नायाब आयडिया है। इसका नतीजा वही होगा कि सम्मान तो मिलेगा केवल 5 ब्लॉगर्स को अपमान आएगा बाक़ी सबके हिस्से में। न चुने जाने का दंश मालूम नहीं किसके संवेदनशील दिल को कितना ज़्यादा दुखा दे।
गटबाज़ी और रंजिश की वजह से पहले ही बहुत से हिंदी ब्लॉगर्स रूख़सत हो चुके हैं लेकिन हिंदी ब्लॉगिंग के ताबूत में कीलें लगातार ठोंकी जा रही हैं।
कील ठोंकने वाले वही पुराने दोनों ईनामी हैं।
इन नतीजों को देखकर जनाब महेंद्र श्रीवास्तव जी ने कहा है कि
उत्साह में आकर किसी को वोट देने से पहले ज़रा यह सोचिए कि इस वोटिंग से हिंदी ब्लॉगर्स में किसका भला होगा ?
वोट पाने वाले का या कि वोटिंग के मकड़जाल का आयोजन करने वाले का ?
इस सबके बावजूद इस गेम के मास्टरमाइंड की तारीफ़ अवश्य करें कि प्रबुद्ध समझे जाने वाले हिंदी ब्लॉगर्स की ऊर्जा को अपने हित में कुशलतापूर्वक इस्तेमाल कर लिया।
यह एक नायाब आयडिया है। इसका नतीजा वही होगा कि सम्मान तो मिलेगा केवल 5 ब्लॉगर्स को अपमान आएगा बाक़ी सबके हिस्से में। न चुने जाने का दंश मालूम नहीं किसके संवेदनशील दिल को कितना ज़्यादा दुखा दे।
गटबाज़ी और रंजिश की वजह से पहले ही बहुत से हिंदी ब्लॉगर्स रूख़सत हो चुके हैं लेकिन हिंदी ब्लॉगिंग के ताबूत में कीलें लगातार ठोंकी जा रही हैं।
कील ठोंकने वाले वही पुराने दोनों ईनामी हैं।
(1) समीर लाल समीर (41 वोट)
(2) रंजना (रंजू भाटिया) (21 वोट)
(3) रवि रतलामी (14 वोट)
(4) पूर्णिमा वर्मन (09 वोट)
(5) कविता वाचक्नवी (07 वोट)
(6) अनूप शुक्ल (05 वोट)
(7) आशीष श्रीवास्तव (03 वोट)
(8) सतीश सक्सेना (02 वोट)
दृष्टव्य
: जितेंद्र चौधरी और सुनील दीपक को कोई वोट नहीं मिला है अभीतक । साथ ही अन्य विकल्प
के अंतर्गत प्राप्त मतों के आधार पर रवीन्द्र प्रभात (05 वोट), रश्मि प्रभा(03 वोट), अविनाश वाचस्पति (01वोट),हंसराज सुज्ञ(01 वोट),राजेन्द्र
स्वर्णकार(01 वोट), उमेश चतुर्वेदी (01 वोट),संगीता पूरी (01 वोट),डा। श्याम गुप्त (01 वोट), दिव्या श्रीवास्तव (01 वोट).......... आदि को भी वोट प्राप्त
हुये हैं । रवीन्द्र प्रभात को छोडकर शेष सभी वोट आखिरी परिणाम मे शामिल किए जाएँगे
।
(1) उड़न तश्तरी (39 वोट)
(2) फुरसतिया (19 वोट)
(3) ब्लोगस इन मीडिया (11 वोट)
(4) भड़ास (09 वोट)
(5) नारी (08 वोट)
(6) छींटे और बौछारें (05 वोट)
(7) साई ब्लॉग (03 वोट)
(8) साइंस ब्लॉगर असोसियेशन (02 वोट)
(9) मेरा पन्ना (01 वोट)
(10) जो न कह सके (01 वोट)
इन नतीजों को देखकर जनाब महेंद्र श्रीवास्तव जी ने कहा है कि
- आप सब लोग ब्लागिंग मास्टर हैं। मैं तो कुछ समय पहले ही यहां आया हूं।
आप सब जानते हैं कि यहां ब्लागर्स के बीच में गुट बने हुए हैं। इसे सबसे पहले खत्म करने की जरूरत थी, लेकिन इस वोटिंग सिस्टम में आग में घी डालने का काम किया है।
मैं देखता था कि गांवों में पहले बड़ा सुकून था, जो बुजुर्गवार कह देते थे, वो सभी को मान्य होता था, पर जब से पंचायती राज के तहत गांव गांव चुनाव होने लगे, गांव की शांति खत्म हो गई, खून खराबा होने लगा।
मुझे लगता है कि हिदी ब्लागिंग के 10 साल को और बेहतर बनाने के लिए बहुत से तरीके थे, लेकिन आप लोगों ने वोटिंग कराकर इसका हाल गांव से भी बुरा कर दिया।
मै फिर कहता हूं कि मुझे ज्यादा दिन यहां नहीं हुए हैं, लेकिन मै बता सकता हूं कि किन लोगों का ब्लाग जगत में कितना योगदान है। किसने ब्लागिंग को सम्मान दिलाया है। मै ही क्या आप सब भी जानते हैं। अरे इस वोटिंग सिस्टम से आप ये मैसेज दे रहे हैं कि तमाम वरिष्ठ ब्लागर्स को दो तीन वोट मिले हैं....
खैर... ध्यान रखिएगा कहीं यहां भी लालू,कलमाडी, राजा टाइप लोग ना वोट का जुगाड़ कर लें...
उत्साह में आकर किसी को वोट देने से पहले ज़रा यह सोचिए कि इस वोटिंग से हिंदी ब्लॉगर्स में किसका भला होगा ?
वोट पाने वाले का या कि वोटिंग के मकड़जाल का आयोजन करने वाले का ?
इस सबके बावजूद इस गेम के मास्टरमाइंड की तारीफ़ अवश्य करें कि प्रबुद्ध समझे जाने वाले हिंदी ब्लॉगर्स की ऊर्जा को अपने हित में कुशलतापूर्वक इस्तेमाल कर लिया।
12 comments:
चर्राया है शौक पुराना, महिमा मंडित करने का |
इसकी टोपी उसके सर पर, उसकी अपने धरने का |
टुकड़े टुकड़े में है दुनिया, इसको और कुतरने का |
आधा सच कह देता रविकर, डाट-डैश में भरने का ||
फिर भी -
वोट तो कर दिया है भैया ||
@ रविकर फैजाबादी जी,
कमाल का कमेंट है।
हमारी रिपोर्टिंग पूरी तरह निर्भीक और बेलालच है।
क्यों ?
धन्य रविकर कविराज।
यह दुनिया एक रंगमंच है ..जब तक है तब तक शो चलते रहना चाहिए ..
हम अपना अपना काम करें ,बाकी वक्त पर छोड़ दें .....
असहमति एक स्वस्थ परम्परा है ...जो जीवित कौमों का अहसास दिलाता है .
किसे वोट दें? और वोट देकर हासिल क्या होगा। कोई भी अलग नही है। सभी ने हिंदी के लिये बहुत कुछ किया है समीर भाई से लेकर सतीश भाई तक। और जीतू भाई हों या सुनील भाई कई नाम तो हैं ही नही इसमे जिन्होने न जाने कितना काम किया था हिन्दी चिट्ठों के लिये एग्रीगेटर बनाने के लिये। मै 2007 से ब्लॉग लिख रही हूँ सभी मेरे अज़ीज़ है किसी एक को चुनना नामुमकीन है। क्षमा करें किसी एक को वोट नही दिया जा सकता।
सादर
यह एक नायाब आयडिया है।
:)
मंशा अच्छी हो लेकिन तरीक़ा सही नहीं लग रहा।
Its called completely Professional Blogging.
यहाँ मुख्य चिठ्ठा चयन अधिकारी कौन है .मतदाता सूची कहाँ हैं ?क्या यहाँ भी कुछ लोग 'ब्लॉग लूटतें हैं '?ब्लॉग छापतें हैं वोट की तरह ?
अभी तो और भी रातें सफ़र में आयेंगी ,चरागे शव मेरे महबूब ,संभाल के रख .
दशक का ब्लोगर...इसका औचित्य क्या है...इस से क्या हासिल होने वाला है...क्यूँ नहीं ब्लोगर किसी सकारात्मक क्रिया में अपनी ऊर्जा लगाते...
नीरज
sahee kaha NEERAJ ji...
neeraj ji ne sateek bat kahi hai .sahmat hun .jab tak koi blogars association aadhikarik roop se chuni n gayi ho tab tak aise chunav karna vyarth ka kam hai .
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