भोजपुरी ग़ज़ल
मन में नेह के तार बहुत बा.
ई नदिया में धार बहुत बा.
तनिको चूक के मौका नइखे
गरदन पर तलवार बहुत बा.
सौ एके छप्पन के आगे
पर्चो भर अखबार बहुत बा.
काहे गांव से भगत बा ड
गांव में कारोबार बहुत बा.
के अब केकर दुःख बांटे ला
बनल रहे व्यवहार बहुत बा.
मिल जाये त कम मत बुझिह
चुटकी भर संसार बहुत बा.
---देवेंद्र गौतम
(समकालीन भोजपुरी साहित्य में प्रकाशित)
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1 comments:
काहे गांव से भगत बा ड
गांव में कारोबार बहुत बा.
के अब केकर दुःख बांटे ला
बनल रहे व्यवहार बहुत बा.
वाह इतनी सुंदर गज़ल भोजपुरी में कमाल है ।
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