कौन किसकी पुकार पर आया.
जो भी आया करार पर आया.
तेज़ रफ़्तार कार पर आया.
कौन गर्दो-गुबार पर आया?
सबकी गर्दन को काटने वाला
आज चाकू की धार पर आया.
जो छपा था महज़ दिखावे को
मैं उसी इश्तेहार पर आया.
शाख दर शाख कोपलें फूटीं
खुश्क जंगल निखार पर आया.
उसने दोजख से इक उछाल भरी
और जन्नत के द्वार पर आया.
एक सौदा निपट गया गोया
लाख मांगा हज़ार पर आया.
सबके तलवे लहूलुहान मिले
कौन फूलों के हार पर आया?
जीत पर उतना खुश नहीं था मैं
जो मज़ा उसकी हार पर आया.
एक तूफ़ान थम गया गौतम
एक दरिया उतार पर आया.
----देवेंद्र गौतम
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